
एक राज़ अनसुलझी पहेली – 49
अनिकेत की आत्मा वायुमंडल में समाहित होती अपनी अनंत यात्रा पर निकल चुकी थी| वह फिर उसी स्थान का आभास कर रहा था जब अनामिका की शादी से एक दिन पहले रूद्र की बैचलर पार्टी में उसे नवल और शौर्य धोखे से उसके सोडे के गिलास में शराब मिला देते है और वह भी आक्रोश में उसे अपने हलक में उतार लेता है लेकिन पहली बार के शराब के सेवन से बहुत जल्दी ही उसकी हालत खराब हो गई| उसे आभास भी नही हुआ कि कब वे उसे उसी हालत में पलक के सामने से गुजार ले गए जब उसे बस इतना याद रहा कि एक बार हलके से उसने पलक की ओर नजर उठाकर देखा तब उस पल उसके चेहरे पर आई ढेर नफरत के भाव उसके होश और डुबो देते है| नवल उसे उसकी उसी हालत में मेहमान कक्ष तक पहुंचवा देता है| वो रात किस बेहोशी में गुजरी ये अनिकेत को आभास भी नही हुआ पर सुबह उठने के साथ भयंकर सर दर्द से पिछली रात का सब याद आ गया और इसी के साथ उसका मन आत्मग्लानि से भर उठा| ‘क्यों वह खुद पर नियंत्रण नही रख पाया !!’ ‘कैसे वह शराब पी गया ?’ ये सोचते उसका मन बार बार उसे धिक्कार उठा| आखिर वह एक सात्विक जीवन जीने वाला व्यक्ति था और एक बार के शराब के सेवन से उसका वो सारा नियम, संस्कार टूट चुका था| अब उसका मन सिवाय पछतावा के और कुछ नही महसूस कर रहा था इससे और एक पल भी उस राजमहल का मेहमान होना उससे गंवारा नही हुआ| वह उसी हालत में अपनी थीसिस का बहाना कर तुरंत ही निकल गया| अभी उसकी ऐसी हालत नही थी कि वह अपने घर बाराबंकी लौट पाता इसलिए किसी को बिना बताए वह वही से ऋषिकेश चला जाता है|
ऋषिकेश के भक्तिमय मठ में वह अकेला था और उस वक़्त वह कुछ दिन ऐसा ही अकेलापन चाहता भी था जहाँ कोई उससे संपर्क न करे| अपने आत्मंथन के लिए एकांतवास से बेहतर और क्या होता| अपने आप को पश्चाताप की अग्नि से शुद्ध करने वह शुद्धिकरण की ठानता है जिसमे वह सबसे पहले तीन समय का अन्न का त्याग कर केवल एक समय के कलेवा और बाकी के समय अपना सारा ध्यान साधना में लगाता है| उसे पता था प्रकृति का नियम अगर सृष्टि से कुछ चाहिए तो बदले में उसे भी कुछ देना होना इसीलिए अपनी आतंरिक ऊर्जा को पुनः पाने वह मठ में पूर्णतया सदाचार के नियमों का पालन करता| नियम, सदाचार, साधना व्यवहार द्वारा वह खुद में आतंरिक शक्ति भरता है ताकि वह फिर से अपनी सकारात्मक ऊर्जा विकसित कर सके| इस बीच वह न मोबाईल से किसी से संपर्क करता और न कही बाहर जाता| साधना से वह पुनः अपनी कुण्डलिनी जागरण का पुनरुद्धार करता है| इसी बीच पलक अनिकेत से मोबाईल से संपर्क करने की कोशिश कर रही होती है पर नहीं कर पाती|
एक से डेढ़ महीने अपनी साधना को पूर्ण कर वह सबसे पहले घर लौटना चाहता था| साथ ही उसमे पलक से मिलने की तीव्र उत्कंठा भी थी| इसके लिए वह ऋषिकेश से लखनऊ के लिए ट्रेन तलाशता है जो उसे वाया दिल्ली से मिलती है जहाँ दिल्ली में उसे रात बितानी थी इसलिए दिल्ली में अपने दोस्त रजत के पास एक रात रुकने की सोचता है जो अपने इतिहास के शोध के सिलसिले में लखनऊ से आकर कुछ महीनों से किराए पर एक रूम लेकर वहां रह रहा था|
रजत अचानक अनिकेत को सामने देख चौंकता हुआ बोला – “अनिकेत – क्या संयोग है – मैं बस तुम्हें याद ही कर रहा था – |”
अनिकेत को अवाक् देख वह जल्दी से आगे कहता है – “पहले तुम अन्दर तो आओ – तब सब बताता हूँ|”
अनिकेत के अन्दर आते वह उसे पानी देता उसके सामने बैठता हुआ कहना शुरू करता है – “कल मैं लखनऊ विश्विद्यालय जा रहा हूँ तो सोचा तुमसे भी मिल लूँगा और देखो तुम यही आ गए – वो कहते है न बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी |”
रजत जिस उल्लास से कह रहा था वही अनिकेत सहज बना रहा|
“तो सुनो एक खुशखबरी है तुम्हारे लिए |”
रजत की ख़ुशी उसके हर एक शब्द से झलक रही थी|
“कैसी खुशखबरी ?”
