
इस कदर प्यार है – 42
नीमा को उस वक़्त मदद की जरुरत थी और रौशन उसके लिए मददगार के रूप में आया था| वह उसे समझा रहा था कि असल में वह उसकी नही बल्कि नीमा उसकी सहायता कर रही है|
“मैं समझी नही आपकी बात -!!”
“वैरी सिंपल – मुझे अपने इसी मिशन के लिए किसी सहयोगी की जरुरत थी – डोंट वरी मैं आपकी मुफ्त में सेवा नही लेने वाला बस थोड़ी टेक्नीकल प्रॉब्लम है |” नीमा अभी भी अजीब निगाह से उसे देख रही थी क्योंकि वह सच में उसकी बात नही समझ पाई थी|
“मतलब मैं चाहता तो एड निकाल कर प्लेसमेंट कर सकता था पर अभी हमारा मिशन इस लेवल पर नही आया कि किसी को प्रोफेशनल पेमेंट दे सके – अब अभी जब आपको काम की जरुरत है और मुझे आपकी इससे हमारी दोनों की जरूरते पूरी हो जाएगी और रही शेल्टर की बात तो उसके लिए कुछ फ़्लैट आपको सजेस्ट कर दूंगा आप देख लीजिएगा |”
वह अपनी बात कहकर चुप हो जाता है ताकि नीमा उसपर कुछ रियक्ट करे पर नीमा सोच में पड़ गई थी उसे समझ नही आ रहा था कि कैसे किसी अजनबी को वह कह दे कि इस पराए देश में वह कितनी लाचार है न रहने का और न खाने का कोई ठिकाना है उसके पास| कुछ पल के पॉज़ के बाद नीमा कहती है – “मुझे थोडा कम रेन्ट में..|” हिचकिचाती हुई नीमा बोलती बोलती आधी बात छोड़ देती है|
“ओके अब आपको मुझपर विश्वास है तो चलिए मेरे साथ |” कहकर वह तुरंत खड़ा हो जाता है|
अपनो से धोखा खाई हुई नीमा को अब अपनों से ज्यादा परायों पर विश्वास था आखिर समय पर गैर ही तो उसके काम आए थे| नीमा हलके से सर हिलाकर उसके साथ खड़ी हो जाती है|
नीमा ज्योंही खड़ी होती उसके संग चलने लगती है वो जर्मन स्प्लिट दौड़ता हुआ उसकी ओर आता नीमा के पैरों के आस पास घूमने लगता है जिससे नीमा झट से झुककर उसे अपनी गोद में उठाती हुई धीरे से बुदबुदाती है – “तुम्हें छोड़कर थोड़े जाने वाली थी|” कहती हुई उसकी फरी पीठ पर हाथ फेरने लगती है|
इससे चलते चलते रौशन का ध्यान भी उसपर जाता है|
“वेरी क्यूट पप्पी – क्या नाम है इसका ?”
ये सुन नीमा कुछ पल सोच में पड़ जाती है, आखिर कैसे बताती कि कुछ पल की मुलाकात में वह उसका कितना गहरा मित्र हो गया था, उसकी पीठ पर उंगलियाँ फेरते नीमा उसके फरी और गुदगुदे शरीर को देखती हुई धीरे से कहती है – “स्नोई – स्नोई नाम है इसका |”
“नाईस नेम |”
नीमा की गोद में सिमटा स्नोई भौंकने लगा जैसे अपने नाम पर ख़ुशी दर्ज कर रहा हो| चलते चलते वे बाहर तक आ गए थे| पार्किंग में रौशन की कार खड़ी थी जिसमे बैठते वे साथ में वहां से निकल पड़ते है|
देव और कार्तिक साथ में अब उस जगह मौजूद थे जहाँ आखिरी बार उन्होंने नीमा को छोड़ा था| उनकी आखिरी उम्मीद बस यही जगह थी हालाँकि उसके यहाँ मिलने के चांस बहुत कम थे पर मन की उम्मीद तो बस मन को भरमाए रखती है चाहे उम्मीद निराधार ही क्यों न हो| देव के पास अब नीमा की तस्वीर आ गई थी जो टीवी के शो में मालिनी ने दिखाई थी और उसे देव अपने मोबाईल में सेव कर चुका था| वही तस्वीर दिखाता वह आते जाते लोगों से उसके बारे में पूछ रहा था|
“यार देव हम यहाँ क्यों ढूंढ रहे है – क्या अभी भी वह यहाँ बैठी रहेगी – यहाँ तो कोई घर भी नही है और ऊपर से इतनी बर्फ – वो यहाँ थोड़े रुकी रहेगी |”
“तो कहाँ जाएगी वो ?” एकदम से देव का मन चीत्कार उठा जिसे द्रवित मन से कार्तिक बस देखता रह गया उसे|
“कहाँ जाएगी यही तो सोच सोचकर परेशान हूँ – इस अजनबी देश में कहाँ होगी वह ? आने किस हाल में होगी ?” देव नम स्वर में बोल उठा|
“तो क्या करोगे देव ? कहाँ ढूंढेगा उसे ?”
