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एक राज़ अनुगामी कथा  – 11

अब तीनों के संज्ञान में वह सुनहरे रंग का डिब्बा था जिसे लाल फीते से बांधकर गिफ्ट का रूप दिया गया था| सामने गिफ्ट देख बेसब्र होती झलक चट से उसका कागज अलग करती उसे खोलने लगती है| डिब्बा खोलकर उसके अन्दर से निकालकर जो उन सबकी नज़रों के सामने रखती है उसे पलक झलक आँखे फाड़े देख रही थी| पर इसके विपरीत अनामिका झट से उस चीज को अपने दोनों हाथों के बीच समेटे समेटे चहक उठी – “वाह ढोलामारू |”

“ढोलामारू !!!” पलक झलक असमंजस में पड़ी अनामिका के हाथ के उस स्टैचू को देख रही थी जो ऊंट पर बैठे किसी स्त्री पुरुष का अति सुसज्जित कलाकृति था|

“अरे ये ढोलामारू है – म्हारे राजस्थान की एक प्रेम कथा की अनमोल धरोहर |”

“वाह – है तो बहुत सुन्दर |” अबकी पलक उसे हाथ में लिए अपनी भरपूर आँखों से देख रही थी| खूबसूरत चटकीले रंगों से बेहतरीन अलंकार, फूल और बेल से सजा इतना आकर्षित लग रहा था कि पलक बहुत देर अपलक उसे निहारती रही|

इधर अनामिका अपनी कहती रही – “पता है राजस्थान में ढोलामारू की प्रेम कथा इतनी प्रचलित है कि वहां की सजावट से लेकर खाने पीने की वस्तु तक में अपना स्थान बनाए है – ढोलामारू नाम से कितने फेमस ब्रांड लेबल है|”

“ओह ग्रेट पर थे कौन ये ?” झलक दिलचस्पी लेती स्टैचू को देखती हुई पूछती है तो अनामिका किसी कथावाचक की तरह बेड पर सीधा बैठती बोलना शुरू कर देती है – “मुझे बहुत ज्यादा तो नही पता पर जितना पता है उतना बताती हूँ – एक राजकुमार ढोला की शादी मारू से हो गई थी वो भी बहुत छुटपन में – फिर किसी वजह से वह उसे भूल बैठा लेकिन जब उसे याद आया तो अपनी मारू को मिलने वह ऊंट पर बैठकर मरुस्थल पार करके उससे मिलने गया तब रास्ते के कष्ट को सहते हुए, लुटेरों से बचते तो कही मरुस्थल के बवंडर से उलझते उलझते जिस मुश्किल से वह अपने घर वापिस आया ये उसी की कहानी है – |”

“ओह वाओ|” झलक दिलचस्पी लेती हुई चहकी| 

“अरे यार किस्से तो बहुत है – बचपन में मेरी दादी जाने क्या क्या किस्से सुनाती थी पर अब कुछ याद नही |” कहती हुई झलक के चेहरे के भाव को समझती हुई अनामिका कहती रही – “तब छोटी थी न – दस साल की थी जब दादी नही रही लेकिन ये दिलचस्प बात है कि माँ सा ने ये अमेजिंग गिफ्ट दिया तुम दोनों को |”

अब दोनों का ध्यान ढोलामारू से होता पलक की ओर जाता है जो अभी भी खोई हुई उसे अपने में समेटे बैठी थी जिसे देख अनामिका चुटकी लेती हुई बोली – “ओए पल्लो लगता है तू भी अपने ढोला संग राजस्थान जाने की तैयारी में है |”

इस बात पर दोनों हँसती हुई उसे हिलाती है जिससे अपनी तन्द्रा के टूटते वापिस आती उन दोनों को अपने सपाट भाव से देखती रही और दोनों पलक की हालत पर हँसती रही| बात समझते पलक उस स्टैचू को बिस्तर पर रखती उससे हटकर बैठती हुई बोली – “तुम दोनों को मैं जोकर दिख रही हूँ – जाओ ले जाओ अपना ये गिफ्ट |”

“ले कैसे जाए – ये तो माँ सा गिफ्ट है तुम्हारे लिए – रखो संभाल के – शायद मेरी शादी में चलने की कोई सूरत ही निकल आए |”

