एक राज़ कहानी है आगे की जब जतिन अपनी पत्नी निधि को कुलधरा के श्राप से बचा लेता है ऐसा उसे लगता है पर क्या कोई श्राप इतनी आसानी से पीछा छोड़ता है!!!!….पिछला जानने के लिए पढ़े एक राज़ रूहानी सफ़र का….
एक राज़ अनुगामी कथा सीरीज 2 – 1
लखनऊ विश्वविद्यालय वार्षिकोत्सव के सांस्कृतिक कार्यक्रम के कार्यक्रमों की कतार में अब जो नृत्य प्रस्तुत किया जाना था अब सभी को उसका बेसब्री से इंतजार था| नृत्य के लिए अभी जिन दो लड़कियों का नाम पुकारा गया, ये सुन सब यूँ शांत होकर मंच की ओर अपनी आँख गड़ा देते है मानों समस्त कार्यक्रम की जान वही एक प्रोगाम रहा, संगीत की सुर लहरी के साथ इंडो वेस्टन राग मिक्स धुन मंच से होती चारोंओर फैलती मौजूदा लोगों को अपने पाश में जकड़ती चली गई|
अब मंच पर दोनों लड़कियां अपने अपने स्थान में आती कलात्मकता के साथ वेस्टन मिक्स भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत करती हुई उस एक पल सबको अपने नृत्य से मानों मदहोश कर देती है| नृत्य के बंद होते जैसे एक झटके में तालियों की गडगडाहट के साथ पूरे उल्लास से सभी अपनी दुनिया में वापिस आते है इसी के साथ कार्यक्रम समाप्ति की ओर बढ़ चलता है|
“पलक…|” एक गूंजती हुई आवाज सुन वह नवयौवना झटके से पलटकर आवाज की ओर देखती है| चक चाँद सा दुधिया चेहरा उस ओर अपनी कंची कथई आँखों से देखता उमंग से भर उठता और आवाज की ओर उसके कदम तेज हो जाते है|
“मामी जी|” वह दौड़कर उनके गले में जैसे झूल जाती है|
“पलक – क्या खूब डांस रहा – तूने तो धूम मचा दी स्टेज में |” वह महिला हर्ष से उसका चेहरा अपनी हथेलियों में भरती उसका माथा चूम लेती है|
“ये अकेली नही हम भी थे -|”
आवाज सुन मामी पीछे पलटती गेरुहवें रंगत की दूसरी नवयौवना की ओर देखकर भी अपनी बांह फैला देती है|
“मुझे पता है झलक के बिना पलक अधूरी है |” उसका माथा भी चूमती अब दोनों का हाथ थामती हुई कहती है – “स्टेज में तुम दोनों का साथ तो कलाम का था|”
“पर उससे क्या पापा मम्मी को तो फुर्सत ही नहीं |” झलक रूठती हुई बोली|
“ऐसा नहीं है बेटा – दादी की तबियत ठीक नही थी इसलिए नही आ पाए – |”
“दादी ठीक हो गई थी फिर भी नही आए |”
“पापा को तो बाराबंकी से न निकलने का बहाना चाहिए |”
बारी बारी से दोनों अपनी शिकायत दर्ज कराती है तो मामी मुस्करा देती है – “अरे बस बस पापा परसों आ रहे है – तभी शिकायत कर लेना |”
“क्या या..या..सच !!!” दोनों एक साथ खिलखिला पड़ी|
“हाँ आज नही आ पाए आदर्श उन्हें लिवाते हुए आ रहा है |”
“वाह भईया भी !!”
“पलक झलक .. नमस्ते आंटी ..|” तभी एक दौड़ती आवाज एक साथ पुकारती अब ठीक उनके कंधो पर झूल रही थी|
“खुश रहो बेटा – तुम इनकी बेस्ट फ्रेंड अनामिका हो न !! चलो अब मैं जरा तुम्हारे मामा जी को देखती हूँ – पता नही मुझे ढूंढते ढूंढते पूरा कॉलेज घूम लेंगे |” हंसती हुई वे उनके विपरीत दिशा की ओर निकल जाती है|
“अनु तू कहाँ थी !! कब आई !! तूने डांस देखा हमारा !!”
