
इस कदर प्यार है – 25
पास की चौकी का सब इन्स्पेक्टर और सिपाही उस लड़की के साथ साथ देव को भी अपने साथ ले जाते है| उसे सरकारी अस्पताल पहुँचाकर चौकी पहुँचते अगले ही पल उसे पता चलता है कि उस एक्सीडेंट का उसे ही अपराधी बनाकर उसके खिलाफ ही रिपोर्ट लिखी जा रही थी अब सब इन्स्पेक्टर उसकी तरफ कागज बढ़ाता देव को साइन करने को कह रहा था –
“ले छोरे साइन कर |”
ये जानते ही देव विरोध करने लगता है|
“ज्यादा ताऊ न बन – बहुत देखे है ऐसे केस – पहले अँधेरे में मारते है उसके बाद बचाने का नाटक करते है और सुन वो मैडम होश में आते किसी अज्ञात बाइक वाले के खिलाफ रिपोर्ट भी लिखा चुकी है और वो अज्ञात तू ही है बस हमने तुरंत ही ढूंढ निकाला और केस सोल्व |” कहता हुआ सब इन्स्पेक्टर अपने से कुछ दूर खड़े सिपाही की ओर देखता दांत दिखाकर हँसता है|
“ये गलत है – मैंने कुछ किया ही नहीं तो साइन क्यों करूँ ?”
“लगता है छोरे के दिमाग में कुछ ज्यादा ही ठंडी जम गई है – रातभर सलाखों के पीछे रहेगा तो सुबह तक दिमाग भी दुरुस्त हो जाएगा |”
ये सुनते देव का कलेजा काँप उठा, बिन अपराध के उसे सजा मिल रही थी| उस पल अपने माता पिता का ख्याल कर उसका मन द्रवित हो उठा| उसे पता था इस वक़्त उस पुलिसवाले से बहस करने का कोई फायदा नहीं था बस उस वक़्त उसके ख्याल में यही आया कि कार्तिक को फोन करके बुला लेता है| अब तक पुलिस वाला उसका मोबाईल अपने पास रख चुका था जिससे उसके पास अब कोई चारा न बचा तो किसी तरह से मिन्नत करता वह एक फोन की इजाज़त पाता है जो उसे उसके सामने बैठकर ही करनी थी तो देव जल्दी से कार्तिक को फोन मिलाता है|
कार्तिक को भी जैसे उसी के फोन का इंतज़ार था, उस पार से देव की आवाज सुनते वह एकसाथ कई सारे प्रश्न उससे कर बैठता है| देव कहना तो बहुत कुछ चाहता था पर अपने सामने बैठे पुलिसवाले की घूरती निगाह से वह बस जल्दी से कार्तिक को रोकता हुआ कहता है – “अभी तू मेरी बात सुन – मैं इस वक़्त थाने में हूँ और पता नही यहाँ कितनी देर लग जाए इसलिए तू ऐसा कर घर पर फोन करके माँ पापा को बोल दे कि आज रात मैं तेरे घर रुक गया हूँ तो उन्हें मेरी चिंता नहीं होगी |”
“अब कुछ नही हो सकता – पापा जी का बहुत देर से मेरे पास फोन आ रहा है और वे सभी तेरा फोन न लगने से बहुत चिंतित है और तू वहां क्या कर रहा है ये तो बता – अच्छा रुक मैं आता हूँ अभी वहां |”
देव उसे आने से मन करता रहा पर कार्तिक ने उसकी बात अनसुनी करते फोन काट दिया|
काफी रात हो चुकी थी और सभी देव का रात के खाने पर इंतजार कर रहे थे उसी वक़्त कार्तिक का फोन आते सबके जैसे होश ही फक्ता हो गए और आनन फानन पापा कार्तिक के साथ थाने पहुँच गए|
ये दृश्य कभी उनकी आंखे देखेगी उन्होंने सोचा ही नहीं था, देव सलाखों के पीछे फर्श पर बैठा था और पापा को आता देख अब खड़ा हुआ उनकी तरफ आद्र निगाहों से देख रहा था| देव को देखते पापा तुरंत ही उसकी ओर बढ़ने लगे तो पुलिसवाले की कड़क आवाज उन्हें उसके स्थान पर ही जमा देती है|
“के बात है – के फैमिली ड्रामा लगा रखा है यहाँ ?”