“इम्पोसिबल |” झलक कहती है तो दोनों उसकी ओर देखने लगी – “देखा नही था दिन में पापा तो राजस्थान की बात पर मुझपर यूँ भड़क उठे जैसे पाकिस्तानी ने कश्मीर मांग लिया हो |”

उसकी बात पर सबकी समवेत हँसी छूट गई|

“तू भी न झलक – पर देख कुछ फिर से तिगड़म चला ले लेना न |”

अनामिका के ये कहते पलक के चेहरे पर घबराहट आ गई तो झलक उससे यूँ उछल पड़ी मानों बिजली का झटका लगा हो – “अनु – तेरी मंगनी में तो चल गया पर शादी में – न बाबा – बिना पापा की परमिशन के अब न होगा |”

“फिर मेरी शादी |” अनामिका मुंह बनाती गिडगिडाई|

“जाने दे जैसे हमारे आए बगैर तू शादी नही करेगी |” हौले से उसकी बांह की चुटकी भरती हुई झलक बोली|

“वो तो है पर तुम दोनों के बिना मजा नहीं आएगा|” कहते कहते अनामिका के हाव भाव में शरारत उतर आई – “सोच ले नवल जी भी इंतजार करते होंगे |”

“माय फुट – |” नाम सुनते झलक पर जैसे काली सवार हो गई – “तेरे उस सो कॉल राजकुमार का मैंने सर नही फोड़ा यही गनीमत समझ वरना – वरना मैं ..|” उसकी गुस्से में फूले गाल देख दोनों कसकर हँस पड़ी|

तभी अनामिका सहसा रुक जाती है, वे दोनों देखने लगी कि अनामिका अपना कुर्ता उठाकर लोअर की पॉकेट से कुछ निकालती है जिसे देखते दोनों अपनी अपनी जगह से दो फुट उछल ही पड़ी|

“मोबाईल – वो भी हॉस्टल में – पागल है क्या – किसी ने देख लिया तो !!” डर और दहशत दोनों के चेहरे पर उमड़ आया पर इसके विपरीत अनामिका हौले हौले मुस्करा रही थी|

“अब बात किए बिना रहा ना जाएगा |” एक आंख दबाती अनामिका होठों का किनारा दातों से दबाती है|

“मरेगी तू |”

“क्या करूँ गिफ्ट है तो मना कैसे करती और पता है नवल सा ने दिया है गिफ्ट – मैं मना करना चाहती थी पर रूद्र जी ने कहा कि मैं मना न करूँ |”

ये सुनते झलक का मुंह ऐसा हो गया मानों खाते खाते मुंह में नीम चढ़ा करेला आ गया हो|

“पर रखेगी कहाँ ?” पलक झट से पूछ बैठी|

“तुम दोनों के रूम में क्योंकि मेरी रूम पार्टनर को पता चला तो समझो सारे हॉस्टल को पता चल जाएगा |”

“लो गई भैस पानी में |” अपने सर पर हाथ मारती झलक उसे देखती रही तो अनामिका अपनी बेचारगी निगाह से उसे देख रही थी|

तभी फिर मोबाईल मौन ही झनझना उठा जिससे सबका ध्यान एक ही जगह टिक गया|

अनामिका फोन लिए बेकाबू होती लगभग उछल ही पड़ी – “रूद्र |” बाकि दोनों के चेहरे भी मुस्करा उठे| अब तीनों एक साथ मोबाईल में झुकी अनामिका के सन्देश देख रही थी अनामिका भी पूरी डूबी जवाब में झट झट टाइप करने लगी| अब सब कुछ भूली तीनों मोबाईल में झुकी बीच बीच में मुंह दाबे हँस पड़ती तो कभी अनामिका का चेहरा गुलाबी हो उठता|

तभी उनके कमरे में हलकी दस्तक हुई जिससे उन तीनों का ध्यान एक पल में टूटा| तो अनामिका झट से मोबाईल बंद कर उसमे समय देखती है साधे ग्यारह बज रहा था| ये देख तीनों के पसीने छूट गए कि बातों के सिलसिले में उन्हें समय का ख्याल ही नहीं रहा| साथ ही ये डर भी काबिज हो गया कि कही उनकी आवाज बाहर तो नही चली गई| दस्तक फिर हुई तो तीनों ने एक दूसरे का हाथ थाम लिया और आँखों आँखों में ही एकदूसरे से जैसे पूछा कि अब क्या करे ??

क्रमशः……..

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