कहानी बेमिसाल दोस्ती और अनदेखे इश्क की….
वो इश्क जो बिन देखे ही दिल की गहराइयों में उतर जाए…..जिसके लिए दिल हर सीमा पार कर जाए….बस वही असीम प्रेम….
दोस्त जो बिन बुलाए आए और बेवजह सर खाए….कभी सताए कभी रुलाए मगर साथ हमेशा निभाए…
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इस कदर प्यार है – 1
रुद्रपुर का कॉलेज जहाँ ग्रेजुशन का आज आखिरी एग्जाम था जिससे कॉलेज के बाहर कुछ ज्यादा ही भीड़ थी| कुछ खुम्चे वालो की तो कुछ ऑटो रिक्शा वालो के अलावा उन लडको लड़कियों की जो एग्जाम के बाद क्या क्या करना है उसका प्लान बनाने में कुछ ज्यादा ही मेहनत कर रहे थे|
उन सबके बीच दो लड़के खड़ी बाइक का टेक लगाए विपरीत दिशा में देख रहे थे| जहाँ उनमे से एक लड़का जिसका नाम देव था उसके हाथ में किताब थी और उनकी नज़रे बार बार उसमे जाती फिर आस पास देखते हुए वह कुछ दोहराते हुए बुदबुदा लेता जबकि दूसरा लड़का जिसका नाम कार्तिक था वह अपनी ही मस्ती में था| किताब उसके हाथ में क्या उसके बैग पैक में भी नही थी| आज उन दोनों का भी आखिरी एग्जाम था पर लग रहा था जैसे दूसरे लड़के के भी हिस्से की तैयारी वह पहला लड़का कर रहा था|
“इधर देख – तबसे क्या इधर उधर ताक रहा है – आज लास्ट एग्जाम है समझा – आज तो पढ़ ले – वैसे भी लगता है बिना पढ़े एग्जाम देने का तू कोई रिकोर्ड बनाने वाला है |” देव उसे घुड़की देता है पर तब भी उसकी नज़र इधर उधर डोलना बंद नहीं करती बल्कि वह देव की तरफ बिन देखे ही उस जगह उसे देखने को कहता है जहाँ बहुत देर से वह ताक रहा था|
“देख तो देव – आज रिया ने कितनी प्यारी ड्रेस पहन रखी है |”
“हाँ तो क्या तू उससे उसकी ड्रेस उधार लेकर पहनने वाला है !”
“अबे क्यों रोमांस की धज्जियाँ उड़ा रहा है –|” उसकी निगाह अभी भी एक लड़की पर थी जो अपने ग्रुप के साथ खड़ी बार बार खिलखिला रही थी|
“इससे पहले कि वह तेरी धज्जियाँ उड़ा दे – बाज आज जा अपनी हरकतों से –|”
देव की बात पर कार्तिक अब उसके ठीक सामने खड़ा होता हुआ अपने दोनों बांह पंख की तरह फैलाते हुए बोला – “ले बाज आ गया |”
उसे पक्षी की तरह पंख फैलाते देख देव उसे घूरते हुए देखता फिर से किताब खोल लेता है|
इस पर कार्तिक देव के कंधे पर अपना बाजू फैलाते हुए कहता है – “देख देव इन तीन सालो में तूने तो किसी लड़की की ओर नज़र उठाकर भी न देखा और मेरे से कोई पटी नहीं तो कम से कम यार कॉलेज के लास्ट दिन तो एक लास्ट चांस लेना तो बनता है न !”
देव उसका बाजू अपने कंधे से हटाते हुए बोलता है – “तेरे से पटी नही या ये बोल कि तू कितनी बार पीटा गया – भूल गया – मिंकी के चक्कर में उसके बाप ने अपने घर के सारे जूते तुझसे पोलिश करवाए और गरिमा – उसने तो तेरी हर पॉकेट से एक एक चव्वनी तक निकलवा कर खर्च करवा दी और उसके बाद भी तू उसके साथ कोई बात आगे नहीं बढ़ा पाया..|”
“अच्छा बस बस तू..|”
“अरे सुन तो तेरे किस्से की लिस्ट अभी खत्म कहाँ हुई और नित्या उसने तो लास्ट में तेरे को भईया ही बोल दिया |” कहता हुआ देव ठहाका मार के हँस दिया|
“बस बहुत हुआ – तू दोस्त है या दुश्मन – सारे का बहीखाता बनाकर बैठा है – जा मैं न तेरे से बात ही नहीं करता – अब से अपने दिल की कोई बात तुझसे नहीं कहूँगा |”
मुंह फुलाते हुए कार्तिक अब देव से पीठ कर लेता है तो देव उसकी बाजु पकड़कर उसे अपने साथ ले जाता हुआ कहता है –
“अब अपना ये ड्रामा बंद कर और चल – आज लास्ट पेपर है और हमेशा की तरह पता है मुझे तूने किताब भी खोलकर नही देखी होगी |”
“हाँ तो तू किसलिए है ?”
“तो क्या मेरी कॉपी में झांककर झांककर तू काम चलाएगा !”
