
एक राज़ अज्ञात – 12
सुबह की अपनी नियमित दिनचर्या में पलक चाय की केटल टेबल पर लगाती हुई बबली की ओर देखती है जो जल्दी जल्दी अपरा को लिए बाहर की ओर निकल रही थी|
“बाय बच्चा – ध्यान से जाना और बबली कही बात मत करने लग जाना – जल्दी से अपरा को छोड़कर आ जाना |”
पलक का निर्देश सुन जहाँ बबली दांत दिखाती रही वही अपरा अपने दोनों हाथ से मुंह बंद किए बबली को देखकर हँस रही थी| बबली अपरा को स्कूल बस तक छोड़ने गई थी तब तक पलक अनिकेत के इंतजार में अख़बार के पन्ने पलटती रही|
अनिकेत आकर बैठ भी जाता है और पलक का सारा ध्यान अख़बार में ही लगा रहा जिससे वह केटल से दोनों कप में चाय उड़ेलता हुआ उसे टोकता है –
“पलक !”
आवाज सुनते वह हड़बड़ाती हुई अनिकेत की ओर देखती है जो केटल से कप में चाय उड़ेलते हुए पूछ रहा था –
“अपरा चली गई क्या ?”
इस पर पलक बस हाँ में सर हिलाती हुई नज़रे झुकाए हुई कप की ओर देखती हुई कहने लगती है –
“ये सब क्या हो रहा है ?”
“क्या ??”
“आज फिर एक परिवार के आत्महत्या की खबर निकली है – कुछ दिन पहले भी तो ऐसी ही खबर निकली थी |”
पलक बेहद उदासी से अपनी बात कह रही थी जिससे उसके हाव भाव बिखरे हुए लग रहे थे| अनिकेत पलक के संवेदनशील मन को समझता था इससे सांत्वना से उसके हाथ पर अपना हाथ रख देता है| पलक अभी भी कह रही थी –
“मेरे जन्मदिन वाले दिन भी आप रेस्टोरेंट से इसीलिए वापस आ गए थे न – मैंने दूसरे दिन खबर पढ़ी थी – क्या हो रहा है ये सब – मुझे तो ये सब पढ़ते हुए डर लगने लगा है |”
“तुम्हे पता है हर चार मिनट में एक व्यक्ति आत्मदाह करता है और उसके बचने के पॉइंट फाइव परसेंट चांस होते है |”
“लेकिन यहाँ तो कुछ अजीब ही बात है कोई परिवार एकसाथ कैसे ये कर सकता है जबकि उनके बारे में लिखा है कि आर्थिक तंगी जैसा कोई मामला नही है ये – फिर ये सब आपको अजीब नहीं लगता क्या ?”
“पलक ज्यादा मत सोचो इसपर – कभी कभी ऐसा होता है कि हम एक ही तरह की खबरे लगातार सुनते रहते है –|”
“लेकिन..!”
“पलक – मैंने कहा न कुछ ख़ास बात नहीं है – चलो तुम मेरा टिफिन पैक करो मुझे जल्दी निकलना है |” अनिकेत उसके गाल पर हाथ फिराते उसे आश्वासन देता हुआ उठ जाता है|
पलक अनिकेत की बात पर गहरा उच्छ्वास छोड़ती हुई उठकर किचेन की ओर चली जाती है| अनिकेत कनखनी से उसे जाता हुआ देखता गंभीर बना रहा जैसे बहुत कुछ उसके अंतर्मन में खदर रहा हो जिसे वह पलक से छिपा लेना चाहता था|
***
शहर वाकई इन आत्महत्याओं की खबरों से बुरी तरह से दहल गया था जिसका असर साफ़ साफ़ कमिश्नर के ऑफिस में देखा जा सकता था|
कमिश्नर की आँखों के सामने दो पुलिसवाले सैलूट की मुद्रा में खड़े थे और वह उन्हें घूरता हुआ कह रहा था –
“ये देश की राजधानी है कोई आम शहर नही तो क्या अब मुझे इसकी सीरियसनेस भी तुम दोनों को समझानी पड़ेगी – |” कमिश्नर कसे हुए शब्दों में कहे जा रहा था और दोनों चुपचाप सुन रहे थे|
“लगातार ये तीसरी बड़ी घटना है और तुम दोनों अपने अपने थाने की मामूली खबर की तरह इसकी खोजबीन कर रहे हो – शेखावत तुम सीनियर हो और अब से ये केस तुम हैंडिल करोगे – आई वांट एक्स्प्लेशन वेरी सून |”
“यस सर |” दोनों एकसाथ बोलते सैलूट करते केबिन से बाहर चले जाते है|
***
हॉस्टल से बाहर अभी राहिल निकला ही था कि सामने एक पुलिसवाले को देख बुरी तरह से चौक जाता है|
“तुम्ही देवांश के रूममेट हो ?”