“इस तस्वीर को लिए सारे शहर में घूमूँगा – कही तो किसी को तो उसके बारे में पता होगा |” देव का मर्म दिल तड़पता एक बार फिर उस तस्वीर को देखने लगा| नीमा की तस्वीर जो उस वक़्त उसके मोबाईल में सेव थी| वो कुछ धुंधली थी पर नीमा का साफ़ सुन्दर चेहरा अच्छे से स्पष्ट हो रहा था| सम्भवता ये उसके ठीक होने की तस्वीर होगी| देव को उस तस्वीर को देखते देख कार्तिक भी उस तस्वीर को गौर से देखने लगा|
“ये तस्वीर नीमा की है – कब की होगी और मालिनी को कैसे मिली – तुमने पूछा मालिनी से !!”
कार्तिक के प्रश्न से से देव का दिमाग उलझ गया, ‘मुझे मालिनी से बात करनी चाहिए – उसे आगे की बात भी बतानी है |’ सोचता हुआ देव ज्योंही कार्तिक से मोबाईल लेता मालिनी को मिलाने लगता है ठीक उसी वक़्त उसका फोन आ जाता है|
“अरे एक ही रिंग में उठा लिया – क्या बात है मेरा ही इंतज़ार था क्या |” अपने जाने पहचाने दिलकश अंदाज में मालिनी कहकर खुद ही हँस दी|
पर इसके विपरीत देव की एक उदास आवाज उसे सुनाई पड़ती है – “मालिनी नीमा को मैंने फिर खो दिया |” अपनी बात कहकर देव मौन हो गया पर मालिनी उसके मौन से परेशान हो उठी|
“देव !! हेलो – हेलो तुम सुन रहे हो मेरी आवाज – बोलो न देव – क्या मिली तुमको नीमा ?”
“हाँ पर मेरे पहुँचने से पहले ही नीमा ने अपनी कजिन का घर छोड़ दिया और अब मुझे पता भी नही कि वो कहाँ है ?”
“ओह्ह और अभी तुम कहाँ हो देव ?”
कार्तिक बेचैन सा हुआ दोनों की बात सुन रहा था|
“डाउन टाउन के टर्मिनल पर नीमा की तस्वीर लिए उसे ढूंढ़ता फिर रहा हूँ मालिनी – पता नही कहाँ है इस वक़्त वो !!”
“डोन्ट वरी देव – ये देश बहुत सेफ है – हंड्रेड परसेंट वह कही सुरक्षित होगी – हो सकता है उसने किसी की हेल्प ली हो – तुम उम्मीद मत खो वो तुम्हें जरुर मिलेगी – मैंने लेटेस्ट शो में उसकी तस्वीर और हेल्पलाइन नंबर में तुम्हारा नंबर दिया है – उससे जरुर कोई न कोई हेल्प मिलेगी – काम डाउन देव एंड बिलीव मी |”
“थैंक्स मालिनी – अच्छा मुझे एक बात पूछनी थी – तुम्हें नीमा की तस्वीर कहाँ से मिली ?”
“तस्वीर |” मालिनी को हँसी आ गई थी – “क्यों देखते दिल डूब गया क्या !!”
