
एक राज़ अनुगामी कथा – 39
उस पल अनिकेत को बस पलक को बचाने का ऐसा जुनून सवार था कि वह शौर्य की कुछ सुने बिना ही बाहर की ओर निकल गया| वह इस वक़्त सैंड ड्युन्स के कैम्प में मौजूद था और उसे बिलकुल नही पता था कि यहाँ से वह कैसे कुलधरा जाए, अभी वह ये सोच ही रहा था कि उसे पुकारती कोई आवाज उस तक आते वह आवाज की दिशा की ओर देखता है तो हैरानगी से उसकी ऑंखें फैली रह जाती है| उसे आवाज लगाते पलक के पिता वैभव वही चले आ रहे थे| अनिकेत देखता है वे किसी टैक्सी से उतरे थे जिसका ड्राईवर अभी भी वही खड़ा था| अनिकेत भी अब उनकी ओर तेजी से आता इससे पहले की कुछ कहता वे तुरंत ढेरों प्रश्न कर बैठे – “पलक कहाँ है – मैं जैसे ही अनामिका के पास पहुंचा उसने बताया वो कुलधरा देखने गई है – क्यों और किसके साथ – वो ठीक तो है न !!” वे बुरी तरह से हडबडाए हुए बोलते अनिकेत के पीछे आस पास देख रहे थे जैसे पलक को ही ढूढ़ रहे हो|
अनिकेत उस पल क्या जवाब देता बस अपने दोनों हाथों से उनका कन्धा थामता उनकी परेशान हालत को सँभालते हुए कहता है – “पलक खो गई है |”
“कहाँ ?”
“कुलधरा में |”
अनिकेत का ये कहना भर ही हुआ और ये सुनते वैभव उस पल अपना होश खोते बस गश्त खाते गिर ही पड़ते पर उससे पहले अनिकेत उनको संभाल लेता है, कुछ दूर खड़े कारिंदे भी उनकी ओर भागे आते है| अब वे वैभव को लिए कैम्प के अन्दर आते उन्हें ध्यान से लेटा देते है| पर अगले ही क्षण होश आते वह चौककर उठते अनिकेत की ओर देखते उसे बुलाते है – “अनिकेत |”
आवाज सुन वह तुरंत उनकी तरफ आता उनका बढ़ा हाथ थामते हुए कहता है – “आप फ़िक्र न करे मैं पलक को कहीं से भी ढूंढ लाऊंगा |”
“ये नही होना था इसीलिए मैं नही चाहता था कि वह कभी भी राजस्थान की सीमा लांघे आखिर उस श्राप ने उसे भी अपना ग्रास बना लिया ओह्ह..|” बेचैन होते वैभव अब अपने दोनों हाथों के बीच अपना सर पकड़ लेते है|
“अब कुछ नही हो सकता – आखिर उस कुलधरा ने पलक को भी उसकी माँ की तरह लील लिया |” कसे जबड़े से वह एक एक शब्द कहते है|
यही वक़्त था जब झलक दौड़ती हुई उस कमरे में प्रवेश करती है जहाँ वैभव और अनिकेत मौजूद थे| वैभव सन्न भाव से उसकी ओर देखता रह जाते है| उस पल झलक की आँखों में ढेरों प्रश्न कुलबुलाते नज़र आ रहे थे| झलक के पीछे पीछे नवल और शौर्य भी वही आ जाते है|
“पलक की माँ !! पापा क्या हमारी माँ एक नही है ?” झलक अपने पिता के सामने खड़ी उनके चेहरे की ओर ध्यान से देखती हुई पूछती है|
“तुम यहाँ हो तो पलक को क्यों अकेला छोड़ दिया – क्यों उसका ख्याल नही रखा ?” वैभव झलक को झंझोड़ते हुए कहते है|
“हम सब साथ में कुलधरा में थे पर अचानक आए रेतीले तूफ़ान के बीच हम सब फंस गए – मुझे तो कुछ याद भी नहीं कि उसके बाद क्या हुआ – शौर्य मुझे बेहोशी की हालत में यहाँ लाए और जैसी ही मुझे होश आया तभी मुझे पता चला कि आप यहाँ आए हुए है और पलक उन्हें वहां नही मिली – वह कुलधरा में ही खो गई है पर मिल जाएगी वो पापा |” वह कहते कहते गहरा उच्छवास छोडती उनकी आँखों में झांकती हुई कहती रही जहाँ आज बहुत गहरे राज घुमड़ते नज़र आ रहे थे – “आप सब सच क्यों नही बताते – क्या है आखिर इस कुलधरा का राज और उससे पलक का क्या सम्बन्ध है ?”
