
डेजा वू एक राज़ – 19
रात अभी बाकी थी| रात्रि के तीसरे पहर में अनिकेत जॉन का लैपटॉप लेकर बैठा था| तब से लैपटॉप को खंगालते उसे कुछ भी समझ नही आ रहा था फिर सर्च करते करते वह सर्च हिस्ट्री को सर्च करने लगा तभी उसकी नज़र गोवा मेडिकल कॉलेज पर गई जिसे उसने बीच के पास देखा था| मन ही मन वह बुदबुदाया – ‘ओह तभी ये मुझे देखा लग रहा था मैंने सर्च हिस्ट्री में ही देखा होगा |’
इसके बाद वह जॉन का इमेल बॉक्स खंगालने लगता है जिसमे कई भेजे और प्राप्त मेल के बाद वह ड्राफ्ट को देखने लगा तभी उसे एक ऐसा ड्राफ्ट मिला जो उसी को मेल किया गया था पर नॉट सेंड दिखा रहा था|
अब अनिकेत उस मेल को खोलकर पढने लगता है – ‘इन दिनों बहुत ही अजीब हालात से गुजरा हूँ मैं – एक तरफ फेनी नाम की जिस लड़की के बुलाने पर मैं गोवा आया था नही पता था उसे लेकर मेरा मन इतना सीरियस हो जाएगा – वो मुझे बहुत ही ख़ास लगती है – कुछ तो है उसमे ऐसा कि उससे मिलते मैं उसकी ओर अजब सा खिंचाव महसूस करने लगा हूँ – अगर इसे प्यार कहते है तो हाँ कुछ ऐसे ही हालात से गुजर रहा है मेरा मन – दूसरी तरफ एक और अजीब बात हुई – कभी किसी अनजान जगह में ऐसा लगता है कि आप वहां पहले भी आ चुके है या वो पल अपनी जिंदगी में दुबारा जी चुके है तो इस फीलिंग जिसे डेजा वू कहते है से मैं एक चर्च में जाते हुए गुजरा – अब क्या बताऊँ – ये किस तरह का संकेत है पर सच में वह अनुभव ऐसा ही था खैर इस सच्चाई का तो मैं पता लगाकर ही रहूँगा जिसके इर्द गिर्द मेरी जिंदगी उलझ कर रह गई है – अब बस तुम्हारे आने का इंतजार है – कब आ रहे हो बताना – तुम्हारे इंतजार में….|’ मेल को पढ़ते पढ़ते अनिकेत का मन भावुक हो उठता है|
जॉन को खोजना उनके बीच के विश्वास की जरुरत थी| उसे वह किसी भी हाल में खोजकर रहेगा| ये सोचते अपने मन को जल्दी ही नियंत्रण करता वह अब उस मेल की बातों पर विचार करने लगता है| ‘अब जो भी सच मालूम करना है उसके लिए उसे उस हॉस्पिटल में जाना ही होगा – कल सुबह ही वह वहां पहुँच जाएगा और पता करेगा जॉन के बारे में|’ जॉन का मोबाईल खंगालते खंगालते अब सुबह हो आई थी जिससे अनिकेत अपनी जगह से उठता हुआ खिड़की के पास आता उगती सुबह को देखता हुआ पलक को फोन लगाने लगता है|
कितनी देर वे बात करते रहे ये पलक को सबके धीरे धीरे उठकर आते देखने से आभास हुआ| अनिकेत ने ज्यादा कुछ पलक को नही बताया ताकि वह परेशान न हो बस अपने और उसके दिल का हाल सुनते कहते वह फोन रख देता है क्योंकि पीछे से कोई और कॉल आ रही थी|
पलक के फोन रखते फिर वही कॉल को उठाते उसे पता चलता है कि ये वही इन्स्पेक्टर है जो फोन उठाते ही कहने लगा – “अनिकेत जी आपके दोस्त के नम्बर के कालिंग और रिसीविंग स्लॉट पर यूँ तो कोई नंबर नही थे सिवाए एक नम्बर के जिसपर गोवा से ही कॉल किया गया था – उस पर मैंने मिलाया तो ये मेरठ के किसी ओर्फेनेज का नम्बर निकला जिसपर तकरीबन बीस मिनट बात हुई थी – आप बात करके देखना |”
“ओके थैंक्यू इन्स्पेक्टर |”
“और सर मेरा काम ??”
