Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 10

अभी हॉस्पिटल जाने में समय था इसलिए जॉन होटल वापस आते लैपटॉप के सामने बैठा उसमे कुछ टाइप कर रहा था| जिस तरह के हालात में वह पिछले दिनों में रहा उसने बहुत हद तक उसकी जिंदगी को प्रभावित किया और वो सारे पल वह किसी से शेअर करना चाहता था और अनिकेत जैसे दोस्त से बेहतर कौन हो सकता था| इसलिए जॉन अनिकेत को ईमेल करते सब कुछ लिख रहा था –

‘इन दिनों बहुत ही अजीब हालात से गुजरा हूँ मैं – एक तरफ फेनी नाम की जिस लड़की के बुलाने पर मैं गोवा आया था नही पता था उसे लेकर मेरा मन इतना सीरियस हो जाएगा – वो मुझे बहुत ही ख़ास लगती है – कुछ तो है उसमे ऐसा कि उससे मिलते मैं उसकी ओर अजब सा खिंचाव महसूस करने लगा हूँ – अगर इसे प्यार कहते है तो हाँ कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रहा है मेरा मन – दूसरी तरफ एक और अजीब बात हुई – कभी किसी अनजान जगह में ऐसा लगता है कि आप वहां पहले भी आ चुके है या वो पल अपनी जिंदगी में दुबारा जी चुके है तो इस फीलिंग जिसे डेजा वू कहते है से मैं एक चर्च में जाते हुए गुजरा – अब क्या बताऊँ – ये किस तरह का संकेत है पर सच में वह अनुभव ऐसा ही था खैर इस सच्चाई का तो मैं पता लगाकर ही रहूँगा जिसके इर्द गिर्द मेरी जिंदगी उलझ कर रह गई है – अब बस तुम्हारे आने का इंतजार है – कब आ रहे हो बताना – तुम्हारे इंतजार में….|’ ईमेल लिखते वह कुछ पल लैपटॉप की स्क्रीन पर नज़र गड़ाए सोच में डूबा रहा तब तक ईमेल सेंड कर चुका था जो तब से पेंडिंग ही दिखाता रहा| आखिर लैपटॉप बंद करके जॉन जाने का मूड बना लेता है| इस समय रात के दो बज चुके थे और वह अपना पैरानोर्मल रीडिंग से सम्बंधित सारा सामान सहेज कर बैग में रख रहा था| अचानक उसे याद आता है कि पिछली बार उसका इऍमऍफ़ मीटर रीड नही कर रहा था कहीं वह डिस्चार्ज तो नहीं ये सोचते वह उसे निकालकर ऑन करके उसकी बैटरी चेक करता है तो उस पल वह हैरान रह जाता है| मीटर नाइनटी परसेंट चार्ज था फिर उस रात उसमें कोई रीडिंग क्यों नही दिखी !! कुछ पल तक वह उसे हाथ में लिए सोच में पड़ा रहा फिर अंट शंट आए विचारों को दिमाग से धकेलता हुआ वह मीटर को दुबारा अपने बैग में रख लेता है|

अब वह बाहर जाने के लिए बिलकुल तैयार था| वह होटल के पीछे के रास्ते से शोर्ट रास्ता पकड़ता हुआ हॉस्पिटल की ओर चल दिया था| आधी रात गोवा की सड़क अब कुछ सुस्ताने लगी थी फिर भी लोग इधर उधर आते जाते दिख रहे थे| कही कोई आधे से भी कम कपड़ो में लड़की को अपने से चिपकाए झूमता हुआ चला जा रहा था तो कही दो तीन लड़के बोतलों को हवा में लहराते जैश धुन में मटकते हुए जा रहे थे| कुल मिलाकर सभी अपनी अपनी दुनिया में व्यस्त थे और उन सबसे अलग जॉन कुछ और ही मकसद की ओर बढ़ चला था| वह मन ही मन तय कर रहा था कि आज उसे किस मशीन का कहाँ और किस पर उपयोग करना है| रीडिंग को चेक करना है फिर वह तय करेगा कि असल में वहां किस हद तक निगेटिव एनर्जी है और अगर उस निगेटिव एनर्जी की रेंज वही निकली जिसमे वह रात का डेविल नाईट हैग आता है तो बहुत खतरनाक बात होगी और तब उसे क्या करना होगा वह तभी तय करेगा पर सबसे पहले वह वहां की स्थिति का पूरा जायजा लेगा| ये सोचता हुआ वह तेज कदमो से आगे बढ़ा जा रहा था| दो दिन वहां घूमने से ही वह वहां के इलाके से थोड़ा बहुत परिचित हो गया था| इससे वह सामने की सड़क से न जाकर पीछे की गलियों से रास्ता पार कर रहा था| तभी किसी गली के मुहाने से गुजरते उसे उस गली के सुनसान में कुछ सनसनाहट सुनाई देती है जिससे वह रूककर उस ओर आँखे फाडे देखने का प्रयास करता है पर ठीक उसके सर पर जलते लैम्पोस्ट से उसके तो चारो ओर उजाला था पर गली में पड़ते अँधेरे से उसे कुछ नजर नही आया| वह रूककर उधर क्या है देखना चाहता था पर हॉस्पिटल के लिए वह लेट हो रहा था इसलिए वह उधर से नज़र घुमाते फिर अपने रास्ते चल देता है|