झलक की प्रश्नात्मक ऑंखें अभी भी अपने पिता की ओर टिकी थी और बाकी सभी भी जैसे उनकी ओर अपनी हैरानगी से ताक रहे थे|
“वह कुलधरा के सपनों को लेकर वाकई बहुत ज्यादा परेशान थी पर आपसे कभी कह नही पाई |” झलक नम शब्दों से कहती अपने पिता के सामने घुटनों के बल बैठती हुई कहती है – “वे सपने उसे चैन से रहने नहीं देते थे – आखिर क्या है उसका राज़ – क्यों नही कह देते सब आप !”
ये सुन वाकई वैभव परेशान होते अपना माथा मसलने लगते है फिर कुछ पल बाद ही अपने पीठ में लदे बैग पैक को अपने आगे करते उसमे से कुछ निकालने लगते है| अब सभी देखते है कि वे अपने बैग से कोई डायरी जैसा निकाल रहे थे| उसे निकालकर सबकी नज़रों के सामने रखते हुए वे कहना शुरू करते है – “पलक मेरे बड़े भाई जतिन और निधि भाभी की बेटी है जो अब इस दुनिया में नहीं है और नीतू यानि मेरी पत्नी निधि भाभी की सगी छोटी बहन है – इस तरह से तुम दोनों बहनें तो हो पर सगी नही लेकिन मेरे लिए सदैव तुम दोनों समान ही रही हो |”
“क्या ये सच है पापा ?” झलक भरी आँखों से उनकी ओर देखती प्रश्न करती है|
अनिकेत भी हैरान उनकी ओर देखता पूछ बैठता है – “ओह इसलिए जब मैंने पलक की कुंडली देखकर आपसे पूछा भी था ये प्रश्न क्योंकि ये दोष उनकी कुंडली में साफ़ साफ़ था पर आपने उन्हें अपनी बेटी कहा तो मैं हैरान रह गया जबकि ग्रह कभी गलत नही कहते जो उनके जन्म से माता पिता विहीन होना बता रहे थे |”
“हाँ वे उसके जन्म लेते गुजर गए|”
“पर इस बात को आपने छुपाया क्यों ?” झलक बेचैन हो उठी थी|
“क्योंकि मेरे बड़े भाई खुद ये चाहते थे |”
“ऐसा क्यों ??” सब हैरान उनकी ओर देखते रहे|
“आज से बाईस साल पहले जब भईया और भाभी जैसलमेर घूमने आए थे तब रात में इसी सैंड ड्युन्स से गुजरते उनकी कार में कोई दो अजनबी गलत लोग चढ़ गए और उन लोगों ने भईया को वही बेहोश छोड़कर कर भाभी को अपने साथ ले गए और उन्हें इसी कुलधरा के सुनसान में बंधक बनाकर रखा – शायद वे इस रहस्यमय जगह के बारे में नही जानते थे इसलिए वो जगह उनकी मौत का कारण बनी पर भाभी वही खो गई और पूरी रात वे कुलधरा में अकेली भटकती रही और सुबह बेहोश हालत में भईया को वही मिली – उसके बाद कोमा में जाने के एक महीने बहुत कुछ अजीबोगरीब होता रहा – जैसे अचानक उनका राजस्थानी बोलना, लहंगा घाघरा पहनना और राजस्थानी भोजन करना – और कभी होश में आना भी तो बस यही कहना कि यहाँ से नही जाना – इन सब बातों पर भईया को भी पहले यकीन नहीं था लेकिन जो कुछ भी हो रहा था उस पर अब यकीन न करने का कोई सवाल ही नही रहा -|”
सब सांस रोके वैभव को सुन रहे थे तो वह भी आज सब कुछ कह देने को आतुर थे|
