Kahanikacarvan

इस कदर प्यार है – 17

कार्तिक उस पल देव की आँखों की दीवानगी देखता रह गया|

“मेरी दुआ है वो जहाँ रहे खुश और आबाद रहे – मैं तो बस उसकी याद के साथ जी लूँगा – जब आखिरी बार उसे देखा था तो कितनी उदासी थी उसके चेहरे पर उस चेहरे के ऊपर उसका मुस्कराता चेहरा अपने दिल के फ्रेम में लगाकर हमेशा के लिए संजो लेना चाहता हूँ यार |”

“तो फिर चल |” कार्तिक बस जल्दी से बाइक की ओर बढ़ता बाइक स्टार्ट कर उसे बैठने का इशारा करता है|

ये दीवानगी की राह थी जिसे देव अपनी आंख बन किए पूरा कर रहा था और कार्तिक अपनी दोस्ती के लिए ऑंखें खोलकर, उसे रास्ता पता था इसलिए वह बिना रुके कुछ ही पल में सुशीलादेवी के फ्लैट तक पहुँच गया| देव को नीमा को देखने की जितनी चाह थी उतनी न मिलने की मन ही मन जैसे गुजारिश थी आखिर वह अपनी नीमा को किसी और के साथ कैसे देख पाएगा पर दिल भी जाने कैसा दीवाना था एक ही वक़्त में दो विपरीत चाह एकसाथ रखे था|

कार्तिक बिल्डिंग के वाचमैन से सुशीलादेवी का पता पूछ रहा था|

“अभी पञ्च मिनट पहले आते तो मिल जाती – अभी निकल गई |”

“निकल गई !!” दोनों की दो जोड़ी ऑंखें उसकी ओर टिकी रह गई|

“उनकी बिटिया कनेडा जा रही है उसे छोड़ने गई है – कुछ काम हो तो बता दे – आएंगी तो नाम बता देंगे|”

दोनों मुंह लटकाए एकदूसरे की ओर देखते है कि शायद उससे मिलना संभव ही नहीं, वे उदास जाने लगे|

“क्या हुआ भईया – बहुत जरुरी काम था क्या – निकलने वाली तो दोपहरी से थी पर बच्चा था न छोटा इसलिए थोड़ी देर हो गई – बता दो नाम बात देंगे उनको |” इत्मीनान से अंगड़ाई लेता वाचमैन बोलता है पर इसके विपरीत दोनों चौंकते एकदम से उसकी ओर पलटते हुए आते है|

“क्या कहा – बच्चा !! किसका बच्चा !!”

“अरे वही सुशीलादेवी का नातिन |”

“शादी बच्चा – सब इतनी जल्दी !!” कार्तिक सर खुजाता सोच ही रहा था और देव उसका कन्धा पकड़कर झंझोड़ते हुए उससे पूछ रहा था – “अबे क्या पता करके आया था – वो कोई और होगी |”

उन दोनों को आपस में उलझते देख वाचमैन उनको घूरते हुए बोलता है – “बात क्या है ?” वह अपनी संशय से भरी निगाह उनपर गड़ाए रहा|

कार्तिक जो गड़बड़ कर चुका था उसपर अपनी बातों का लेप लगाता देव जल्दी से आगे आता हुआ बोलता है – “बच्चा उनकी बेटी – क्या नाम है …|” सोचने का अभिनय करता है|

“दीपा !”

“हाँ दीपा पर हम तो उनकी भांजी नीमा को कोई जरुरी कागज देने आए थे – वो तो घर पर ही होगी न !”

“अच्छा तो ऐसा बोलो न – नीमा बिटिया ही तो गई है उनकी बेटी दामाद के साथ -|”

“अरे नही – तो वो कागज कैसे दे – बहुत जरुरी था |” देव बात बनाता रहा|

“अब कुछ नही हो सकता – सब कनेडा चले गए – सुना है दिल्ली से है जहाज – हाँ सुशीलादेवी लौट आएंगी उन्ही को दे देना |”

“तो वो लौट आएंगी न जल्दी – कुछ दिन के लिए गई होगी |”

“अरे अब क्या बताए |” गहरा उच्छ्वास छोड़ता हुआ कहता है – “आना मुश्किल ही है – नौकरानी बना रखा है उसे – अपनी बेटी दीपा की सेवा के लिए भेजा है – बिचारी नीमा बिटिया की किस्मत ही खराब है – कहाँ माता पिता की रानी बिटिया बनकर कभी इस घर में मिलने आती थी आज समय का लिखा देखो उस घर में नौकरनी बना कर रखा है –|”

