
इस कदर प्यार है – 27
देव के माता पिता उसे एअरपोर्ट छोड़ने को तैयार थे पर देव उन्हें मना करता समझा रहा था कि ठण्ड बहुत है तो उन्हें लौटने में देर हो जाएगी वह कार्तिक के साथ दिल्ली निकल जाएगा|
“मैं छोड़ दूँ |” इस आवाज पर सभी मालिनी की ओर देखते है जो कह रही थी – “मैं भी वापस दिल्ली जा रही हूँ तो क्या तुम्हें मैं एअरपोर्ट छोड़ दूँ |”
इससे देव को क्या एतराज था अब अपने माता पिता के पैर छू कर बाकी के गले लगकर देव कार्तिक के साथ विदा लेता है|
“भईया जी नीमा दीदी को लेकर ही आना |” चाय वाला अपनी लहक में चहकता हुआ बोला तो देव बस हौले से मुस्करा दिया|
“ऊपर वाला तुम्हारे अच्छे काम में तुम्हारा साथ दे |” चमनलाल के साथ वह आदमी भी देव को विदा देता है|
मालिनी अपने फोटोग्राफर के साथ आगे की सीट पर बैठ गई तो डिक्की में सामान डालकर देव और कार्तिक भी पीछे बैठ गए| अगले ही पल सबकी नम आँखों से वह कार धूल उड़ाती दिल्ली की ओर निकल चली थी|
वे समय से कई पहले निकले थे पता था दिल्ली का फसाऊ ट्रैफिक उनकी बाधा बन सकता है और वाकई उन्हें पांच घंटे सिर्फ नोयडा पहुँचने में लग गए| वे रेड लाइट में रुकी कार से बाहर देखते है| कार्तिक अपनी ओर का शीशा नीचे करता बाहर देख रहा था तभी एक दो हिजड़े ताली पिटते ड्राइविंग सीट पर बैठे मालिनी के फोटोग्राफर से पैसा मांगते मांगते पीछे की सीट की ओर नज़र घुमाते चिल्ला पड़ते है – “अरी सलमा ये तो अपना वही हीरो है न !” दूसरी जो बगल की कार के अगले हिस्से की ओर झुकी थी अब उसकी ओर नज़र उठाकर उसकी नज़रों की ओर देखती हुई कहती है – “हाँ री – क्या सही पहचाना – आज कहाँ चला अपना हीरो |”
देव अब अपनी ओर का शीशा नीचे किए उन्हें देख मुस्कराते एक नोट उनकी तरफ बढ़ाता है जिसे न लेकर उसकी बलैयां लेता हुआ हिजड़ा बोल उठा – “ऊपर वाला तेरी जोड़ी अपनी हिरोइन के संग बनाए रखे – जा आज अपनी दुआ लेकर जा और अबकी दोनों को साथ देखना है समझा |”
देव बस हौले से मुस्करा दिया तो मालिनी हैरानगी से सब देखने लगी| फिर ग्रीन बत्ती होते कार आगे बढ़ गई तो रास्ता भर कार्तिक उस दिन वाली सारी बात मालिनी को सुनाता रहा|
“वाओ – तुम्हारी कहानी तो दिलचस्प होती जा रही है – |”
एअरपोर्ट आते देव और कार्तिक के उतरते मालिनी भी उनके संग अन्दर तक चलने लगती है, ये देख कार्तिक धीरे से देव के कानों के पास फुसफुसाता है – ‘ये तब से हमारे पीछे क्यों पड़ी है – तेरे पर लट्टू तो नही हो गई !’
हट कहता देव उसे पीछे धकेलता है तो आगे चलती मालिनी का ध्यान उनकी ओर जाता है|
“हूँ !!”
“कुछ नही – थैंक्स लिफ्ट देने के लिए अब हम चले जाएँगे |”
“हाँ तो चले ही जाओगे – अगर अंदर तक छोड़ दूँ तो कोई प्रोब्लम नही है न !”
“नही |”देव धीरे से कहता कार्तिक को आँखों से इशारा करते आगे बढ़ जाता है|
मालिनी अपने फोटोग्राफर को शूट करने का कहती देव के साथ साथ बढती रही, देव को सब अजीब लग रहा था आखिर वह यहाँ पर क्यों शूटिंग कर रही है !! यही प्रश्न उसकी आँखों में पढ़ते वह देव के बिना पूछे ही कहती है – “अब लाइव रिपोटर हूँ तो वीडियो लेती रहती हूँ – कब कहाँ का वीडियो काम आ जाए – |”
ये सुन दोनों फंसी सी हँसी से मुस्करा देते है|
“चलो देव अब यहाँ से आगे की तुम्हारी यात्रा शुरू होती है तो आज के लिए कुछ कहना चाहोगे ?”