“साहब मैं इसका पिता हूँ|”
“अच्छा तो तू है इस लौड़े का बाप – लड़के के हाथ बाइक दे दी तो तरिकन से चलाना भी सिखा देता – |” इन्स्पेक्टर बोलता रहा और वे हैरान नज़रों से उसकी ओर देखते सुनते रहे – “एक्सीडेंट किया है वो भी कोई कार का – ओवरटेक करने में कार चलाने वाली कार पत्थर से टकरा बैठी और घायल हो गई उसी ने रिपोर्ट लिखाई है इसके खिलाफ – समझा – ये बन गया है पुलिस केस इसलिए म्हारे को कोई नही चाहिए यहाँ फैमिली ड्रामा – समझे कि नही – अब जो होगा कचहरी में होगा |”
इन्स्पेक्टर की बात सुनते पापा के होश ही उड़ गए, कार्तिक भी ऑंखें फाड़े उसकी ओर देखता रहा|
“नही नही आपको गलत फ़हमी हुई है साहब – वो तो बहुत अच्छे से बाइक चलाता है|” वे हाथ जोड़कर गिडगिडाने लगे| उनकी ये हालत सलाखों के पार से देव देख रहा था, उस पल उसका मन ही जानता था कि अपने पिता की ये हालत देख उसका मन कितना बिलख उठा था पर वक़्त के हाथों वह मजबूर था|
पर इन्स्पेक्टर पूरा अपने ताव में था|
“देखो पहिले ही बोला हूँ कि म्हारे थाने में कोई ड्रामा न चाहिए मुझे – रिपोर्ट लिखी जा चुकी है अब तुम दोनों भी कल्टी हो लो यहाँ से – कल सुबह कचहरी में मिल लेना छोरे से |”
“एक बार मिलकर पूछने तो दीजिए |” कार्तिक जल्दी से आगे आता हुआ पूछता है|
ये सुन इन्स्पेक्टर की भौहे तन जाती है वह अब गर्दन घुमाकर सिपाही की ओर देखता हुआ कहता है – “ओए पांडेय |”
“जी साहब !” अपनी जगह खड़ा खड़ा ही अलर्ट होता हुआ पूछता है|
“छोरा दारु पीकर चला रहा था न – तुझे उसकी डिक्की से खाली बोतल भी मिली है न |”
ये सुनते पापा और कार्तिक मुंह खोले अवाक् एकदूसरे की ओर देखते है|
“अरे वही तो राखी है दो तीन बोतले – उनमे से ले आ एक |” गन्दी सी हँसी में हँसता हुआ इन्स्पेक्टर बोला तो सिपाही भी उसका साथ देने फंसी सी हँसी में हँस दिया|
अब वे दोनों अच्छे से समझ चुके थे कि इन्स्पेक्टर झूठे आरोप में देव को फसा रहा था, पापा अपने बेटे हो अच्छे से जानते थे पर हालात कभी ऐसे भी उन्हें मजबूर करेंगे ये उन्होंने सपने में भी नही सोचा था| किसी को कुछ समझ नही आ रहा था कि आगे क्या करे !! कार्तिक को चिंता हो रही थी कि अगर देव नामजद हो गया तो उसका पासपोर्ट कैसे बनेगा !! आने वक़्त में क्या होगा किसी को कुछ नही पता था| कार्तिक धीरे से पापा को रोकता किसी तरह से समझाता हुआ बाहर ले आता है, वह उनका चेहरा ध्यान से देखता है, हमेशा मुस्कराती आँखों में आज दुःख के आंसू छलक आए थे| कार्तिक का तो जी हो रहा था कि उस इन्स्पेक्टर का मुंह ही तोड़ दे पर हालातों ने उसे भी कुछ करने नही दिया|
“पापा जी आप अभी घर चलिए – सभी घर में परेशान हो रहे होंगे और न आप देव की फ़िक्र मत करिए – उसे कुछ नही होगा – मैं उसे कुछ होने नही दूंगा पर आप बस खुद को संभाल लीजिए |” उस पल कार्तिक को भी नहीं पता था कि आगे वह क्या कर पाएगा पर उस पल पापा जी को संभालना जरुरी लगा|
