Kahanikacarvan

एक राज़ अनसुलझी पहेली – 23

भुवन कुंवर के जाते खुद भी पीछे से होता महल के आगे के हिस्से की ओर लहराता गुनगुनाता अपनी ही मस्ती में जा रहा था कि उसे अपनी पीठ पर किसी की आंख चुभती हुई महसूस हुई तो वह पलटकर देखता है तो वह चौंक जाता है, उसका घूरना उसे असहज कर गया|

“थे काई कररिया हो ?” उसके सामने खड़ी शारदा उसे घूरती हुई पूछ रही थी – “थारे को नहीं पता यहाँ कोई नही आता !” वह बुरी तरह उसे घूर रही थी|

वह अपनी पगड़ी संभालता उसके पास आता धीमी आवाज में कहता है – “म्हारे को पता है पर यहाँ तो कोई और था पहले से उसे ही देखता आ गया |”

“कौन !!” शारदा भौहें सिकोड़ती हुई पूछती है|

भुवन के चेहरे पर अब आश्चर्य के भाव के बजाये संशय के भाव आ रहे थे, वह एक पल इधर उधर देखता हुआ फिर धीमे से कहता है – “कुंवर सा थे यहाँ – मिह अपनी आँखा से देखा और जाकर पूछा भी – वो कुंवर नवल सा और कुंवर रूद्र सा ही थे – साच्ची बोलू हूँ |”

उसकी बात सुन शारदा सोच में पड़ गई पर बोली कुछ नही इसपर वह आगे कहता रहा – “म्हारे को भी आश्चर्य हुआ जेब यहाँ कोई नही आता तो कुंवर काई कर रहे थे और कुछ बात कर रहे थे मिह सुण नही पाया पर कुछ तो है – थारे को पता है ?”

“मुझे इतना पता है कि अब यहाँ से थे न गयो तो राजमहल से जाणे की तैयारी कर लेना |” वह गुस्से में बोलती आगे बढ़ गई|

ये देख उसके पीछे आवाज लगाता भुवन बोलता है – “थारे तो आज भी गुस्सा नाक पर धरो है – अरे मिह तो जा ही रहा हूँ |” अपनी मूंछों के कोने मलता हुआ वह चल देता है|

रानी साहिबा अपने मेनेजर को बेहद चिंतित स्वर में कह रही थी – “आप हमारी ओर से उनसे माफ़ी मांग लीजिएगा – पर क्या करे हमे ये राजा साहब की सेहत की वजह से ये निर्णय लेना पड़ा |”

“जो हुकुम सा |” वह आदर में झुकता हुआ स्वीकृति देता है|

“देखिए हम चाहते है कि आप खुद जाकर उन्हें अच्छे से सारी स्थिति समझाए कि इस माह के अंत में हमे राजा साहब के चेकअप के लिए अमेरिका जाना है इसलिए जो विवाह एक सप्ताह बाद होनी थी उसे दो दिन बाद ही करना चाहते है – जानते है उनके लिए सब और जल्दी करना मुश्किल होगा पर जब आप हमारी स्थिति समझाएगे तो वे जरुर हमे समझ जाएँगे – |”

“जी आप बेफिक्र रहिए – हम उन्हें अच्छे से सब समझा कर सहमति भी ले लेंगे –|” मेनेजर उन्हें भरोसा दिलाते हुए आगे कहता है – “और यहाँ की तैयारीयों के लिए भी आप बेफिक्र रहिए – उन सबके यहाँ आने से पहले विवाह की सारी व्यावस्था हो जाएगी |”

“बस यही हम चाहते है कि परिवार के बीच होने वाले इस समारोह में कोई कसर न रहे |”

तभी उनके पीछे से आती शारदा पर निगाह जाते वे मेनेजर को विदा कर शारदा को अन्दर बुलाती है – “कहाँ थी आप शारदा – सुबह से आज नज़र नही आई |”

“धोक लगाऊ सा |”

उनका अभिवादन करते शारदा सपाट भाव से खड़ी रही जिसे देखती रानी साहिबा पूछ उठी – “क्या हुआ – कोई बात हुई है ?”

