
एक राज़ अनुगामी कथा – 28
जॉन के चेहरे पर के सपाट भाव उस वक़्त कुछ ज्यादा ही भयावह लग रहे थे, जिससे पलक का हौसला डगमगा उठा, वह सूखे होठों को चबाती एकबार अनिकेत की ओर देखती है तो अनिकेत अपनी ऑंखें झपकाता जैसे उसे हौसला देता है| जॉन अपनी बात जारी रखता है –
“ये ऐसी यात्रा है जो हमारी असल दुनिया से बिलकुल भिन्न है क्योंकि ये समय, स्थान और गति के नियमों से प्रभावित नही होती – एक तरह से ये अनंत ब्रह्माण्ड की यात्रा है जो पूरी तरह से अव्यक्त है इसलिए इस अव्यक्त को जानना ही है ड्रीम प्रोग्रामिंग जब आप अपने सपनो को कंट्रोल कर पाएँगी – अपने सपनों को जानने का वैज्ञानिक तरीका है लुसिड ड्रीमिंग |”
“हाँ मैं तैयार हूँ |” सब ध्यान से जॉन की बात सुन रहे थे इसी बीच पलक जल्दी से बोली तो सबका ध्यान उसकी ओर चला गया, झलक अवाक् पलक को देखती रही आज पहली बार उसके हाव भाव में डर समा गया था, उसे पलक की चिंता हो रही थी लेकिन उसकी सपनो को जानने की चेष्ठा के आगे उसका डर धुंधला हो उठा था|
“ठीक है तो आज से ही हम कर सकते है और इसके लिए रात ही उपयुक्त समय है तो वो कैसे संभव होगा – क्या मुझे आपके घर आना होगा ?” कहता हुआ जॉन बारी बारी से तीनों का चेहरा देख डालता है|
इसके विपरीत पलक और झलक तो बिदक उठती है – “नही नही घर नही – क्या दिन में नही हो सकता !!”
“हम सपने की जिस अवस्था में प्रवेश करने की बात कर रहे है वो रात में ही संभव होती है|” अबकी अपनी बात कहता वह अनिकेत की ओर देखता है| अनिकेत भी थोडा उलझा हुआ दिख रहा था|
“हम न घर बुला सकती है न रात में घर से बाहर आ सकती है फिर कैसे संभव होगा ये ?” अबकी जैसे खुद से प्रश्न पूछती झलक पलक की ओर देखती है|
सब चुप होते होंठ भींचे खड़े थे, तब पलक कहती है – “मैं किसी भी कीमत में अपने सपनो को जानना चाहती हूँ तो मैं क्या करूँ ?”
“आपको अपने पापा से बात करनी चाहिए |” अनिकेत सुझाव देता है|
“नही नही – पापा कभी भी राज़ी नही होंगे मुझे पता है – |”
“फिर !!” वे आपस में डिस्कस कर रहे थे और जॉन फिर किसी किताब को खोल कर बैठ गया था|
“इसका मतलब पलक को रात में यही आना पड़ेगा पर ये कैसे होगा ?”
“अगर आप मुझपर विश्वास कर सके तो कुछ कहूँ मैं ?”
संकुचाता हुआ अनिकेत उनकी ओर देखता है तो पलक भी कुछ क्षण तक उसका चेहरा देखती हुई खुद से पूछ उठी कि क्या सच में वह उसपर विश्वास करती है !!
“आप अगर किसी तरह से रात में घर से बाहर आ जाए तो मैं आपको सुरक्षित यहाँ लाने और फिर घर छोड़ने की जिम्मेदारी लेता हूँ अगर आप मुझपर विश्वास कर सके !!”
