
एक राज़ अनुगामी कथा – 35
अजीब सी कशमकश थी पलक के मन में वो चेहरा याद भी नहीं आ रहा जो उसके लिए इतना जाना पहचाना सा है जिससे हर पल उसके प्रश्न सुलझने के बजाये उलझते ही जा रहे थे| वह राजस्थान आकर भी बेचैन बनी हुई थी जबकि झलक अपनी मस्ती में शादी की तैयारीयों में अनामिका के पास थी| इसी उलझन में पलक बगीचे के किसी कोने की बैंच पर बैठी हवेली की परछाई उतरती हुई देख रही थी| हाथ में मोबाईल लिए वह सोच ही रही थी कि किसे आखिर अपने मन की उलझन बताए तभी स्क्रीन में अनिकेत का नंबर चमक उठा, जिसे देखते उस पल उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई|
अनामिका उसे किसी बड़े कमरे में लाती शादी में आए जेवर, कपड़े और सौन्दर्य प्रसाधन दिखा रही थी जिसे आंखे फाडे वह देखती रह गई| उस पल लगा जैसे जेवरों के नग की चमक से ही कमरा गुलजार है, रंग बिरंगे परिधानों और जाने कितने ब्रांड के कॉस्मेटिक थे वहां, एक पल को लगा वह किसी ब्रांडेड दुकान में खड़ी है जहाँ हर तरह के ब्रांडेड कॉस्मेटिक मौजूद थे| जिसे आँखें फाड़े वह देख रही थी वो इस राजवंश की शान थी| अनामिका अब उसे अपने कमरे में ले जाकर टैब में पूरे राजवंश से परिचय करा रही थी|
“ये है बड़ी दादी सासु सा और इधर है छोटी दादी सासु सा – इस तस्वीर में ये है मेरी सासु माँ मतलब रूद्र जी की माँ और अभी के राजा जी की पहली पत्नी – और इसमें छोटी रानी सासु सा है मतलब नवल जी और शौर्य जी की माँ जिनसे तुम्हे मिलवाया था..|”
याद कराती हुई वह तस्वीरे स्क्रोल करती रही पर झलक उलझती हुई बोल उठी –
“बाप रे कितना घपच है….तू सब याद कैसे रखती है – मतलब की एक तरह से देखा जाए हर राजा की दो पत्नी !!”
“हाँ – क्या करे याद तो रखना पड़ेगा – अब यही इतफाक होगा यहाँ का..जब पहली रानी नही रही तो दूसरी शादी कर ली..|”
“देख लेना कहीं रूद्र जी भी अपने राजवंश में न चले जाए |”
“हट्ट…ऐसा थोड़े ही होगा |”
झलक की हँसी पर अनामिका मुंह फुला ली तो झलक उसके लिपटती हुई बोल पड़ी – “हाँ मेरी प्यारी रानी साहिबा – तुम सदा रूद्र जी की रहोगी |”
इससे दोनों खिलखिला कर हँस रही थी कि तभी कोई अनजान नंबर अनामिका के मोबाईल की स्क्रीन में चमका इससे पहले कि वह मोबाईल की ओर ध्यान देती कमरे में रानी माँ सा की ख़ास सेविका शारदा काकी सा और सेविकाओ के साथ आती कहने लगी – “अरे हुकुम आप को रस्म के लिए चलना है – रानी सा आपका वहीँ इंतजार कर रही है |”
ये सुनती मोबाईल बंद कर अनामिका हडबडा गई|
“ओह मैं तो भूल बैठी – क्या मुझे तैयार होना है !!”
वे अनामिका के पास आती बंधे हाथ से खड़ी होती कह रही थी – “आप बस चलिए – अब आपको खुद से कुछ भी करने की जरुरत नही है – सबके लिए हम सब है न – आप भी चलिए |” अबकी झलक की ओर देखती हुई कहती है तो दोनों उनके साथ साथ चल देती है| मोबाईल फिर अनजान नंबर के साथ चमका तो अबकी शारदा स्क्रीन का नंबर गौर से देखती हुई अनामिका को फोन उठाने से मना करती एक सेविका की ओर इशारा करती है जिससे वह कोई खाली थाल लिए अनामिका की ओर आती थाल उसकी ओर आगे करती है जिससे वह अपना मोबाईल उसमे रख देती है|
पलक अनिकेत की राजस्थान आने की बात सुन खुश होती हुई बोली – “क्या सच में !!”
“हाँ आपकी वजह से ही मुझे निमंत्रण मिला है रूद्र जी की ओर से और इस वक़्त मैं भी सोनार हवेली का मेहमान हूँ |”
आखिर इतनी बड़ी हवेली जाने किसे किसे अपने अन्दर छुपाए है ये सोच पलक मुस्करा उठी|
वैभव और नीतू बेटियों के जाने से उदास और अकेलापन महसूस कर रहे थे, नीतू वैभव के चेहरे की बेचैनी पढ़ती हुई बोल उठी – “जब आपका बेटियों के बिना मन नही लग रहा तो साथ में क्यों नही चले गए –|”
“रहने दो – अगर चला जाता तो कहती कि उन्हें मनमुताबिक आजादी नही देता |”
“बस बस रहने दो – तो चले !!”
“कहाँ ?”