वह अपनी रौ में कहता जा रहा था और देव की ऑंखें हैरानगी से फटी रह गई|

“बड़ा दुःख होता है उसे देखकर – कभी सब्जी लाने भेज देती – बाकी पूरा दिन उसका बच्चा बहलाती घूमती – अब किस्मत का लिखा कौन बदल सका – पर बड़ी अच्छी है एक दिन शाम को घर से गर्म कपडा लाना भूल गया तो अपना शौल ही मुझे दे दिया – ईश्वर भी अच्छे दिल के साथ कभी कभी बड़ा बुरा कर देता है|”

देव के लिए ये सुनना असहनीय था| वह गुस्से में आंख भीचे अब सामने की ओर देख रहा था, तभी कार्तिक उसे हिला कर जैसे उसकी तन्द्रा से उसे बाहर लाता हुआ बोल रहा था –

“क्या कर रहा है देव चल |”

देव उसकी ओर देखता है जो कह रहा था – “देर मत कर – उस मौसी की तो मैं ऐसी तैसी कर डालूँगा – चल अभी दिल्ली एअरपोर्ट चल – |”

देव कठपुतली की तरह कार्तिक के कहते बाइक के पीछे बैठ गया और कार्तिक बडबडाते हुए बाइक हवा में दौड़ा देता है – “आज अपनी दोस्ती की कसम बिना नीमा को तुझे दिखाए उस प्लेन को जाने नही दूंगा – और उस सुपनखा मौसी की तो मैं नाक कान दोनों काट लूँगा – आज देख तू मेरी स्पीड |”

कार्तिक सच में बाइक को हवा में उड़ाता लिए जा रहा था और पीछे बैठा देव जैसे अपनी चेतना ही खो चुका था उसे अपने ऊपर ही गुस्सा आ रहा था आखिर उसका मौन ही नीमा से वादा जो था कि उसे कभी दुखी नही रहने देगा फिर आखिर उसकी ये कैसी हालत हो गई…पर अब नीमा को वह कहीं नही जाने देगा….लेकिन क्या वह सच में नीमा को रोक पाएगा….!!

नेशनल हाइवे पर पवन की रफ़्तार से कार्तिक बाइक चला रहा था जबकि वह ज्यादातर देव के पीछे बैठकर रास्ते का आनंद लेता पर आज जैसे वह खुद की उर्जा चेक कर रहा था| देव से तो कुछ कहते नही बना बस उसका मन ढेर आशंकाओ से भरा हुआ था..क्या वह सच में नीमा को इसके बाद से नही देख पाएगा…वह उसकी पहुँच से इतनी दूर हो जाएगी…क्या होगा आखिर इस लम्हे में…..मैं क्या कहकर उसे रोकूँगा….क्या अपने हाले-ए-दिल को उसके सामने बयां कर भी पाउँगा मैं !!! वह अपनी ही सोच की खाई में समाता चला गया और लगातार चार घंटे बाइक चलाते एक जगह बस पेट्रोल के लिए रुकने के अलावा वह कही नही रुका पर अब कार्तिक के हाथ कुछ डगमगा गए जिससे वह दो पल बाइक स्टार्ट में खड़ी कर अपनी उँगलियों को चटका रहा था, उँगलियों की कडकने की आवाज से देव की तन्द्रा भंग हुई तो उसका ध्यान कार्तिक की ओर गया जिससे तुरंत पीछे से उतरता हुआ वह कार्तिक को पीछे की ओर हलके से धकेलता हुआ कह रहा था – “चल अब तू पीछे बैठ मैं चलाता हूँ |”

“मैं चला लूँगा -|” कार्तिक अपनी जगह पर और अड़ता हुआ कहता है|  देव उसे हटाने की फिर कोशिश करता है लेकिन कार्तिक नही मानता जिससे मजबूर होकर देव फिर पीछे बैठ जाता है|

दिल्ली आते धीरे धीरे गाड़ियों का जमघट नज़र आने लगता है जिससे अब उनकी बाइक की रफ़्तार धीमी होती गई| कार्तिक अपनी भरसक कोशिश में रास्ता काटता हुआ भीड़ से निकलने का प्रयास कर रहा था अब बस बीस मिनट की दूरी पर इंदिरागांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा था और वे ग्रेटर नोयडा के फ्लाई ओवर ब्रिज के जाम से धीरे धीरे सरक रहे थे| कार्तिक अपनी भरसक कोशिश से जाम के बीच से निकलने की कोशिश कर रहा था ऐसा करते आगे वह रेड लाइट को समय से पहले क्रोस कर अगले स्टॉप को भी क्रोस करने बेचैन खड़ा था| तभी कोई पुलिस की बाइक उसके पास आती उसकी बाइक का पिछला हिस्सा पकड़कर उसे हिलाती है जिससे उन दोनों का ध्यान सामने से हटकर अपने पीछे जाता है|