देव उस पल उस कांच के बड़े शीशे के पार देखता है जिसके पार जाकर एक हवाई जहाज उसका इंतजार कर रहा होगा और पंद्रह घंटो की यात्रा के बाद वह किसी अनजान देश में होगा जहाँ का सब कुछ उसकी जमी से बिलकुल जुदा होगा.. वहां वह क्या और कैसे करेगा कुछ तय नहीं था बस एक ही धुन थी नीमा की…
मालिनी अब देव की ओर देख रही थी और देव जाने कहाँ देख रहा था मानो किसी पहाड़ी की ढलान पर खड़ा इंतजार करता वह धीरे से बुदबुदाता है…उनकी आँखों के सामने घाटी से उगता कोई बादल उसे उसकी नीमा के पास ले जा रहा था..उनकी आँखों के दृश्य जैसे नीमा के आस पास जम से गए थे…
“तेरी नज़र की
दिलसोज़ अदा थी
कि
या ज़ेहन में उठी
कोई इबादत
अब
आईने में शक्ल नहीं बनती
बनता है अक्स
तुम्हारा
पहचानता था पहले
खुद को अपने नाम से
अब
सब कहते है तेरा दीवाना ||”
मालिनी हैरान देव की ओर देखती रह गई तो कार्तिक भी खुद को हैरान होने से बचा नही पाया|
वो कुछ पंक्तियाँ नही थी जो देव के मुंह से अन्यास निकली वो गहरे जज्बात थे वो अब उसके पोर पोर से झलकते थे| कार्तिक बहुत देर तक मुंह फाडे अपने यार को देखता रह गया, तो मालिनी के होंठों पर विस्तार आ गया|
“बड़ा जबरदस्त वाला इश्क है |”
देव भी हौले से मुस्करा कर शरमा गया |
“अच्छा देव अभी चेक इन करना होगा तो तुम्हारा सारा डॉक्यूमेंट सब कुछ रेडी है !”
देव हाँ में सर हिलाता है|
“गुड और कुछ कनेडियन डॉलर भी ले लिए न तुमने ?”
“वो किस लिए !” कार्तिक तुरंत पूछता है|
इस बात पर वे सामान्य थे जबकि मालिनी हैरान होती हुई कहने लगी – “ये तो बहुत जरुरी है – भारत का रुपया वहां थोड़े चलेगा – अब टोरंटो उतर कर चेंज कराओगे तो थोड़ा टाइम लग जाएगा – उफ्फो – ऐसा करो अभी थोड़ा टाइम है – तुम उस तरफ से जाओ तुम्हे वहां मनी चेंज का काउंटर मिल जाएगा – जाकर कुछ मनी चेंज करा लो |”
“ओके मैं जाता हूँ |” कहता हुआ देव अकेला उस काउंटर की ओर बढ़ जाता है|
“थैंक्यू मालिनी जी अपने तो याद दिला दिया नहीं तो हमे परेशानी हो जाती |” अब कार्तिक मालिनी को बैठते देखते हुए कहता है इस पर मालिनी सजहता से मुस्करा देती है|
अब मालिनी कार्तिक से देव के बारे में बात करती हुई पूछने लगती है कि देव नीमा से कैसे मिला तब कार्तिक उसे बताता है कि किस तरह एक अजनबी चिट्ठी ने देव के जीवन में सब कुछ बदल कर रख दिया फिर देव ने किस तरह से नीमा को खोजा और वो चाय वाला वही था जो नीमा के घर के पास अपनी टापरी लगाता है फिर नीमा को खोजने में वह कबाड़ी वाला से लेकर किसान और जाने क्या क्या नही बना तब जाकर उसके बारे में पता लगा पाया पर तब तक नीमा कैनेडा चली गई| कार्तिक नीमा की मौसी से लेकर अपना गलत पासपोर्ट और लोगों ने कैसे कैसे मदद की उनकी सब बात बता डालता है जिसे आश्चर्य से वह सुनती रही|
“वाकई ये कैसी अनोखी प्रेम कहानी है – पहले कभी ऐसा कुछ सुना ही नहीं कि जिससे प्यार है जिसके लिए अपना सब कुछ दाव पर लगा रहा है उसे उसकी खबर ही नहीं – यहाँ तक कि ये भी श्योर नही कि वह भी उसे उतना चाहेगी या नही – उफ़ – बड़ा अजीब है तुम्हारा दोस्त |”
“हाँ वो ऐसा ही है बिलकुल खुली किताब की तरह – हम लंगोटिया यार है पर उसके दिल में किसी के लिए इतनी चाहता होगी ये तो उसके साथ रहते हुए भी मैं नही समझ पाया |”
मालिनी मुस्करा उठी|
“हम्म – प्यार तो बहुत है – अच्छा तुम लोग रुक कहाँ रहे हो ?”
