
एक राज़ अनुगामी कथा – 30
माँ का एक मन बाहर के कमरे की ओर लगा था तो दूसरा पलक और झलक को समझाने में, तब से हर एक चीज को वे कई बार बता चुकी थी जिससे उबते आखिर पलक बोल ही पड़ी – “माँ डोंट वरी हम सब मैनेज कर लेंगी आखिर हॉस्टल में भी तो हम आपके बिना ही तो सब मैनेज करती है – आप तो बस ये बताईए कि क्या क्या सामान रखना है !”
“कुछ भी रख दो बस एक दो दिन की बात है – मेरा तो दिमाग ही काम नही कर रहा |” माँ परेशान हालत में अपना सर पकडे वही बैठ गई|
“माँ उदयपुर तो राजस्थान में है न फिर पापा वहां कैसे जा रहे है – क्या सच में पापा पहली बार राजस्थान जा रहे है !” तब से बैठी बैठी सारी तैयारी होते देखती झलक अचानक ये पूछती है तो सबके चेहरे उसकी ओर तने रह जाते है|
“झलक क्या तुम्हें पता नहीं कि हम कैसे हालात में जा रहे है !”
“पता है माँ इसीलिए तो पूछ रही हूँ कि अगर पापा किसी बहुत जरुरी कारण से जा सकते है तो वे हम दोनों के लिए इतने पटीक्युलर क्यों है – आप खुद सोचिए वे जितना राजस्थान से दूर जाने को कहते है हालात और उन्हें पास ले आते है – आदर्श भईया तो लखनऊ गए थे फिर क्यों अचानक उदयपुर चले गए और ऐसे गए कि आज आप सबको वहां जाना पड़ रहा है –!”
झलक के शब्द माँ को अंतरस विचलित कर गए, उस पल उनके मन में जैसे कोई मंथन शुरू हो गया पर हालात ऐसे थे कि उनसे कुछ कहा नही गया, उनको खामोश देख पलक बोल उठी –
“झलक क्या बोल रही है – वक़्त देखकर तो बात किया करो |”
“लेकिन ..|”
“चुप करो झलक |” पलक उस पर सख्त होती उसे चुप कराने लगती है| माँ उनको उलझता देख चुपचाप वहां से उठकर चली जाती है| उनको जाते देख पलक झलक को समझाती हुई कहने लगी – “तुम्हे इस तरह बात नही करनी चाहिए वो भी ऐसे वक़्त जब सब परेशान है – मैं समझती हूँ कि तुम मेरी वजह से परेशान हो पर समय तो देखो !”
“तुम बस यही बोलती रहो पर अब वक़्त आ गया है कि पापा को सच बताना पड़ेगा नही तो हम ऐसे ही झेलते रहेंगे और कभी हमारे साथ भी यही हुआ तो क्या तब भी पापा यूँही राजस्थान आएँगे !!”
झलक के आक्रोशित शब्द पलक को खामोश कर गए जिससे चुपचाप वे दोनों एकदूसरे को देखती रह गई|
रात से कब सुबह हुई सबकी आँखों को अच्छे से पता था सुबह होने तक घर में इतने लोग होने के बाद भी ऐसी नीरव ख़ामोशी थी मानों तूफान का आगाज हो| वे सब उदयपुर जाने के लिए तैयार थे पर रात से ट्रेन की बुकिंग में लगे होने के बाद भी जब कोई रिजर्वेशन नही मिला तो सबने रोड के रस्ते जाने का तय किया| जबकि रोड के रास्ते उन्हें अठाहरा घंटे का समय लगने वाला था पर इसके सिवा अब उनके पास कोई चारा ही नही था| जाने के लिए अपनी निजी गाड़ी से जाने के बजाये वे एक क्वालिस को बुक करते है ताकि रास्ता बिना तकलीफ के कट सके|
सब घर के बाहर सामान रखकर निकलने को तैयार थे, पलक झलक गेट पर खड़ी उनको विदा कर रही थी तब झलक माँ से माफ़ी मांगती उनके गले लग जाती है| वे भी सब जानती समझती थी लेकिन उनके बस में था ही क्या वे बस प्यार से उसके सर पर हाथ फेरती धीरे से कहती है –“सब चीजो का वक़्त होता है और जिस दिन वक़्त आएगा सब उसी के अनुकूल भी हो जाएगा |” फिर पलक के सर पर भी हाथ फेरती उन्हें अपना ख्याल रखने को बोलकर वे उन दोनों से विदा लेती है| पापा भी अपनी लाडलियों को अपना ख्याल रखने को बोलकर गाडी में बैठ जाते है| ऐसा पहली बार हुआ कि वे उन दोनों को दो तीन दिन के लिए अकेला छोड़कर जा रहे थे पर वक़्त की मज़बूरी के आगे वे क्या करते !! इसलिए उनके जाते हिम्मत से मुस्करा कर उनको विदा कर वे दोनों अब फूट कर रो पड़ी तब एकदूसरे को संभालती हौसला देती वे घर में आ जाती है|
अनिकेत के फोन आते पलक को याद आता है कि अपने सपने के बारे में तो उसने पूछा ही नहीं और इसके लिए उसे जॉन से मिलने जाना होगा पर ये सुनते झलक ने उसे जाने से मना कर दिया|
“बकवास है सब – मुझे इन सबपर बिलकुल विश्वास नही और ये तुम्हारे जो पंडित जी है मुझे बिलकुल ठीक नही लगते – फालतू के चक्कर में तुझे फसा दिया |”
“नही झल्लो बात तो सुन – बस आज एक बार मिल आने दे फिर पक्का नही जाउंगी वहां |”
“पक्का न !”
