
इस कदर प्यार है – 8
वह शायद बाथरूम था उसके बाहर ताला लगा था, लेकिन आवाज उसी के अन्दर से आई तो पुलिस आगे बढकर उस कमजोर ताले तो एक ही झटके से तोड़ देती है| काफी समय से बंद रहने से दरवाजा आवाज करता खुल जाता है, दरवाजे के खुलते भीषण गंध का एक भयानक भभका ऐसा आता है कि सभी अपने अपने स्थान पर भिनक पड़ते है| उस घर में मध्यम रौशनी थी और उस बाथरूम में उससे भी कम रौशनी थी जिससे उसके अन्दर किसी के होने का आभास तो हुआ पर दिखा कुछ नहीं| इंस्पेक्टर जल्दी से सबको हाथ के इशारे से पीछे करते नाक पर रुमाल रखे मोबाईल की रौशनी से अन्दर देखता है| सबको वहां सड़ी हुई लाश का अंदेशा था पर वहां तो कोई जिन्दा लाश थी| अब तक उस घर के आस पास रहने वाले और वह चाय वाला भी तमाशा देखने वहां आ पहुंचा था| सभी ऑंखें फाड़े सामने के दृश्य को देख रहे थे| कोई आदिम जैसा रौशनी के डर से बाथरूम के एक कोने में सिमट गया था| इंस्पेक्टर देर तक रौशनी फेकता देखता है कि उस जगह हड्डियों के ढांचे वाला कोई था जिसके तन पर चीथड़े टंगे हुए थे और गन्दगी इतनी थी कि मल कहाँ है और रोटी का बचा टुकड़ा कहाँ है कहना मुश्किल था| कार्तिक और देव तो हैरान बस देखते रह गए|
जल्दी ही पुलिस ने एम्बुलेंस के साथ साथ और दो चार पुलिस बुला ली| सबने ऐसा वीभत्स दृश्य अपने सामने देखा जिसे वे सपने में भी नहीं सोच सकते थे, जब उस मानव काया को बाथरूम से निकाला गया तो पता चला कि वह कोई लड़की है पर उसकी इतनी बुरी हालत थी कि उसकी उम्र का सही सही अंदाज़ा भी नही लगाया जा सका था| गन्दगी और चिथड़े में लिपटा उसका शरीर छूने की भी कोई हिम्मत नही कर पा रहा था फिर किसी तरह मुंह पर मास्क लगाए उसके शरीर पर कई बाल्टी पानी डाला जाता है| और जब उसे बाथरूम से बाहर लाने का प्रयास होता है तब पता चलता है कि उस छोटे से बाथरूम में बंद होने से उसके पैर मुड़ी हुई हालत में अब टेढ़े हो चुके थे जिससे उसके लिए खुद से चलना भी दुश्वार हो रहा था| किसी तरह से उसे उठाकर स्ट्रेचर में लिए एम्बुलेंस जा चुकी थी साथ ही भीड़ भी छंट चुकी थी लेकिन हैरान कार्तिक और देव जैसे खुद को यकीन ही नही दिला पाए जो कुछ समय पहले उनकी आँखों ने साक्षात् देखा|
पुलिस की इन्क्वायरी और देव के सुराग देने से उस अधेड़ को भी पुलिस ने जल्द ही पकड़ लिया अब जो घटनाक्रम सबके संज्ञान में आया उससे सबको पता चला कि वह उस अधेढ़ की जवान लड़की है जिसे पिछले आठ महीने से उसने उस बाथरूम में बंद करके रखा था, ये सुनते देव की मुट्ठियाँ भिंच गई उसे इतना गुस्सा आया कि उसका बस चलता तो उस बुड्ढे को वह दो दमदार घूंसे ही जड़ देता|
ये रुद्रपुर जैसे शांत इलाके के लिए सनसनी खबर थी कि तीन बाय तीन फिट के बाथरूम में एक लड़की जिसे उसी के पिता ने पिछले आठ महीने से बंधक बना कर रखा था और उसे हफ्ते में सात रोटी देता था, जिस अमर्यादित कृत्य को एक पिता द्वारा ही अंजाम दिया गया उसे सोचकर पूरा शहर सन्न रह गया था| उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसे रौशनी से डर लगता जिससे उसे एक कम रौशनी वाले वार्ड में रख कर इलाज किया जा रहा था| आठ महीने से कुपोषण का शिकार उसका शरीर निर्बल हो गया था यहाँ तक कि वह अपनी आवाज लगभग खो ही चुकी थी| उस निर्दयी पिता की हर तरफ थू थू हो रही थी तो हर तरफ देव की चर्चा कि उसकी वज़ह से इतना बड़ा कांड सामने आया| सब तरफ टीवी, अख़बार सब जगह यही चर्चा थी| पर देव अभी भी उलझा हुआ था जैसे उसका अनसुलझा सवाल अभी भी वही कहीं टिका हो|
उस अधेढ़ के जरिये उस लड़की की मौसी का पता चला जिसके आते और भी बातें उजागर हुई जिसे जानकर देव सकते में आ गया| उस लड़की का नाम ही नीमा था…तो यही वो नीमा है जिसकी उसे तलाश थी या उसी ने उसे तलाश लिया..!!! ये सुनने के बाद देव उसे मिलने के लिए खुद को नही रोक पाया पर उसकी ख़राब हालत के चलते देव बस दूर से ही उसे देख पाया| कांच के होल के पार निस्तेज पड़ी दुर्बल काया ही नीमा थी, अब सब कुछ धीरे धीरे उसे समझ आ गया कि उसी ने घर पर रखी सादी कॉपी के बीच बीच में ऐसा खत लिखा ताकि उसके पिता न देख पाए और उसका पिता जब उन कॉपी को घर से हटाए तो वो पन्ने किसी के तो हाथ लग जाए…उसी के पिता ने देव का अपहरण किया और धमकाया..