“ज जी |”
“घबराने की जरुरत नहीं है बस पूछताछ कर रहा हूँ – बाकी तुम्हे तो पता ही होगा कि कल उसने परिवार सहित आत्महत्या कर ली |”
राहिल सहमा हुआ सा बिन शब्द के हाँ में सर हिला देता है|
“देवांश पिछले पंद्रह दिन से कॉलेज नहीं आ रहा था क्या तुम इस बीच उससे मिलने गए थे या उसने तुम्हे कुछ ख़ास बात बताई ?”
“नो सर पिछले पंद्रह दिन से मैं उससे नहीं मिला |”
“उसके किसी ख़ास दोस्त मतलब कोई लड़की को जानते हो तुम ?”
“नो सर मुझे नहीं पता |”
“उसका किसी के साथ कोई झगड़ा या विवाद तो नहीं था ?”
“मुझे नहीं पता सर |”
अब इन्स्पेक्टर उसे कसकर घूरता हुआ कहने लगा – “तुम मुझसे कुछ छिपा तो नहीं रहे ?”
“नो सर मैं क्या छिपाऊगा आपसे – इनफैक्ट मैं देवांश को जानता ही कम था वो अमित का दोस्त था और अमित मेरा क्लासमेट था बस इसी से मैं उसे जानता था – इससे ज्यादा मैं कुछ नही जानता उसके बारे में |”
“हम्म |”
इन्स्पेक्टर को चुप देख राहिल जल्दी से पूछ उठा – “सर मेरा क्लास है तो क्या मैं जाऊं ?”
शेखावत उसे आँखों से जाने को बोलता खुद भी बाहर निकल जाता है| हॉस्टल का एक गेट कॉलेज के प्रागण की ओर भी खुलता था जिससे शेखवत उसी गेट से निकलकर कॉलेज की ओर से निकल रहा था कि अचानक अनिकेत से सामना होते वह चौंकता हुआ उसकी ओर देखने लगता है|
अनिकेत भी उसे सामने देख वही रुक जाता है|
“आप को कही देखा है पहले |” शेखावत अनिकेत का चेहरा ध्यान से देखता रहा|
जबकि अनिकेत शांत भाव से कह उठा – “प्रोफ़ेसर अनिकेत – आपसे छह साल पहले अपने दोस्त जॉन की गुमशुदगी के सिलसिले में मिला था जब आप उसके फ़्लैट में उसका सामान तलाशने आए थे |”
“ओह यस याद आया – क्या खूब याददाश्त है आपकी – मैं तो बिलकुल भूल ही गया था – उम्मीद है आपके दोस्त ठीक होंगे |”
इसपर अनिकेत उससे हाथ मिलाते हुए सर हिला देता है|
“चलिए इस बार आप मेरी मदद कर दीजिए – कल के हुए सुसाइड केस के बारे में आपको पता तो होगा ही – बस उसी का लिंक खोजते खोजते यहाँ आ पहुंचा हूँ – जिस लड़के के परिवार ने सुसाइड किया था उसके दोस्त ने भी पिछले दिनों आपके कॉलेज में सुसाइड अटैम्प किया था – बस उसी के बारे में कुछ क्लू तलाश रहा था |”
इन्स्पेक्टर एक सांस में अपनी बात कहता हुआ अनिकेत का चेहरा गौर से देखने लगा| अभी अनिकेत कुछ बोलने ही वाला था कि एक सिपाही वायु गति से भागता हुआ आता है और तुरंत ही बोलने लगा –
“साहब जी ये खबर पढ़ी आपने – पिछले दिनों एक परिवार ने एकसाथ रेस्टोरेंट में सोसाइड किया था वो इसी देवांश का बड़ा भाई एकांश था – सर जी ये तो कोई बड़ा झोल है जी |”
सिपाही की बात सुनता शेखावत झट से उसके हाथ में पकडे अख़बार के उस टुकड़े को लेता हुआ देखने लगा| एक सरसरी नजर से उस खबर को पढ़ लेने के बाद सोचते हुए कहने लगा –
“ये तो कुछ और ही पक रहा है – मतलब अब तक जिन्होंने भी सोसाइड किया सबका आपस में कोई न कोई लिंक है |” कहता हुआ वह अनिकेत की ओर देखने लगा जो अलग की सोच में डूबा हुआ था|
***
पलक दोपहर तक सारा काम निपटा कर हलकी नींद लेने ही जा रही थी कि अचानक एक फोन ने उसे हिला दिया और उसके अगले ही पल वह बबली को घर देखने को बोलती झट से बाहर निकल गई|
अगले क्षण वह अपरा के स्कूल में प्रिंसपल मैम के ऑफिस में होंठ भींचे खड़ी थी और वे एक नज़र अपरा को तो दूसरी नज़र पलक को देख रही थी|
जहाँ अपरा के चेहरे पर अभी भी एक शैतानी मुस्कान खेल रही थी वही पलक दयनीय भाव से कहने लगी –
“मैम आखिर अपरा ने किया क्या है ?”
