
डेजा वू एक राज़ – 11
कुछ पल तक वही खड़े खड़े जॉन खुद को यकीन दिलाता रहा कि वे हॉस्पिटल के कर्मी उससे जो कह रहे है क्या वही सच है !!! जबकि उसका मन इस बात को सिरे से मानने से इंकार कर देता है कि फेनी वहां है ही नही| जितना वे उसे मना कर रहे थे उतना उसका यकीन फेनी का किसी मुसीबत में फसा होना मानता जा रहा था| सुबह सुबह की बहस से वहां माहौल गर्म होने लगा और उसके अगले ही पल बीच बचाव करने वहाँ कुछ डॉक्टर्स आ गए| आते ही डॉक्टर्स माजरा समझते हुए जॉन को समझाते हुए कहने लगे –
“यहाँ फेनी नाम की कोई डॉक्टर नही है – ये तुम मान क्यों नही लेते ?”
डॉक्टर की बात पर भी यकीन न करते हुए जॉन बोलता है – “कैसे कह सकते है – मैं जिसके साथ आया था यहाँ अचानक उसके अस्तित्व को ही सभी इंकार कर दे रहे है -|”
“ठीक है अगर उसका अस्तित्व है तो कोई तो पहचानता होगा उसे तो पहले जाओ और उसके अस्तित्व का पता करो फिर यहाँ आना |” डॉक्टर तेज किस्म में कहता हुआ जॉन को बाहर जाने को कहता है|
जॉन के पास भी अब कुछ कहने को नही रहा तो आँखों में सदमा लिए वह बाहर की ओर चला जाता है पर उसका मन अभी भी इस बात को मानने से इंकार किए था कि फेनी है ही नहीं !!
वह वापस अपने रूम में आ जाता है| सामान रखता वह अपनी देह कुर्सी पर छोड़ देता है| बहुत देर तक ऐसे ही बैठे रहते वह अपना पिछला सारा वक़्त अपने मन में खंगालने लगता है जब पहली बार वह उससे मिला था तब से जरुर कोई तो लिंक होगा जिसे पकड़ते हुए वह फेनी तक पहुँच सके इसके लिए जॉन एक पेपर लेता है और जो जो उसे खास बात याद आने लगती वह उसे लिखता जा रहा था| वह पेपर के बीचो बीच फेनी लिखकर उसके चारों ओर सर्कल बनाते हुए क्लू को लिखता जा रहा था – ‘फेनी… गोवा गवर्नमेंट हॉस्पिटल…..क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट…. miochay…….Hav tujhar mog karta….|’ लिखते लिखते अचानक से फेनी की कही बातें भी उसके दिमाग में कौंधनी लगती है….’ सन्देश किसी भी भाषा में हो पर उनके अहसास पकड़ो तो सब समझ जाओगे…|’
आखिर क्या कहना चाहती थी वह अपनी बातों से !! क्यों उसने उस दिन ये कहा कि जाने वाले को रोकने की बड़ी ठोस वजह चाहिए !! क्या वह जानकर गई या कोई हादसा उसपर गुजरा !! तब से बार बार फेनी के नाम के आस पास कुछ टूटे फूटे वक़्त लिखता रहा पर उनका आपस में कोई तालमेल वह नही जोड़ पाया इससे बेहद खीज सी उसमे भर उठी और झटके से साथ वह अपनी गर्दन कुर्सी की पुश्त पर टिकाकर ऊपर छत की ओर देखने लगा| ‘कुछ तो है ऐसा जो सामने है पर उसे समझ नही पा रहा !! कोई शब्द !! कोई संकेत !!’
सोचते हुए जॉन अब कुर्सी छोड़कर उठ कर अपनी पॉकेट में मोबाईल और अपना पर्स रखकर रूम से बाहर की ओर चल देता है| वह तय करता है कि वह उन सब जगह जाएगा जहाँ जहाँ वह फेनी से मिला था| कोई तो पहचान करेगा उसकी !!
जॉन सबसे पहले उस पब में आता है जहाँ दिन के वक़्त कोई खास हलचल नही थी| वह वहां के मेनेजर से मिलकर सीसीटीवी देखने की बता करता है पर इसमें वे उसकी कोई मदद नही करते| बहुत देर उनसे माथापच्ची करने पर भी वे जब उसकी कोई मदद नही करते तो वह बीच की ओर निकल जाता है| असल में वह उस शख्स को ढूँढना चाहता था जिससे फेनी टकराई थी| कम से कम एक बार वह व्यक्ति यही बोल देता कि हाँ देखा था उसे इससे उसका संशय में पड़ा मन कुछ संतुलित हो पाता| वह बहुत से बीच पर भटकते हुए उस हिप्पी की तलाश करता रहा| पर पूरा दिन भटकते वह उस हिप्पी को नही तलाश पाया| यूँ तो ये मुश्किल भी था आखिर हजारो तरह तरह के चेहरों में वह किसी अनजान की तलाश कर रहा था| बिना खाए पीए भटकते वह रात में फिर से उसी पब में जाने का तय करता हुआ बाकी का सारा समय उसी बीच पर गुजार देता हुआ| फिर रात के शुरू होते वह एक बार फिर से उसी पब पर पहुँचता है जहाँ उस हिप्पी के मिलने की उम्मीद थी| शाम से ही उस पब में रौनक होनी शुरू हो गई थी| हर तरह के लोग वहां एकत्र होने लगे थे| म्यूजिक, डांस, शराब का अच्छा खासा दौर चल रहा था, लोग अपनी ही मदहोशी में डूबे थे मानो दुनिया जहाँ से उन्हें कोई ताल्लुक ही न हो| भीड़ में हर कोई एकदूसरे से अनजान था| किसी को किसी की कोई फ़िक्र न खुद पर कोई मलाल था| उनका वर्तमान का पल ही उनका सम्पूर्ण जीवन था न अतीत का ठिकाना न भविष्य की कोई चिंता !!