“बताता हूँ बाद में |” कहकर अनिकेत कॉल डिस्कनेक्ट कर देता है|
पलक को फोन पर उलझा देखती झलक अंगड़ाई लेती हुई उसे छेड़ती हुई कहती हुई उसकी ठीक बगल में आती पसर गई|
“ओहो शक्ल बता रही है कि दूसरी तरफ हमारे पंडित जी ही है – लाओ लाओ मैं भी बात करुँगी |”
“यू आर लेट – कॉल तो कट गई|” मुस्कराती हुई मोबाईल उसकी आँखों के सामने नचाती हुई कहती है|
इस पर बुरा सा मुंह बनाती हुई कहती है – “तुम दोनों बहुत गंदे हो |”
झलक के बच्चो की तरह मुंह बनाना देख उसे अपनी बाहों में समेटती हुई पलक खिलखिला हुई कह उठी – “अरे सॉरी न – बहुत देर से बात हो रही थी – बाद में बात कराती हूँ अभी जॉन के मिसिंग होने से थोड़ा परेशान है न |”
“ओफो जॉन कोई बच्चा है क्या जो उसके खोते उसे ढूंढने पहुँच गए – अरे जवान आदमी है – किसी बीच वीच पर किसी लड़की के साथ गया होगा ताकि कोई उसे डिस्टर्ब न करे – बेकार ही उसे खोज रहे है |” फिर से उबासी लेती हुई कहती है|
“तुझे ये बात मजाक लगती है – न जॉन ऐसा है और न अनिकेत फालतू काम करते है – मुझे बताए चाहे न बताए पर मुझे अच्छे से अहसास है कि जब अनिकेत वहां पहुंचे है तो जरुर बात गंभीर होगी|”
पलक की बात पर झलक होंठ सिकोड़ती हुई बोली – “अपने पति की बड़ी वाली चमची है तू |”
“अच्छा तू किसकी चमची है ?”
“अरे मैं तो आजाद परिंदा हूँ |”
“ओहो अभी देखना तुम्हारा पीछा करते तुम्हारे सोल मेट यही आने वाले है |”
पलक की बात पर ख़ुशी से उछलती हुई झलक बोल उठी – “अच्छा रचित से बात हुई क्या – मेरा तो कल शाम से ही फोन नहीं उठा रहा – पता नही कहाँ बिज़ी है !”
उस पर झलक के उतरे चेहरे को देख पलक फिर से उसे अपनी बाँहों में समेटती हुई कहती है – “छोटी चिड़ियाँ की तरह हमेशा चोच मारती रहती है इसलिए बेचारा कही सुस्ता रहा होगा |” कहती हुई पलक खुलकर हँस पड़ी|
पलक को अपने पर हँसते देख झलक कहने लगी – “अच्छा पल्लो एक बात दिमाग में आई – तेरे बच्चो का नाम न अगर बेटा हुआ तो पुरोहित रख देंगे और बेटी हुई तो पुरोहिताइन रख देंगे – आखिर पंडित जी के बच्चे है |”
कहती हुई झलक उसे चिढाती हुई जोर से हँस पड़ी थी जिसपर अपनी नाराजगी दिखाती हुई पलक अब उसपर कुशन दे मारती है| उसी वक़्त मम्मी हाथ में नाश्ते की दो प्लेट लाती हुई उन्हें देखती हुई कह उठी – “ये क्या मारापिटी लगा रखी है|”
“इसके लक्ष्ण ही ऐसे है |” कहती हुई पलक एक और कुशन हंसती हुई झलक पर धरती हुई बोली|
“लो पोहा |”
माँ द्वारा दोनों के आगे नाश्ता रखते झलक उसे झट से उठाती हुई कह उठी – “वाओ माँ के पास माँ के हाथों का पोहा मिले इससे बेस्ट कुछ नही |” कहती हुई एक चम्मच भरकर मुंह में रख लेती है जिससे एकदम से उसे खांसी आ जाती है| इसपर उसकी पीठ ठोकती हुई पलक कह उठी – “आराम से – कही भागा नही जा रहा तेरा पोहा|”
इसपर माँ मुस्कराती हुई उन्हें देखने लगी|
माँ को जाते देख पलक उन्हें टोकती हुई पूछती है – “और माँ आपका नाश्ता !!”
