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एक राज़  अनुगामी कथा  – 41

सबके चेहरों पर ऐसा सन्नाटा सा छा गया मानों राज़ की गहरी परते एकदम से सबके सामने उघड़ती सबको हैरान कर गई| अब सब अनिकेत की ओर देखते उसके कहने का इंतज़ार कर रहे थे| वैभव जाते हुए समय को देख बेसब्र होते कहने लगे –

“समय बीतता जा रहा है अब हम कैसे पलक को ढूंढेगे ?”

अनिकेत अब डायरी रखता सबकी नज़रों के बीच आता कहना शुरू करता है –

“समय के पार जाकर |”

“समय के पार – मतलब !!!” सभी हतप्रभता से उसकी ओर देखते रहे|

“असल में अब हमे पलक की आत्मा को खोजना होगा वो भी समय की सीमा लाँघ कर |”

“अनिकेत सही से बताओ आखिर क्या कहना चाहते हो तुम ?” वैभव उलझ से रहे थे|

“देखिए मैं आपको बीते समय से समझाना शुरू करता हूँ – कुलधरा में रात के समय वक़्त पीछे की ओर तेजी से जाता है और जो उसमे फस जाता है वो अपने आने वाले समय में नही आ पाता वापस – इस तरह से अगर बीते समय में जाकर पलक को ढूँढना होगा तब अगर जो बदल जाएगा उसके बाद ही कुलधरा जाने पर पलक मिल जाएगी – हमे ऐसे ही पलक को ढूँढना होगा अगर सीधे कुलधरा गए तो हम सब भी समय के पार जाकर फस सकते है और यही कुछ पलक की माँ के साथ भी हुआ जब पलक की माँ निधि खोई तो वो समय के पार चली गई और जब वापस आई तो बीते समय में आई और जब कोमा में गई तो उनकी उम्र तेजी से बीत रही थी क्योंकि समय के पर समय का नियम है कि जो भी चीज जितनी तेज चलेगी उसकी रफ़्तार उतनी कम होगी उसके मुकाबले जो चीज रेस्ट में है उसका समय तेज चलता है और आपके लिए ये कम समय होगा पर दुनिया के लिए नार्मल समय होगा इसी तरह से अभी समय के पार दिन होगा और हमे किसी तरह से पलक को दिन के उजाले में खोजना होगा क्योंकि जैसे जैसे रात होती है नकारात्मक शक्तियां और शक्तिशाली होती जाती है |”

“लेकिन ये सब होगा कैसे ?” नवल हैरान होता पूछता है|

“पलक के पिता बहुत कुछ जान चुके थे और इसीलिए उन्होंने अपनी डायरी में बहुत से संकेत छोड़ें है जिससे हमे समय के पार जाना होगा और वो है वर्महोल टनल जो दो समय को जोड़ता है – मैंने अपनी रिसर्च में ऐसे टनल के बारे में पढ़ा था पर कभी इसमें यात्रा करने की जरुरत पड़ेगी कभी नही सोचा था पर इस वक़्त इस टनल तक पहुँचना हमारी जरुरत है और इसके लिए सबसे सुरक्षित तरीका है सपने – |”

सभी हैरान अनिकेत को सुन रहे थे और अनिकेत भी अपनी रौ में कहता जा रहा था|

“हमारे शरीर से मरने के बाद आत्मा निकलती है पर इसके अलावा जब कोमा में होते है और सपने की आरइएम् स्टेज में जब होते है तब ऐसा होता है इसलिए नींद की उसी अवस्था में आना होगा तब पलक को ढूंढ सकेंगे |”

“जो भी हो मैं बस किसी भी तरह से पलक को वापस लाना चाहता हूँ इसके लिए मैं कुछ भी करूँगा |” वैभव जल्दी से खड़े होते हुए कहते है|

“इसे मुझे ही करना होगा क्योंकि योगनिद्रा के अभ्यास में मैं सपने की उसी अवस्था में पहुंचकर पलक तक पहुँच सकता हूँ – |” अनिकेत अपनी बात अच्छे से समझाता हुआ कहता है – “देखिए आत्मा में सोचने समझने की चेतना नही होती वह जो सामने देखती है उसी पर विश्वास कर लेती है इसलिए मैं निद्रा से वर्महोल में प्रवेश कर समय के पीछे जाऊंगा |’

“क्या उससे पलक मिल जाएगी ?” झलक तब से सब सुनते सुनते परेशान हो उठी थी|

“देखिए विश्वास में ईश्वरीय शक्ति वास करती है क्योंकि जब हम विश्वास करते है तो ईश्वर के और करीब होते जाते है इसलिए अब सब उसी ईश्वरीय विश्वास के सुपूर्त कर दीजिए – अगर सब ठीक रहा तो हो सकता है बीता हुआ समय बदल जाए |”

“उससे क्या होगा अनिकेत ?”