पर जॉन को तो बस उस हिप्पी की तलाश थी और आखिर बार के किनारे सुट्टा लेता वह उसे दिख जाता है| जॉन उसके पास आता उसे हिलाता हुआ उसका ध्यान अपनी ओर करता हुआ पूछ रहा था – “मुझे पहचानते हो !! कल याद है तुमने डांसिंग फ्लोर में किसी लड़की को टक्कर मारी थी – मैं उसी के साथ था – तुम्हे याद है वह लड़की !!”
जॉन हकबकाया सा उसकी ओर देख रहा था जबकि वह अपनी नशे में तर आँखों को बमुश्किल उठाते हुए जॉन से खुद को दूर करता हुआ फिर एक गहरा कश लगाने लगता है|
“तुम सुन रहे हो मैं क्या पूछ रहा हूँ – तुम पहचानते हो उस लड़की को जो मेरे साथ थी – बोलो ?” जॉन अबकी उसका कन्धा पकड़कर बुरी तरह झंझोड़ते हुए बोला इससे उसके आस पास वालो का भी ध्यान उसकी ओर गया| सभी संदेह भरी नज़र से उसे देखने लगे| वह हिप्पी अब उसकी पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगा जबकि जॉन उसे कसकर पकड़े हुए था| वहां ये आम बात थी लोगो का आपस में उलझ जाना पर तब तक वहां के लोगो की नींद नहीं टूटती थी जबतक हादसा उनकी नजरो के सामने न आ जाए| इसलिए जॉन और उस हिप्पी की झड़प को जो लोग अब तक बहुत आम समझ रहे थे वे सभी जॉन के बढ़ते आक्रोश से सहम गए और उन दोनों के बीच पड़ते बीच बचाव करने लगे|
जॉन लगातार फेनी के बारे में पूछता उस हिप्पी पर चिल्ला रहा था जबकि हिप्पी जॉन की पकड़ से खुद को छुड़ाने की भरसक कोशिश करता रहा| अब तक पब के बाउंसर भी वहां आ पहुंचे थे जो जॉन को पकड़कर बाहर करने लगे पर जॉन उन दो चार लोगो से भी नही संभल रहा था| वह पूरे आक्रोश में चिल्लाता रहा पर जब उसे खींचकर बाहर कर दिया गया तब वह अपनी सजल आँखों से देखता आखिरी बार विनती कर उठा –
“प्लीज़ मुझे इतना बता दो कि वो मेरे साथ थी कि नही !!”
“नही….नही थी कोई तुम्हारे साथ |” तब से हलकान होता वह हिप्पी उसपर चिल्ला पड़ा तो पल भर को वहां का शोर शांत हो गया या शायद जॉन के ही कानो ने सुनना बंद कर दिया| उसका आक्रोश अचानक लुप्त होता सदमे में बदल गया जिससे बाउंसर उसे उठाकर बाहर खड़े पुलिस वालो की ओर उसे फेक देते है| जॉन अब अपने होश में नही था उसके लिए ये सब किसी हादसे सा गुजर गया| उसके लिए ये विश्वास करना मुश्किल हो रहा था कि जिसके स्पर्श को उसने छुआ था जिसे अपनी देह से उसने महसूस किया तो कैसे मान ले कि वह है ही नहीं !! इन्ही भावों में उलझा जॉन बेजान सा जमी पर पड़ा रहा| पुलिस वाले जो निट्ठले से बैठे मुफ्त की बियर उड़ा रहे थे जॉन के रूप में अपना शिकार देख अब उसपर टूट पड़े|
“ओए बोलबोले – ये श्याना तो वहीच है न – भूत पकड़ने वाला |”
“गोडबोले साहब – बिलकुल वहिच है – रसाला हटेला मालूम पड़ता है |”
“तो अपन काहे को अपना अमूल्य समय इसपरिच बर्बाद करे !”
दोनों एकद्सरे को देखते अब जॉन का गिरा चेहरा उठाते हुए आपस में आँखों आँखों में इशारा करते हुए जॉन की जेब खंगालने लगते है| उसका मोबाईल और पर्स हाथ में आते उसे चुपचाप अपनी पॉकेट में रखते वे दोनों वहां से सरक लेते है और जॉन रेतीली जमी पर फेकी वस्तु की तरह वहां पड़ा रह जाता है| उसकी बंद होती पलकों के बीच लहकता फेनी का चेहरा उससे कह रहा था –‘आज मुझे जानते हो क्योंकि मैं दिख रही हूँ कल नज़रो के सामने नही रहूंगी तो भूल जाओगे मुझको !!’
