
एक राज़ अनसुलझी पहेली – 39
ब्रम्ह्मुह्रत से अनिकेत साधना में बैठा था| एक शांत कमरे में बैठा वह किसी योगी की तरह ध्यानमग्न था| इस समय योगी की तरह सफ़ेद धोती, गले में रुद्राक्ष तो माथे में बड़े चन्दन तिलक के साथ उसके खुले पुष्ठ बदन पर जैनयु दिख रहा था| वहां उस कमरे में कृत्रिम प्रकाश के बजाये एक छोटी खिड़की की ओट से सूर्य का नामालूम प्रकाश आ रहा था जिसके सुनहरे प्रकाश में उसका गौण वर्ण शरीर सोने का दमकने लगा था|
नवल के सामने खड़ी नंदनी के चेहरे पर डर का अहसास साफ़ दिख रहा था पर उस वक़्त नवल के लिए ये समझना मुश्किल था कि नंदनी उसकी डांट से नही बल्कि किसी अन्य डर से सहमी हुई थी| इसलिए अगला शब्द वह थोड़ा कम सख्ती से वह पूछता है –
“बोलो नंदनी – क्या बात है – किसको देखा तुमने ?”
“व वो डॉक्टर साहब की गाड़ी आई तो मैं देखकर घबरा गई इसलिए आपको बताने चली आई |”
“कौन डॉक्टर ?”
“डॉक्टर महेंद्रसिंह को राणी सा के कक्ष की ओर जाता देखा |” नंदनी घबराती हुई एक एक शब्द सोच सोचकर बोल रही थी|
“डॉक्टर महेंद्रसिंह – वो तो बाबोसा के डॉक्टर है – कहीं उनकी तबियत तो कुछ खराब नही !” नवल धीरे से बोलता कुछ पल सोचता खड़ा रहा|
नंदनी कहना तो कुछ और चाहती थी पर कह कुछ और गई| वह तो बस नवल को पलक से दूर करना चाहती थी|
दूसरे पल नवल पीछे कमरे की ओर दूर तक दृष्टि डालता है जहाँ अभी भी उसे पलक पलंग पर लेटी दिखती है जिससे वह नंदनी की ओर दुबारा देखता हुआ कहता है – “ठीक किया जो हमे बताया अब तुम जाओ |” बड़े शांत भाव से कहता हुआ नवल उसी वक़्त कमरे से बाहर निकल कर गलियारे की ओर चल देता है|
नंदनी परेशान सी अपने होंठ दाबे कुछ पल तक नवल को जाता हुआ देखती रही फिर उसके कमरे के आधे खुले दरवाजे को देखने जैसे नज़र घुमाती है दरवाजा तेजी से अन्दर से बंद हो जाता है| ये सब एक क्षण में हवा के झोंके की तरह हुआ जिसकी आवाज से नंदनी एकदम से डर गई| अब तो उसकी सांस जैसे हलक में अटकी रह गई| वह बिना पल गवाए तुरंत ही दौड़ती हुई उस जगह से दूर भाग गई|
रानी सा के कमरे में वाकई गहन माहौल था| डॉक्टर राजा साहब का निरीक्षण कर के उनके कक्ष से बाहर निकलकर गलियारे से होते रानी सा की बैठक में अब उनके सामने उपस्थिति थे|
“हमे लगता है आपको अब उनकी बाईपास सर्जरी के लिए और देर नहीं करनी चाहिए क्योंकि उनकी जैसी क्रिटिकल सिचुवेशन में अमेरिका ही उनके लिए सही जगह है |”
उस वक़्त कक्ष में रानी सा के पीछे शारदा खड़ी थी और रानी सा गंभीर मुद्रा में बैठी सब शांत भाव से सुन रही थी|
डॉक्टर आगे कहते है – “राजा साहब को डाइबिटीज के साथ साथ हीमोफिलिया भी है इसलिए वही जाना ठीक रहेगा – हमने बात कर ली है – संभव है तो तुरंत ही निकल जाइए क्योंकि बाकी औपचरिकता में भी समय लग जाता है|”
“हम्म ठीक है |”
रानी सा की सहमति से वह उन्हें अभिवादन कर बाहर निकलने लगते है तो उनके पीछे पीछे एक सेवक उनका सामान पकडे पकडे उनके पीछे चल देता है| डॉक्टर के बाहर निकलते नागेन्द्र जी अन्दर आते रानी सा को अभिवादन कर हाथ बंधे खड़े हो जाते है|
“माँ सा !” तभी सबका ध्यान हडबडाते हुए वहां आते नवल पर जाता है|
“आप ठीक है और बाबोसा !!” पूछते हुए नवल क्रमवत सभी का चेहरा देख डालता है जहाँ सबके चेहरे पर सपाट भाव थे|
नवल अब माँ सा के पास आकर बैठता उनकी तरफ देखता हुआ कहता है – “महेंद्रसिंह जी आए थे ये सुनते हमे आपकी और बाबोसा की बहुत चिंता हो गई |”
“हम ठीक है पर आपके बाबोसा !! सच में उनकी तबियत बहुत खराब है – हम बस आपको बुलवाने ही वाले थे लीजिए रूद्र भी आ गए पर शौर्य वे कहाँ है ?” रानी सा अभी अभी अन्दर प्रवेश करते हुए रूद्र को देखती हुई पूछती है जिससे नागेन्द्र जी धीरे से उत्तर देते है – “वे शहर से बाहर गए है -|”
“बाहर !! कहाँ !! अचानक कहाँ चले गए ?” रानी सा हैरान होती पूछती है|
“पता नही राणी सा – उनका नंबर स्विच ऑफ़ बता रहो है |” वह सर झुकाए झुकाए कहते है|
ये सुनते वे बारी बारी से रूद्र और नवल के चेहरे के भाव की ओर देखती है जहाँ अपने प्रश्न का उत्तर न पाती दुबारा वे नागेन्द्र जी की ओर देखती हुई कहती है – “आप रचित से पता करिए – वही बुकिंग का काम देखते है और आकर हमे बताईए |”
“जो हुकुम सा |” रानी सा का हुकुम सुनते वे उन्हें अभिवादन करते तुरंत बाहर निकल जाते है फिर अपने पीछे खड़ी शारदा की ओर देखती हुई कहती है – “शारदा आप भी हमारे संग चलने की तैयारी करे जाकर |”
हामी भरती शारदा तुरंत कमरे से बाहर चली जाती है|
अब रूद्र और नवल साथ में बैठे माँ सा की ओर देखने लगे|
“रूद्र – नवल – हम आज ही आपके बाबोसा को लेकर अमेरिका जा रहे है तो आपमें से कौन हमारे साथ चल रहा है क्योंकि शौर्य अभी यहाँ है नहीं और एक को सैंड ड्युन्स के कैम्प जाना है वहां हमारे कुछ ख़ास मेहमान आए हुए है ?”