अब ठीक समय पर वह हॉस्पिटल के बाहर की सड़क पर खड़ा था जहाँ उसे उसके पीछे के रास्ते से होते बरगद के पेड़ के पास जाना था जहाँ फेनी उसका इंतजार कर रही होती| वह अभी पीछे की ओर बढ़ा ही था कि कोई हाथ पीछे से उसका कन्धा छूते है जिससे तुरंत पलटकर वह देखता है तो उसकी ऑंखें हैरानगी से फटी की फटी रह जाती है| ऐसा कुछ उसने सोचा ही नही था कि आधी रात पुलिस उसके सामने खड़ी होगी| जॉन हतप्रभता से सामने देख रहा था तो वो गोवन पुलिस वाला उसे घूरता हुआ ठीक उसके सामने खड़ा बोल रहा था –

“किधर !! टूरिस्ट और सिविलियन !!”

जॉन था तो इन दोनों में से कुछ नही फिर भी पुलिस के ऑप्शन से उसे एक चुनना बेहतर लगा – “टूरिस्ट |”

“बोरे पात्रो (ठीक है मालिक) – टूरिस्ट असा(टूरिस्ट है) |” अबकी पुलिसवाला अपने पीछे मुड़कर देखते हुए कहता हुआ हँसा जिससे उसके पीछे खड़ा पुलिसवाला भी उसी समवेत हँसी में हँसने लगा |

जॉन को ये सब बहुत अटपटा लगा कि दो पुलिसवाले अपनी गोवन भाषा में पता नही क्या कहकर उसपर हँस रहे थे| अब उसका सिक्स सेन्स कुछ बुरा होने की अनुभूति करने लगा|

“तुम टूरिस्ट मान लिया पण इधर किधर को आया – ये तो न बीच का रास्ता न होटल का – फिर !!”

जॉन अब थोड़ा घबरा गया उसे समझ नही आ रहा था कि कहे क्या इससे वह मूक खड़ा रहा|

“और बोलबोले ये पूछ इतना बड़े बैग में क्या बिस्तर लेकर घूमता है |” दूसरा पुलिसवाला जो पीछे खड़ा था जॉन के पास खड़े पुलिसवाले को टोकता हुआ बोला|

“बोलबोले नही गोडबोले साहब |”

“अरे हाँ हाँ वही – तुम चेक करो इसका बैग – क्या लेकर जाता – मका नका |”

उसकी ठेक सुनता हुआ पुलिसवाला अब जॉन के बैग पैक को उससे लेता हुआ उसे हाथ में पकडे पकडे बोल उठा – “साहब इतना भारी – बमिच लगता !!”

वह बैग को जमीन पर टिकाकर खोलता हुआ ऊपर से ही देखता हुआ बोलता है – “इसकी तो सही से चेकिंग होना मांगता – पता नही कौन सी मशीन लिए जा रहा साहब |”

“सर ये कोई गैरकानूनी सामान नही है – ये साइंसटीफिक उपकरण है – मैं आपको दिखा सकता हूँ |” जॉन जल्दी से उन्हें बीच में टोकता हुआ बोलता है|

“इतना भारी भारी मशीन से क्या नापेगा भूकंप – पानी – पण दोनोंइच नही यहाँ प्रोब्लम ही ही ही |” कहता हुआ पुलिसवाला बंद मुंह किए हँस पड़ा|

उसकी हँसी सुनता पीछे खड़ा पुलिसवाला अब उसे इशारे से अपनी ओर आने को कहता हुआ बोलता है – “तुम अब पुलिस स्टेशन चलो – वहीच देखने के बादिच अपन तय करेंगे तुम सही या गलत |”

“लेकिन सर मुझे अभी बहुत जरुरी काम से जाना है – मैं बाद में आता हूँ |” दोनों पुलिसवालों को अपना सामान ले जाते देख जॉन उनकी ओर लपकता हुआ कहता है|

पर जॉन की बात से चिढ़ते हुए पुलिसवाले उसे अपनी सख्त नज़र से देखते हुए कहते है – “सहिच आदमी गली गली घूरता नही गुजरता – अब जास्ती नाटक नही करने का – तू चल अपन साथ – चेक करेंगे – तू सही निकला तो तुझे भेज देंगे – क्यों बोलबोले ?”

