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एक राज़  अनुगामी कथा  – 25

पहले जो उत्साह था वो अब डर में बदल गया था| पलक जॉन से मिलकर आने के बाद से थोड़ा डर गई थी ये उसका उतरा चेहरा बता रहा था इस पर उसे समझती झलक उसे ये सब हलके में लेने को कह रही थी|

“छोड़ न – हर ये बात पर फालतू में डर जाती है – अब देख तुझे ही तो अपने सपने जानने थे फिर अब क्या हो गया !!”

झलक उसके सामने आलथी पालथी बैठती हुई कह रही थी – “और करना भी क्या है बस जो तुझे याद आए लिख देना और न भी याद आए तो कुछ भी लिख देना – आखिर तेरा सपना ही तो है उसे पता भी क्या चलेगा |” कहकर झलक अपनी मस्ती में हँस पड़ी ये देख पलक उसको घूरती हुई उठकर चली जाती है|

अब पलक के लिए ये रोज का जरुरी काम बन गया कि जब भी रात में उसकी नींद खुलती तब उसे जो भी याद रहता वह लिख लेती और ऐसा करते कब उसे सात दिन बीत गए उसे पता भी नही चला, इस बीच कभी कभी अनिकेत उसे फोन कर हौसला देता ताकि वह नियमबद्ध बिना डरे ये कर सके| सात दिन बाद वह उस डायरी के साथ फिर अनिकेत से मिली| वे सभी उसी कमरे में मौजूद थे जहाँ पलक, झलक, अनिकेत और जॉन एकदम साधो मुद्रा में एक दूसरे के सामने बैठे थे| जॉन उस डायरी के पन्ने पलट रहा था, हर पन्ने की आवाज के साथ पलक के चेहरे के भाव बदल जाते और अनिकेत उसे उस पल आँखों से भरोसा देता शांत करता मुस्करा देता|

“ये तो एक ही बात सारे पन्ने में रिपीट है |” जॉन एकदम से सर उठाता उसकी ओर देखता हुआ पूछता है|

ये सुन झलक पलक का हाथ दबाती शरारत में मुस्करा देती है उसे लगता है कि पलक ने उसकी बात मानते हुए एक ही सपना कॉपी पेस्ट कर दिया|

लेकिन पलक धीरे से कह रही थी – “हाँ क्योंकि काफी समय से मैं एक ही सपना रोज देख रही हूँ|”

“हूँ |” कहता वह फिर डायरी की ओर झुक जाता है जबकि सबके चेहरों पर अजीब से भाव आ जाते है|

“तो जॉन तुम्हें क्या लगता है ये पढ़कर ?” अनिकेत अबकी पूछता है|

“बहुत रहस्यमय है कुछ भी ठीक ठीक पता नही चल रहा – मैंने अभी तक ऐसा सपना किसी का नही सुना कि इतने लम्बे समय से कोई लगातार एक ही सपना देखे – ये सपना नही कोई संकेत है किसी राज तक पहुँचने का |”

जॉन की बात सुन अब बाकी तीनों के चेहरों की हवाइयां ही उड़ गई वे हैरान उसको सुनते रहे|

“सबको पता है हम अपने चेतन जगत में रहते है और सो जाने की स्थिति में हम अवचेतन से गुजरते जब गहरी नीद में पहुँचते है तो वो हमारी अचेतन की स्थिति होती है जिसका हमे अपने चेतन में कोई अता पता नही होता इसीलिए कई बार सोने से जागने पर हमे कुछ याद नही रहता या याद भी रहता है तो उसे समझ नही पाते पर स्वप्न विज्ञान कहता है कि कोई भी सपना खाली या बेकार नही होता वो कुछ न कुछ संकेत करता है क्योंकि हम सपना इमेज के रूप में देखते है जिसकी सही से डीकोडिंग करनी पड़ती है|”

“तो क्या डीकोडिंग की तुमने ?” अनिकेत जल्दी से पूछता है|

“यही कि इनका राजस्थान से कोई गहरा नाता है |”

जॉन की बात सुन पलक और झलक एकदूसरे का चेहरा देखती चौंक जाती है|

“राजस्थान से !!!”

“हाँ – आप बताए राजस्थान के बारे में |” वह अब सीधा पलक की ओर देखता हुआ पूछता है|

“लेकिन मेरा राजस्थान से कोई सरोकार नही – |”

“तो आप कभी नही गई वहां ?”

“हाँ गई हूँ पर एक बार वो भी सिर्फ एक दिन के लिए अपनी दोस्त की सगाई के लिए |”

“कब ?”