नही…..!!! एक गहरी चीख के साथ जॉन जैसे होश में आ गया और उठते ही भागता हुआ जाने लगा|
जॉन अपनी बिखरी हुई हालत में फिर से उसी हॉस्पिटल के बाहर था और अबकी आगे से जाने के बजाये वह फिर से उसी रास्ते जाने की कोशिश करता है जहाँ से फेनी उसे ले गई थी| जॉन तेजी से उस बरगद के पेड़ के पास आता अँधेरे में उस रास्ते को खोजने की कोशिश करने लगता है जहाँ फेनी उसे मिली थी| रौशनी का ख्याल आते वह जेब में हाथ डालकर अपना मोबाईल खोजने लगता है पर उसकी जेबे खाली होती है वह अपनी बेख्याली में जान भी नही पाया कि कब उसकी जेब से वह पुलिसवाले उसका मोबाईल और पर्स उड़ा ले गए| आखिर कुछ न पाकर वह टटोलता हुआ आगे बढ़ रहा था पर अँधेरे के कारण जगह को न समझ पाने से वह किसी चीज से बड़ी तेजी से टकराकर गिर पड़ता है| शायद हॉस्पिटल के पिछले हिस्से में हॉस्पिटल का ही गैरजरूरी सामान पड़ा था जिससे टकरा कर गिरते जॉन को सर पर तेज किस्म की चोट लग जाती है| जॉन जब तक खुद को संभालकर दुबारा उठाता तब तक वहां कुछ लोग आ जाते है जो शायद रात की इस अन्न्यास आवाज को सुनकर आए थे|
“कौन हो !!”
“अरे ये तो वही है सुबह हंगामा करने वाला |”
“चलो इंचार्ज को खबर करते है|”
“तब तक पकडकर रखो इसे |”
जॉन उनकी बात सुनता उन्हें अपनी सच्चाई समझाता रहा पर सभी अविश्वसनीयता से उसे पकड़े पकड़े हॉस्पिटल के अंदर ले आते है|
वह हॉस्पिटल के अंदर सभी की संदिग्ध नजरो के बीच खड़ा अपना दर्द बयाँ कर रहा था – “आप सभी क्यों नही मानते कि मैं फेनी नाम की लडकी से इसी हॉस्पिटल में मिला और वही मुझे अन्दर तक लाई – आखिर मैं झूठ क्यों बोलूंगा – मेरा इसमें क्या फायदा – मैं सच कह रहा हूँ – वह इसी हॉस्पिटल में काम करती है – क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हाई वो – हो सकता है यहाँ इतना बड़ा स्टाफ हो आप नही जानते हो पर मुझे एक बार मौका दे कि मैं उस डिपार्टमेंट में जाकर उसका पता लगा सकूँ – बस एक बार |”
जॉन गुजारिश करता हुआ कहता है तो सभी मूक एकदूसरे का चेहरा देखने लगते है| आखिर नर्सिंग स्टाफ का इंचार्ज जाकर मेंटल डिपार्टमेंट के ड्यूटी डॉक्टर को सब बात बताता है जिसे सुनते वह जॉन को अपने पास बुलाता हुआ उसे एड्रेस बोर्ड के आगे खड़ा करता हुआ कहता है –
“ये बोर्ड देखो – इसमें पिछले दो तीन साल से लेकर अभी तक का जितना भी इस डिपार्टमेंट के डॉक्टर आए या है सबका नाम दिया हुआ है – देखो – क्या इसमें कही भी फेनी नाम की कोई डॉक्टर है -!!”
दो पल का पौज़ देता डॉक्टर गहरी आँखों से जॉन को देखता रहा जो पागलो की तरह उस बोर्ड पर झुका एक एक नाम को बोल बोलकर पढ़ रहा था| पूरा बोर्ड पढ़ लेने के बाद वह दुबारा उस बोर्ड को पढने लगता है| कुछ देर उसकी ये हरकत देखने के बाद डॉक्टर उसका कन्धा पकड़कर उसे पीछे धलेकता हुआ कहता है –
“देख लिया !! हो गया सुकून कि अब भी कुछ कहना है ?”
जॉन अभी भी उस बोर्ड को घूर रहा था मानो आँखों से उसे जलाकर भस्म कर देगा जिसमे फेनी का नाम ही नही | उसका मन अभी भी इस सच को स्वीकारने को बिलकुल तैयार नही था वह डॉक्टर को बिना कुछ कहे अब उस डिपार्टमेंट के अन्दर जाने लगा तो उससे कुछ दूर खड़े वार्ड बॉय उसकी ओर लपकते उसे कसकर पकड़ लेते है| कुछ देर उनकी पकड से छूटने की कोशिश करता जॉन अब घायल सा वही फर्श पर पड़ा था और सभी अजीब नज़र से उसे घूर रहे थे|
क्रमशः…………………