Kahanikacarvan

इस कदर प्यार है – 22

देव इससे पहले उसकी तरफ बढ़ता वह मामला समझते दूसरे रास्ते से भागने की कोशिश करने लगता है| कार्तिक इस वक़्त के लिए पहले से ही तैयार था वह भी उसी तेजी से उसकी ओर लपकता है| इस तरह वह समझ भी नही पाता और दोनों ओर से घिर जाता है| वो दोनों के बीच घिरा हाथ जोड़े कभी देव की ओर देखता है और कभी कार्तिक की ओर जो अपनी खा जाने वाली नज़रों से उसे घूर रहे थे| वह धीरे धीरे कदम पीछे करता करता फिर उलटे रास्ते भागने की कोशिश करता है तब दोनों दम लगाकर उसकी ओर उछलते हुए उसे पकड़ते कसकर धुनने लगते है| अगले ही पल आस पास की भीड़ का ध्यान भी उनकी ओर जाता है और वे सब बीच बचाव करने उनके बीच कूद पड़ते है| मामला बहुत ही खतरनाक मोड़ पर पहुँच चुका था देव और कार्तिक उस मरगिल्ले आदमी को कसकर कूटने में लगे थे पर अगर लोग बीच बचाव न करते तो आज शर्तिया उसकी हड्डियों का चूरमा बनना तय था|

“ये सब क्या गुंडा गिरी हो रही है |”

“क्यों मार रहे हो बिचारे एक आदमी को तुम दोनों|”

“अरे छोड़ो भी मार डालोगे क्या |”

“ये साला दलाल है – वीजा पासपोर्ट के नाम पर पौने दो लाख हमसे ठगे है इसने तो ऐसे ही आसानी से जाने दे |”

“नहीं भैया मैं तो इनको जानता भी नही – कोई दूसरा होगा – काहे मारे जा रहे हो|”

“झूठा साला तो हमे देखकर भागा क्यों !!”

“सही से पता भी है या नही – किसी पर भी अपनी दादागिरी दिखाने लगोगे|”

“ये साला हमारे पैसा डकार कर झूठ बोल रहा था अब तो इसकी गर्दन ही मरोड़ डालूँगा मैं|”

“अरे अरे पकड़ो इसको – कोई पुलिस को बुलाओ|”

तभी इसी आपाधापी में कोई सिपाही वहां दौड़ते हुए आता है और अगले ही पल देव, कार्तिक और उस आदमी को पकड़कर चौकी ले जाता है|

तीनों बुझी हुई हालत में चौकी इंचार्ज के सामने खड़े थे वह उन तीनों को अपनी निगाहों से ऊपर से नीचे देखने के बाद पूछता है – “मामला क्या है – क्यों सड़क पर दादागिरी दिखा रहा था?”

“सर ये गलत आदमी है|”

“हाँ सर|”

“साहब मैंने कुछ नही किया|”

तीनो एक साथ बोलने लगते है जिससे इंचार्ज उन्हें टोकते हुए एक एक को बोलने को कहता पहले उस मार खाए आदमी की ओर इशारा करता है|

“साहब आप बहुत दयालु है – कम से कम मुझ गरीब की सुनी तो – ये पता नही कहाँ से आ धमका और मुझे मारने लगा |”

“क्या !! क्या बकवास कर रहा है…|”

तुरंत उसकी बात काटता देव बोला तो इंचार्ज टेबल पर एक हाथ मारते चिल्ला पड़ा – “तुझे बोला न चुप रहने को – जिसको बोला वो बोलेगा नही तो फिर मेरा डंडा ही बोलेगा|”

इंचार्ज की बात सुन देव चुप हो जाता है पर गुस्से से उसकी ऑंखें जल रही थी|

“साहब देख रहे हो न – अब आपके सामने ये इतनी दादागिरी कर रहा है फिर आप ही बताओ बीच बाजार कितना मारा होगा – आह – अभी तक शरीर का पोर पोर दुःख रहा है|”

“ये बता तेरी शक्ल में लिखा था कि आ मुझे मार जो तुझे देखते ये मारने लगे|” इंचार्ज अपनी कुर्सी से पीठ सटाते हुए उसकी आँखों में झांकता हुआ बोला|

“व वो साहब मुझे – मुझे क्या पता साहब |” वह चुप होकर नीचे देखने लगा|

“हाँ लड़के अब तू बता क्यों हाथ अजमा रहा था इसपर|”

अपने बोलने की बारी आने पर देव तुरंत सारा माजरा बताने लगा जिसे सुनते इंचार्ज इत्मीनान से पूछता है – “अपनी बात का तेरे पास कोई सबूत है ?”