“एक महीने पहले |”

“उससे पहले कभी भी आप या आपके परिवार से कोई गया हो – कुछ तो होगा जो आपको याद नही आ रहा होगा – क्योंकि ये साफ़ संकेत है आपका राजस्थान से कोई तो सम्बन्ध है – अप ठीक से याद करके बताए|”

जॉन के लगातार के प्रश्न से अब पलक परेशान हो चुकी तो झलक उसे कंधे से पकड़ती जॉन की ओर तेजी से देखती हुई बोली – “बोल तो रही है कि कोई सम्बन्ध नही पर आप सुन ही नही रहे इनफैकट हमारे पापा तो राजस्थान का नाम भी सुनना नही चाहते फिर हम क्यों जाएँगे राजस्थान !!”

जिस आक्रोश से झलक ये कह गई उससे जॉन शांत होता अब उसकी ओर देखने लगा मानों अंदर ही अन्दर कुछ गुनने लगा था| उस ख़ामोशी में अनिकेत भी पलक को सहज करता जॉन की ओर देखता कहता है –

“आप परेशान मत हो – जॉन मैं खुद जानता हूँ कि ये जो कह रही है सच है – तुम किसी और एंगल से इसे समझने की कोशिश करो |”

कुछ पल तक माहौल में शांति बनी रही फिर डायरी को झटके से बंद कर पलक की ओर बढ़ाता हुआ वह थोड़े सख्त लहजे में कहता है –

“अब आपको अपना सपना खुद समझना होगा |”

जॉन की बात सुन सभी सकते में आ जाते है कि कही जॉन अब उनकी ओर से हाथ तो नही खींचने वाला जिससे हलकान होता अनिकेत जल्दी से बोलता है –

“जॉन प्लीज़ हमे तुम्हारी मदद की जरुरत है – ऐसे हाथ मत खींचो |”

“मैं हाथ नही खींच रहा सही कह रहा हूँ अब इनको अपना सपना खुद समझना होगा जिसके लिए इनको अपने सपने में उतरना पड़ेगा – अब इन्हें लुसिड ड्रीमिंग करनी होगी – मैं इसके लिए जल्दी तैयार नही होता क्योंकि ये खतरनाक भी होता है – क्योंकि नींद की स्थिति किसी मृत स्थिति जैसी ही होती है अगर जरा भी चूक हुई तो इन्सान अपनी नींद से कभी वापस नही आ पाता – क्या आप तैयार है इसके लिए ?”

जॉन इतने सपाट भाव से हर बात कहता कि सामान्य सा माहौल भी रहस्यमय नज़र आने लगता| पलक ये सुन सहम सी गई| झलक तो सीधा इंकार करती खड़ी हो गई|

“न बाबा हमे नही करनी कोई लुसिड ड्रीमिंग जैसा कुछ – ये सरासर पागलपन लगता है – तो थैंक्यू सो मच आपने जो किया अब हम जा रहे है|”

झलक वाकई बोलकर पलक का हाथ पकडे खड़ी हो गई| अनिकेत उसे टोकता रह गया पर न पलक ही रुकी और न झलक| अब वे तीनो बाहर आ गए, झलक रिक्शा तलाशने लगी|

“आप इतनी जल्दबाजी क्यों कर रही है पहले हम बात को समझ लेते है – |”

“अब और क्या समझेंगे अनिकेत जी – वो सो कॉल आपका दोस्त सीधा सीधा मेरी बहन को मौत के मुंह में भेजने का प्रोग्राम बना रहा है|”

“नहीं झलक जी ऐसा कुछ नही होगा – मैं हूँ न – पहले बात तो समझ लेते है – पलक जी इतने समय से जिस बात के लिए परेशान है उसका हल मिलने का अब यही रास्ता है तो थोडा सब्र रखिए |”

“सब्र उसका पागलपन सुनने के लिए और जो वो कह रहा है वही हुआ तब मेरी बहन कभी नींद से जागी ही नही तो – न बाबा ऐसा कुछ नही कराना – ये तो लेने के देने पड़ने वाली बात होगी |”

“कुछ नही होगा पलक को मैं वादा करता हूँ|” जोश में आता अनिकेत उसके सामने जा खड़ा हुआ|

तो झलक भी अतिरेक भाव में चिल्ला पड़ी – “क्यों क्या आप जाएँगे उसके सपने में ?”

“हाँ जरुरत पड़ी तो वो भी करेंगे |”

ये सुन दोनों अवाक् अनिकेत का चेहरा देखती रह गई, अनिकेत भी जोश में कुछ ज्यादा कह गया या उसके मन की परत उनके सामने खुल गई|

“ओके देखते है पर अभी हमे देर हो रही है तो हमे जाने दीजिए |” कहकर झलक पलक का हाथ पकडे उसे लगभग खींचती हुई अपने साथ सड़क के पार अनिकेत से दूर चल देती है और अनिकेत खामोश खड़ा उन्हें जाता देखता रहा |

क्रमशः…………………….

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