वे भी भीगे मन से किसी तरह से वहां से धीरे धीरे निकलते मन ही मन ईश्वर को याद करते हुए बिलख उठे…अब सब तुम्हारे ही हवाले है भगवान्….सुना है सच्चे दिल का खुद ख्याल रखते हो तो आज भी इस भरोसे को टूटने मत देना..उस बच्चे ने कभी किसी का बुरा नही किया…और आज तुमने उसका साथ न दिया तो ऐसा न हो कि सच्चाई से सबका भरोसा ही उठ जाए..दया करो…हाथ जोड़कर वे भीगी नज़रों से उस काले आकाश को देखते वे थके कदमो से कार्तिक के साथ चलते रहे|
सलाखों के पार से देव अपने पिता की हालत देखता हुआ अंतरस टूट गया था, एक ही पल में उसके साथ क्या से क्या हो गया…फर्श पर बैठा घुटनों पर सर रखे मन में ही बुदबुदा उठा…ए वक़्त तू जितनी भी परीक्षा ले ले पर जो ठाना है उससे अब एक कदम भी पीछे नही हटूंगा….जब भी यहाँ से निकलूंगा तो तुम्हारे पास ही आऊंगा…नीमा….नीमा…दिल उसे पुकार उठा…
हाँ…!!! नीमा पलटकर देखती है जैसे किसी ने उसे पुकारा था…नीमा तब से खिड़की पर खड़ी बाहर लोगों को स्नो में खेलता हुआ देख रही थी…कोई कनेडियन जोड़ा एक दूसरें पर बर्फ डालता मस्ती करता उसे नज़र आ रहा था| कभी इसी बीच वह उसे अपनी बाँहों में भर लेता तो कभी उसके कपड़ो से लदे हुए जिस्म पर ढेर बर्फ डाल जोर से हँस पड़ता| ये नज़ारा बहुत देर से देखती नीमा खुद में खो सी गई थी….उसके मन को बार बार लगता जैसे कोई तो है जिसका उनके मन को इंतजार है पर कौन…अचानक देव के मन की पुकार पर वह अपने आस पास देखने लगती है…..
अलसुबह अभी भी ठंडी का अच्छा खासा असर था जिससे थाने में एकदम सन्नाटा पसरा था, बाहर बैठे सिपाही से लेकर अन्दर इन्स्पेक्टर तक अभी भी नींद की आगोश में समाए हुए थे पर देव की आँखों में नींद नही थी वह सारी रात ऑंखें खोले दीवार से सर टिकाए कही गुम रहा|
बाहर मौसम में कोहरे के असर से रौशनी बहुत ही कम थी तो थाने में भी कम वाट का बल्ब जल रहा था कि तभी उस मध्यम रौशनी में अचानक से बिजली सी कौंध गई और कुछ शोर सुनाई दिया जिससे इन्स्पेक्टर और सिपाही हकबकाते हुए उठते अपने सामने देखते है, सामने दरवाजे से आती कोई जनानी आवाज थी जो तेज तेज बोल रही थी, इन्स्पेक्टर हडबडाहट के साथ खड़ा ऑंखें मलता हुआ सामने देख रहा था|
“एक्सीलेंट क्लिक है – |”
वह कोई लड़की थी जो किसी दो लोग के साथ धडधडाती हुई ठीक उसके सामने खड़ी हो गई थी|
“ये ये क्या हो रहा है – कौन हो तुम लोग !” अपना ही प्रश्न करता सब इन्स्पेक्टर उस लड़की को गौर से देखता हुआ कहता है – “ओह तुम तो वही हो न जिसका एक्सीडेंट हुआ था – लो जी आओ – देख लो – तुम्हारा अपराधी हमने पकड़ रखा है|” अब तक इन्स्पेक्टर अपनी हालत पर थोडा संभल लिया था और अपने सामने खड़ी लड़की को अपने पीछे की सलाखों की ओर संकेत करता हुआ कह रहा था|