“अब बस रहने दो – जैसलमेर और कहाँ – लगता है इतिहास खुद को एकबार फिर दोहरा रहा है – याद है न हम सब उदयपुर ही रहते थे और दीदी जीजू हनीमून के लिए जैसलमेर गए थे और जिंदगी वही से ऐसी मोड़ ली कि राजस्थान के साथ हमारा डर जुड़ गया|” कहती हुई नीतू वैभव के चेहरे की ओर देखती है जहाँ अब कुछ बदलने लगा था – “पर मेरा मन कहता है कि अब कुछ बुरा नही होगा |” कहती हुई वह विश्वास से वैभव का हाथ थाम लेती है|
अनामिका किसी रानी की तरह सेविकाओ से घिरी थी, उसे इंच भर भी हिलने की जरुरत नही थी, कोई सेविका उसके धुले बाल सजा रही थी तो कोई पैरों में पाजेब चढ़ा रही थी तो कोई उसको चोली पहना कर उसकी डोरी बांध रही थी, झलक हतप्रभ सब देखती रही|
छोटी रानी जब सब मुआयना करने आई तो सब उनकी ओर सर झुकाकर खड़ी हो गई, महिला संगीत कार्यक्रम के लिए अब धीरे धीरे और स्त्रियाँ वहां इकट्ठी होने गई, अनामिका के परिवार की ओर से आई स्त्रियाँ और राजघराने की स्त्रियाँ में अच्छा खासा अंतर दिखाई दे रहा था, जबकि अनामिका उच्च मध्यम वर्ग से आई थी और उसके माता पिता ने खुद को उनके समतुल्य दिखाने में अपना सारा जोड़ा समेटा लगा दिया था फिर भी उनका राजवंश से अंतर साफ़ मालूम पड़ रहा था| उनके रिश्तेदार आपस में कानाफूसी भी करते कि आखिर कैसे अनामिका को इतना बड़ा घराना मिल गया, ये सहज जलन भाव था जो उनके मुस्कराते हुए चेहरे के पीछे से भी उनकी फटी आँखों से झलक ही जाता|
छोटी रानी की मुंहलगी शारदा अन्दर की सारी खबरे रानी को देदेती, अभी किसी एकांत में वह यही बता रही थी जिसपर वे अपनी गहरी मुस्कान से मुस्कराती हुई कहती है – “ये तो उनकी खुशकिस्मती है कि अब से उनका नाम इस राजवंश से जुड़ने जा रहा है|” फिर शारदा उस अनजान फोन की बात ज्योंही बताती है उससे एकाएक उनकी भ्रकुटी चढ़ जाती है – “उसकी इतनी हिम्मत कि हमारी बीन्दणी को फोन मिलाया – अब तो हमारा उसको माफ़ करने का सवाल ही नहीं उठता – आपने सही किया अगर सही समय पर मोबाईल न लिया होता तो सारा किया धरा चौपट हो जाता और हमारा मान धरा का धरा रह जाता –|”
“हुकुम राजवंश के मान के लिए बलि चढ़ जाना ही सच्ची राजसेवा है और भला होनी को कौन टाल सका है |”
“हाँ हो सकता है ये रिवाज यही टूट जाए कि इस राजवंश में पहली रानी काल की ग्रास बन जाती है और राज दूसरी रानी करती है – हमने तो अनामिका की तकदीर बना दी – अगर वे इस रिवाज की भेंट भी चढ़ गई तो भी तो सदा बड़ी रानी की कहलाएंगी और राज करने वाली छोटी रानी छोटी ही कहलाती रहेगी..|” कहते हुए छोटी रानी माँ के चेहरे पर गहरा तनाव छा गया|
शारदा अब सर झुका कर वहां से जा चुकी थी|
दोपहर के भोजन के समय नवल और शौर्य अनिकेत के साथ पलक और झलक के साथ बैठे थे| नवल अपनी घूमती निगाह से बीच बीच में पलक को देख लेता, हमेशा की तरह अपनी शायरी सुनाकर सबको मदहोश कर दिया और ढेरों वाह वाह लूट ली| फिर साथ में उन सबको हवेली दिखाने का मन बनाते वे हवेली घुमाने लगे, अभी वे हवेली का आधा हिस्सा भी नही घूम पाए कि पलक झलक थक कर चूर हो गई तो बाहर की ओर बने फुव्वारे के पास के हरे भरे दालान में आकर बैठ गए, तभी झलक ये देख चौंक पड़ी कि शौर्य एक शानदार घोड़े पर बैठे दालान तक आ गए| झलक उस अरबी घोड़े की शान देखती रह गई तो शौर्य उसे अपने साथ चलने का निमंत्रण देता है, ये देख पलक के न में इशारा करने पर भी झलक शौर्य के साथ चल देती है| पलक को और हवेली देखने से ज्यादा अपने उद्देश्य पर ध्यान था वह कुलधरा जाना चाहती थी, अनिकेत जानता था पर नवल को अजीब लगा कि जैसल की हवेलियाँ घूमने के बजाये वह कोई खंडहर क्यों घूमना चाहती है !! फिर सब मिलकर साथ में कुलधरा जाने का और रात सैंड ड्यून में बिताने का प्रोग्राम बनाते है| क्रमशः………………….
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