“यार वी आर मेड फॉर ईच अदर – समझा न कर |”
“हाँ समझ गया बच्चू |”
“देख – आज इस गरीब की तू मदद करेगा तो क्या पता कल यही गरीब तेरे लिए दाता बन जाए |” अपनी आँखों में बेहिसाब चमक लाते हुए कार्तिक बोला|
“वो तो टाइम बताएगा फ़िलहाल क्लास आ गया – चल |”
कहता हुआ देव अपना बैग पैक बाहर छोड़कर क्लास के अंदर चल दिया| उसके पीछे पीछे कार्तिक भी उसी तेजी उसके पीछे पीछे हो लिया| एग्जाम हॉल में सबसे पहले कार्तिक ठीक देव के ठीक पीछे की सीट चुनकर बैठ जाता है|
देव एक नज़र उसे देखकर मुस्कराते हुए अपनी सीट पर बैठा बैठा अब अपना ध्यान सामने की ओर लगा देता है तभी अपनी पीठ पर कार्तिक का हाथ देख वह उसकी ओर पलटता है|
“क्या है |” देव पलटते हुए धीरे से पूछता है|
तब कार्तिक आँखों से इशारा करता थोड़ा शरमाते हुए कहता है – “देख न देव आज रिया की सीट बिलकुल मेरे बगल में है |”
कार्तिक की नज़रो की सीध में देव उस लड़की की ओर देखता है जो अपने पेन स्केल से खेलती अपना समय काट रही थी| उसे देखकर वापस नज़र मोड़ता देव हलके से मुस्करा दिया|
कुछ देर में सर आए और पेपर बांटकर एग्जाम शुरू करने का निर्देश देते है| जैसा कि हमेशा होता है पेपर देखते कार्तिक को चक्कर ही आने लगते है वह फिर बार बार देव को बताने का इशारा करता रहता है| देव भी अपना लिखते लिखते उसे बुदबुदाते हुए आंसर बताने लगता है|
तभी वह लड़की जो उन दोनों के बगल वाली रो में थी कार्तिक की ओर झुकती हुई कोई आंसर पूछती है जिसपर कार्तिक बड़ा वाला स्माइल से उसे देखता रहा पर आंसर बताने के नाम पर मुंह बिचका लेता है इससे लड़की घूरती हुई उससे नज़रे फेर लेती है|
लड़की को लगता है कार्तिक जानकर उसे आंसर नहीं बता रहा पर उसे क्या पता उसकी हालत पहले से ही टाईट है वो तो खुद देव के भारीसे आया है|
थोड़ी देर में कार्तिक फिर देव से अगला आंसर पूछता है पर उस वक़्त कुछ अलग ही धमाका हो गया| रिया अपनी जगह से खड़ी होती एकदम से बोल उठी|
“सर ये दोनों दोस्त पास पास बैठे है और आपस में नक़ल कर रहे है|”
रिया को इस तरह शिकायत करते देख कार्तिक का जहाँ मुंह खुला रह गया वही देव मरमरी हालत में सर की ओर देखने लगा|
“अच्छा दोस्ती दोस्ती खेला जा रहा है – चलो अभी अलग बैठाता हूँ |” कहते हुए सर कार्तिक को उठाकर सबसे आखिरी की सीट पर बैठने को कहते है| ये देख कार्तिक अब रिया को जितना घूर कर देख सकता था उससे ज्यादा ही घूरकर देखता हुआ पीछे जाकर बैठ जाता है|
देव कार्तिक की हालत समझ रहा था कि अब तो उसका पेपर पानी में गया पर इतनी दूरी पर करता भी क्या !
छुपी नज़र से जहाँ दोस्त एकदूसरे को देख रहे थे वही रिया उसे चिढ़ाती हुई नज़र से देख रही थी|
तभी कार्तिक तिरछी नज़र से उसे देखता हुआ अपनी सीट पर खड़ा होता हुआ कहता है – “सर मेरे पास ब्लेक पेन नहीं है – क्या मैं अपने दोस्त से ले सकता हूँ ?”
“ठीक है |”
सर की अनुमति पाते कार्तिक अपनी सीट से उठता हुआ देव के पास आता हुआ एक पेन लेता उसका ढक्कन उसे वापस करता हुआ कहता है – “मैं अभी पेन वापस करता हूँ –|” और बाकी बात संकेत में करता हुआ अपनी सीट में वापस चला जाता है|
देव कार्तिक की चालू खोपड़ी का आइडिया समझ गया था| वह तुरंत अपने क्वेश्चन पेपर का एक टुकड़ा फाड़कर उसमे आंसर लिखकर उसका रोल बनाकर पेन के ढक्कन में घुसा देता है| और जैसा कि कार्तिक का आइडिया था वह देव को पेन वापस करके उसका ढक्कन लेकर चला गया|
दोनों दोस्त मुस्करा रहे थे| कार्तिक को आंसर मिल गया और किसी को पता भी नहीं चला|
एग्जाम में बाद ख़ुशी से देव के कंधे पर झूलता हुआ कार्तिक कहता है –
“मजा आ गया यार – पेपर एकदम मस्त हुआ – अब जाकर छुटकारा मिला इस एग्जामनेशन से |”
“हाँ बडी मेहनत की थी न तूने |”
“और क्या नक़ल करने में भी बड़ी मेहनत लगती है – यूँही नहीं आ जाता आइडिया दिमाग में |”
“हाँ घुडपेची में तेरा दिमाग घोड़े से भी तेज भागता है – वैसे तेरी मुहब्बत ने तेरी क्लास अच्छी लगाई |”
“बस देव अब तू चिढ़ा मत – मैं न उस रिया के प्यार में डूब रहा था और उसने मुझे ही डुबाने का इंतजाम कर दिया – अब से पक्का वाला प्रोमिस – कोई लड़की की तरफ नही देखूंगा बल्कि अपन दोनों वादा करते है – हमारी दोस्ती ही काफी है हमारे लिए और हम अपनी इस दोस्ती के बीच किसी लड़की को आने नहीं देंगे|”
कहते हुए दोनों दोस्त हवा में एकदूसरे से हाथ मिलाते हुए एकदूसरे के कंधे पर हाथ फैलाते हुए आगे बढ़ जाते है|
क्रमशः……………………