
बेइंतहा सफ़र इश्क का –…
.....आपके लिए एक खबर कि अब मेरी कहानियां आप प्रतिलिपि के अलावा kindel app में बुक के रूप में पढ़ पाएँगे...कहानी संग्रह, उपन्यास, कविता संग्रह, लघुकथा संग्रह सब कुछ...यहाँ तक कि बेइंतहा भी ताकि आप इनके बुक के रूप में हमेशा अपने पास संग्रहित कर सके....आप अमेज़न(amazon) यूज करते है...
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बेइंतहा सफ़र इश्क का –…
मीटिंग खत्म करके अरुण अब कही निकलने का मन बना चुका था| वह ज्योंही बाहर तक आया वैसे ही सिक्योरटी टीम उसे अपने घेरे में ले लेते है| ये सब देखते उसका दिमाग घूम गया क्योंकि इस तरह का बंधन उसके लिए असहनीय था| वह ज्यो ज्यो कार की तरफ...
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हमनवां – 9
मोहित कहता रहा कि पार्टी में मुझे नही जाना फिर भी वे तीनों कहाँ उसकी बात सुनने वाले थे उसकी बहुत नानुकुर के बाद भी उसे सबके साथ जाना पड़ा| पार्टी भावना ने अपने थ्री बीएचके फ्लैट में ही रखी थी जिसे उसने अपने कलात्मक हाथों से सजाया था| जो...
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डेजा वू एक राज़ –…
कमरे में पूर्ण एकांत था इतना एकांत कि वहां मौजूद हर शख्स की धड़कने साफ साफ़ सुनी जा सकती थी फिलहाल तो बैड पर लेटी पलक के शरीर से जुडी मशीनों की बीप अचानक से बढ़ गई थी और कमरे में उनकी आवाजे शोर करने लगी थी| जॉन, झलक और...
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बेइंतहा सफ़र इश्क का –…
टैक्सी से उतरते तेज कदमो से चलती हुई वर्तिका जहाँ प्रवेश करती है वह एक नर्सिंग होम था| सामने से आते एक वार्ड बॉय को देख वह जल्दी से पूछती है – “क्या अन्दर डॉक्टर है ?” “जी हाँ – आप अंदर जाइए |” वर्तिका उसके जाते अंदर आती बैठ...
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सुगंधा एक मौन – 43
संस्था में रोजाना की तरह सबको चिराग का इंतजार था, हालांकि सभी को कनकलता जी का आना पता चल चुका था फिर भी उनके मन को यकीन नही था कि चिराग एकदम से आना बंद कर देगा, वन्दना जी भी बेटी की शादी कर बेंगलुरु से वापस आ चुकी थी|...
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बेइंतहा सफ़र इश्क का –…
वो जगह न्यूज का पार्किंग एरिया था जहाँ स्टैला आई तो अपनी कार लेने थी पर उस वक़्त रंजीत के पंजो मे दबी बुरी तरह से फडफडा रही थी| रंजीत चाहता तो था कि अपने पंजे के बंधन को पल मे कस दे लेकिन उस वक़्त अपना दवाब बनाए हुए...
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एक राज़ अनसुलझी पहेली –…
उस कमरे में वह बिलकुल दबे पांव चलती हुई आती है, कमरे के बहुत ही कम प्रकाश था जिससे कमरे की स्थिति का किसी को भी हलके से अंदाजा होता पर वे अभ्यस्त कदम सहज ही अन्दर आते किसी सुनिश्चित स्थान पर रूककर मेज पर से कुछ उठाकर उसे देखने...
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माँ का इंतजार
जब माँ नही दिखती बहुत देर तक,देहरी के आदमकद आईने में तब हम बहुत कुछ बन जाते है, अपना सामान न फेक कर रखने वाले समझदार बच्चे, छोटी छोटी शिकायतों पर न रूठने वाले बड़े बच्चे, तब हमें कुछ नहीं कहना होता बस हमारे मौन छिपकली सा दीवारों पर चिपके रहते है और हर अजनबी की आहट...
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इस कदर प्यार है –…
कार्तिक खुद को कई बार ऊपर से नीचे देखता है और हर बार वही कपड़े देख गुर्राते हुए बोलता है – “देख एक हैण्डसम लड़के की क्या हालत कर दी तूने – जिस बॉडी में डेनिम होनी थी उसमे साला चिथड़े पहन रखे है और ये सब तेरी वज़ह से...
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