
एक राज़ अनसुलझी पहेली – 70
डर के जो भाव इस वक़्त जॉन और रूद्र के हाव भाव में उतर आए थे उसे सिर्फ वही समझ रहे थे| अनिकेत को लेकर जॉन की चिंता बहुत बढ़ गई थी पर अब उसे ये समझना था कि आखिर इसके पीछे है कौन !!
“क्या महामाया फिर से आ गई !”
जॉन सोचते हुए बुदबुदाया तो रूद्र भी होंठ भींचे सोचने लगा |
जॉन आगे कहता है – “अगर ये सच है तो ये बहुत बुरा संकेत है – कोई जानता है कि अनिकेत ही उसके रास्ते का रोड़ा है तो क्या उसका इरादा कुछ इससे भी भयावह है |” चौंकते हुए जॉन अब रूद्र की ओर देखता है जो दांत भींचे कहने लगा – “राजगुरु – हाँ वही गायब है इस समय महल से लेकिन वह ये सब क्यों कर रहे है हम भी नही जानते |”
“तो जानने का प्रयास करे आप रूद्र क्योंकि बिना डाइग्नोज के उपचार काम नही करेगा – महामाया को अगर दुबारा जीवित किया गया है तो ये कोई छोटी बात नहीं है|”
“इसका मतलब अब हमे सबको सूचित करना होगा – पता नही उसका ये खेल कहाँ तक फैले !!”
अब दोनों एकदूसरे को हलकान हुए देख रहे थे|
रूद्र और जॉन तुरंत ही हॉस्पिटल की ओर भागते है| अब धीरे धीरे दिन ढलकर शाम होने को आई थी जिससे जैसल की सुनहरी धूप परछाई सी महल के पीछे उतरने लगी थी| हॉस्पिटल में इस समय सभी झलक के आस पास ही थे| अनामिका के बहुत मना करने पर भी पलक और नीतू उसे मनाते हुए खाने को कह रहे थे| वही झलक सबसे विरक्त आंख बंद किए लेटी थी तो वैभव गलियारे में टहल रहे थे| आदर्श बैंच पर बैठा फोन पर शायद शर्लिन से बात करने में मसरूफ था तभी जॉन और रूद्र हडबडाते हुए वहां प्रवेश करते है|
रूद्र को दुबारा सामने देख वैभव की त्योरियां फिर चढ़ गई लेकिन साथ में जॉन को देख वे कुछ सकते में आ गए| इससे पहले कि वे उनसे कुछ पूछते जॉन उनको सारा माजरा कह सुनाता है जिसे सुनते उनके होश ही उड़ जाते है|
“ये – ये सब कैसे – कब हुआ ?”
“अभी कुछ देर पहले – बस आप लोग सावधान रहे क्योंकि ये सही संकेत नही लग रहे – अभी अनिकेत गायब हुआ कही फिर…|”
“अनिकेत गायब हुए – कहाँ गायब हो गए ?” अचानक पलक की आवाज से जॉन की बात अधूरी रह गई क्योंकि वे अपनी हड़बड़ी में देख ही नही पाए कि कब पलक उनके पास आकर खड़ी हो गई|
“आप लोग मेरे आते चुप क्यों हो गए – क्या हुआ है अनिकेत के साथ ?”
सभी पलक की व्यग्रता को समझते अपनी बगले झांकते रहे तब वैभव पलक को सँभालते हुए कहते है – “कुछ नही होगा अनिकेत को – कोई कितना भी मायाजाल फैला ले लेकिन अनिकेत जैसे सच्चे इंसान का कोई बाल भी बांका नही कर पाएगा – ईश्वर है हमारे साथ बेटी |” वैभव पलक को कंधे से पकड़कर अपनी ओर समेटते हुए कहते है|
“हुआ क्या है उनके साथ ?”
पलक की व्यग्रता को देख जॉन फिर से सारा किस्सा कह सुनाता है तब तक आदर्श और नीतू भी वहां आ गए थे| अब सभी के चेहरे पर घोर चिंता की लकीरे स्पष्ट हो आई थी|
“हम इसीलिए यहाँ आए है ताकि आप लोग सावधान रहे |” रूद्र जल्दी से अपनी बात कहता है|
उस पल सभी अपनी अपनी सोच की गहराई में समाते खामोश से हो गए थे तब चिंतित होती नीतू रुंधे गले से पूछती है – “क्या सचमुच अनिकेत अपने घर नही गया !”
नीतू के प्रश्न का उत्तर देने जॉन कहता है – “नही – जब तक यहाँ आ रहे थे मैं उसके घर फोन करके पूछ चुका हूँ – उसके पिताजी स्वस्थ है और उनको उसके बारे में कुछ नही पता इसलिए मैंने भी अनिकेत के गायब होने वाली बात उन्हें नही बताई |”
“ठीक किया जॉन – अब हम ही को सब संभालना है |” जॉन की बात पर वैभव उसकी बात का अनुमोदन करते उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहते है|
“ये सब हो क्या रहा है – अब आगे क्या होगा ?” नीतू डरती हुई फफककर रो पड़ी थी|
आदर्श उनको संभालता हुआ अन्दर चलने को कहता है पर वहां से जाने को उनका मन नही होता|
बाकि सभी परेशान होते अपने में ही सिमटे हुए थे| वैभव परेशानी में अपना माथा मसलते हुए बुदबुदा उठे – “आखिर अनिकेत हो कहाँ सकता है ?”
