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एक राज़  अनुगामी कथा  – 37

अजीब सी अनुभूति थी जो पलक को उस पल हुई, वह कुछ समझ नही पाई बस घबराकर अपने चारोंओर देखने लगी तब उस क्षण एक स्पर्श से उसका ध्यान अपने सामने की ओर जाता है, नवल उसकी हथेली थामे अपनी ऑंखें उसकी ओर गड़ाए मुस्करा रहे थे| पलक एक ही पल में दो अलग तरह से अहसासों से गुजरती हतप्रभ होती स्टैचू अवस्था में बैठी रह गई|

“अगर आप दिल से हमारे न होते…तो नज़रों से इतने इशारे न होते…कहाँ से ग़ज़ल प्यार की यह उतरती..जो हम उन निगाहों के मारे न होते…|”

पलक उस पल के बिलकुल तैयार नही थी उसे नवल का कुछ अलग तरह से देखने का अहसास था पर कभी इस तरह के मौके पर अचानक वह उसका हाथ थाम लेगा ये उसने सोचा भी नही था|

“पलक आपके लिए हमारे दिल के जो जज्बात है उसे बयाँ करने में हमारे पास शब्दों की बेइंतहा कमी हो गई है – जब आपको पहली बार ट्रेन में देखा था तभी लगा हाँ यही वो चेहरा है जिसके ख्याल में नज्म और गजले कह सकता है दिल..|”

पलक अचकचाती हुई अपना हाथ धीरे से खींच लेती है|

“अब मुझे किनारे तक जाना है – कुलधरा जाने के लिए देर हो जाएगी |”

पलक की असहजता नवल समझ रहा था इसलिए थोडा पीछे की ओर सरकता वह गला खंगालता हुआ पलक का ध्यान फिर अपनी ओर खींचता हुआ कहता है – “आपको क्या बताऊँ आज के दिन का दिल को कबसे इंतजार था और दिल को यकीन भी था कि भाई सा की शादी में आप जरुर आएंगी – देखिए जिस दिन का इस दिल ने इतना इंतजार किया उसे निराश मत करिएगा |” कहकर नवल होंठों के अन्दर ही हँस पड़े|

पर पलक अभी भी इधर उधर देखती नवल से अपनी नज़रे बचाए थी|

“ठीक है आप सोचने के लिए समय चाहती है तो बन्दे को आपका हर नाज मंजूर है |” कहते हुए नवल मोटर बोट का रुख अब किनारे की ओर करते हुए कहते है – “वैसे अगर आप बुरा न माने तो एक प्रश्न पूछना चाहूँगा -|”

ये सुन पलक अब मुड़कर नवल की ओर देखती है|

“महारा जैसल खूबसूरत हवेलियों और बावडियों से गुलजार है उसमे आप कुलधरा जैसी जगह क्यों जाना चाहती है ?”

“क्यों वहां कोई नही जाता क्या ?”

उल्टा पलक के प्रश्न पूछ लेने से नवल को हँसी आ जाती है|

“मेरा ये अर्थ नही था पर आप तब से वही जाने को बेसब्र है इसलिए पूछ लिया वैसे आप हमे हुकुम करती तो आपको चाँद पर भी ले जा सकता हूँ |”

हर बार के नवल के दिल बिछा देने वाले शब्दों से अबकी पलक को हंसी आ गई|

“फ़िलहाल तो कुलधरा जाना चाहती हूँ |”

“तो हमे शाम होने से पहले वहां से होकर वापस भी आना है |”

“क्यों ??”

“मतलब आप को नहीं पता कि वहां शाम के बाद से कोई नही रुकता – क्या आप नही जानती ?”

