
एक राज़ अनसुलझी पहेली – 59
अनिकेत झलक के छत पर जाने वाला वीडियो बीच में ही रोकता हुआ जॉन से कहता है – “जॉन तुम मुझे वो क्लिप दिखाओ जब शादी होने वाली थी – हो सकता है वहां से कुछ क्लू मिले |”
हामी में सर हिलाता जॉन लैपटॉप पर उंगलियाँ तेजी से चलाने लगता है| झलक के घायल होने वाला वीडियो अनिकेत नही देख पाता| अब वे पिछले वीडियो खंगाल रहे थे| अगले कुछ देर में स्क्रीन में पलक की शादी से पहला वाला वीडियो चलने लगता है जिसमे वे उसे तैयार होकर घुंघट में रूम से बाहर निकलते हुए देखते है| ऐसा करते उसे बार बार पीछे पलटकर देखते हुए वे देखते है|
“ये पलक नही है |”
एकदम से अनिकेत की आवाज से जॉन पलटकर उसकी ओर देखता है| वह हैरानगी से उसकी ओर देखता रहा जहाँ के भाव में कुछ अलग ही अहसास दिखा उसे|
“हाँ मैं सौ फीसदी कह सकता हूँ कि ये पलक नही है |”
“लेकिन घूँघट में जो दुलहन वो पलक नही है ये तुम कैसे निश्चित रूप से कह सकते हो ?”
इस बात पर अनिकेत के चेहरे पर हलकी मुस्कान आ गई|
“जॉन पहचान सिर्फ देह की नही होती आत्मा की भी होती है इसलिए मैं पलक को लेकर श्योर हूँ कि ये कोई और है |”
“तो फिर वह पलक की जगह नवल की दुल्हन क्यों बनेगी – मैं कुछ समझ नही पाया ?”
“कौन है ये तो अभी मैं भी नही जानता पर ये कोई और लड़की है जिसे शायद इसी मौके की तलाश हो |”
तभी दोनों का ध्यान स्क्रीन में चल रहे अन्य वीडियो की ओर जाता है जो शादी के बाद की थी जिसमे वह पलक का आधा चेहरा खुला था उसे वे कमरे से बाहर निकलते हुए देखते है, उस दृश्य को देखते जॉन तुरंत कह उठता है –
“अनिकेत तुम गलत भी हो सकते है – नही तो फिर ये कौन है जो पलक जैसी दिख रही है !”
अनिकेत अब कुछ क्षण तक उस वीडियो को ध्यान से देखता रहा फिर उसे पीछे से चलाता हुआ जॉन को उसकी ओर ध्यान दिलाता हुआ कहता है – “ध्यान से देखो जो शादी से पहले कमरे के अन्दर गई थी वो पलक थी और जो दुल्हन के लिबास में तैयार होकर नवल से शादी करती है वो कोई और है उसके बाद जिसे शादी के बाद हम बाहर निकलते देख रहे है वो तीसरी कोई और है जो इंसान नही है – |”
अनिकेत की बात पर जॉन हैरान होता अबकी फिर से वीडियो को गौर से देखने लगता है|
“जब इंसानी शरीर में आत्मा का प्रवेश हो जाता है तब उसकी कुछ पहचान होती है जिससे उसे पहचाना जा सकता है – उसकी चाल बदल जाती है – उसकी आँखों की पुतली न के बराबर फडकती है और सबसे ख़ास पहचान जो सामने मौजूद कोई नही देख पाता पर ये सब जो हम शीशे के माध्यम से देख रहे है उसमे गौर से देखो उसके जो खुले अंग दिखाई दे रहे है वो छाया या धुए की तरह दिखाई देंगे – अब तुम फिर से वीडियो चला कर देख सकते हो |”
अनिकेत की बात सुन जॉन तुरंत फिर से वीडियो पीछे करके देखता है तो वाकई हैरान रह जाता है अनिकेत की कही बात उसे प्रत्यक्ष होती दिखाई दी|
“तो इसका मतलब ये कोई आत्मा है पर किसकी और क्यों पलक के शरीर पर कब्ज़ा किए है ?”
“अब यही सब सवालों को सुलझाने मुझे उस राजमहल के अंदर पलक के पास जाकर पता करना है |”
जिस बात जो अनिकेत सहजता से कह गया उसे सुनते जॉन एकदम से अपनी जगह से हिल गया|
“क्या कह रहे हो अनिकेत – तुम्हेब वहां सब पहचानते है और इस तरह जाओगे तो क्या कहोगे उनसे और क्यों वे तुम्हारी बात पर यकीन करेंगे ?”