ताकि वह नीमा से दूर रहे और उसे खोजने की कोशिश न करे…देव अब सब कुछ समझ चुका था कि नीमा ने अपने होश में रहने तक खुद को वहां से बाहर निकलवाने के लिए हद तक कोशिश की….और वे खत अनजाने में ही उसके पास आए…क्या ये भाग्य का लेखा था जो दो अंजानो को आपस में जोड़ रहा था….पर एक सवाल अभी भी उसके मन से नही हटा कि किस द के लिए वे खत लिखे गए ये प्रश्न अभी तक अनसुलझा था…जो शायद नीमा के होश में आने के बाद ही पता चलेगा…..ये सोचते सहसा देव की नज़र बेड के किनारे पर लटकी उसकी कलाई पर जाती है जहाँ सच में द अक्षर खुदा हुआ था, देव कुछ पल तक उस ओर देखता सोचता रहा कि इतना प्यार था उसे किसी द नाम से कि अपनी कलाई पर उसका नाम का अक्षर तक कुरेद लिया….
घर आकर भी देव उदास बना रहा…तब माँ उसे मुख्य कमरे में लाती टीवी के सामने बैठा देती है जहाँ कोई खबर चल रही थी…
आखिर क्या होगी आगे की देव और नीमा की यात्रा…..क्या देव उसे उसकी जिंदगी में वापस ला पाएगा या दोनों हो जाएँगे किसी मजबूर हालात के हाथो जुदा…..कहानी को आगे जानने के लिए जुड़े रहे और पढ़ते रहे इश्क की अनकही बेमिसाल दास्ताँ….
पूरे रुद्रपुर में यही खबर चल रही थी और टीवी के सामने बैठा देव ये खबर लगातार सुन रहा था|
“सब तरफ लोग यही चर्चा कर रहे है कि आखिर जन्म देने वाला पिता कैसे इतना निर्दयी हो सकता है…कैसे वह अपनी बेटी को एक कमरे में बंद करके रख सकता है..पर ये सवाल उस पिता से कही ज्यादा अब समाज के कुत्सित चेहरे से भी पूछा जाएगा…तो जानिए आखिर क्यों किया एक पिता ने ऐसा…आप सबको याद होगा पिछले दिसंबर की सर्द रात का दिल्ली शहर का वो दर्दनाक वाक्य जब निर्भया को हमने बेहद वहशी लोगों के कारण खो दिया….महज 23 साल की उम्र में जबरन उसे ये दुनिया छोडनी पड़ी..तो क्या हुआ इतना हंगामा देखा आपने तो आपने बाहर हो रहा हंगामा तो देखा पर जवान बेटी के पिता के मन के अन्दर होने वाला शोर नही देखा..कैसे देखेंगे आखिर हम बहुत व्यस्त जो रहते है…पर ये एक पिता का दर्द था जिसके अन्दर ये डर समा गया कि एक दिन उसकी बेटी को भी राह चलते कोई भी उठा लेगा और इसी तरह छलनी करता छोड़ देगा मरने…इसलिए उसने अपनी पत्नी के बाद जिस बेटी को बहुत नाज़ और प्यार से पाला उसी की सुरक्षा के लिए उसे अपने ही घर में कैद कर दिया…ताकि न वो बाहर निकले न उसकी इतनी निर्मम हत्या ही हो….डॉक्टर की रिपोर्ट ने बताया कि उस लड़की की उम्र भी 23 साल ही है….तो सोचना अब हमे है…|”
रिपोर्टर अपने अंदाज में बोलती रही पर परेशान देव अब और देर तक टीवी के सामने बैठा न रह सका तो बाहर निकल गया| घर से निकलकर वह उसका हाल जानने सीधा हॉस्पिटल पहुँच गया….एक अजीब सी बेचैनी उसे नीमा के पास ले जाती थी बार बार…..नीमा की हालत अभी कतई ठीक नहीं थी| जहाँ डॉक्टर अपनी भरसक कोशिश में नीमा का इलाज कर रहे थे वही देव हर घड़ी दिल से दुआ करता उस वार्ड के बाहर रोजाना खड़ा मिलता| लेकिन उस जिन्दा लाश को ठीक होने में कितना समय लगेगा ये उनके लिए भी कहना मुश्किल था..उदास देव थका सा वापस जाने लगा तो कोई स्त्री उसे किनारे रोती हुई मिली…वह नीमा की मौसी थी..उन्हें देख देव का जबड़ा फिर कस गया और वह लगभग उन पर नाराज़ ही हो उठा|
“आप की बहिन के बाद उसकी बेटी कैसी और किस हालत में रह रही थी आपने कभी पता भी करने की जरुरत नही समझी – कैसे लोग अपने में सिमटे रह सकते है|” कहते हुए देव एक हिकारत भरी नज़र उनपर छोड़ता है|
वह अभी भी धीरे धीरे सुबक रही थी| फिर धीरे से अपने आंसू पोछती हुई कहती है –
“पता है बड़ी भारी गलती हो गई – कभी सपने में भी नही सोचा था कि नीमा संग ऐसा होगा जिसके दिल में सबके लिए इतना प्यार हो – वो तो सड़क पर भूखा जानवर भी देख लेती तो उसे भी खाना खिला आती..उस नीमा संग क्या क्या गुजर गया इन आठ महीनों में –|”
“भूख से ज्यादा उसे उसके अकेलेपन और उदासी ने मार दिया..|”
देव की खोई हुई आवाज सुन वे उसकी ओर गौर से देखती है, वे हैरान उसका चेहरा देखती रही कि एक अजनबी लड़के के दिल में नीमा के लिए ये कैसे जज्बात है !!
