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एक राज़ अज्ञात सीरीज – 5

खतरा उस दिन होगा जब ये सारे डार्क मैटर आपस में इंटरएक्ट करने लगेगे तब समझिए बवाल ही मच जाएगा…..क्या इस बार भी लोगो को बचा पाएगा अनिकेत आत्माओ की दुनिया से..??

एक राज़ अज्ञात सीरीज 5 – 1

“मैम..|”

आवाज सुनकर वह हलके से पीछे झुककर देखती है उसकी नज़रो के सामने एक वेटर था जो उसके सामने ड्रिंक रख रहा था|

“थैंक्यू |” कहकर वह फिर से आगे की ओर झुकी हुई बैठ गई| वह एक नज़र मेज पर रखे गिलास को देखती है जिसे अभी अभी वेटर रख कर गया था और जो नेपकिन से कवर्ड था| उसे उठाकर धीरे धीरे सिप करने लगती है| लगभग आधा गिलास खत्म करने के बाद वह नज़र उठाकर अपने आस पास का माहौल देखती है| वहां लगभग लाइट से रौशनी थी और उसकी नजरो की सीध में एक तेज म्यूजिक सिस्टम अपने पूरे शबाब में था जिसकी थिरक के सामने कुछ जोड़े कभी तेज तो कभी धीमे धीमे थिरक रहे थे|

वह जल्दी ही उधर से अपनी नज़रे हटा लेती है क्योंकि उन्हें देखने में उसकी कोई दिलचस्पी नही थी| वह फिर अपने गिलास से धीरे धीरे सिप करने लगती है तभी उसे लगता है जैसे कोई उसे लगातार घूर रहा था| वह नज़र घुमाकर वेटर को बुलाने के बहाने से अपने बाए देखती है|

वह कोई व्यक्ति था जो वाकई उसी को देख रहा था| उसका चेहरा बालो से भरा हुआ था, मतलब लम्बे बालो पर घनी दाढ़ी मूंछ वाला शख्स था वह| ये बात दीगर थी कि उसकी दाढ़ी मूंछ भी स्टाइल की तरह थी और उसमे खूब फब रही थी| वह क्षणिक नज़र उसे देखने के बाद भी उसकी सही उम्र नही तय कर पाई| वह उसे तीस की उम्र के आस पास का लग रहा था|

वह तुरंत ही उसकी ओर से नज़रे हटा कर फिर सामने हो रहे डांस को देखने लगी| सभी नए साल के जश्न मनाते कितने खुश लग रहे थे| नए युवा तो डांस करते रुक ही नही रहे थे तो कुछ प्रौढ़ भी अब उनके बीच कूद गए थे| बच्चो के लिए होटल वालों ने अलग सेक्शन बना रखा था जिसमे कुछ दो चार बच्चे ही अपनी मस्ती में कूद फांद रहे थे|

नए साल में सभी किसी न किसी के साथ थे बस एक वह ही अकेली थी और ऊपर से इस होटल में भी अकेली रह गई| जिस मीटिंग के लिए वह इस होटल में आई थी उसके सभी साथी जा चुके थे एक बस वही रह गई थी| अभी दो दिन पहले ही वह दिल्ली से देहरादून आई थी जिसकी आज वापसी थी लेकिन बेमियादी कोहरे की वजह से उसकी आज की फ्लाइट कैसिल हो गई और न चाहते हुए भी उसे इस होटल में रुकना पड़ा|

ये देहरादून का एक फाइव स्टार बेन्क्युट होटल था जिसमे देहरादून की ठंडी रात भी न के बराबर पता चल रही थी| चारो ओर से बेहद कम्फर्ट होटल की व्यवस्था से कभी कभी शक हो जाता कि बाहर ठण्ड है भी या नही जिससे वह भी एक हल्का पुलोवर पहने थी|

दो गिलास ठंडी ड्रिंक के बाद उसे वाशरूम जाने की जरुरत लगी जिससे वह उस डानिंग हॉल से लॉबी की ओर चल दी जहाँ जर्नल वाशरूम था क्योंकि सिर्फ वाशरूम यूज करने के लिए वह अपने रूम में वापस नही जाना चाहती थी| उसे ये भी लग रहा था कि अगर वह अपने रूम में गई तो इसकी अत्यधिक संभावना थी कि वह फिर हॉल में वापस न आए| आखिर वह इस नए साल की पार्टी से ऊब ही रही थी|