“और कोई रास्ता नही है – हमारे पास समय कम है इसलिए जो करना है आज रात ही करना है – अब चाहे जो कोई कुछ भी समझे पर बात पलक के जीवन की है |”
“अनिकेत पर…!”
जॉन को बीच में रोकता हुआ कहता है – “तुम बस एक काम करना जब तक मैं महल नही पहुँच जाता तुम सीसीटीवी कैमरा अनेबल कर देना इससे मैं आसानी से अंदर पहुँच जाऊंगा |”
“मैं भी तुम्हारे संग चलूँगा |” दृढ़ता से कहता हुआ जॉन खड़ा हो जाता है|
जॉन के कंधे पर हाथ रखता अनिकेत उसे शांत करता हुआ कहता है – “अभी मुझे अकेले जाना होगा पर अगर सुबह तक मेरी कोई खबर न आए तो तुम्हें जो ठीक लगे तुम कर सकते हो |”
अनिकेत की बात सुनते जॉन के पास अब कोई चारा नही रहता अब वे दोनों भरोसे से एकदूसरे को देखते रहे|
झलक की बेहोशी से अनामिका उसे अभी छोड़कर जाने को तैयार नही थी जिससे रूद्र भी उसके साथ बना हुआ था| पलक का उसे एक बार भी ख्याल नही आया वह तो बस रोती हुई रूद्र से पूछ रही थी कि क्या झलक के मम्मी पापा को उसकी खबर देनी चाहिए ? इसपर वे उसे समझाते हुए कहता है – “बिना माँ सा पूछे वे उन्हें नही बुला सकते – आप कहती है तो हम फोन पर उनसे पूछ लेते है ये !”
रचित जो अभी भी वही बना था, असल में आज उसके काका सा का डिस्चार्ज होना था और उसी के पेपर वह आराम से बनवा रहा था जैसे वह अभी खुद भी हॉस्पिटल से जाना नही चाहता हो| वह किसी न किसी बहाने से एक चक्कर झलक के वार्ड के लगाता एक सरसरी दृष्टि उसकी ओर दौड़ा लेता और फिर उसी उदासी से वापस नज़र खींचता हुआ आगे बढ़ जाता|
“रचित !!”
रूद्र रचित को वहां से गुजरते हुए देखता उसे टोकता है – “क्या दिग्विजय जी का डिस्चार्ज हो गया ?”
“जी नही – उसी लिए रुका हूँ |” वह नज़रे बचाता हुआ कहता है|
“रचित क्या आप हमे फिर से बताएँगे कि पिछली रात हुआ क्या था झलक के साथ ?”
ये अनामिका थी जो बिफरती हुई रचित से पूछ रही थी| इस एक प्रश्न से रचित की आँखों के सामने जैसे गुजरी रात का एक एक दृश्य फिर से जीवंत हो उठा कि कैसे उसने झलक को महल के ऊपरी हिस्से की ओर जाता हुआ देखा और उसका पीछा करते उसने उसे वहां सुबकते हुए पाया पर कैसे कह दे इस बात को कि क्यों उसने इसे गंभीरता से नही लिया और क्यों उसे उसकी बिखरी हालत पर अकेला छोड़ दिया और तभी ये अनहोनी हो गई जो उसके जीवन का एक मलाल बनकर रह गई है|
“रचित !”