ये सुन पलक और झलक एकदूसरे की ओर देखती है| फिर जैसे आँखों आँखों में एकदूसरे का साथ का आश्वासन देती है|
“अनिकेत जी आप हमारे लिए इतना कुछ करेंगे उसका थैंक्स और रही विश्वास की बात तो इस वक़्त आपसे विश्वसनीय व्यक्ति कोई नही है मेरे साथ |” पलक धीरे से अपनी बात कहती है|
“दोस्ती में नो थैंक्स नो सॉरी – आप अपना समय बता दीजिए बस |”
अब सब कुछ तय हो गया था, आज रात से ही पलक को यहाँ आना था तो जॉन को उसकी तैयारी करने को बोलकर वे तीनों साथ में बाहर की ओर निकल गए| जॉन के अनुसार पलक को रात के ग्यारह बजे तक यहाँ आना था, ये मुश्किल था पर झलक पलक को भरोसा दिलाती है कि कभी कभी सही काम को भी करने का तरीका थोडा टेढ़ा होता है तो वो उसकी फ़िक्र न करे वह घर पर सब संभल लेगी बस किसी भी तरह से दो बजे तक वह वापस आ जाए| तीनो एकसाथ हाथ मिलाते अब ऐसे मिशन की ओर चले थे जिसका अन्तोगत्वा भलेही नही पता था पर आगाज के लिए वे पूरी तरह से कमर कस चुके थे|
रात खाना खाकर पलक झलक अपने कमरे में सोने चली गई| आज रात ही बाहर निकलना था तो नींद उन दोनों की आँखों में नहीं थी इसलिए वे चुपचाप अपने अगले कदम की तैयारी करने लगी, एक बार को पलक का हौसला डरकर दुबक जाता पर अपने सपनो को जानने की व्यग्रता के आगे आज हर बात बौनी थी| झलक ने उसे ग्यारह बजे किसी तरह से बाहर निकाल दिया जहाँ अनिकेत गली के अंत में अपनी कार के साथ तैयार खड़ा था| जिंदगी में पहली बार पलक एक ऐसा कदम उठा रही थी जहाँ उसे बार बार लग रहा था कि वह अपने मम्मी पापा को कही धोखे में तो नही रख रही पर मन के हाथों वह सच में मजबूर थी| इस वक़्त अनिकेत के अलावा उसे कोई विश्वसनीय नही दिख रहा था|
पलक के आते अनिकेत उसे लिए कुछ ही क्षण में जॉन के उसी घर में पहुँच गए जहाँ जॉन सारी तैयारी कर चुका था| उस कमरे में पहुँचते उन्हें कमरा कुछ अलग दिखा कमरे के बीचों बीच एक सिंगल बैड लगा था जिसे काले परदे से चारोंओर से घेरा गया था, वहां बहुत ही मध्यम रौशनी जल रही थी| ऐसे माहौल को देखती एक बार को पलक डर गई और बदहवासी में अनिकेत का हाथ पकड ली तो अनिकेत ने भी अपने दूसरे हाथ से उसे थामते आँखों से आश्वासन दिया कि भरोसा रखो कुछ नही होगा |
जॉन किसी रॉबर्ट की तरह अपनी बात कह रहा था – “सपनो में जाने से पहले मैं कुछ एक बात और साफ़ साफ़ बता दूँ कि आपको यहाँ बैड पर बहुत ही शांत मन से लेटना होगा – धीरे धीरे आप नींद में आएंगी और जब आप सपनो वाली स्थिति में आएंगी तब उससे पहले एक अलाम बजेगी तब आपको खुदको जगाना है |”
“मतलब !!” दोनों हैरान जॉन को देखने लगे|
“हम नींद की चार स्टेज से गुजरते है पहली जब हम बस लेटते है और सोने के लिए ऑंखें बंद किए पड़े रहते है जिसे लाइट स्लीप कहते है फिर दूसरी में थोड़ी गहरी नींद में पहुँच जाते है जहाँ हमारे ब्रेन की प्रक्रिया धीमी पड़ने लगती है और शरीर का तापमान गिरने लगता है – तीसरी स्टेज में हम डीप स्लीप में पहुँचते है जिसमे हम शारीरिक रूप से रिलैक्स करने लगते है यही से जब हमारा मस्तिष्क आरइएम की स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ हमारे मष्तिष्क की अचेतन परत खुलने लगती है यही हमारे नब्बे मिनट का एक साइकल पूरा होता है और पूरी रात हम ऐसे चार से पांच साइकल पूरे करते है इसीलिए आज रात हम एक साइकल से आपके सपने को समझने में आपकी मदद करेंगे |”
पूरी बात समझा देने के बाद वे आगे की प्रक्रिया जल्दी ही शुरू करते है, जिसके लिए पलक को उस बैड पर लेटना था, पलक कुछ हिचकिचाती हुई लेट जाती है अब जॉन उससे शांत मन से ऑंखें बंद करने को कहता है –
“आप आराम से ऑंखें बंद करते हुए गहरी लम्बी सांस ले – नाक से गहरी गहरी साँस खींचे और नाक से ही गहरी गहरी सांस छोड़े – धीरे धीरे अपना सारा ध्यान अपनी साँसों पर लगाए – इस तरह महसूस करे कि आप वातावरण से सकारात्मकता को खींचती हुई नकारात्मक उर्जा को बाहर निकाल रही है |” जॉन लेटी हुई पलक के पास खड़ा यूँही बोलता हुआ अपनी आवाज धीमी करता रहता है फिर एक स्थिति ऐसी आती है जब पलक बिना हिले लेटी रहती है और जॉन चुप हो जाता है| अनिकेत परदे के पीछे खड़ा उसी की ओर अपना ध्यान लगाए था| जॉन भी लगातार अपना सारा ध्यान पलक के चेहरे की ओर लगाए था, धीरे धीरे एक घंटा बीच जाता है लेकिन जॉन अभी भी पलक के चेहरे को घूर रहा था| फिर कुछ मिनट बाद वह अपने हाथ में पकड़ी एक आलम क्लॉक को उसके कानों के पास रख देता है जो कुछ मिनट बाद बजने लगती है| अलाम लगातार बज रही थी और पलक लेटी शांत पड़ी रही, अलाम बजती रही पर पलक में कोई भी हलचल नही हुई, ये देख अनिकेत जॉन के पास दौड़ता हुआ आता उसके कानों के पास धीरे से फुसफुसाता हुआ पूछता है –
“कोई समस्या है जॉन – क्या पलक को उठना चाहिए था !!”