“ये मैं पता करुँगी |” अचानक से पलक के स्वर से सबका ध्यान उसकी ओर जाता है जो आगे कह रही थी – “जॉन – मैं फिर से लुसिड ड्रीमिंग के जरिए समय के पार जाना चाहती हूँ – मुझे पूरा विश्वास है इस तरह हम अनिकेत तक पहुँच पाएँगे |”
“ये क्या कह रही हो पलक – तुम खुद को खतरे में नही डाल सकती |”
“पापा ये मैं कर सकती हूँ |”
“नहीं नहीं – अगर कुछ भी करने की जरुरत होगी तो मैं करूँगा – तुम्हें मैं अपनी जान खतरे में डालने नही दूंगा – ये तुम अभी नही कर पाओगी |” वैभव उत्तेजित स्वर में कहते है|
तब जॉन सहज भाव से बीच में उन्हें टोकता हुआ कहता है – “ये पलक ही कर सकती है |” सभी जॉन की बात सुन अब हैरान होते उसकी ओर देखने लगे जो कह रहा था – “ये सिर्फ पलक ही कर सकती है और मैं ये शत प्रतिशत कह सकता हूँ |”
“पलक ही क्यों ?” वैभव परेशान होते हुए पूछ उठे|
“हमे लगता है पलक और अनिकेत को हमने मिलाया पर नहीं ये तो नियति की इच्छा थी – उनको मिलाने में सारी होनी पलटती गई क्योंकि ये दोनों साधारण हम जैसे नही है – |”
सभी की हैरान नज़रे जॉन पर टिक सी गई थी|
“और ये मुझे अभी कुछ समय पहले आभास हुआ – तब मुझे इनके साथ बिताया हर पिछला वक़्त याद आया तब मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूँ – जो ये दोनों कर सकते है वो हम सोच भी नहीं सकते –|”
पलक भी हैरानगी से जब जॉन को देखने लगी तो वह हलके से मुस्कराते हुए आगे कहने लगा – “अभी पलक ने भावावेश में आकर अनिकेत को बचाने की बात कही पर ये पूर्णतया सत्य है कि पलक ही अनिकेत तक पहुँच सकती है – पलक को याद नही होगा लेकिन अतीत और भविष्य दोनों तक उसकी पहुँच है – आप इस बात को बस यूँ समझिए कि ये एक ही शक्ति है जो अब तक अलहदा थी जब ये एकाकार होंगी तो कुछ अद्भुत कर गुजरेंगी |”
पलक के हाव भाव अब एकाएक सामान्य हो चले थे जिनमे एक अद्भुत सी दृढ़ता समाहित थी|
“हाँ शायद तुम सही हो – मुझे भी अब इसमें यकीन हो चला है|” वैभव पलक के सर पर हलके से हाथ फिराते हुए कहने लगे|
लेकिन सभी जैसे इस बात को अभी भी समझने में लगे थे तब वैभव आगे कहते है – “तो फिर ठीक है – अब बिना देर किए मैं पलक के साथ अनिकेत की खोज करता हूँ और तब तक आदर्श तुम अपनी बुआ, झलक और अनामिका को लेकर उदयपुर के लिए निकल जाओ – इन्हें सुरक्षित रखने का अब यही तरीका है|”
“नही |” नीतू वैभव की बात का विरोध करती कह उठी – “मैं आपको अकेला छोड़कर कही नही जाउंगी |”
“बात को समझो नीतू – अभी झलक और अनु को तुम्ही संभाल सकती हो इसलिए जिद्द मत करो और अभी कुछ देर में ही उनके साथ निकल जाओ – |”
वे आदर्श की ओर देखते हुए कहते है तो वह हाँ में सर हिलाता हुआ कहता है – “ठीक है फूफा जी – मैं निकलने की तैयारी करता हूँ |”
“ठीक है – पलक को लेकर जबतक आप मेरे रूम में आते है वहां मैं लुसिड ड्रीमिंग की सारी तैयारी करता हूँ –|” मुस्तैद होता जॉन कहता है|
रूद्र जो अब तक सब समझ रहा था वह भी बीच में जल्दी से बोल उठा – “तब तक मैं होटल वाले हिस्से से सारे गेस्ट को हटाता हूँ – ताकि आसानी से हम अपना काम कर सके |”
जॉन इसमें हामी भरता अब बाहर की ओर चल देता है| तो रूद्र खड़े खड़े ही रचित को फोन लगाता है – “रचित – इसी वक़्त होटल के सारे गेस्ट को कैम्प में भेजो – कुछ भी कह दो – बस किसी भी तरह जल्दी से जल्दी होटल खाली करो |”
अभी रूद्र बात करता फोन रख भी नही पाया था कि किसी आवाज के शोर ने उसका ध्यान तेजी से खींचा| ओ ओ की आवाज वार्ड के बगल के गेस्ट रूम से आई थी सभी उस ओर तेजी से भागे| अगले ही पल सबके सामने जो दृश्य था उसे देखते सबके पैरो की जमी ही सरक गई| वहां अनामिका बुरी तरह खाली उबकाई कर रही थी और उसके बगल में बैठी नीतू उसकी पीठ सहलाती उसे संभाल रही थी| उबकाई करते अनामिका अपने मुंह के अन्दर फसी चीज बाहर निकाल रही थी जो बाल थी| सभी हैरान ऑंखें फाडे देखते रह गए कि अनामिका ने अपने मुंह से एक बाल का गुच्छा सा निकाला जिसे देखते घिन्न से वह लगभग बेहोश सी हो गई| रूद्र जल्दी से आगे बढ़कर उसे थाम लेता है|
क्या होगा आगे? जानने के लिए बने रहे यूँही साथ….
.क्रमश
Very very🤔🤔👍👍👍🤔👍🤔