“हाँ कहाँ !! उत्तरखंड की गाड़ी है तो क्या दिल्ली की रेड लाइट नही देखोगे ?” पीछे बाइक पर सवार दो पुलिस में से पीछे वाला अपनी सख्त आखे उसपर गड़ाते हुए कहता है|

दोनों बिना बोले अब मरमरी हालत में उसकी ओर देखते है|

“बाइक से उतरो और चलो थाने |”

“सॉरी सर – जल्दबाजी में देख नही पाया – आप फ़ाईन काट लो पर अभी हमे छोड़ दो |” जल्दी से कार्तिक अपना शरीर आधे से ज्यादा पीछे की ओर मोड़ता हुआ गिडगिडाने लगा|

“क्यों जान जा रही है तुम्हारी |” पुलिसवाला उसपर बरसा|

वे अभी रेड लाइट पर खड़े थे जहाँ अभी ग्रीन सिग्नल हुआ नही था जिससे उनके आगे पीछे गाड़ियों का अम्बार लगता जा रहा था| वही उनके पीछे की गाड़ियों के आस पास कुछ सामान बेचने वाले और हिजड़े भी आकर खड़ी गाड़ियों के आस पास घूम रहे थे|

“हाँ सर – जान ही जा रही है पर मेरे यार की |” कार्तिक तब से चुप बैठे देव की ओर गर्दन से इशारा करता हुआ कहता है तो पुलिस वाला उसकी ओर अपनी घूरती आखें मोड़ लेता है|

“सर जी मेरे यार की जान ही है वो जो अभी कुछ देर में इंदिरा गाँधी एअरपोर्ट से कनेडा जा रही है अगर ये समय पर नही पहुंचा तो उसे नही रोक पाएगा और वो हमेशा के लिए कनेडा चली जाएगी – सर जी आप चाहे तो मुझे जेल ले जाइए पर मेरे यार को जाने दीजिए हम रुद्रपुर से आ रहे है और बस कुछ मिनट की दूरी से उसे खो नहीं सकते |” एक ही सांस में सारी कहानी कहता कार्तिक गिडगिडा रहा था|

“छोड़ कार्तिक शायद हम उसे नही रोक पाएँगे |” देव अपनी भीगी सी आवाज में कहता है|

पुलिस वाला अब अपनी हैरान नज़रों से उन दोनों को देखता हुआ कहता है – “ये प्यार का मामला है !!”

तभी ताली की आवाज से उन सबका ध्यान पीछे की ओर जाता है जहाँ दो हिजड़े साड़ी में खड़े उनकी ओर देख रहे थे|

“आय हाय – एक दम फ़िल्मी स्टाइल – साहब छोड़ दो न – जाने दो न – नही तो लड़के से लड़की मिल नहीं पाएगी और दुखी प्रेमी की हाय हमारी हाय से भी बुरी होती है|” पीछे खड़ा एक हिजड़ा थोडा तेज आवाज में बोला तो आस पास खड़े और भी लोगों का ध्यान उनकी ओर चला गया|

रेड लाइट जाने के लिए बोर्ड पर उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी जिससे आस पास खड़ी सारी गाड़ियाँ निकलने को तैयार होने लगी|

“साहब क्या सोच रहे हो – प्रेमी दिल में सारा संसार बसता है – तुमको पकड़ना ही है तो हमे ले चलो |” हिजड़े तब से चुप पुलिसकर्मी को टोकते हुए बोले|

“सर जी जाने मेरे यार को जाने दीजिए नही तो ट्रेफिक में फंसकर लेट हो जाएगा और फिर उसे नही रोक पाएगा |” कार्तिक सामने की लाइट के घटते नंबर की ओर देखता जल्दी से कहता है|