“पता नही ?”
“पता नही !! क्यों !!”
“अब हमारा कोई जानने वाला तो वहां है नहीं – तो वहां पहुंचकर कुछ भी अरेंजमेंट कर लेंगे |”
कार्तिक की सहज बात सुन मालिनी चौंकती हुई तुरंत उसकी ओर घूमती उसका चेहरा देखती हुई बोली – “क्या !! बिना कोई रहने के प्रबंध के बिना तुम लोग वहां जा रहे हो – आर यू मैड !!”
अब कार्तिक के चेहरे के भाव भी उड़े उड़े हो गए थे|
“पता है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है और सबसे ठंडा भी – ऐसी जगह पर कोई तो इंतजाम करना चाहिए था न – तुम क्या सोच कर चले थे कि वहां प्लेटफोर्म पर राते काट लोगे !!” मालिनी गुस्से में होंठ चबाती हुई बोल रही थी तो कार्तिक उड़े भाव से उसका चेहरा ताक रहा था|
“अब क्या करे ?”
“वेट – मैं बताती हूँ |” मालिनी थोडा सांस खींचती हुई आगे कहती है – “देखो मेरे चैनल का ऑफिस है वहां पर |”
“आपका तो नेशनल चैनल है !” कार्तिक बीच में बात काटता हुआ पूछता है|
“नेशनल चैनल का नाम है जबकि है इंटरनेश्नल समझे – अब ध्यान से मेरी बात सुनो – मैं अपना कार्ड दूंगी और तुम मिस्टर मुरुगन नायर से मिलना – जबतक तुम लोग अपना अरेंजमेंट नही कर लेते वे तब तक वो तुम्हारे लिए कुछ अरेंजमेंट कर देंगे |”
ये सुनते कार्तिक खुलकर मुस्करा दिया|
देव तब से करंसी चेज कराने लाइन में लगा था आज कुछ ज्यादा ही रश था, तभी देव की नज़र किसी एक शक्स पर जाती है वो हडबडाते हुए उस ओर आ रहा था वह प्रथम था जो लगातार फोन पर किसी से बात करता हुआ जल्दी में कहता हुआ आ रहा था – “बस बस दो मिनट में बाहर आता हूँ – हाँ हाँ पता है मुझे देर हो रही है |”
वह बहुत जल्दी में था पर करेंसी चेंज की लाइन देख उसके होश उड़ गए थे, वह आगे वाले शख्स जिसका बस नंबर आने वाला था उससे रिक्वेस्ट करता हुआ बता रहा था कि उसकी दिल्ली से पूना की ट्रेन है जो प्लेटफार्म पर आ चुकी है और एअरपोर्ट के बाहर खड़ा कैब वाला उसका इंतजार कर रहा है तो अगर वह पहले थोड़ी करेंसी चेंज करा ले तो उसका आभारी रहेगा पर आगे खड़ा शख्स उसकी बात पूरी तरह से अनसुनी कर देता है जिससे प्रथम के चेहरे पर ढेर चिंता की लकीर उभर आई|
“मेरा नंबर कुछ देर में आ जाएगा तो क्या मैं आपकी कोई सहायता कर सकता हूँ !”