“पूरे कॉलेज से सिर्फ दो स्टूडेंट का पेपर कैम्ब्रिज कॉलेज में थीसिस के लिए सलेक्ट हुआ है |” इससे पहले कि अनिकेत कुछ पूछता रजत जोश में कहता रहा – “उसमे वो लकी स्टूडेंट कोई और नही पहले तुम और दूसरा मैं हूँ – हाँ सच में – इसीलिए प्रोफ़ेसर तुमसे संपर्क की कोशिश कर रहे थे बल्कि मैंने भी कई बार कॉल की लेकिन तुम्हारा नंबर लगा ही नही – खैर अब तुम खुद जा रहे हो तो सब पता ही चल जाएगा |”
रजत की बात पर अनिकेत हलके से मुस्करा कर अपनी प्रतिक्रिया करता है| ये उसकी साधना का प्रभाव ही था जिससे वह अपने को हर स्थिति में सम रखता| अब अनिकेत बाराबंकी से पहले लखनऊ जाने का तय करता है पर उससे पहले इस खुशखबरी के पहले हकदार अपने पिता को वह सूचना देता है| वे उसे ढेरों आशीष देते अपना काम पहले निपटाकर आराम से आने को कहते है (आपको याद होगा पार्ट – 2 में जब पलक अनिकेत की सूचना पाने परेशान होकर मंदिर जाती है जब उसकी मंगनी की बात शुरू ही हुई थी तभी रजत नामक लड़के से अनिकेत का कही बाहर होने की सूचना उसे मिलती है तभी उसे लगता है कि अनिकेत को उसकी परवाह ही नहीं)लखनऊ आकर कुछ समय के लिए वह वाकई व्यस्त हो जाता है, कभी कोई पेपर सम्मिट करना तो कैम्ब्रिज जाने के लिए वीजा पासपोर्ट आदि का इंतजाम करने में| वह रजत को फोन पर साथ में उसका भी वीजा पासपोर्ट बनाने का कहता है| जल्दी ही वह बाराबंकी पहुंचकर पलक से मिलकर आपस की ग़लतफहमी दूर कर अपने जीवन की ख़ुशी बांटने को बेसब्र था| लेकिन क्या पता था कि जिस दिन वह बाराबंकी पहुंचेगा उसके जीवन में भूचाल आ जाएगा| घर पहुँचने से पहले उसे पलक की मंगनी की खबर मिल गई जिससे उसके होश ही उड़ गए| एक मन पलक से दूर भागने का होता तो दूसरा बार बार विश्वास दिलाता कि उसे फिर भी पलक से मिलना चाहिए| अपने मन की उथल पुथल से उलझा आखिर वह घर पहुँचने से पहले ही जॉन को फोन लगाता उसे सारी बात बताता उससे राय मांगता है कि ऐसे हालात में उसे क्या करना चाहिए ??
