
एक गाँव होना चाहिए
एक गाँव होना चाहिए
भ्लेहीं हम उस जमीं में न उगे हो
फिर भी हमारी जड़े वहां मिलनी चाहिए
हमारी ढेरों रंगीन तस्वीरों में कुछ
‘ब्लैक एन व्हाइट’ तस्वीरें भी रहनी चाहिए
पापा की व्यस्तता, माँ की नौकरी, छुट्टी का अभाव
फिर भी एक दिन तलवों पर मिट्टी की परतें चढ़नी चाहिए
गड गड, तड तड की फैली आवाज़ों में कभी
टुल्लू की आवाज़ भी घुलनी चाहिए
पत्थरों पर चलते चलते कभी
काटों में भी उतरना चाहिए
सूखी पड़ी आँखों में कभी
चूल्हे के धुँए से आंसू भर आने चाहिए
इसलिए एक गाँव होना चाहिए
कभी बेवजह भी आइनों के भी गले लगने चाहिए ||
@अर्चना ठाकुर
Behtarin Kavita
Nice👍👍👍