वे बारी बारी से नवल और रूद्र का चेहरा देखती है| नवल अभी पलक को छोड़कर नही जाना चाहता था वह इसी सोच में पड़ा रहा और रूद्र तुरंत कह उठा – “आप फ़िक्र मत करिए माँ सा – आप बेफिक्र हो कर जाइए हम यहाँ सोन महल से लेकर कैम्प तक सभी कुछ देख लेंगे |”
रूद्र के ये कहते नवल अजीब निगाह से उसे देखता हुआ सोचता है कि रूद्र को पता है कि उसकी अभी नई शादी हुई है और वह पलक को छोड़कर नही जाना चाहता तब शायद कल रात की बात की तल्खी से उसने जानबूझ कर ये बोला होगा पर अब क्या हो सकता था तीर कमान से निकल चुका था और वह किसी भी हालत में इस बात का विरोध नही कर सका|
“ठीक है तो नवल आप अभी यही रुकिए – हम आपके बाबोसा की सारी रिपोर्ट आपको दिखाते है|”
“खम्मा घणी रानी सा !”
आवाज से वे सामने की ओर देखती है जहाँ नागेन्द्र जी के आगे रचित खड़ा था जो तुरंत ही कहने लगा – “हमेशा वे मुझसे ही बुकिंग करा कर जाते है पर इस बार कहाँ गए है मुझे नही पता और अभी भी उनका फोन भी स्विच ऑफ़ आ रहा है |”
“क्या !!” रानी सा गंभीर भाव से उसकी ओर देखती हुई कहती रही – “ठीक है आप उन्हें फोन मिलाते रहिए और बात होते तुरंत हमे सूचित करिए |” फिर नागेन्द्र जी की ओर देखती हुई आगे कहती है – “नागेन्द्र जी आप नवल की जाने की तैयारी करवाईंए जाकर और उसके बाद एक काम और करिए |”
सभी अब उनकी ओर देखने लगे थे|
“अभी हम बहुत मुश्किल में है तो दोनों बिन्दनी की पगफेरे की रस्म अभी नही होगी इसलिए हमारी ओर से आप उनके पिता को फोन करके क्षमा मांगते हुए ये संदेसा उनतक पहुंचा दे|”
दोनों रानी सा का हुकुम सुनते हाथ जोड़े चले जाते है पर जाते आते रचित सबसे छुपकर एक सख्त नज़र नवल की ओर डालता जाता है क्योंकि पिछली रात की बुरी स्मृतियाँ अभी भी उसका मन मथे दे रही थी|
वे बाहर निकल रहे थे और तीनो अन्दर बात करने में मशगूल थे कि कोई हल्ले की आवाज सुन सभी तुरंत अपने कान उधर लगा लेते है|
आग आग….बुझाओ….जल्दी पानी डालो…
ये सुनते नवल, रूद्र और रानी सा भी खुद को आवाज की ओर जाने से नही रोक पाए| सभी तुरंत आवाज की ओर भागे| आवाजो का शोर रसोईघर की ओर से आ रहा था जो रानी सा के कमरे से कुछ दूर ही थी| वे सभी हैरान नज़रों से दूर खड़े देखते रहे कि रसोई से कैसे बड़ी बड़ी लपटे बाहर की ओर उठ रही है तो वही लगभग कर्मचारी आग बुझाने की मशकत कर रहे है| काफी देर वे अपने स्थान पर खड़ी अचरच भरी निगाह से सब देखती रही और साथ ही उनकी बात भी सुनती जा रही थी|
“पता नही दो पल में ही आग इतनी भयावह कैसे हो गई..|”
“हम तो कुलदेवी का भोग तैयार कर रहे थे तभी ये आग लगी..|”
“जल्दी करो नही तो ये आग और फ़ैल जाएगी – पहले कभी महल में ऐसा नही हुआ |”
रानी सा आँखे फाड़े अपने स्थान पर जमी उस दृश्य को देखती रही| आग बहुत मशकत के बाद अब धीरे धीरे कम हो रही थी|
अब क्या होने वाला है राजमहल में !! क्या ये शुरुवात है किसी होनी की जानने के लिए पढ़ते रहे एक राज़..
.क्रमशः
Very very👍👍🤔👍👍🤔🤔🤔🤔🤔