जॉन फोन के उस पार से उसे समझाता हुआ कहता है – “मुझे लगता है तुम्हें पलक से खुद मिलकर अपने मन की बात बतानी चाहिए – क्या पता उसने इस बीच तुमसे संपर्क की कोशिश की हो – सिर्फ मंगनी की बात है आराम से टूट भी सकती है – तुम जल्दी से जल्दी उससे मिलो |”
अभी जॉन अनिकेत को समझा ही रहा था जो लखनऊ से बाराबंकी आने वाली कट लाईन में खड़ा था| वहां ट्रेफिक न के बराबर था उस सुनसान रास्ते में कि अचानक जॉन फोन पकड़े रह गया उसके कान कोई धमाका सुन चौंक गए थे| इससे बिना समय गंवाए जॉन घटनास्थल पहुंचकर सन्न रह गया| अनिकेत को कोई अनजान गाड़ी धक्का देकर गुजर गई जिससे बुरी तरह से घायल अनिकेत संवेदनशून्य बना सड़क के एक तरफ पड़ा अपनी बची साँसे गिन रहा था| उस पल जॉन ये सब देख तुरंत समझ गया कि रास्ते के किनार खड़े व्यक्ति को इतनी बुरी तरह से मारना कोई महज संयोग की बात नही हो सकती जरुर इसके पीछे किसी की कुत्सित मंशा होगी| नाजुक स्थिति भांप जॉन तुरंत ही अनिकेत को लिए अपने किसी डॉक्टर मित्र की सहायता लेता है| समय पर डॉक्टर के पास पहुँचने से अनिकेत की जान तो बच गई लेकिन वह अनंत कोमा में जाने से उसे नही रोक पाया| अब ऐसी हालत में उसके घर खबर करके वह उसकी जान और जोखिंम में नही डालना चाहता था इससे वह उसी दोस्त के संरक्षण में उसे वही छुपा लेता है| जॉन समझ रहा था कि ये जरुर किसी न किसी की साजिश है पर अनिकेत के होश में आने तक उसे किसी तरह से भी सबकी नज़रों से सुरक्षित रखना था| अनिकेत अपनी इस हालत से पहले किसी अज्ञात को रोड के एक तरफ अपने मोबाईल से बात करके उसके आने की सूचना दे रहा था और तभी कोई गाड़ी धडधडाती हुई उसके ऊपर से गुज़र गई| अपने को कोमा की स्थिति में देखने के बाद अनिकेत देखता है कि पलक उससे मिलने और उसे खोजने की कोशिश करती हुई उस अनचाही शादी की ओर बढ़ती गई| ये सब वायुमंडल में मौजूद अनिकेत की आत्मा देखती उदास हो जाती है| वह पलक को हरपल उदास होता हुआ देख रही थी पर चाहकर भी कुछ नही कर सकती क्योंकि ये सब घट चुकी घटना थी जिसे वह सिर्फ देख सकता था और इसके आगे वह उस दिन को भी देखता है जब पलक शादी के लिए तैयार अकेली कमरे में बैठी थी और उसकी हथेली के बीच में जहर की बोतल थी| ये सब देख उसकी आत्मा तड़प उठी| जिससे वास्तविक समय में लेटे उसके चेहरे के हाव भाव घुटे हुए प्रतीत होने लगे| जॉन मशीन पर ध्यान देता है क्योंकि उसे अनिकेत की नब्ज लगातार कम होती और ह्रदयगति एक लकीर में बनती हुई दिख रही थी| उसका शरीर का तापमान भी लगातार गिर रहा था| उसे समझ नही आ रहा कि अचानक उसके शरीर के साथ क्या होने लगा| जॉन अब उसे वापस लाने का प्रयत्न करने लगा क्योंकि जरा भी देरी होने पर उसकी आत्मा कभी वापस नही आती| उधर पलक की मनस्थिति देख उसका दर्द महसूसते अनिकेत की आत्मा भी उस दर्द से गुजरने लगी| पलक ने अपने जीवन से निराश होते जहर खाकर अपनी जान देना उचित समझा आखिर न वह अनिकेत से मिलकर उसे अपना हाल कह पाई और न किसी भी हाल में उस अनचाहे रिश्ते से बंधना चाहती थी| पर उसकी मनस्थिति ये थी कि वह मना भी नही कर सकती थी क्योंकि तब उस हालात में झलक की शादी भी नही हो पाती| पलक चुपचाप जहर खा लेती है जिससे उसके शरीर से आत्मा को निकलते देख अनिकेत की आत्मा बुरी तरह से तड़प उठी| जिससे उस पर जॉन अनिकेत की रुकी हुई हृदयगति देख बुरी तरह घबरा गया और आनन फानन में उसे उठाने का जतन करने लगा| अनिकेत क्या कर पाएगा बीती घटना में?
क्रमशः…….
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