“गोडबोले साहब |” दूसरा फिर पहले पुलिस वाले को टोकता हुआ कहता है – “बिलकुल सही कह रहे साहब – गाडी में बैठ नही तो ….|” वह अपनी बात अधूरी छोड़ता हुआ फिर से अपनी भद्दी हँसी से हँस पड़ता है|

जॉन को कुछ समझ नही आ रहा था कि अब वह किस मुश्किल में पड़ गया है| सामने पुलिस वाले थे और उनसे चाहकर भी बहस करके मामले को वह और नही उलझाना चाहता था इसलिए चुपचाप उनके साथ बढ़ जाता है| वह देखता है कि कुछ कदम चलकर पीछे की ओर एक पुलिस की गाडी खड़ी थी जिसकी ड्राइविंग सीट पर पहले से कोई कांस्टेबल अलर्ट मुद्रा में बैठा था| वे दोनों पुलिसवाले थोड़ा इधर उधर कदम रखते हुए गाड़ी में बैठते ही जॉन को भी बैठने को घूरते है| जॉन समझ चुका था कि वह मुश्किल में फंस चुका था और शायद वह पुलिसवाले थोड़ा पिए हुए थे तब ऐसे समय बहस न करने में ही उसने भलाई समझी|

“बरा असा सामान डीक्किनघाल|” (ठीक है सामान डिक्की में डालो) कहता हुआ दूसरा पुलिस वाला आगे तो पहला वाला जॉन के साथ बैठ जाता है| उसके पास बैठते उसके मुंह से आती गंध से वह सुनिश्चित हो गया कि मुश्किल अब शुरू हो चुकी है|

गाडी रफ़्तार से आगे बढ़ गई थी| रास्ते गुजरते दोनों पुलिसवाले बीच बीच में अपनी भाषा में कुछ बात कहकर तेजी से हँस लेते| उनके फालतू के मजाक न जॉन को समझ आ रहे थे और न समयनुकूल लग रहे थे पर क्या कर भी सकता था|

अगले ही पल वे कही गाड़ी रोक देते है| जॉन शीशे के पास रौशन बोर्ड देखते समझ जाता है कि वह थाना चौकी थी|

अगले ही पल एक रूम में जॉन और उन दोनों पुलिसवालों के बीच में उसका बैग खुली हालत में पड़ा था और उसका सारा सामान तितर बितर पड़ा हुआ था| जिसे अलटते पलटते हुए पहला पुलिसवाला जॉन को उसे दिखाते हुए पूछता है – “ये कौन सी गन है – बता |”

जॉन तुरंत आगे आता हुआ उन मशीन को छूते हुए बताता है – “सर ये कोई गन जैसा कुछ नही है – ये उपकरण है |”

“कैसे उपकरण – क्या मच्छर भगाते इससे या चूहा पकड़ते |” कहता हुआ वह फिर हँस पड़ा था|

जॉन को अब लगा उसे सब सही से उन्हें समझाना ही पड़ेगा जबकि वह अच्छे से जानता था कि उसका काम और उसके जैसे लोग आम लोगो की नज़र में अजीब होते है पर यहाँ उसे सच कहना ही था|

“सर मैं पैनानोर्मल इन्वेस्टिगेटर हूँ और ये उसी से सम्बंधित उपकरण है |”

जॉन की बात पर दोनों आँखें फाड़े हैरानगी से उसे चुपचाप सुनने लगे| जॉन कहता रहा|

“सर ये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिक्वेंसी डिटेक्टर है और ये डिजिटल वॉइज रिकार्डर और ये सब भी इसी तरह के उपकरण है – मैं निगेटिव एनर्जी पकड़ता हुआ जिसमे ये सारे उपकरण मेरी हेल्प करते है |”

“पण ये तो अतरंगी निकला – बोलबोले |”

वह फिर जल्दी से टोकता है – “साहब गोडबोले |”

“वहीच तो बोल रहा मई – बोलबोले – ये तो अपन काम का आदमी है |”

अबकी वह नाम के लिए न टोक कर आश्चर्य से दूसरे पुलिसवाले की ओर देखता है कि इससे क्या काम होगा ?

“तू सच में भूत पकड़ता है – तो चुड़ैल भी पकड लेता होगा – तू ऐसा कर घर चल मेरे वहां पर बहुत बड़ी वाली चुड़ैल है – उसे तू अपने डिब्बे में बंद करके ले जा |”

जॉन पुलिसवाले के अजीब अनुभव पर समझ नही पा रहा था कि क्या रियक्ट करे तब तक पहला पुलिसवाला अपनी त्वरित जिज्ञासा से उससे पूछता है – “साहब कौन सी चुड़ैल ?”