जवाब में वह बस न में सर हिला देती है|

“आप वहां जाना चाहती है पर वहां के बारे में आपको कुछ पता भी नही|”

उस वक़्त पलक सब बता देना चाहती थी पर समय देख बस बात को यूँ कह देती है – “असल में मुझे वहां के सपने आते थे और जब पता किया तब पता चला वो स्थान कुलधरा का है तो तभी से मैंने खुद वहां जाने का ठान लिया – बस उस जगह को अपनी आँखों से देखना चाहती हूँ |”

“हाँ वैसे उन भग्नावशेष में अजब का आकर्षण है – ऐसा मैंने सुना है पर कभी जाने का मौका नही मिला अब आपके संग जाना लिखा था शायद |” अभी पलक और नवल की ऑंखें मिली तो हलकी मुस्कान लिए नवल देखता है कि पलक के हाव भाव में कुछ घबराहट सी तैर आई थी जिसे हल्का करने नवल किनारे पहुँचते पहुँचते बातें करने लगते है – “आपको शायद ये भी नही पता होगा कि सभी मानते है वह स्थान अदृश्य रूहों का डेरा है – अरे डरने की जरुरत नही है – मैं आपके साथ ही रहूँगा पर जहाँ आप जा रही है कम से कम उसके बारें में कुछ पता होना चाहिए |”

पलक अब नवल की बात ध्यान से सुनने उसके चेहरे की ओर देखने लगती है|

“बहुत साल पहले पालीवाल ब्राह्मण रहते थे जिनकी खूबसूरत लड़की पर नवाब सलीम का दिल आ गया और वह उसे पाने का हर संभव प्रयत्न करने लगा पर कहते है न कि प्रेम छीनने की वस्तु नही अहसास है ये तो दो दिलों का पर नवाब के आगे उन गाँव वालों की क्या चलती तब अपनी आन बान को जीने वाले पालीवाल ब्राह्मणों अचानक एक ही रात में पूरा का पूरा गाँव खाली कर दिया – अब कोई कहता है कि सबने मिलकर जान दे दी तो कोई कहता है कहीं और जाकर बस गए और उस जगह को सदा बर्बाद होने का श्राप दे दिया इसलिए रात में वहां कोई नही रुकता |”

“और अगर रुक जाए तो !!”

एकाएक पलक के प्रश्न पर नवल कुछ क्षण उसका चेहरा तकते रहे फिर मुस्करा कर अपनी बात कहने लगे – “पता नही पर आप कहे तो रूककर आपके लिए देख सकता हूँ |”

“अच्छा क्या आप इस तरह की बातों को मानते है – क्या ये सच है या अफवाह !!”

“देखिये पलक जी यहाँ की मरुभूमि में ऐसी जाने कितनी कहानियां दफन है और सब अपने पीछे कुछ न कुछ राज छोड़ जाती है – यहाँ एक तरह से रहस्यों की भूमि है और जो वक़्त ओ हालात नही बताना चाहते हम उन राज के साथ छेड़छाड़ भी नही करते – हमारी नानी माँ सा कहती है कि दबी राख को कुरेदने से सिर्फ चिंगारियां ही निकलती है इसलिए राख को दबा ही रहने देना चाहिए |”

“लेकिन जब मन किसी राज को जानने को बेचैन हो मतलब कि वो राज ही जब आपको चैन से न बैठने दे तब क्या करना चाहिए ?” उस वाक्य पलक अपने दिल के हालत बयाँ कर बैठी|

पर नवल उसे उस लम्हे की जिरह समझ हलके में लेते हुए कह उठे – “जब राज खुद ही खुलने को बेचैन हो तो इंतजार करना चाहिए बस |”

ये सुन पलक खामोश होती सोच में पड़ गई| तब तक बातों बातों में किनारा भी आ चुका था| वे साथ में किनारे उतरते देखते है कि अभी तक कोई वहां वापस नहीं आया था, ये देख पलक घबराकर नवल से पूछती है – “झलक कहाँ रह गई ?”