“आज पापा गार्डन में नाश्ता करेंगे तो मैं भी वही उनका साथ देने जा रही हूँ और हाँ और चाहिए हो तो ले लेना किचेन से |” माँ दोनों को कहती हुई कमरे से चली गई|
“अच्छा झल्लो कल रात तू क्या कह रही थी अब बता – आखिर ये तेरा ब्लॉग है क्या बला !” पलक भी अपनी प्लेट उठाती हुई झलक की ओर देखती हुई पूछती है|
अपने ब्लॉग की बात आते झलक अब सारा ध्यान पोहा से हटाकर पलक की ओर करती हुई कहती है – “एक्चुली एक साल पहले एक घटना से प्रभावित होकर मैंने ये ब्लॉग बनाने की सोची पर पता नही था कि इतनी जल्दी मेरे ब्लॉग के लिए इतना कंटेंट मिल जाएगा और इतने लोग जुड़ते जाएँगे |”
झलक की बात हैरानगी से पलक सुन रही थी और वह भी उसकी ओर मुड़ी हुई पूरे जोश में बोलने लगी – “एक साल पहले रचित और मैं महाराष्ट्र घूमने गए थे वही मुझे एक बच्चा मिला था – यही कोई पंद्रह सोलह साल का होगा – एकदम डरा सहमा देखती उसको – हमारे होटल जाने के रास्ते पर पड़े चौराहे पर उसे रोजाना बैठा देखती थी – उसे देखकर मन में अजीब सा भाव उठता – एक दिन मुझसे नही रहा गया और मैं उसे कुछ खाना देने चली गई – बड़ी मुश्किल से मेरी ओर देखा और अपना नाम हामिद बताया पर मुझे लगा वह हमीदा बोलना चाहता था – अजीब सी गहरी धसी हुई उसकी ऑंखें थी – पूरी तरह से डर से लबरेज – तब मैंने सोचा क्यों न इसे किसी अनाथालय में छोड़ दूँ – रचित और मैं मिलकर उसे अनाथालय ले गए – उन्होंने उसे रख भी लिया फिर जब हमारे जाने का समय हुआ तो मैंने सोचा क्यों न आखिरी बार उसे देख आती हूँ – जब वहां गई तो वह वहां था ही नही – वहां का मेनेजर बोला आप किसे लाई थी वह तो भाग गया और उन्हें पता भी नही चला – तब हम इसकी रिपोर्ट लिखाने पुलिस स्टेशन गए तब मुझे इस सच का पता चला कि कितने सारे लोग दुनिया में ऐसे है जिनका कोई रिकॉड नही मिल पाता क्योंकि वे अकेले है – अगर इस बच्चे का दुनिया में कोई होता तो कोई तो इसे खोजता पर नही था इसलिए कहाँ गया ये पता करना मुश्किल है – तभी से ये विचार मेरे मन में घर कर गया कि अकेले रह रहे लोगो का आखिर किसे पता रहता है – वे अचानक से दुनिया से गायब भी हो जाए तो किसे फर्क पड़ेगा और क्यों !! क्योंकि कोई इनके कांटेक्ट में होता ही नहीं है – तभी मैंने ये ब्लॉग बनाया जिसमे ऐसे ही अकेले रह रहे लोगो का परिचय होता है – मैंने देखा कितने लोग है – हर उम्र के लोग जो अकेले रह रहे है और किसी को किसी की कोई खबर भी नही होती – तभी ये सोचकर मैंने ऐसा ब्लॉग बनाया जिससे वे सारे अकेले लोग अचानक से इस दुनिया से गायब हो तो किसी को तो उनकी खबर हो |”
“वाह झल्लो पर तू इसके लिए इधर उधर क्यों मारी मारी फिरती है ?”
“जब ऐसे अकेले लोग मुझसे कांटेक्ट करते है तब मैं उनका पता लगाती हूँ फिर उनका सारा परिचय इसमें डालती हूँ और समय समय पर उनसे मेसेज का आदान प्रदान करती रहती हूँ ताकि उनका होना पता चल सके और जब किसी का कोई जवाबी मेसेज नही आता तो उनका पता लगाती हूँ कि उन्हें क्या हो गया ?”