इस पर वह इत्मिनान से बैठता हुआ कहता है – “वहीच चुड़ैल जिसकी वजह से अपन को गली में घुसकर जाना पड़ता है – |”

अभी भी पहला पुलिसवाला समझ नही पाया क्योंकि अभी कुछ समय पहले वे अपने जिस निजी काम करने गली में था जब जॉन उधर से गुजरा था जिससे चिढ़कर वे भी जॉन के पीछे हो लिए थे| अब ये कौन सी चुडैल है जिसके कारण उसे इस तरह आधी रात गली में मुंह मारने जाना पड़ता है वह ये सोचता अपना दिमाग मथ ही रहा था तभी दूसरा पुलिसवाला जॉन की ओर देखता हुआ बोल रहा था|

“मोटी ने जीना दूभर कर रखा है – उसकी रोज रोज की चिक चिक से अपन घर भी नहीं लौट सकते – तू उस चुडैल को अपनी मशीन में ले जाएगा तो मई अपनी ओर से तेरे को फीस दूंगा – बोल चलेगा मेरे घर |”

अब जॉन उसका मतलब समझ गया था जिससे उसके अन्दर तेज गुस्सा भर  उठा| आखिर उसके काम का मजाक बनाया जा रहा था| उनकी नज़र में भूत पकड़ना किसी चूहे पकड़ने जैसा था और पुलिसवाला तो उससे चाह रहा था कि वह उसकी मोटी बीबी को इससे पकड ले..उफ़ इस गधो को पुलिस की वर्दी किसने दी ! जॉन चिढ़ती नज़र से उसकी ओर देख रहा था जबकि उसका मजाक समझते पहला पुलिसवाला अब कसकर हँस रहा था|

ये सब देखकर जॉन का दिमाग ही फटा जा रहा था| आधी रात वह अपना जरुरी काम करने के बजाए दो मस्तीखोर पुलिस वालो के लिए मनोरंजन का साधन बना हुआ था| काफी देर इधर उधर के प्रश्न करते कभी बेतर्क ही बात करते वे जॉन का समय पीते रहे और सुबह ड्यूटी का समय खत्म होते वे सामान सहित जॉन को बाहर कर देते है| जॉन भी चुपचाप अपना सामान समेटता हुआ उस पागलखाने से बाहर आ जाता है|

अब सुबह हो रही थी और जॉन अपने तय समय पर फेनी तक नही पहुँच पाया था इससे उसमे एक तेज किस्म की खीज भर उठी पर अब बिना समय गंवाए वह टैक्सी करते उस हॉस्पिटल की ओर चल देता है|

कुछ देर में वह टैक्सी ठीक मुख्य निकास पर रूकती है| जॉन भी सोचता है कि अब दिन के उजाले में पीछे के रास्ते में जाने में कोई तर्क नही और फिर हो सकता है कि फेनी अभी भी अपनी ड्यूटी टाइम में हो तो कम से कम क्यों नही पहुँच पाया ये तो बता देगा उसे| मन ही मन तय करता हुआ वे अलसुबह हॉस्पिटल के अंदर पहुँच गया था| वह बिना रुके सीधे रिसेप्शन पर पहुँचता हुआ वहां बैठे आदमी से प्रश्न करता है – “मुझे क्लिनिकल डिपार्टमेंट की मिस फेनी से मिलना है – वे कहाँ होंगी इस वक़्त ?”

सुबह सुबह अपने सामने की टेबल पर के पेपर इधर उधर रखता हुआ पूछता है – “किस वार्ड में है पेशंट ?”

“पेशंट नही डॉक्टर है – क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मिस फेनी इसी हॉस्पिटल में |”

अबकी जॉन की तेज आवाज से वह सर उठाकर उसकी ओर देखता हुआ कहता है – “सर यहाँ कोई मिस फेनी नही है – आप ठीक ससे देखकर बताओ |”

“मैंने भी यही बोला था |” आवाज से उन दोनों का ध्यान बगल में जाता है जहाँ एक सफाई कर्मी महिला जॉन की ओर देखती हुई कह रही थी – “उस दिन यही पूछ रहे थे तब भी मैंने यही कहाँ कि यहाँ ऐसा कोई नही |”

जॉन इस जवाब के लिए बिलकुल तैयार नही था| वह हैरान कभी रिसेप्शन की ओर देखता है तो कभी उस महिला की ओर| आगे जानने के लिए बने रहे साथ…

क्रमशः…….

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