देव सारा माजरा हैरान नज़रों से देख रहा था| क्या ये वही लड़की है !! ये सोच उसकी भौहे तन गई थी| उस समय वह चुस्त युवती इन्स्पेक्टर के सामने तनकर खड़ी थी, उसके माथे पर एक तरफ बैंडेज लगा था तो बाए हाथ पर पट्टी बंधी थी| उसके कपड़ो और खड़े होने का तरीका बता रहा था कि वह कोई स्मार्ट लड़की होगी तभी खुद ड्राइव करके जा रही थी|
“वाह क्या खूब चुस्ती दिखाई है – |” वह युवती हवा में हाथ घुमाती मुस्कराती हुई यूँ कहती है कि बस अभी ताली बजाने लगेगी|
इससे इन्स्पेक्टर भी और गर्दन तानता हुआ मुस्करा देता है|
“तो मैं वो रिपोर्ट देख सकती हूँ जिसमे सारी इन्क्वायरी लिखी है|
“हाँ जी क्यों नही – आप तो पत्रकार हो आपको पता तो चले पुलिस अपना काम कितनी मुस्तैदी से करती है |” कहता हुआ एक पन्ना जिसमे देव के खिलाफ सारी बात लिखी गई थी उसके आगे करता हुआ कहता है|
युवती आगे आकर उस पन्ने को लेती हुई कुछ क्षण सरसरी निगाह से पढ़ती हुई अचानक ऐसा कुछ करती है कि वहां का शांत माहौल एकदम से सनसना उठता है| इंस्पेक्टर अवाक् रह जाता है ये देखकर कि युवती ने उस पन्ने को फाड़कर उसकी चिंदी चिंदी उड़ा दी थी|
“ये क्या किया – अब तो मैं तुमको भी नही छोडूंगा – |” वह बुरी तरह से चीखा|
“हाँ अब मेरे खिलाफ भी लिख देना कोई रिपोर्ट पर उससे पहले कुछ तस्वीरे तो देख लो |” कहती हुई युवती तब से अपने पीछे खड़े एक लड़के को इशारा करके आगे बुलाती है जो अपने हाथ में पकडे डिजिटल कैमरा की स्क्रीन उसकी आँखों के सामने करता कुछ तस्वीरे दिखा रहा था, उन तस्वीरों को देखते देखते इन्स्पेक्टर के चेहरे के भाव बदलते जा रहे थे|
“थाना सोने का अच्छा स्थान है – आखिर ठण्ड है तो थाना भी ठंडा पड़ा है और इसे न्यूज बनाकर खबर में दिखाने से माहौल में कुछ गर्मी तो जरुर आ ही जाएगी |” वह युवती बड़े सलीके से कहती मुस्करा रही थी जबकि अब इन्स्पेक्टर को सर्दी में भी पसीने छूटने लगे थे| फिर भी इन्स्पेक्टर धीरे कदमो से कैमरामैन के पास आ रहा था जिसे देखती युवती तुरंत समझती हुई बोली – “ये मत समझना कि बस इसी कैमरे में सबूत है – अभी एक और कैमरामैन था जो फोटो खींचकर बाहर जा चुका है तो कोई चालाकी करने की मत सोचना – पत्रकार हूँ काम पुख्ता ही करती हूँ |”
“मैं तो आपका ही काम आसान कर रहा था |”
ये सुन वह एकदम से उसपर गरजी – “काम आसान कर रहे थे या काम से हाथ झाड रहे थे – अपनी तत्परता दिखाने के लिए एक निर्दोष को पकड़ लिया – वो तो गनीमत है कि मैंने टक्कर मारने वाले बाइक सवार को पीछे से देखा था और वह तुरंत ही वहां से भाग गया जबकि इस बन्दे में मेरी मदद की – उसे इनाम की जगह तुम्हारा जैसा पुलिस वाला सजा दे रहा है|”
अब सारी बात समझता इंस्पेक्टर अपनी नज़रे नीची कर लेता है|