रूद्र की आवाज पर रचित जैसे चौंक जाता है और अपनी तन्द्रा के टूटते वह उससे नज़रे बचाते हुए कहता है –
“जी रात में अकेले ऊपर जाते देखा पर शायद पैर फिसल जाने से वह गिर गई होंगी |”
“पैर तो उनका फिसला – ये तो लग ही रहा है|”
ये शौर्य था जो अचानक वहां आ गया था जिसे अवाक् अब सभी नज़रे देखने लगी थी| शौर्य अब रचित की ओर बिना देखे कहता है – “रात में वह वहां क्यों गई !! किसके लिए गई !! कौन बता सकता है !! पर गिरते ही उसे प्राथमिक उपचार जरुर मिल गया – काफी अलर्टनेस दिखाई तुमने रचित – अपनी शर्ट तक बिना हिचके गँवा दी – मानना पड़ेगा |” अजीब भाव से अब शौर्य रचित के चेहरे की ओर देखता है जो खामोश खड़ा अन्यत्र देख रहा था|
शौर्य का इस तरह बोलना किसी को गंवारा नही गुजरा ये बात सबके हाव भाव में साफ नज़र आ रही थी इससे रूद्र बात का छोर मोड़ते हुए शौर्य की ओर देखता हुआ कहता है – “वैसे शौर्य अभी झलक….|”
रूद्र अपनी बात पूरी भी नही कर पाए और शौर्य बीच में ही बोल उठा – “हमे यहाँ माँ सा ने बुलाया |”
“पर वे तो कबकी यहाँ से जा चुकी है |” रूद्र आगे भी कहना चाहता कि वह झलक को देख तो ले पर शौर्य ने आगे कुछ नहीं सुना और तुरंत ही पलटकर बाहर निकल गया उस वक़्त उसका ऐसा व्यवहार देख सभी आश्चर्य से उसे देखते रहे|
रचित से भी अब वहां और नही रुका गया, उसे अहसास हो रहा था कि सभी झलक और उसे लेकर कुछ गलतफ़हमी बना रहे है जो उसे कतई गंवारा नही था और इस बात को और ज्यादा हवा न मिले इसलिए वह वहां से चला जाना ही सही समझता है| ये बात अलग थी कि इस बात केलिए उसे अपने मन को अति कठोर करना पड़ा| उस वक़्त वहां से जाते और भी बहुत कुछ उसके मन में घुमड़ रहा था जो सिर्फ उसकी आँखों ने देखा था| उसने एक चंचल नही को सहमते दुखी महसूस किया आखिर अचानक एक दिन में ऐसा क्या हो गया कि झलक ने इतना बड़ा कदम उठा लिया हाँ वह अच्छे से जान चुका था कि ये हादसा बिलकुल नही था क्योंकि उससे पहले उसने उसे सुबकते हुए सुना था| ये सोचते उसका मन फिर बेचैन हो उठा कि क्यों नही उसने उसे उस पल रोक लिया ये सोचते सोचते वह मोबाईल में जाकर कैमरा से पीछे के वीडियो देखने लगा जब झलक ऊपर की ओर जा रही थी| ये देखते उसका मन सोच में पड़ गया कि आखिर क्यों किया उसने ऐसा ? उसी पल शौर्य का रुखा व्यव्हार भी उसकी नज़रो में दुबारा कौंध उठा इससे वह ये तो निश्चित हो गया कि उन दोनों के बीच पति पत्नी जैसा कुछ नही है और यही कारण था कि वह अकेली महल में घूमती रहती| क्या यही अकेलापन हमे आपस में मिलाता रहा !! इस एक ख्याल को वह तेजी से अपने दिमाग से झटकता वह पिछले कुछ वीडियो खंगालने लगा और तभी वैजयंती और शौर्य का वीडियो उसकी नज़रो के सामने आया जहाँ महल के किसी सुनसान हिस्से में वे दोनों एक दूसरे के बेहद करीब आते एकदूसरे को चूम रहे थे| उस पल ये देखते रचित का मन गुस्से से भर उठा कि अगर यही इनके लिए रिश्ते की मर्यादा है तो झलक के जीवन के साथ खिलवाड़ क्यों किया ? गुस्से में मुट्ठी भींचता रचित तेजी से हॉस्पिटल से बाहर निकल गया|
रानी साहिबा अकेले अपने कक्ष में अँधेरा किए बैठी थी तभी शारदा वहां आते स्विच ऑन करती है| एकाएक रौशनी होते रानी साहिबा चौंकती हुई कहती है – “बंद करिए रौशनी – हमे अभी ये शूल सी चुभ रही है|” कहती हुई वे बिलख उठी|
शारदा तुरंत स्विच ऑफ़ करती रानी साहिबा के पास भागती हुई आती है| उन्हें इस तरह बिखरा हुआ उसने कभी नही देखा था वह हैरान उसकी बिफरी हालत देखती रह गई|
“राणी सा क्या हुआ आपको – ?” शारदा की कांपती आवाज सिर्फ इतना ही पूछ पाई|
क्या अपना सच कबूल कर पाएगी रानी और क्या होगा झलक के साथ………
क्रमशः
Very very👍👍🤔🤔👍🤔🤔