“अगर समय उसी समय से बदल जाए जब निधि खोई थी तब अगर वे मृत मिले तो इससे पलक उनकी बेटी होकर नही जन्म लेगी |”

“लेकिन पलक को आज के वक़्त में है फिर अगर समय बदल गया तो उसका जन्म कैसे होगा ?”

“जो आज है उसका अस्तित्व खत्म नही होता बस बदल जाएगा अब कैसे होगा ये तो वक़्त ही बताएगा – बस मेरे नींद में जाने के बाद इतना ख्याल रखना होगा कि मेरी नींद बाधित न हो और पलक के मिल जाने पर मुझे झंझोड़कर जगा दिया जाए – अगर सुबह से पहले मैं नहीं जागा तो मेरी आत्मा फिर कभी मेरे शरीर में वापिस नही आ पाएगी |” विश्वास में अपनी बात खत्म करता हुआ अनिकेत कहता है|

ये सुन वैभव कृतज्ञ होते उसके पास आते उसके हाथों को थामते हुए कहते है – “आज तुम्हारी बात सुन मुझे भईया की याद आ गई – एक वक़्त था जब उनके विश्वास ने हम सबको बुरे वक़्त से निकाला था आज वही झलक मैं तुममे देख रहा हूँ – ये अहसान मैं जिंदगी भर नही भूलूंगा  |”

अनिकेत के प्रति वैभव को कृतार्थ होतेदेख नवल जल्दी से उनके बीच आता हुआ कहता है – “सच में आप अपनी शिक्षा से सबके लिए बहुत अच्छा कार्य कर रहे है – हम राजस्थान सरकार से आपकी रिसर्च की सिफर्रिश करेगें ये वादा है हमारा |”

इसपर अनिकेत बस हौले से मुस्करा देता है उसे लगा कि अभी कोई पलक के प्रति उसकी भावना को समझता नही पर उसका दिल ही जानता था कि वह पलक के लिए किस कदर जूनून रखता है|

“अब आप दोनों नब्बे मिनट बाद कुलधरा के लिए निकल जाए पर इतना ख्याल रखिएगा कुलधरा की सीमा के अंदर प्रवेश मत करिएगा चाहे कुछ भी हो जाए और मैं अपने प्रयास से पलक को कुलधरा की सीमा के बाहर लाने की कोशिश करूँगा |”

अनिकेत की बात सुन नवल और वैभव हाँ में हाँ मिलाते हुए झलक की ओर देखते है जो अनिकेत से अपनी बात कह रही थी|

“और मैं यहाँ रूककर आपका ख्याल रखूंगी कि आपकी नींद किसी भी तरह से बाधित न हो |”

“ठीक है अब मैं प्रक्रिया शुरू करता हूँ |”

अनिकेत के कहते ही नवल उसके अनुसार सभी व्यवस्था कर देता है| अब अनिकेत एक शांत माहौल में लेट जाता है और वही घडी की ओर निगाह लगाए वैभव और नवल बैठ जाते है|

अब आगे क्या होगा यही प्रशन सबके चेहरों पर साफ़ नज़र आ रहा था बस अनिकेत का हर हाव भाव विश्वास से परिपूर्ण नज़र आ रहा था|

ये सारी कोशिश सिर्फ प्रयास की थी क्योंकि कोई नही जानता था कि आने वाले समय की कोख से क्या निकलेगा..अनिकेत अपने मजबूत इरादे के साथ सपनो के जरिए समय की यात्रा करने को तैयार था| मार्किट की वज़ह से लेट हो गई पर वादा किया तो रात तक अपना काम खत्म किया इसलिए भाग छोटा हो गया पर अगला जल्दी मिलेगा

………..क्रमशः……………..

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