“महल के पीछे वाली काली सीढियों के पास कुंवर नवल सा थे – मैं तो भुवन को देखती वहां से गुजर रही थी – पहले तो मैं उसपर बहुत नाराज़ हुई आखिर वहां जाणा जो मना है पर उसने बताया कि वह कुंवर नवल सा को देखता वहां चला गया – सो मुझे लगा आपको बताणा जरुरी है |” वह नज़रे नीची किए अपनी बात खत्म करती है|

ये सुनते कुछ पल तक रानी सा सन्न खड़ी रही फिर धीमे से कहती है – “अच्छा किया जो आपने हमे बता दिया – वैसे हम आपको बुलवाने ही वाले थे|”

“हुकुम करो राणी सा |” वह पुनः आदर से हाथ जोडती हुई पूछती है|

“अब विवाह दो दिन बाद है – कल तक वे सभी यहाँ आ जाएँगे इसलिए आज शाम हम कुलदेवी के दर्शन के लिए जाना चाहते है – वही कुंवर की पूजा भी होगी – आप उसकी तैयारी करा ले और अनामिका बिन्दनी को पूजा का सब समझा दे क्योंकि बड़ी होने से उन्हीं के हाथों ये सम्पन्न होगी |”

“जो हुकुम राणी सा – मैं अभी जाती हूँ |”

“ठीक है|”

शारदा के जाते रानी साहिबा मोबाईल पर कोई नंबर मिलाकर बैठती हुई डिस्प्ले पर जाती रिंग देखती रहती है, लम्बी घंटी जाने के बाद फोन उठा लिया जाता है|

उधर से फोन नवल द्वारा उठाया जाता है, फोन उठाते वे अभिवादन स्वीकारती आगे कहती है – “आप इसी वक़्त हमसे मिलने आइए |” कहकर फोन रख देती है|

नवल महल में ही था इसलिए कुछ मिनटों बाद ही वह तेज कदमों से चलता उनके सामने हाजिर हो जाता हो|

उसके आते वे उनके अपने साथ वाले स्थान पर बैठने का इशारा करती है, वह बैठता हुआ कहता है – “कहिए माँ सा आपने हमे क्यों याद किया ?”

नवल का अभिवादन स्वीकारते तुरंत ही उनके चेहरे के भाव कठोर हो जाते है|

“आप काली सीढियों के पास क्या कर रहे थे ?”

एकदम से ऐसे किसी सवाल की उसे उम्मीद नही थी इससे वह तुरंत ही असहज हो गया|

“मतलब आप वहां थे |”

“नही माँ सा हम तो अभी बाहर से आ रहे है – आपका फोन आते हमने कार आपकी ओर मोड़ ली तभी तो हम जल्दी आ गए – पर आपको ऐसा क्यों लगा हम वहां पर गए |” अभी नवल के चेहरे के भाव तल्ख़ हो उठे|

“हमे आपकी बात पर विश्वास है नवल पर आप जानते है कि बिना आग के धुँआ नही होता इसलिए अगर ये बात हम तक चलती आई है तो कुछ तो कारण होगा इसके पीछे|”

माँ सा की बात से नवल बस खामोश बना रहा|

“आप दोनों का विवाह अब से दो दिन बाद है और हम चाहते है कि आप अपना सारा ध्यान अपने विवाह की तैयारीयों में लगाए क्योंकि जो हो रहा है वो तो होना  ही है और जो नही होना चाहिए उसे हम कतई गंवारा नही करेंगे |”

नवल को खामोश देख वे हलके से मुस्करती हुई कहती है – “अब आप जाइए – बाहर से आए है तो आराम करिए जा के |”

“जी माँ सा |” वह उन्हें प्रणाम कर जाने लगता है |

“और इतना ख्याल रखिएगा नवल कुछ काम की वापसी कभी नही होती |”

पीछे से माँ सा की आवाज सुन नवल एक बरगी पीछे पलटकर देखता है फिर हाँ में सर हिलाकर बाहर निकल जाता है|

क्रमशः……………

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