अबकी एक हलकी मुस्कान देव के होंठों पर भी तैर गई|
“हमारा तो काम ही यही है – कुछ भी खोज लाते है – वैसे ये तस्वीर उसकी मौसी की सोसाइटी के सीसीटीवी कैमरा से मैंने निकलवाई है और अब ये मत पूछना कि कैसे – इसके लिए बड़े दंद फंद किए |”
मालिनी की हँसी से देव के चेहरे पर भी हँसी आ गई| बात करके फोन काटते देव कार्तिक की तरफ देखता है जो अभी भी नज़रे गड़ाए उसी की ओर देख रहा था|
“क्या !!” देव इशारे में उससे पूछता है|
जवाब में कार्तिक कहता है – “देख रहा हूँ ये मालिनी तुम्हारी मदद कर रही है या अपना जुगाड़ फिट कर रही है – ला फोन दे मुझे अबकी फोन किया तो मैं उठाऊंगा – साला इस जिंदगी में लगता है कुंवारा तो मरूँगा ही – अब लगता है साला बिना लड़की से बात किए भी मर जाऊंगा |”
कहता हुआ कार्तिक देव के हाथ से मोबाईल लेलेता है, उसकी इस हरकत पर देव के होंठो पर विस्तार आ जाता है| वह जानता था कि कार्तिक नही चाहता कि वह नीमा की तस्वीर देखता दुखी रहे और हमेशा की तरह अपने दोस्ताना स्वभाव से वह देव को संभाल ही लेता|
वे शहर से काफी आउटर आ गए थे| रौशन एक घर के सामने कार पार्क करके नीमा को अपने साथ चलने को कहता है| नीमा रौशन के साथ उस घर के सामने खड़ी एक भरपूर नज़र से उसे देखती है| वह एक पारंपरिक घर था जिसके सामने एक अच्छा सा गार्डन था जो इस वक़्त बर्फ से ढँक गया था| गार्डन को पार करके वह दरवाजा खटखटाता है| जब तक दरवाजा खुलता है रौशन नीमा की ओर देखता उसे बताता है – “यहाँ आंट मैरी अकेली रहती है – मैं उनके पास रेंट पर रहता हूँ पर अभी ये घर खाली है क्योंकि मेरा जो वर्क है उसके लिए मुझे सिटी में रहना होता है और यहाँ आने जाने में मेरा समय बहुत जाया होता है इसलिए बस हफ्ते में एक दिन आता हूँ मैं यहाँ |” नीमा चुपचाप उसकी बात सुन रही थी जिससे वह आगे अपनी बात कहता रहा – “आपको मैं इसलिए यहाँ लाया कि आप जबतक चाहे यहाँ रह सकती है |”
“आप मेरे लिए इतना सब कर रहे है उसका थैंक्स |”
नीमा की बात पर वह एक मुस्कान से प्रतिकिया देता हुआ अब सामने दरवाजे की ओर देखने लगता है क्योंकि दरवाजा खुलने की आहट उसे मिल गई थी|
दरवाजे के खुलते नीमा को उस पार काफी बूढी लेडी दिखती है, वह समझ गई कि यही आंट मैरी है| दरवाजे के पार ठीक सामने रौशन को देखते वे बेहद खुश होती उसका हाथ पकड़कर अन्दर बुलाती हुई कहती है – “ओह माय सन – कम कम – आज मैंने तुम्हारा मनपसंद बेरी केक बनाया और तभी से तुमको याद कर रही थी और तुम आ गया |” अपने शब्दों और आँखों से बेहद प्यार लुटाती वे रौशन को अन्दर ले आती है|
“मुझे अपने ऑफिस तक खुशबू आ गई तभी तो मैं भागा चला आया |” कहता हुआ रौशन उनके कमजोर पड़ते कंधो को थामते हुए बोला तो उनका झुरियां भरा चेहरा और खिल उठा|
अन्दर आते हुए रौशन अपने पीछे खड़ी नीमा को इशारे से अन्दर बुलाता है| नीमा तबसे संकुचाती बाहर ही खड़ी सब देख रही थी, अब रौशन का इशारा पाते वह अन्दर आ जाती है| नीमा को देख आंट मैरी हैरानगी से कभी उसे तो कभी उसकी गोद में सिमटे स्नोई को देखती है| नीमा अन्दर आती उनको हाथ जोड़कर नमस्ते करती है जिससे वे थोडा अचकचाती हुई गॉड ब्लेस यू कहकर दो पल तक उसको ऊपर से नीचे देखती रही|
“ये नीमा है |” रौशन बताता है|
“तुम्हारा गर्ल फ्रेंड है |” आंट मैरी तुरंत पूछ उठी|
“नो नो आंट मैरी – ये दोस्त है |” रौशन थोड़ा हडबडा जाता है|