वह वाशरूम की ओर बढ़ी जहाँ दाए महिला के लिए तो बाए पुरुष का वाशरूम साथ में था| वह सिम्बल देखती तुरंत दाए हिस्से की ओर बढ़ गई|

फ़्लैश ओन करती एक गहरा उच्छ्वास छोड़ती वह जैसे खुद का होना तय करती है फिर थके कदमो से बाहर निकल आती है| वह वाशबेसिन की ओर बढ़ती हुई शीशे में अपने मुखड़े को देखती नल की ओर झुकी ही थी कि उसे लगा कोई नज़र फिर उसे घूर रही है|

वह जरनल वाशबेसिन था और ठीक उसके बगल के वाशबेसिन पर वही शख्स उसकी ओर देखता मुस्कराता हुआ कह रहा था – “हाय !”

शिष्टाचार के नाते जवाब में वह भी हलके से होंठो को विस्तार दे देती है| वह जल्दी से अपने भीगे हाथो को हैण्ड ड्रायर के नीचे से गुजारकर बाहर निकलने लगती है|

अब वह शख्स भी उसके साथ साथ हो लेता है| दोनों साथ में ही लॉबी की सीढियां उतरते फिर से उसी हॉल में प्रवेश करते है जहाँ पार्टी अब शबाब में थी| बारह बजने वाले थे जिससे न डांस करने वाले भी डांसिंग फ्लोर में उतर चुके थे| म्यूजिक भी थोड़ा तेज हो गया था|

इस पल दोनों एकदूसरे को देखते है और संकेत में ही उस हॉल से बाहर निकलकर उसके पास वाले डानिंग एरिया में पहुँच जाते है| ये गार्डन व्यू एरिया था जिसकी बड़ी बड़ी कांच की दीवारों के पार इस होटल के खूबसूरत गार्डन को देखा जा सकता था लेकिन रात में सिवाय होटल की सजीली लाइटिंग के अलावा कुछ नज़र नहीं आ रहा था|

दिन में ये लोगो की मनपसंद जगह थी| जाने कितने सेल्फी लेने यही डटे बैठे रहते पर अँधेरा होते कोई यहाँ नही बैठता| इसलिए जिस वक़्त वे दोनों आमने सामने बैठे थे वहां लोग न के बराबर थे बस एक आध वेटर ही वहां से गुजर जाते|

“बहुत ज्यादा शोर हो रहा था – ये जगह ठीक है |” आखिर वह ख़ामोशी तोड़ती हुई कहती है|

जिसपर वह शख्स कमतर होंठो के विस्तार के साथ बस सर हिला देता है| वह इस वक़्त उस अनजान शख्स के साथ बिलकुल नही बैठना चाहती थी पर उसके अकेलेपन ने उसे ऐसा करने के लिए मजबूर कर दिया था| जब सारी दुनिया नए साल को मनाने किसी न किसी के साथ थी उस वक़्त भी वह पूरी तरह से अकेली थी|

“हाय – माय नेम इज मेघा |”

“मीनिंगफुल नेम |”

वह भौं सिकोड़े सोचती रह गई कि ये किस तरह का कॉम्प्लीमेंट है अकसर तो लोग इसका जवाब ब्यूटीफुल नेम कहकर करते है| वह दो पल मौन में सोचती रही कि कितना अजीब इन्सान है ये !! अब वह उसके सामने से उठकर जाना चाहती थी लेकिन इस वक़्त उठकर जाना उसे और भी ज्यादा अजीब लगता वैसे भी थोड़ी देर बाद अपने रूम में वापस ही वह चली जाएगी|

तभी वह वेटर के आते उसे धीरे से कुछ कहता है और अगले ही पल वेटर दो गिलास उनके बीच में रखता हुआ वापस चला जाता है|

वह तुरंत ही मेज पर रखे गिलास देखकर चौंक जाती है| उनका सुनहरा रंग उन गिलासों की चुगली कर रहा था| वे बीयर के गिलास थे जो ऊपर तक भरे हलके से अपने झाग को गिलास के कोने से नीचे बहा रहे थे|

वह बुरी तरह चौंकती हुई कुछ कहने वाली थी उससे पहले ही वह शख्स बोल उठा – “आपको कवर्ड गिलास में पीते देख मैं समझ गया था कि आप सबके सामने नही पीना चाहती – प्लीज टेक इट |”