“हाँ ये मेरे मोबाईल में इसने पासपोर्ट की फोटो भेजी – ये देखिए |” जल्दी से अपने मोबाईल का खुला स्क्रीन उसकी नज़रों के  सामने करता हुआ कहता है|

“तो !! इससे ये कहाँ साबित होता है कि ये इसी आदमी ने भेजा है ?”

ये सुन देव और कार्तिक का मुंह अवाक् में खुला का खुला रह गया और वो आदमी सर नीचे किए छुपी नज़रो से उनकी ओर देखने लगा|

कुर्सी की पुश्त से पीठ हटाते हुए इंचार्ज उन्हें एकसाथ घूरते हुए बोला – “पढ़े लिखे हो तो पढ़े लिखे की तरह बात करो – जब अपनी बात का पुख्ता सबूत और गवाह मिल जाए तब आना – रिपोर्ट भी लिखूंगा और इसको अन्दर भी करूँगा – समझे|”

“सर मैं गवाह हूँ इस बात का |” इंचार्ज की बात सुन कार्तिक तुरंत बोल उठा|

“गवाह मतलब कायदे का गवाह मतलब कोई यार दोस्त नही – समझे – अब जाओ यहाँ से |”

ये सुन वो आदमी तुरंत हाथ जोड़ते बाहर की ओर लपकता है ये देख दोनों अरे करते उसे देखते रह जाते है|

“और फालतू की गुंडागर्दी करते मत दिखना मुझे – समझे – अब निकलो यहाँ से |”

इतना सुन बेचारगी से देव और कार्तिक लटके थोबड़े के साथ बाहर आ गए, बाहर आते देखते है कि वो आदमी किसी ऑटो वाले को आवाज देकर उनकी ओर दबी हँसी से देखता है, ये देख देव का जबड़ा एकबार फिर तन जाता है पर कार्तिक उसका बाजु उसे पकडे रोक लेता है जिससे वह आदमी लपककर ऑटो में बैठ जाता है, ऑटो के जाते फिर से दोनों एकदूसरे को बेचारगी से देखते सड़क किनारे यूँ चलने लगते है मानो कंधे पर लाश ढोहे हो|

दोनों अब सड़क किनारे किनारे पैदल ही चल रहे थे, तभी कोई बूंद कार्तिक के माथे पर गिरी तो चलते चलते वह सर उठाकर आसमान की ओर देखता है, सर्दी के मौसम होने से भरी दोपहर में भी धूप का नामोंनिशान नहीं था, ऊपर से मटमैले बादल पूरे आसमान पर छाए थे, शायद असमायिक बारिश के आसार थे|

“बाइक कहाँ है ?” बहुत देर सड़क किनारे चलते चलते बीच की ख़ामोशी तोड़ते हुए कार्तिक देव से पूछता है|

“वही एजंसी के पास खड़ी की थी|”

“ऐसा कर भाई मैं कही नही जा रहा तू मेरे घर में जाकर बोल देना मैं खो गया कही |”

कार्तिक की मिमियाती आवाज सुन देव तुरंत उसकी तरफ देखता हुआ भड़कता है – “तू बच्चा है जो राह चलते खो गया – तू बस शांत रह सोचता हूँ कुछ मैं |”

“अब क्या सोचेगा – मेरे बाप को आज नही तो कल पता चल जाएगा फिर जो मेरे साथ होगा न वो तू सोच नही पाएगा |”

“अबे कुछ नही होगा |” देव अब रूककर अपने पीछे रुके कार्तिक को देखता हुआ कहता है|

“तू जानता नहीं है मेरे बाप को – मारेगा ज्यादा गिनेगा कम |”

“मेरा भी तो पैसा गया है |” देव उसपर झल्ला उठा|

“हाँ तो तेरा बापू है बर्गर जैसा सॉफ्ट और मेरा बाप मोबाईल जैसा अन्दर से भी सख्त और बाहर से भी सख्त – मैं नही जा रहा घर – मैं ऐसा करता हूँ – पहाड़ी से कूदकर अपनी जान दे देता हूँ – नही ज्यादा जोर की लगेगी – ज़हर लेकिन साला वो कडुवा हुआ तो …!”