“इंडिया से आई है !” वे अभी भी उसे गौर से देख रही थी और नीमा उनकी जासूसी नज़रो से बचने अन्यत्र देख रही थी|
“एक्चुली अभी यहाँ रहती है पर कुछ दिन में इंडिया जाने वाली है और जहाँ रहती थी वहां रेंट का कोई प्रॉब्लम था तो सोचा कुछ दिन आपके यहाँ रहने की जगह दे दूँ तो इसकी हेल्प हो जाएगी |” अपनी बात एक सांस में कह उठा रौशन|
“मुझसे पूछा तुम !!” कहते हुए उनका चेहरा थोडा सख्त हो उठा जिससे दोनों के हाव भाव में घबराहट आ गई|
“क क्यों नही रह सकती !” रौशन घबराते हुए पूछता है जैसे उसे उनकी बात का विश्वास ही नही आया हो|
“पहले मुझे देखने दो |” कहती हुई वे अपनी छोटी छोटी आँखों से उसे गौर से देखने लगी|
रौशन असमंजस में पड़ा उन्हें देखता रहा वही आंट मैरी अभी भी नीमा को घूर रही थी| नीमा भी नही समझ पा रही थी क्या कहे, एक तो किसी कनेडियन की इतनी साफ़ हिंदी सुनकर तो वह चकरा गई थी|
“क्या नाम बताया यस नेमा – तुम्हारा है ये पपी ?” वे उंगली से नीमा की गोद में सिमटे स्नोई की ओर इशारा करती हुई कहने लगी – “जब तक मेरी एमी यस नही करेगी ये यहाँ नही रह सकता |”
“ओह – अब मैं आपकी प्रॉब्लम समझा |” जल्दी से उनकी तरफ आता वह हँस रहा जिससे नीमा का आश्चर्य बढ़ता गया|
“अभी बुलाता हूँ – एमी…एमी कम |” रौशन जाने कहाँ हवा में आवाज लगा रहा था कि तभी हलकी मीई की आवाज से उसका ध्यान कमरे की ओर जाती सीढियों पर के ऊपरी अँधेरे हिस्से पर जाती है जहाँ गौर से देखता हुआ रौशन एमी का नाम ले लेकर पुकार रहा था| एमी की पुकार और मीई आवाज के बीच अचानक जाने स्नोई को क्या हुआ वह झट से नीमा की गोद उतरता हुआ उन सीढियों की ओर भागता है और उसके अगले क्षण ही उसकी हलकी गुर्र की आवाज के बीच कोई धीरे धीरे सीढियाँ उतर रही थी| अब सभी हैरान नज़रो से उन सीढियाँ की ओर देख रहे थे जहाँ से एक एक सीढ़ी आराम से नीचे उतरती हुई कोई फरी सफ़ेद बिल्ली उन्हें नज़र आ रही थी और उसमे भी सबसे आश्चर्य का दृश्य था उसके पीछे पीछे चलते स्नोई का| उस पल ये दृश्य देख तीनो के चेहरों पर बरबस ही मुस्कान आ गई| नीमा भी मुस्कराए बिना नही रही आखिर उसके स्नोई ने नए घर में भी अपनी दोस्तानी छवि बिखेर दी थी|
“ओह माय माय – |” आंट मैरी भी मुंह में हाथ रखे मुस्करा रही थी|
“अब तो एमी की भी हाँ है |” रौशन जल्दी से उन सीढ़ियों की ओर जाता झुककर एमी को अपनी ओर बुलाता है पर एमी जो किसी हिरोइन की तरह नजाकत से सीढियां उतर रही थी रौशन को अनदेखा करती उसके बगल से उतरती हुई आंट मैरी के पास चली जाती है|
उसकी नक्शेबाजी देख रौशन कमर में हाथ रखे उसे घूरने लगा तो वही पीछे से आता स्नोई अब उनके आस पास चक्कर लगाता जैसे ख़ुशी से चहकता भौंकने लगा| एक ही पल में वहां का दृश्य बदल गया और नीमा के चेहरे पर कुछ समय पहले जो संशय था अब वहां हँसी ही फुहार छूट रही थी| वह जल्दी ही समझ गई कि आंट मैरी उसे नही बल्कि स्नोई को घूर रही थी क्योंकि उसके पास बिल्ली थी पर स्नोई के मित्रवत स्वभाव ने एक ही पल में सबका मन मोह लिया| अब सभी खुश थे पर एमी शायद उसकी अभी और परीक्षा लेना चाहती थी इसलिए एक कोने में बैठी उसे घूर रही थी|
क्या कुछ बदने वाला है नीमा की जिंदगी में !! देव कब तलाश पाएगा नीमा को !! क्या नीमा कभी देव की मुहब्बत को समझ पाएगी !! जानने के लिए पढ़ते..
….क्रमशः