“उसके बाद उन्होंने खुद कुलधरा जाने का तय किया – उस वक़्त भईया भाभी के साथ मैं और नीतू भी साथ थे – मैंने सब अपनी आँखों से घटित होते देखा – वो सब कुछ भूल पाना मेरे लिए कभी संभव नही – उस पल लगा जैसे हम भाभी को वापस ले आए पर नहीं वो पल कुछ और था जिसे भईया ने भी हम सब से छुपा कर रखा और धीरे धीरे जो हुआ वह सिर्फ उन्हें ही पता था जिसे इस डायरी में लिखते गए |” अब सबका ध्यान फिर से उनकी गोद में रखी डायरी की ओर जाता है|
“आखिर क्या है इस डायरी में ?” झलक चौंकती पूछती है|
“ये डायरी उन्होंने उस पूरे कार्यकाल में लिखी जब पलक भाभी के पेट में थी – उस वक़्त जो उन्हें आभास हुआ वो सब वे हम सब से छुपा ले गए लेकिन होनी नहीं रोक पाए और पलक को जन्म देकर भाभी गुजर गई और उसके तेरह दिन बाद भईया भी – बस अपने आखिरी वक़्त शायद उन्हें आभास हो गया था अपने जाने का इसलिए मुझे एक रात पहले ही ये डायरी देते वक़्त कहा कि इसे अपनी लाइब्रेरी में छुपा देना और जब बहुत जरुरी हो तभी पढ़ना साथ ही पलक को अपनी बेटी की तरह पालना क्योंकि उसके जन्म से जुड़े सवालों के जवाब तुम नही दे पाओगे इसलिए यही ठीक रहेगा कि हमे अतीत में दफन ही रहने देना – इस बात का उन्होंने मुझसे वचन लिया और जब पलक के यहाँ आने का सुना तो मन ने कहा कि अब शायद यही सही वक़्त है इस डायरी को पलक को सौपने का लेकिन क्या पता था कि उसके साथ ये सब हो जाएगा |” कहते कहते वैभव का स्वर रुआंसा हो उठा था|
इससे झलक उसके बहुत पास आती उनका हाथ पकडती हुई कहती है – “पापा ये सब आपको पहले बताना था तो पलक जिद्द करके यहाँ नही आती |”
“पर होनी कोई नही बदल सकता |” वे नम शब्द से बोलते है|
“जो भी है पर हम उनको खोजने जाएँगे वहां |”
अचानक से सबके बीच नवल बोला तो सबकी निगाह उसकी ओर उठ गई जिससे झलक को लगा कि उसके पापा तो उन्हें नही जानते जिससे वह उनका परिचय कराती हुई बोलती है – “पापा ये कुवर नवल और ये कुवर शौर्य है – ये…|”
वह आगे कुछ कहती उससे पहले ही वैभव बोल उठे – “हाँ अनामिका ने बता दिया था – आप सबका मैं बहुत आभारी रहूँगा अगर मुझे आप कुलधरा छोड़ आएँगे क्योंकि मुझे ही उसे खोजना होगा – ये मेरा फर्ज है |”
“आप अकेले कैसे जाएँगे ?” नवल पूछ उठा |
“ये सब इतना आसान नही है और बिना सोचे समझे कुछ भी करने से हो सकता है हम पलक को हमेशा के लिए खो दे |” एकाएक अनिकेत बोलता है तो वैभव की डर के चीख निकल जाती है|
“नही – ऐसा नही हो सकता |”
“बिलकुल नही होगा पर सच हमारे सामने है और अब मुझे साफ़ साफ़ लग रहा है कि ये काम किसी रूहानी ताकत का है जिससे हम इंसान होकर नही लड़ सकते |”
अनिकेत की बात सुन सभी की निगाह अब उसकी ओर मुड़ गई| जिसके तेवर में अब सख्ती आ गई थी|
क्रमशः…………
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