इसपर वे एक शवांस छोड़ती हुई कहती है – “दूसरे बच्चे का टिफिन छीना है |”
ये सुनते ही पलक अब अपरा की ओर देखती हुई थोड़े सख्त शब्दों से कहने लगी – “अपने से किसी छोटे बच्चे संग ऐसा करना गलत है न ?”
“मैम वो बच्चा आपकी बेटी से बड़ी क्लास में है |”
“अच्छा !!” घबराई स्वर में पलक फिर अपरा को देखती हुई कहने लगी – “अपरा – आपस में गर्ल्स में ऐसा करना बैड मैनर्स है न |”
“मैम वो लड़की नहीं लड़का है – मतलब आपकी बेटी ने अपने से दो क्लास बड़े लड़के का टिफिन छीना है |” अबकी प्रिंसपल भी सख्त नज़र से अपरा को देखने लगी थी|
लेकिन ये सुनते पलक को कुछ कहते न बना लेकिन अपरा आराम से कहने लगी – “मम्मा वो उस लड़के का पनिशमेंट था – |”
“पनिशमेंट !!”
पलक और प्रिंसपल दोनों हैरानगी से अपरा को देखने लगी थी जो बड़े इत्मिनान से अपनी बात कह रही थी|
“दो डेज बिफोर मैंने उसे अपने साथ बस में बैठने को जगह दी तो नेक्स्ट डे उसे भी यही करना था – फिर उस दिन मैं स्कूल नहीं आई तो नेक्स्ट डे उसे अपना प्रोमिस पूरा करना था न पर नही किया और इसलिए मैंने उसका टिफिन लिया कि अब उसे अपना प्रोमिस याद रहेगा – सो सिंपल |”
अपरा अपनी बात करती हुई यूँ हाथ हवा में फैला लेती है जैसे कोई न्याय करके उठी हो जबकि पलक उसे देखती हुई अपनी बगले झाकती रह गई|
“अब आपने सुना मैम कि आपकी बेटी अपनी सेकण्ड क्लास में भी कितनी बड़ी जस्टिस बन गई है |” प्रिंसपल अभी भी घूर रही थी|
“मैम आखिर है तो छोटी बच्ची – मैं इसकी तरफ से माफ़ी मांगती हूँ |”
“अभी लास्ट मंथ में भी कुछ ऐसा ही हुआ था जिसका आपने अपोलोजाइज किया था |” ये सुनते पलक होंठ भींचे खड़ी रही तो प्रिंसपल आगे कहने लगी – “देखिए मैम आपकी बेटी मेरे स्कूल की एक बेस्ट स्टूडेंट है इसलिए मैं इसकी बहुत सारी शरारतो को यूँही नज़रन्दाज कर देती हूँ लेकिन ये शिकायत उस बच्चे की मदर ने की थी तो मुझे एक्शन तो लेना ही था – अभी आपके आने से पहले मैं उनसे खुद माफ़ी मांग चुकी हूँ – आपको अभी से थोड़ा डिसिप्लिन में रखना चाहिए – बहुत ज्यादा प्यार बच्चो को बिगाड़ भी देता है|”
“जी – मैं ध्यान रखूंगी |”
किसी तरह से आखिरी वक़्त बोलती पलक अपरा का हाथ पकड़े रूम से बाहर निकल आई|
बाहर आते जहाँ अपरा खिलखिलाकर हँस रही थी वही पलक का चेहरा गुस्से में तना हुआ था| वे दोनों साथ में मुख्य गेट की ओर निकल रही थी और उनके आगे आगे मेघा अपने बेटे के साथ थी|
…………………क्रमशः………तो आप सबके लिए एक प्रश्न था कि वो कौन इन्स्पेक्टर है तो अपना उत्तर देखने डेजा वू पार्ट पढ़े
New platform.. thoda samjhane me der lagegi ki kaise kis part pe jana hai