“ग्रेट झल्लो – आज के वक़्त जब अपने ही अपनों को छोड़ देते है तब तू कितना अच्छा काम कर रही है – तू न हम सब जैसी वाकई नही है तेरी सोच तो बस ओसम है |”
पलक की बात सुन उसके कंधे पर सर रखती हुई कहती है – “एक तू ही है बहन और एक रचित जो मुझे समझते है नही तो बाकियों को तो मैं फालतू घूमती नज़र आती हूँ |”
फिर अचानक कुछ याद आते झलक उसके कंधे से उचकती हुई कहती है – “पल्लो अगर जॉन भी इस ब्लॉग से जुड़ा होता तो आज उसका गुम होना सबको पता चलता |”
“हाँ ठीक कहती है पर अभी मिल तो जाए – जाने कहाँ अचानक गायब हो गया !” अब दोनों एकदूसरे को विस्मयपूर्ण भाव से देखने लगी|
अनिकेत उस हॉस्पिटल के बाहर खड़ा एक बार फिर अपनी कलाई घड़ी देखता है| अबकी तीसरी बार देखता ही है कि किसी व्यक्ति के दौड़ते कदमो की आवाज सुनाई देती है तो वह पलटकर देखता है वो इन्स्पेक्टर था जो तेजी से उसकी ओर भाग के आ रहा था|
“सॉरी सर देर हो गई – दरअसल नाईट ड्यूटी से सीधा चला आ रहा हूँ – बताईऐ |” वह अपनी ऊपर नीचे होती सांसो को नियंत्रित करता हुआ कहता है|
“इस हॉस्पिटल में छानबीन करनी है तो बिना पुलिस के कैसे संभव होगी !” अनिकेत कहता है|
“तो क्या आपको पूरा यकीन है मिस्टर जॉन का यहाँ कुछ पता चलेगा !”
“हाँ ये यकीन है कि यहाँ से मैं खाली हाथ नहीं आऊँगा –|”
“तो फिर चलिए किस बात की देर है !”
कहता हुआ इन्स्पेक्टर अनिकेत संग उस हॉस्पिटल में चल देता है| वे रिसेप्शन में बैठी लेडी को जॉन की तस्वीर दिखाते हुए उसके बारे में पूछते है जिसपर वह उन्हें मेंटल वार्ड की ओर भेज देती है| वे अब मेंटल वार्ड की ओर चल दिए| वहां के रिसेप्शन पर बैठा वार्ड बॉय सुबह सुबह भी ऊँघ रहा था पर पुलिस के साथ एक चुस्त व्यक्ति को देख तुरंत सकपकाता हुआ खड़ा हो जाता है|
“ये देखो और बताओ देखा है इसे – कुछ भी पता है इसके बारे में ?” इन्स्पेक्टर वार्ड बॉय को घूरता हुआ पूछता है|
“साहब – ड्यूटी डॉक्टर को बुलाता हूँ मई |”
वह बिना और कुछ कहे अन्दर की ओर लगभग भागता हुआ जाता है और अगले ही पल उसके आगे आगे एक डॉक्टर था जो उन दोनों के सामने खड़ा हुआ कह रहा था –
“टेल मी हाउ कैन आई हेल्प यू ?”
“इसे देखो – देखा है कही ?”इन्स्पेक्टर फिर से मोबाईल की स्क्रीन उनकी आँखों के सामने कर देता है|
अबकी डॉक्टर कुछ पल तक उस तस्वीर को गौर से देखता रहता है जिससे ऊबकर अबकी अनिकेत पूछता है –
“टेल मी डॉक्टर – हैव यू सीन दिस पर्सन ?”
अब वे दो जोड़ी निगाह घूरती हुई उस डॉक्टर के हाव भाव पर टिकी थी|
तभी डॉक्टर कहता है – “यस – कम विथ मी |”
ये सुनते अनिकेत और इन्स्पेक्टर एकदूसरे का चेहरा आश्चर्य से देखने लगते है|
कहता हुआ डॉक्टर तुरंत अन्दर की ओर चल देता है जिससे उसके पीछे पीछे वे दोनों भी अन्दर चल देते है| काफी देर तक उनके बीच ख़ामोशी के बीच वे एक लम्बा गलियारा पार करते है| गलियारा पार करते वे अन्दर के वार्ड की ओर जा रहे थे जहाँ कृत्रिम रौशनी नाममात्र की थी और कम वाट का बल्ब मरमरा सा जल रहा था| फिर वह किसी सुनिश्चित सेल के सामने रुकते हुए कहता है –
“क्या आप इसी व्यक्ति की बात कर रहे थे ?”
डॉक्टर के कहते वे दो जोड़ी निगाह अब मध्यम रौशनी में सेल के कोने में दुबके व्यक्ति पर अपनी नज़र गडा देते है| वह शख्स बुझा बुझा सा जमीं पर उकडू बैठा था पर उसका चेहरा सामने की ओर था जिससे अनिकेत को एक पल भी देर नही लगी पहचानने में कि वह ही जॉन था उसका दोस्त….जिसे वह हैरानगी से देखता रहा आखिर उसका ऐसी जगह होना कभी उसने कल्पना भी नही किया था|
क्रमशः……..