“बड़ी तेज नज़र है आपकी |” वह बाकी के शब्द मन में ही बोल कर रह गई| ये तय था कि वह शख्स उसे ही देख रहा था और जानकर वह उससे बात करने आया लेकिन इस अकेलेपन से त्रस्त उसने ये बात भी अपने मन में सहज रूप से ले ली|

वह उस ड्रिंक का मजा अब खुलकर लेना चाहती थी इससे ड्रिंक अपने नजदीक सरकाती हुई कहने लगी – “वैसे मैं ओकेजनली ही लेती हूँ – आदत नही है मुझे |”

“किसी भी चीज की आदत होनी भी नही चाहिए लेकिन जिदगी खुलकर जीनी चाहिए |” कहता हुआ वह शख्स भी अपना ड्रिंक अपने हाथों में ले लेता है|

“आप भी अकेले है यहाँ ?”

“हाँ किसी ओफिशयली मीटिंग के लिए आया था फिर सोचा नया साल मनाकर ही वापस जाऊं |”

“ओह सेम थिंग – मैं भी ओफिश्यली मीटिंग के लिए आई थी पर देहरादून से दिल्ली की फ्लाइट कैंसिल होने से मुझे आज रात यही रुकना पड़ा |”

“हाँ कल दिल्ली में कुछ ज्यादा ही कोहरा था|”

“आप भी दिल्ली से है ?”

“नही बस दिल्ली की खबर रखता हूँ |”

वह चौंकती हुई उसे देखती है तो वह हलके सी मुस्कान के साथ कहता है – “देश की राजधानी जो है|”

इस पर दोनों साथ में मुस्करा लेते है| अब दोनों मौन ही अपना ड्रिंक का मजा ले रहे थे फिर वह चौंकती हुई उसकी ओर यूँ देखती है जैसे कोई बहुत जरुरी बात उसे याद आई हो|

“आपका नाम तो पूछा ही नही – आप !!”

“अज्ञात – अज्ञात नाम है मेरा |”

“अज्ञात !! ये किस तरह का नाम है –?”

“असल में मेरा कोई एक नाम नही है क्या करूँ मेरा काम ही ऐसा है तो जब कोई मिलता है तो यही नाम मैं उसे बताता हूँ |”

“ओह लगता है आप कोई स्पाई है और किसी सीक्रेट मिशन पर है |”

“अगर आप इतनी बात भी जान जाती है तो वह सीक्रेट नही रह जाता |”

इस बात पर दोनों साथ में हंस पड़ते है| इस बार वह शख्स उसे गौर से देखता है एक गौण वर्ण की वह खूबसूरत महिला थी पच्चीस से तीस के बीच उसकी उम्र रही होगी जो उसे उसके रखरखाव की वजह से पच्चीस से ज्यादा का कतई नही दिखा रही थी| खुले हवा में लहराते बाल गोल चेहरे पर सादी सी लिपस्टिक उसकी सादगी को बयाँ कर रही थी|

कुछ समय बाद हॉल से तालियों के साथ शोर की आवाज सुनाई पड़ती है जिसका साफ़ अर्थ था कि आखिर नया साल आ ही गया| वे साथ में मुस्कराते एकदूसरे को विश करते है –

“हैपी न्यू ईयर |”

“सेम टू यू |”

“थैंक्स फॉर दिस ईविनिग |”

“माय प्लेजर |” वह भी उसी अंदाज में आंखे झुकाकर उसका शुक्रिया स्वीकारता है|

“मेरी कल सुबह फ्लाइट है – |” अपनी बात आधी कहती हुई वह उठ जाती है इसका साफ़ अर्थ था कि वह अब अपने रूम मे वापस जा रही थी|

मेघा रिसेप्शन तक जाती अपने रूम का की कार्ड मांगती है|

“मिसेज मेघा रूम नंबर 1030 |”

इस पर रिसेप्शन पर बैठा व्यक्ति उसकी ओर एक कार्ड बढ़ाते हुए पूछता है – “मिसेज मेघा वाईफ ऑफ़ मिस्टर अनिकेत !”

“यस |”

“सॉरी मैम इस होटल में दो मिसेज मेघा है इसलिए कम्फर्म करना पड़ा |”

“इट्स ओके – थैट्स द प्रॉब्लम ऑफ़ विथ आडेनटीकल नेम |” मुस्कराकर कहती मेघा अपना की कार्ड लेती हुई लिफ्ट की ओर बढ़ जाती है|

उससे कुछ दूर बैठा व्यक्ति ये सब देख रहा था|

क्रमशः………………………..

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