“हाँ पक्का |”
“ठीक है जा – जल्दी आना |”
पलक तुरंत ही बाहर निकल गई जहाँ अनिकेत उसका इंतजार कर रहा था| फिर जल्दी ही वे दोनों जॉन के सामने थे जहाँ उन दोनों के हाव भाव में अति जिज्ञासा के भाव थे|
जॉन पलक द्वारा लिखित पन्ने को उसके सामने रखता हुआ कह रहा था – “आप जानना चाहती है कि आपने क्या लिखा है ?”
पलक बेसब्र होती हाँ में सर हिलाती पन्ने को लेती उसे देखने लगती है|
“ये !! विश्वास नही होता ये मैंने लिखा है – कुछ भी समझ नही आ रहा |” विस्मय भाव से वह अभी भी उस पन्ने को देख रही थी|
“मैंने पढ़ लिया है – मैं आपको बताता हूँ – सपने उस तरह से नही आते जिस तरह से हम हकीकत का जीवन जीते है वे टुकड़ा टुकड़ा हिस्सा होते है, कुछ संकेत कुछ सिम्बल होते है जिन्हें जोड़कर उन सपनो के अर्थ को समझा जा सकता है|” वे दोनों अतिशय भाव से बिना टोके उसे सुनते रहे| वह कह रहा था – “जैसा कि आपने पहले बताया था कि आप खुद को किसी अनजान जगह महसूस करती है जहाँ कोई परछाई सी आपका पीछा करती है जिसे कभी कभी नींद से जागने पर भी आपने अपने आस पास महसूस किया है जिससे बेहद डर लगता है आपको|” इस पर पलक सिर्फ हाँ में सर हिला देती है|
जॉन उस पन्ने के बचे हिस्से पर पेन से कुछ लकीरे खींचता हुआ बता रहा था – “ये देखी ये बड़ा सर्कल और इसके बीच ये बिंदु – समझिये आपका सपना ये बड़ा सर्कल है और ये बिंदु वो हिस्सा है जो रोज देखते आपको याद रहता था लेकिन लुसिड ड्रीमिंग से हम पूरे सर्कल को जान पाते है – |”
“तो क्या जाना जॉन ये बताओ ?” अबकी हैरान होता अनिकेत पूछ बैठता है|
“हाँ वही बता रहा हूँ – ये टीले, दलदली जमीं,रुखी हवा में बिखरे कण सब संकेत करते है कि ये स्थान राजस्थान है पर अभी ठीक तरह से पता नही चल रहा कि कौन सा लेकिन ये तय है कि ये पूरा सपना राजस्थान के रेतीले हिस्से का है जो जोधपुर, बाडमेर या जैसलमेर हो सकता है – ये टूटे पुराने घर भी है – अब ऐसा स्थान कौन सा होगा – क्या ऐसी किसी जगह आप गई है ?”
“नही कभी नही |”
“ठीक है – फिर कुछ और संकेत है जैसे बंद घडी जो समय के बहुत पीछे जाना बता रही है – रेत पर बहुत सारे पैर के निशान जो किसी भीड़ के वहां होने का संकेत है साथ ही कोई औरत है जो तुम्हारे पीछे है – उसके बारे में जयादा कुछ नही लिखा पर वह बड़ी चुन्नी से अपना सर ढके है – उसके हाथ में कुछ है जिसे ठीक से नही लिखा – कुल मिलाकर सारे संकेत राजस्थान के उस हिस्से की ओर संकेत करते है जहाँ रेत के साथ पुराने घर है और कोई औरत भी |”
“बस यही पता चला !!”
“हाँ अगर एक बार और लुसिड ड्रीमिंग की तो हो सकता है बाकि भी पता चल जाए |”
ये सुन पलक अनिकेत का चेहरा देखती न में सर हिलाती उठती हुई कहती है – “थैंक्यू आपका जो इतना पता करने में आपने मेरी सहायता की पर अब मुझे और लुसिड ड्रीमिंग नही करनी – चलती हूँ |”
कहकर पलक तुरंत बाहर चल देती है अनिकेत उसे रोकने का प्रयास करता बाहर तक आ जाता है|
“क्या हुआ पलक – इतना दूर आने के बाद वापसी क्यों !! आखिर आप जानना चाहती थी न ये सब !”
“जी अनिकेत जी पर कुछ व्यक्तिगत मज़बूरी है मैं नही आ पाऊँगी |”
“तो कुछ और सोचते है बस एक बार और प्रयास कर लेना चाहिए आपको |”
ये सुन पलक रूककर उसके चेहरे की ओर देखती है पर बिना कुछ कहे बाहर निकल जाती है|
क्रमशः……………………..
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