नवल पीछे खड़े कारिंदे से इशारे में पूछते है तो वह हाथ जोड़े उनकी ओर झुकता हुआ कहता है – “बाई सा राजकुमार सा के साथ आई थी और उन्ही के साथ जीप सफारी गई है|”

“क्या – आकर चली गई |” पलक को अब उसपर गुस्सा आ रहा था तभी किसी आवाज पर उनका साथ में ध्यान जाता है दूर से एक ओपन बढ़िया जीप अपने बड़े बड़े पहिए से डोलती वहां चली आ रही थी, उस पर उस बड़ी टू सीटेड जीप में झलक शौर्य के बिलकुल बगल में बैठी थी ये देख पलक उसे आँखों से घूरने लगी पर झलक को किसी बात की कहाँ परवाह थी वह जीप के उतरते अपनी ख़ुशी में नाचती हुई पलक के पास दौड़ती हुई आ गई|

पलक उसकी कलाई पकडे किनारे लाती दांत पीसते हुए उसपर नाराज़ हो रही थी – “ये सब क्या नाटक चल रहा है तेरा – तब से मुझे अकेला छोड़कर चली जाती है और तुझे तो इन राजकुमारों से बड़ी चिढ थी फिर अब क्या हुआ ?”

“अरे तो कौन सा ब्याह करने जा रही हूँ – थोड़ा दिल फेककर मजा आ रहा है – सच्ची लाइफ हो तो राजकुमारों वाली|”

“पागल हो गई है तू – क्या भूल गई हम यहाँ किसलिए आए थे – कुलधरा से अपना राज जानने और तू लगी है मस्ती करने में उधर नवल राजकुमार ने मेरा हाथ पकड़ लिया था पता है !”

“क्या !!” ये सुन उसकी इधर उधर डोलती ऑंखें एकदम से पलक के चेहरे की ओर टिक गई जहाँ वाकई हवाई उड़े भाव थे उसके|

“वो तो मुझे पहले दिन से थोडा चिपकू लगता है – बोल अगर कुछ ज्यादा आगे बढ़ा हो तो मुंह तोड़ दूँ उसका |” कहते कहते सच में झलक पलक के पीछे नवल की ओर देखती हुई हवा में घूसा तान लेती है ये देख हिचकिचाती पलक तुरत पीछे देखती है जहाँ नवल शौर्य संग बातें करने में मशगूल थे तो तुरंत उसका हाथ पकड़कर नीचे करती दबे स्वर में बोल पड़ी – “पागल है सच में तू – हमेशा गुंडी बनी फिरती है – ऐसा कुछ नही हुआ इतना बुरे भी नही है – वैसे ये सब छोड़ हमे कुलधरा भी जाना है |”

“हाँ हाँ तो चल न – आज सच्ची में तुझे भूतों के पास छोड़ आउंगी |”

उधर नवल शौर्य की बात सुन भौं ताने उसकी ओर देखते हुए कह रहे थे – “भाई शौर्य ये सब क्या है – आप झलक के साथ इतने करीब दिख रहे है ये ठीक नही – आप तो राजकुमारी वैजयंती से प्रेम करते है फिर ये सब |”

“भाई नवल हमे पता है हम क्या कर रहे है – वे हमे मौका दे रही है और हम मौका ले रहे है – वैसे भी आपको अपने राजवंश का रिवाज तो पता है बड़ी रानी की बलि से दूसरी रानी जीवित रहती है यही रूद्र भाई सा भी कर रहे है तो हम उससे अलग है क्या हम अपनी वैजयंती के लिए इतना तो कर सकते है और फिर आप को ये सब पता है फिर आप क्यों पलक पर फ़िदा हुए जा रहे है – क्या आप भी उसे अपनी पहली रानी बनाना चाहते है क्या ?” कहकर तिरछी मुस्कान से मुस्कराता शौर्य आगे बढ़ गया लेकिन उस पल नवल के चेहरे पर गहरा तनाव नज़र आने लगा वाकई पलक को देखते वह इस राजवंश के इस श्राप को भूल बैठा था पर वह तो पलक के साथ कोई खिलवाड़ नही कर रहा उसका प्यार तो पूरी तरह से निश्छल है पर क्या पलक को वह ये राज बता पाएगा? क्या वह उसकी दूसरी रानी बनेगी? और अगर वह पहली रानी बन गई तब क्या वह उसे इस श्राप से बचा पाएगा ? उस पर ये सोचते नवल की सांसे थमने लगी, धड़कने बढ़ गई लगा उसके पैर वही जम से गए तभी पलक के इशारे में चलने का पूछने पर वह अपने चेहरे पर जबरन कोई मुस्कान खींच लाता है|

क्रमशः………………………..

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