जॉन दांतों से अपना होंठ दबाता पलक से नज़र हटाकर अनिकेत की ओर देखता हुआ कहता है – “हाँ उठना तो चाहिए |”
“तो क्या हिलाकर नही जगा सकते !!”
“नही बिलकुल नही – अभी इसकी आत्मा इसका शरीर छोड़कर कही विचरण कर रही है – अगर अचानक से जगा दिया तो कुछ भी गलत हो सकता है – |”
“मतलब !!”
“गहरी नींद में जब शरीर अपने चौथे स्टेज तक पहुँचता है तब शरीर पैरालाईज हो जाता है – एक तरह से समझ लो मृत इन्सान की तरह क्योंकि आत्मा शरीर से बाहर कही होती है – हो सकता है धरती पर या स्पेस में कही भी तब स्वतः जागना जरुरी है नहीं तो हार्ट अटैक से मृत्यु हो सकती है |”
“तब हमे अब क्या करना चाहिए ?”
“इंतज़ार |” कहता जॉन चुप होता घड़ी की ओर देखता रहा जहाँ लगभग नब्बे मिनट पूरे होने वाले थे|
पलक के उठने का इंतज़ार करते दोनों के चेहरे पर असीम तनाव मौजूद था पर उनका सारा ध्यान अभी भी पलक के चेहरे पर लगा था|
डेढ़ बजते बजते अचानक पलक आँख खोलती है, वे दोनों उसके पास जाते है, पसीने से तर पलक की साँसे लगातार तेज थी, वह उठकर बैठ जाती है और विस्मित आँखों से उन दोनों को देखने लगती है| ये देख अनिकेत कुछ बोलता उसके पास जाने लगता है तो जॉन उसे इशारे से चुप रहने का संकेत करता पलक की ओर कोई कागज बढ़ाता उसे लिखने को कहता है|
पलक किसी तरह अपनी उफनती साँसों पर नियंत्रण करती उसकी ओर देखती पेन उठाकर लिखने लगती है| कागज जॉन ने पहले से तैयार रखा था जिसमे कुछ कॉलम बने थे और पलक को उसी में कुछ उत्तर के रूप में लिखना था, अगले दस मिनट तक लिखने के बाद पलक कागज उसकी ओर बढ़ाती बैड से पैर नीचे कर बैठ जाती है अब देखकर लग रहा था कि वह अपनी स्थिति पर काबू पा चुकी थी तो अनिकेत उसके पास आता पूछ रहा था –
“अब ठीक है आप ?”
पलक बस मौन हाँ में सर हिला कर घडी में समय देखती हुई फिर परेशान हो उठती है|
जॉन हाथ में कागज पकडे पकडे कह रहा था – “अब आप चाहे तो घर जा सकती है |”
“ठीक है – चलिए मैं आपको घर छोड़ देता हूँ – |” पलक अनिकेत के साथ बाहर निकल जाती है| चारोंओर रात का भयावह अँधेरा पसरा पड़ा था, उसी एकांत में वे चुपचाप कार में बैठते निकल गए| पलक को सही सलामत घर की ओर विदा करता अनिकेत कह रहा था – “आप फ़िक्र न करे – मैं जॉन से पूछता हूँ कि आज का क्या हुआ – आप बस आराम से घर जाए |”
पलक भी जैसे जबरन मुस्कान छोड़ती घर के अंदर चल देती है| झलक ने उसके लिए घर का मुख्य दरवाजा उड़का कर रखा था| जब तक पलक घर के अंदर नही चली गई अनिकेत वही खड़ा रहा फिर उसके जाते वह भी वापस चला गया|
अगले दिन अनिकेत फोन पर उसे बता रहा था कि कल भी उसने वही लिखा जो पिछले सपने में लिखा था उसे कोई ख़ास जानकारी नही मिली| ये सुन पलक जॉन से मिलने आई जो उन्हें बता रहा था –
“लुसिड ड्रीम इतना आसान भी नहीं – मुझे खुद अपना पहला लुसिड ड्रीम पाने में एक महीना का समय लग गया था |”
“तो क्या मुझे इतना इंतज़ार करना होगा ?”