“पागल है क्या – बकवास बंद कर और चल मेरे साथ – सोचता हूँ कुछ |” कार्तिक को रुका हुआ देख देव उसे हाथ पकड़कर खींचते हुए कहता है|

वे पैदल ही सड़क किनारे चले जा रहे थे कि एक दृश्य पर उनकी ऑंखें अटक कर बस बाहर ही आ गई| कोई ऑटो का एक्सीडेंट हुआ था| शायद ओवरटेकिंग करते पोल से टकरा गया था, ये देख दोनों उस ओर लपकते है, ये रास्ता आमजन नही था इसलिए काफी देर देर से कोई वहां से गुजरता| पर कोई उस एक्सीडेंट को देख रुका नही था बस कुछ दूर का गुमटी वाला कुछ दूर से उन्हें घूर रहा था|

दोनों एकदूसरे को हैरानगी से देख रहे थे और दो पल तक समझ ही नै पाए कि आगे क्या करना है ?

“ये क्या है – अरे ये तो साला वही है – अच्छा हुआ – मर साले – किसी ने सही कहा भगवान की लाठी में आवाज नही होती |”

“अबे कार्तिक बक बक छोड़ – ये दोनों बुरी तरह घायल है – इन्हें नही बचाया तो ये मर जाएगा |”

“तो मरे मेरी बला से – अब इसे बचाकर क्या करेगे हम |”

कार्तिक की झल्लाहट पर देव उसपर बिगड़ता हुआ बोला – “अभी तू बस एम्बुलैंस को फोन लगा |”

देव बिना रुके दोनों के पास जाकर उनकी सांसे चेक करते बुदबुदाता है – ‘जिन्दा है दोनों अभी |’

तब तक कार्तिक न चाहते हुए भी एम्बुलैंस का नंबर डायल कर एम्बुलैंस बुला लेता है और अगले ही पल दोनों को एम्बुलैंस में डाल दोनों अपने रास्ते चल देते है| कार्तिक अब देव पर और खफा हो रहा था|

“ज्यादा अच्छे आदमी के साथ न हमेशा ज्यादा बुरा होता है |”

ये सुन देव अचकचाते हुए उसे टोकता है – “ये किस किताब में लिखा है ?”

“अबे मेरे दिमाग की किताब में लिखा है – तू देख नही रहा जो हो रहा है |”

कार्तिक बुरी तरह उखड़ा हुआ था उसे सँभालते हुए देव कहता है – “बकवास दिमाग की बकवास किताब है – अब बकवास बंद कर और घर चल |”

“नही जा रहा मैं घर –  मेरा बाप मेरे को मार कर मेरी तेरही में मूंगफली भी नही बाँटेगा – मेरी आत्मा को देखना किसी जहाँ में चैन नही मिलेगा |”

“अब तू बापू राग अलापना बंद करेगा – अभी तू मेरे घर चल |”

कहता हुआ देव आगे आगे चलता रहा तो कार्तिक बक बक करता उसके पीछे पीछे|

“अगर तेरे घर की छत से कूदकर जान दे दूँ तो !!”

“अबे मेरा घर एक मंजिल का है – |”

“और अगर फांसी लगाकर मर जाऊ तो कैसा रहेगा – ज्यादा दर्द तो नही होगा न !!”

“मुझे नही पता मेरा मरने का कोई एक्स्प्रीयंस नही |”

“अच्छा बर्गर में ज़हर डालकर खा लूँ तो !!”

देव आगे आगे चलता रहा और पीछे चलते कार्तिक की आवाज धीमी होती गई|

टोरंटो में आज जबरजस्त बर्फ गिरी थी, एक मोटी परत हर जगह जमी थी| प्रथम के जाते दीपा बेबी को नीमा के हवाले कर चैन से सो रही थी| अपनी नींद पूरी कर दीपा बेबी के कमरे में आती है जहाँ नीमा उसे गोद में लिए कुछ खिला रही थी|

“ओह बेबी – लाओ मुझे |” दीपा उसके हाथ से बेबी को लेती प्यार से चूमने लगती है| नीमा अब बेबी से अलग होकर जाने लगती है| तभी दीपा नाक सिकोड़ते हुए कहती है – “ये कैसी इस्मैल है ? ईईई नीमा तुमने बेबी को मस्टर्ड आयल लगाया !!”