“अरे बस बस एक साथ इतने सारे सवाल – मैं प्रोग्राम की शुरुआत में आ गई थी और डांस भी देखा – क्या स्टेज तोड़ परफोर्मेंस थी यार – काश मुझे जाना न होता तो पिछली बार की तरह हम तीनों साथ साथ स्टेज में होती |” एक हलकी उदासी उसके चेहरे छा गई जिसे पल में झाड़ती हुई वह फिर से चहकती हुई बोली – “पर तुम्हें सुनाने के लिए एक धाँसू न्यूज है मेरे पास |”
“पलक …तुम लोग यहाँ क्या कर रही हो – चलो – गो बैक इन द स्टेज |”
“ओके मैम |” तीनों एक साथ हाँ में सर हिलाती साथ में स्टेज की तरफ भागती हुई अनामिका की सुनती है – “बाद में बताती हूँ – |”
तीनों खिलखिलाती हुई अब साथ में चल देती है|
प्रोग्राम के बाद दोनों इतनी व्यस्त रही कि होस्टल में डिनर के बाद जाकर उन तीनों को एक साथ बिताने को एकांत मिला| पलक झलक दोनों रूममेट थी तो उन दोनों की ही बेस्ट फ्रेंड अनामिका जिसका उनके रूम से दो रूम छोड़कर रूम था पर रात के सन्नाटे में वो चुपचाप उनके रूम में अपनी गोसिप के लिए चली आती|
अभी भी तीनों एक चादर में घुसी अँधेरे में धीरे धीरे फुसफुसाकर बातें कर रही थी|
“अब बता न क्या मजेदार खबर है तेरे पास !!”
“मेरी शादी तय हो गई |” अनामिका धीरे से उनके कानों में फुसफुसाती हुई बोली तो दोनों एक साथ ख़ुशी के मारे उछल ही पड़ी कि अँधेरे के सन्नाटे को उनकी समवेत हंसी हिला गई|
“शी शी श श |” अनामिका धीरे से उनको शांत करती खुद भी अपना मुंह दाबे हंस पड़ती है|
“इसीलिए तो माँ ने बुलाया था और सुन तुम दोनों को मेरी मंगनी में आना ही है – नही तो |” वह फिर फुसफुसा कर बोली|
“नही तो तू मंगनी नही करेगी !!” धीरे से फुसफुसा कर झलक मुस्कराई|
“नहीं मंगनी तो करुँगी बस तुम दोनों के बिना मज़ा नही आएगा |” कहकर तीनों साथ में अपना अपना मुंह दाबे खिलखिला पड़ी|
“दुष्ट कहीं की हमारे बिना मंगनी कर लेगी तो कर ले |”
“अरे ये नखरा सही जगह दिखाना मुझे नही – समझी|” अबकी पलक के कन्धों पर सर रखती उसका गुलाबी गाल छूती हुई बोली – “अब जल्दी से तैयारी कर लो – जयपुर जाना है |”
“क्या – जयपुर !!!” ये सुनते जैसे पलक झलक के चेहरे से हंसी एक दम से कपूर सी उड़ गई – “तुझे कही और कोई शहर न मिला !!!”
“क्यों इस शहर में क्या दिक्कत है !!” अनामिका त्योरियां चढ़ाए पूछती है|
अबकी पलक और झलक दोनों एक दूसरे का चेहरा देखती हुई एक साथ बोलती है – “सारी दुनिया में राजस्थान छोड़कर तू कहीं भी हमे बुला ले – हम आ जातीं पर …!!”
“क्यों राजस्थान में ऐसा क्या है ?”
अबकी तीनों बुझे चेहरे से एक दूसरे को देखने लगी|
“पापा है इसका कारण -|” पलक धीरे से कहती है – “सारी दुनिया में कहीं भी जाने की बात कर लो पर राजस्थान का तो नाम भी नही सुनना चाहते पापा |” अपने उदास स्वर से बात खत्म कर वह झलक का भी उदास चेहरा देखती हुई कहती है|
“मुझे कुछ नही पता – तुम दोनों को जयपुर चलना ही है |”
“पर कैसे !!!”
“कुछ सोचते है यार – झलक मेरी चाचा चौधरी तेरा दिमाग को कम्प्यूटर से भी तेज चलता है – कुछ सोच न |” अनामिका अबकी झलक के कंधो की ओर झुकती हुई फुसफुसाई|
ये सुनते झलक के चेहरे के भाव ही बदल गए – “हाय कम्प्यूटर की बात न कर – साडे दिल विच कुछ होने लगता है |”
दोनों अब झलक के बदलते सुर सुन अवाक् उसकी ओर देखती हुई बोली – “अब ये क्या चक्कर है !!”
“विक्की सर ….|” झलक धीरे से मुस्कराई तो दोनों उसपर जैसे टूट पड़ी|
“नालायक सर को तो छोड़ दे |” कहकर तीनों एक साथ खिलखिला पड़ी|
“शी शी श श …|”
“चल मंगनी की बाद में सोचेंगे पहले ये बता ट्रीट कब दे रही है ?”
“जब चाहो |”
“तो ठीक कल मूवी प्लस रेस्टोरेंट में लंच |”
“पागल है क्या और जाएँगे बाहर कैसे – कल तो सन्डे है |”
“वो सब तुम लोग झलक पर छोड़ दो |”
तीनों एक साथ सिमटी फिर खिलखिला कर हंस पड़ती है|
………………. क्रमशः कहानी जारी रहेगी