“नही ये सब पर एक सा काम नही करता – हो सकता है अगले तीसरे चौथे में आप अपना पहला लुसिड ड्रीम पा ले |”
“तो अब आगे क्या करना होगा ?” पलक परेशान सी उसकी ओर देख रही थी|
“मुझे एक चीज समझ नही आई आप अलाम पर क्यों नही जगी – इतनी गहरी नींद भी नही थी क्योंकि आपकी आँखों का मूवमेंट हो रहा था पर खैर मैं कुछ और चीज आपको बता रहा हूँ उसका आप ध्यान रखे क्योंकि जब तक आप अपने गहरी नींद से नही जागेगी मैं सपना नही समझ पाउँगा|”
“फिर !!” अब अनिकेत प्रश्नात्मक मुद्रा में उसकी ओर देख रहा था|
“आपको दिन भर रियल्टी चेक करनी होगी क्योंकि हो न हो सपने में आप रियल्टी की तरह विचरण कर रही थी इसलिए नही जगी – आपको करना क्या है कि पूरे दिन में पाच से सात बार खुद को अपनी जागी अवस्था में बताना होगा कि ये हकीकत है सपना नही – ये आप घडी देखती हुई करे तो ज्यादा अच्छा होगा साथ ही कोई अफ़िर्मेशन सेन्टेंस याद रखना होगा – जैसे मान ले आप रेत पर पैर रखे है सपने पर लेकिन हकीकत में आप जमी पर है तो जमीं पर पैर पटकती बता सकती है कि ये हकीकत है सपना नही इससे क्या होगा जब आप सपना देख रही होगी तो उसे डिफरेंटशियेट कर पाएंगी – देखिए आपको कुल मिलाकर खुद को सपने और हकीकत से अलग करना है और आधी नींद से जागना ही होगा क्योंकि ये सपने किसी पैटर्न की ओर संकेत कर रहे है बस इसे समझने उसी वक़्त आपको वो बताना है जो पूरी तरह से जागने पर आप भूल जाती है – |”
“मैं कुछ नही भूलती – मुझे सपना अच्छे से याद रहता है |”
“ये आपको लगता है पर कुछ तो ऐसा है जिसे जागने से पहले देखा होता है उसे ही समझना है और ये तभी होगा जब आधी नींद आपको जाग कर बताना होगा – ये अचेतन मन की भाषा है इतनी भी आसान नही है |”
पलक चुप होती अब चुपचाप बाहर निकल जाती है अनिकेत के साथ चलती पलक के कानों में अभी भी जॉन के शब्द गूंज रहे थे –‘एक महीना….|’
“क्या इतना समय लग जाएगा ?” एक दम से परेशान पलक अनिकेत की ओर देखती हुई पूछती है|
“कोई बात है जितना भी समय लगे – मैं आपके साथ हूँ – डोंट वरी – वैसे एक बात बताऊँ आपको मेडिटेशन करना चाहिए इससे आप खुद पर अच्छे से नियंत्रण कर पाएंगी |”
वे साथ साथ चलते बात करते रहे|
“मुझे तो अब ऐसा डर लगने लगा है कि आंख बंद करते घबराहट होने लगती है|”
“घबराने की जरुरत नही है – मुझे भी पहले ये सब अजीब लगा क्योंकि जॉन की रिसर्च में बारे में सुना तो था पर देखा नही था और आज ये सब देखने के बाद लगा कि ये सब तो मैं पहले से ही जानता हूँ – असल में योग निद्रा से भी हम अपने अचेतन मन की गिरह खोल सकते है – ये विज्ञान होगा पर अध्यात्मिक है मेरी नज़र में – सदियों पहले से ही मोंक इसी प्रक्रिया से खुद को विपरीत परिस्थिति में भी सहज रखा करते थे|”
“मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा अब तो डर लग रहा है – काश मेरी जगह कोई और मेरे सपने में जा सकता |”
“जरुरत पड़ी तो मैं जाऊंगा |”
अचानक अनिकेत के ये कहते पलक ठहरकर उसकी ओर देखती है जहाँ कोई अनजानी मुस्कान उसके होंठों पर ठहरी थी| क्रमशः……………………………