वह युवती अब दांत पीसती हुई उसे देव को बाहर निकालने और रिपोर्ट को सही से लिखने को कहती है|
तब से खड़ा देव सारा माजरा देखता रहा, एक ही पल में सारी कहानी नया मोड़ ले ली थी और देव तुरंत ही बाइज्जत बाहर हो गया था| अब उस युवती को हैरान नज़रों से देखने लगा तो वो मुस्कराती हुई उसके पास आती अपना हाथ मिलाने उसकी ओर हाथ बढाती हुई कह रही थी – “मालिनी दवे नेशनल टीवी की पत्रकार – मेरी वज़ह से जो तुम्हें परेशानी हुई उसकी मैं माफ़ी मांगती हूँ |”
“कोई बात नही |”
देव हाथ नही मिलाता बस उसके आगे हाथ जोड़ लेता है तो युवती मुस्करा कर अपना हाथ पीछे खींचती हुई कहती है – “मैंने अपनी बेहोशी में तुम्हे अपनी हेल्प करते देख लिया था नहीं तो अनजाने में जाने क्या हो जाता – वो तो तुम्हारा दोस्त नही आता तो मैं तो इस इन्स्पेक्टर की बात मानकर उसकी रिपोर्ट पर साइन भी कर देती |”
“दोस्त !!!” देव हैरान नज़रों से अब उस युवती के पीछे देखता है जहाँ दरवाजे से चलता उनकी तरफ आता कार्तिक उसे देखकर भरपूर मुस्कान से देख रहा था, ये देख देव एक पल भी न रुका ओर तेज क़दमों से उसके पास पहुँच कर उसे कसकर गले लगा लिया|
“ये तुम्हारे दोस्त का ही आइडिया था – मानना पड़ेगा इसके आइडिया को – सांप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी|” अब उनकी तरफ आती हुई वह कह रही थी| देव कार्तिक की ओर देखता है, उसकी ऑंखें कुछ यूँ सूजी हुई लग रही थी मानों सारी रात मनो टन पत्थर उन आँखों के बीच रख दिया हो ये दोस्त के इंतजार में सारी रात जागी हुई ऑंखें थी|
“हाँ तो आपको भी कभी अपने लिए आइडिया चाहिए हो तो मुझे कॉल करियगा – एकदम धासुं आइडिया दूंगा |” कहकर कार्तिक हँस दिया तो देव और उस युवती के होठ भी फैलते हुए मुस्करा उठे|
तभी एक अन्य आवाज पर सबका ध्यान उस इन्स्पेक्टर की ओर जाता है जिसके सामने कोई दूसरा पुलिसवाला खड़ा था जिसकी रैंक देखता हुआ वह उठकर खड़ा होता हुआ हाथ मिला रहा था| वह उसे बता रहा था कि वह दिल्ली से कोई पासपोर्ट की इन्क्वारी करने आया था और इसके साथ वह जिसका नाम लेता है तो वो सब इन्स्पेक्टर अवाक् उनकी ओर देखने लगता है|
“हाँ तो आप बताऐ कि इस नाम से कोई रिपोर्ट जो दर्ज नही है – असल में मुझे पासपोर्ट के लिए वैरिफिकेशन करना है अगर सब सही होगा तभी उसे भारत सरकार पासपोर्ट प्रदान करेगी |” वह इन्स्पेक्टर खड़ा अभी भी उसकी ओर नज़रे जमाए था|
ये सुन सभी अलग अलग प्रतिक्रिया से उसकी ओर देख रहे थे| सब इन्स्पेक्टर की घूमती नज़र उस युवती की नज़र से ज्योंही मिली वह तिरछी मुस्कान से अपने कैमरामैन की ओर आंख से इशारा करती है तो इन्स्पेक्टर सकपकाते हुए कहता है – “नहीं जी कोई रिकार्ड नही है – लाओ जी मैं साइन करके देता हूँ |”
दो पल में ही उसका पुलिस वैरिफिकेशन सफलतापूर्वक हो गया और वह पुलिसवाला उलटे पैर वापस भी चला गया|
क्रमशः……………