Kahanikacarvan

कुछ और औरतें

लोग जानते है उन नामचीन औरतों को 
जिन्होंने सिनेमा,कला,खेल,समाज और 
दुनिया में नाम कर लिया 
लोग उन औरतों को भी जानते है जो 
बहुत दूर कर दी गई समाज के पाक हिस्सों से 
किसी छूटी कलमवाली जो सीमा लाँघ कर लिख देती है 
उन टेढ़े पैर वाली को भी जो खेल खेल में 
परिधि के बाहर चली जाती है 
लोग उन छरहरी काया को भी जानते है जो 
उनके अंधेरों और छुपे कोनों में सजी रहती है चुपचाप 
पर मैं जानती हूँ उन औरतों को जिन्हें कोई नहीं पूछता 
वे समाज की सीमा भी नहीं लांघती 
वे कला,खेल,सिनेमा में भी नहीं मिलती 
वे छरहरी,आकर्षक और सुंगंधित भी नहीं है 
बल्कि उनसे आती है हमेशा एक सी ही गंध 
मसालों की, तरह तरह की चटनियों की 
कपड़ों से झाड़ दी गई गन्दगी की
बिस्तरों से हटा दी गई सिलवटों की 
वे आराम से बर्तन घिस घिस कर बर्तन चमका देती है 
वे हर रोज़ की जरूरते करीने से रख देती है, 
उन्हें नहीं पता कि बाहर क्या हो रहा है?
वे मंदिर की घंटी से रात की घुप तक 
सधी सीधी परिपाटी में रहती है 
वे सिर्फ औरतों के लिहाफ है,

जो हमारे घरों के कोनों में सफाई के बाद भी छूटी रह जाती है ||

@अर्चना ठाकुर

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