आवाज सुन प्रथम देखता है कि लाइन से दस आदमी पीछे खड़ा शख्स उसे पुकारता हुआ कह रहा था|
ये देव था जो प्रथम की ओर देखता हुआ उससे पूछ रहा था और ये सुनते प्रथम की ऑंखें ख़ुशी से दमक उठी पर इस वक़्त उतना समय भी नहीं था प्रथम के पास, वह हताशा से कहने लगा – “शुक्रिया दोस्त – तुमने मेरी परेशानी समझी तो पर मेरे पास कनेडियन डॉलर को रूपए में बदलने का इतना समय भी नही है|”
वह कनेडियन डॉलर दिखाते हुए कहता है जिसे देखता हुआ देव मुस्कराते हुए कहने लगा – “आप कैनेडा से आ रहे है और मैं वही जा रहा हूँ – मुझे कनेडियन डॉलर की जरुरत है और आपको रूपए की – देखिए चुटकियों में हम दोनों की समस्या हल हो गई|” देव लाइन से निकल आता है|
“शुक्रिया दोस्त – तुमने मेरी बहुत बड़ी हेल्प कर दी –|”
वे आपस में अपना पैसा चेंज कर लेते है| अब जाते हुए देव उससे हाथ मिलाते हुए कहता है – “आपकी यात्रा सफल हो |”
“तुम्हारी भी दोस्त |” वे मुस्करा कर विदा लेते है|
तभी उनको देर लगते देख मालिनी और कार्तिक वही आते हुए देव को पुकारते है|
चेक इन कराने की ओर बढ़ता हुआ देव इस बार मालिनी की ओर हाथ मिलाने को बढ़ाता हुआ कहता है – “मालिनी जी अजनबी होते हुए भी आपने हमारी बहुत हेल्प कर दी |”
“तुम्ही ने तो कहा था कि सब कुछ तय रहता है – अगर मैं नही करती तो कोई और करता -|” कहकर वह गर्मजोशी में उससे हाथ मिलाती हुई मुस्करा दी|
अब वे अपनी मंजिल की ओर बढ़ चले थे|
दीपा सब कुछ तय करती हुई अपनी पैकिंग में लग गई ये देख नीमा हतप्रभता से उसे देखती है|
“अरे नीमा – मैं तुम्हें बताने ही वाली थी |” अपने अन्दर की स्वछंद ख़ुशी को छुपाती हुई कहती है – “एक्चुली मेरी एक इंडियन दोस्त बड़ी मुश्किल में है और अब उसे मेरी हेल्प चाहिए – तुम्हें क्या बताऊँ यहाँ के कनेडियन किसी इंडियन की कोई हेल्प नही करते बस हम इंडियन एकदूसरे का सहारा होते है – अब बेबी के टाइम उसने मेरी बहुत हेल्प की थी तो अभी मेरा भी फर्ज है न |”
“हाँ बिलकुल – तो मैं कुछ कर सकती हूँ !”
“नहीं नहीं – तुमसे नही होगा – अभी तुम देख रही हो न इतनी बर्फबारी हुई है प्रथम भी इसलिए अपनी जगह पर फस गए है वो यहाँ होते तो तुमसे मैं ये नही कहती तो तुम बस दो दिन के लिए बेबी का ख्याल रख लेना – दो दिन में आती हूँ मैं |” अपने चेहरे के हाव भाव में अत्यधिक नम्रता लाती हुई दीपा कहती है|
“हाँ क्यों नही दी तुम अपना काम आराम से करके आओ – मैं सब यहाँ देख लूंगी |”
“ओह थैंक्स नीमा – तुम सच में बहुत अच्छी हो |” दीपा अब नीमा को बहलाना सीख गई थी, अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में वह उसे सब समझाती रही और नीमा भी उसकी हाँ में हाँ मिलाती रही|
“नीमा देखो मैंने दो तीन दिन का बेबी फ़ूड और मिल्क लेकर रख दिया है और बाकी खाने पीने का सामान भी इसलिए तुम्हे कही बाहर जाने की जरुरत नही रहेगी – देखो ये जो कनेडियन है न बिलकुल अच्छे लोग नही होते है और फिर सभी यहाँ फ्रेंच बोलते है तुम तो अपनी बात किसी को समझा भी नही पाओगी – तुम बस आराम से अन्दर रहना और बेबी के साथ समय बिताना – फिर दो दिन बाद तो मैं आ ही जाउंगी -|”
दीपा ने नीमा को जैसा समझा दिया उसने वैसा ही समझ लिया, उसे भी लगने लगा वाकई उसके लिए बाहर निकलना बिलकुल सुरक्षित नही है इसलिए दीपा को विदा कर वह खुद को घर के अन्दर ही कैद रखती है|
क्रमशः…………….