“आपको पता है उसके लिखे वे ख़त मुझे चैन से बैठने नही देते थे भलेही वे किसी द नाम के लिए लिखे गए हो ..|”
“द…!!” कुछ क्षण रूककर वे याद करती हुई कहती है – “उसकी कलाई में द देखा तुमने !!”
अब देव भी भौचक उनकी ओर देखने लगा, वह वाकई जानना चाहता था कि वो कौन द नाम का शख्स है..भलेही उसका चोर मन किसी अन्य का नाम कतई नही सुनना चाहता था|
मौसी आगे कहती रही – “अजीब लड़की थी बिलकुल ख्वाब में जीने वाली – खुद को ही इतना पसंद करती थी कि एक बार अपना नाम खुदवाने पहुँच गई तब वहां उसका नाम कुरेद ही रहा था कि उसे इतनी हँसी आई कि थोडा टेढ़ा होता वह न का द बन गया – फिर दर्द इतना हुआ कि उसे ठीक भी नही करवा पाई और अनजाना द उसकी कलाई पर हमेशा के लिए खुदा रह गया |”
देव ये सुन हैरान नज़रों से उनको देखता सोचता रह गया कि क्या इस संजोग का होना भी कोई होनी है !! क्या संयोग से न का द होने का भी कोई छुपा हुआ अर्थ है !! नीमा ने अनजाने में ही मुझे ही पुकारा था..!!ये संयोग था या ईश्वरीय सन्देश…!!
मौसी अभी भी सुबकती हुई अपने मोबाईल में कुछ देखने लगी थी|
अब देव उनकी नज़र की ओर देखता उस मोबाईल में देखने लगता है…वह नीमा की तस्वीर थी…जो स्क्रीन में दिख रही थी….देव ने कभी किसी परी की कल्पना तो नही की पर सोचा जरुर था कि वो बहुत सुन्दर होती होगी…नीमा भी बिलकुल ऐसी ही मुस्कराती बहार की तरह उसे दिखी…जिसे देखते देव कहीं खो सा गया…उन बड़ी बड़ी चमकीली मुस्कराती हुई आँखों को देखते उसे लगा वे ऑंखें उसे बडी उम्मिद्द से देख रही है….गहरे भूरे बाल हवा संग अठखेली करते मानों उसके जिस्म में लिपटने को बेसब्र दिखने लगे..उस पल कितने अनकहे जज्बातों से उसका मन गुजरने लगा…..उस तस्वीर को लगातार देखते हुए उसे लगने लगा मानों वह अभी तस्वीर से बाहर निकल आएगी और उसका हाथ पकडे कहेगी…चलो देव मुझे दूर तक ले चलो जहाँ हवाओं संग मैं दौड़ सकूँ…नीले जल को छू सकूँ…फिजाओ की खुशबू में तुम्हारे संग खो सकूं….वह अपनी गहरी गहरी आँखों से मानों पूछ रही थी क्या चलोगे क्षितिज तक मेरे साथ…………………..!!
क्या होगा अब देव और नीमा की कहानी में…क्या नीमा फिर कभी अपने बिखरी हालत से फिर वही नीमा बन पाएगी ? क्या देव को वह पहचान सकेगी ? क्या मौसी उनका साथ देगी या उनके बीच बनेगी दीवार !! जानने के लिए पढ़ते रहे प्रेम की अनकही दास्तान……….अब आगे कहानी अपने दूसरे पड़ाव में चलेगी जहाँ देव नीमा को तो खोज चुका है पर आगे क्या होगा उसका नीमा के साथ सफ़र यही जानेंगे| इसलिए कहानी में आप साथ बने रहे और डूबते रहे इस प्रेम कहानी में…… क्रमशः