“हाँ दी – बेबी को ठण्ड न लगे इसलिए |” नीमा धीरे से उसके पास आती हुई कहती है|

“पागल हो क्या !! तुमसे किसने कहा ये करने को – |” दीपा बुरी तरह उसपर बरस रही थी – “आखिर दिखा ही दिया तुमने कि तुम वही टिपिकल इंडियन गवार हो – मेरी ही गलती थी जो बेबी को तुम्हारे भरोसे छोड़ा – तुम्हारे पापा भी पागल थे वैसी तुम भी पागल हो – दिमाग ही नही है |”

“दी… प… पर ..|” अपना अतीत फिर सामने आने से नीमा बुरी तरह घबरा गई थी उस पर अपने पिता का दर्द मनोवैज्ञानिक असर करता था, वह घबरा कर हकलाने लगती, उसका आत्मबल टूटने लगता और ये बात दीपा अच्छे से जानती थी इसलिए मौके बे मौके वह नीमा का मन तोड़ने में कोई कसर नही छोडती|

कार्तिक बहुत देर तक देव के घर बना रहा पर आखिर उसकी माँ का फोन आते उसे घर जाना ही पड़ा, बड़े भारी मन के साथ वह देव के कमरे से ऐसे निकला मानो जनाजे में जा रहा हो| उसी वक़्त टीवी देख रही अवनि दोनों को देखती हुई बोली – “भईया देखो – टोरंटो में बर्फ गिरी है – वाओ – कितना सुन्दर देश है न !!”

अवनि की आवाज सुन दोनों एकदूसरे की शक्ल देखते वही जम गए लेकिन उनकी स्थिति से बेखबर अवनि चहकती रही – “भईया जब टोरंटो जाना न तो वहां से कुछ बढ़िया सा अलग सा लेकर जरुर आना |”

अब कार्तिक के रहा न गया और बिगड़े मुंह से वह अवनि से बोलने लगा – “हाँ तो बहना बता दो क्या लाए वहां से…अलग सा …अनोखा..!!” वह अन्दर ही अन्दर दांत पीस रहा था|

“कुछ भी |” अवनि अभी भी उनकी तरफ नही देख रही थी|

“बकरी ले लाए – जो तुमसे ज्यादा मैं मैं करेगी |”

ये सुन अवनि गुस्से में उनकी तरफ देखती है, देव समझ रहा था इससे पहले कि मामला बिगड़े और कार्तिक कुछ मुंह से निकाले वह उसे जल्दी से धकेलता हुआ बाहर ले जाने लगा|

“हाँ हाँ बढ़िया सा लाएँगे |”

कार्तिक की हालत ऐसी बिगड़ी थी कि देव को वाकई उसे धकेलते हुए बाहर तक लाना पड़ा और किसी तरह से मनाकर उसे घर भेजना पड़ा|

“ये दिन भी देखना पड़ेगा – अपने घर में चोर की तरह छुपते हुए जाऊंगा |”

कार्तिक के जाते देव गहरा उच्छवास छोड़ता कुछ पल वही खड़ा रहा फिर पलटकर अन्दर आ ही रहा था कि उसकी पॉकेट में रखा मोबाईल घनघना उठा|

फिर कोई अनजान नम्बर था, पर उसे उठाकर देव हेलो कहता ही है कि दूसरी ओर से आवाज आती है – “तुम्हारा दोस्त खतरे में है जल्दी से कुमायूं सरकारी अस्पताल आ जाओ|” और इतना कह फोन कट गया पर ये सुनते देव के होश ही उड़ गए, उस पल वैसे भी कार्तिक को लेकर उसे चिंता थी और ये सुनते बस उसने आव देखा न ताव बिना कुछ कहे बाइक उठाते उसी ठंडी में वह सड़क पर दौड़ जाता है और अगले ही कुछ पल में वह सरकारी अस्पताल के अन्दर प्रवेश कर रहा होता है| वह रिसेप्शन में घबराया हुआ कार्तिक का नाम पूछ रहा था पर कोई माकूल जवाब नही मिलता तो बिना समय गवाए वह अन्दर के जर्नल वार्ड की तरफ भागता है| हर तरह लोग आ जा रहे थे| अस्पताल रात में भी व्यस्त था पर देव बेचैनी में इधर उधर देख रहा था पर जब कुछ समझ नही आया तो मोबाईल में फिर से कार्तिक को कॉल लगाता है| फोन फिर नही उठता तो वह उसे टेक्स मेसेज कर हॉस्पिटल में अपना आना बता देता है|

देव के बिगड़ते हालात क्या उसे कभी नीमा तक पहुंचा भी पाएँगे ?? क्या नीमा हमेशा के लिए दीपा के हाथो की कठपुलती बनी रहेगी  !!

क्रमशः……

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