नंबर लगातार घट रहा था और उसी क्रम में देव की धड़कने जैसे धीमी होती जा रही थी, आस पास खड़ी सारी गाड़ियों का ध्यान अब देव की ओर था जिसके चेहरे के हर भाव से अपने प्यार तक पहुँचने की बेसब्री उसके पोर पोर से झलक रही थी| हिजड़े भी हाथ जोड़े खड़े थे तो कार्तिक अपनी रोनी सूरत से उनकी ओर ताक रहा था| छः….पांच…..चार….तीन…दो…एक और बस ग्रीन लाइट नज़र आने ही वाली थी और सबकी नज़र उस रेड लाइट के मीटर से उन पुलिसवालों तक अटक कर रह गई कि जाने अब क्या होगा….और एक के बाद ग्रीन लाइट चमक उठता है…पर ये क्या सारा ट्रैफिक जो तबसे एक दूसरे को पीछे छोड़ने को बेचैन था अब थम सा गया जैसे अचानक सभी को किसी ने स्टैचू बोल दिया हो| पुलिसवाला जल्दी से अपना वायर लेस कानों से लगाते हुए थोड़ा जोर से कह रहा था – “सर हम फ़ॉलो कर रहे है पर बाइक वाला आगे निकल गया |” कहकर कार्तिक पर से नज़र हटाकर इधर उधर देखने लगा|

अब सारी स्थिति समझते कार्तिक अपने आस पास के ट्रैफिक को देखता है जो उसे पहले निकलने देने के लिए वही थमे खड़े थे, ये देख कार्तिक आँखों से थैंक्यू कहता झट से बाइक स्टार्ट कर आगे बढ़ा लेता है, ये देख हिजड़े ख़ुशी से उछल पड़ते एकदूसरे को गले लगा लेते है| पुलिसवाला अपनी गाड़ी पीछे मोड़ लेता है तो उनके निकलते कुछ सेकेड बाद सारा ट्रैफिक भी अपनी राह की ओर चल देता है| ट्रैफिक के रुकने से कार्तिक अब आसानी से अपनी मंजिल की ओर चल दिया था| ये प्यार की राह थी जिसपर सारी कायनात ही दिल से निसार थी| आगे कुदरत को जो भी मंजूर हो पर कार्तिक आज अपने यार के लिए अपनी जान लगाकर सब कुछ कर गुजरने को तैयार था| अब वे एयरपोर्ट पहुँच कर जल्दी से अन्दर की ओर भागते है| वे विजिटर लेन को क्रोस कर आगे भाग रहे थे| उनके कानों में एनाउंसमेंट पड़ी जो कनेडा जाने वाली फ्लाइट के लिए आखिरी पेसेनर के आने के लिए थी| दीपा, प्रथम और नीमा के नाम की पुकार थी शायद ट्रैफिक की वज़ह से वे भी लेट पहुंचे थे| देव चारोंओर नज़र घुमाता अब पेसेंजर लाइन की ओर बढ़ता है जिससे एअरपोर्ट सुरक्षाकर्मी उसे रोकने आगे आता है तो कार्तिक जल्दी से उनके बीच आ जाता है जिससे देव आगे निकल जाता है और सुरक्षाकर्मी कार्तिक से भीड़ जाता है| वह कार्तिक को धकेलता आगे बढ़ना चाहता था पर उसे अपने शरीर से बाधा बनाकर रोकता कार्तिक हाथ जोड़े गिडगिडाने लगता है – “सर जी जाने दो नही तो उसका प्यार आज इस फ्लाइट से सदा के लिए चला जाएगा |” एकदम से थमता सुरक्षाकर्मी अब देव से नज़र हटाकर कार्तिक की ओर देखने लगा|

“सर जी मेरे यार का प्यार इस कनेडा जाने वाली फ्लाइट से जा रहा है अगर वह उस तक नहीं पहुंचा तो वह उसे हमेशा के लिए खो देगा|”

वह जल्दी जल्दी अपनी बात कह रहा था जिससे उसकी बेचनी साफ़ झलक रही थी| समय धड़कनो का बीत रहा था, देव को रोकने और भी सुरक्षाकर्मी दौड़ गए तो देव आगे आगे भाग रहा था, कार्तिक वही खड़ा अभी भी हाथ जोड़े खड़ा था| देव की नज़रों की सामने बड़े से कांच के शीशे के पार तीन परछाई अपनी तेज रफ़्तार में जा रहे थे निश्चित रूप से दीपा, प्रथम और बच्ची को गोद में लिए उनके पीछे चलती वह नीमा ही थी, देव बस उस परछाई को देखता रह गया, उस पल लगा जैसे सारी पृथ्वी थम सी गई और उस थमे पल में बस वही दो रह गए देव और नीमा……|

क्रमशः……………..

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