
डेजा वू एक राज़ – 20
अनिकेत की आँखों के लिए ये अविश्वसनीय दृश्य था| उसकी आँखों के सामने जॉन किसी खरगोश सा दुबका बैठा था मानो सारी दुनिया का डर उसकी आँखों में समा गया हो|
“ये क्या हुआ है इसे –?” अनिकेत पलटकर डॉक्टर की ओर देखता हुआ चीखा|
इन्स्पेक्टर भी जॉन को देखने उसके पास जाकर उसे घूरता हुआ बोला – “आपके अनुसार दस दिन पहले इसने आपको ईमेल किया पर देखकर तो लग रहा है मानो सदियों से ऐसे बीमार हो|”
इस पर डॉक्टर इधर उधर देखता हुआ कहता है – “मैं सीनियर डॉक्टर को बुलाकर लाता हूँ |” बिना उनकी प्रतिक्रिया का इंतजार किए वह वहां से विपरीत चल देता है|
अनिकेत जॉन की हालत देख बुरी तरह से आहत था| इस बात का दर्द उसके चेहरे पर साफ़साफ़ दिखाई दे रहा था| वह जॉन के पास आता उसके सर पर हाथ फेरता है जिससे जॉन और खुद में सिमट जाता है| अनिकेत फिर भी उसके सर पर हाथ फेरता हुआ अचानक रुक जाता है फिर उसके सर के दाए और बाए तरफ के बालो को हटाता हुआ उनमे इलेक्ट्रोड के निशान देखता हुआ बुदबुदाता है – ‘इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया !!’ ऐसा कहते गुस्से में उसके जबड़े की मांसपेशियां तन जाती है|
इन्स्पेक्टर जो अपनी नज़र अनिकेत पर ही टिकाए था अचानक उसके हाव भाव बदलते जल्दी से उसके पास आता हूँ पूछता है – “क्या हुआ अनिकेत सर ?”
“डॉक्टर !!” अनिकेत झटके से खड़ा होता पलटकर चीखता ही है कि सामने से वही डॉक्टर और साथ में कोई दूसरा प्रौढ़ डॉक्टर तेज कदमो से वही आते आते ठहर जाता है|
अनिकेत अब ठीक उनके सामने आता हुआ तेज आवाज में कह रहा था – “किस मेडिकल केटीगिरी में रखकर तुमने इसे ईसीटी दिया ? – तुम डॉक्टर हो और तुम्हे नही पता कि मेजर डिप्रेसिव स्टेज में ये इलेक्ट्रोशॉक थेरेपी दी जाती है – आखिर इन दस दिनों में ऐसी कौन सी मेडिकल इमरजेंसी हो गई – क्या डाइगनोसिस रिपोर्ट है उसे मैं देखना चाहता हूँ |”
अनिकेत की बात पर दोनों डॉक्टर के हाव भाव थोड़े घबराए हुए हो गए थे फिर सीनियर डॉक्टर किसी तरह अनिकेत के सामने आता बेहद नम्र स्वर में कहता है – “देखिए ये जिस स्थिति में हमारे पास आया था बेहद वाईलेंट बिहेवियर था – पहली नज़र में एक्यूट सिजोफेनिक केस दिखा जिसमे बहुत हाईली डील्युजन क्रिएट हो रहे थे – उस वक़्त ईसीटी के अलावा हमारे पास और कोई चारा नही था |”
डॉक्टर की बात पर इन्स्पेक्टर तुरंत बीच में बोल उठता है – “ऐसे ही कोई भी व्यक्ति आए तो कुछ भी अपने आप तय कर लेते हो !”
“हम कैसे पता करते – इस व्यक्ति की जेब में इसकी कोई भी आइडेंटडीटी नही मिली – तब हमारा पहला फर्ज मरीज को संभालना था |” डॉक्टर जल्दी से अपनी सफाई में कहता है|
“उसके बाद थाने में रिपोर्ट लिखाते |” इन्स्पेक्टर फिर प्रश्न करता है|
“मैं तुम सब डॉक्टर को छोड़ने वाला नही हूँ – आई विल सी यू ऑल इन कोर्ट |”
तब तक अनिकेत जॉन के पास जाकर उससे बात करने की कोशिश करता है पर सब बेकार रहता है वह किसी जीवित बुत की तरह उसके सामने था जिससे अनिकेत के मन को अंतरस ठेस पहुँचती है इससे वह फिर डॉक्टर से उलझ पड़ता है| अगले कुछ पल में उन सबके बीच इतनी बहस हो जाती है कि बीच बचाव करने डिपार्टमेंट हेड डॉक्टर वहां आते है और अनिकेत को समझाते हुए कहते है – “देखिए आप समझदार है तो प्लीज़ बिना पूरी बात जाने कोई प्रतिक्रिया न करे – आप मुझे दो मिनट दीजिए ताकि पूरी बात आपको समझाई जा सके – प्लीज़ |”
वह अनिकेत से अनुरोध करते उसे अपने केबिन में चलने को कहते है जिससे इन्स्पेक्टर अनिकेत को कहने लगता है – “आप जाओ सर – मैं आपके दोस्त के संग रहता हूँ |”
इन्स्पेक्टर की ओर से आश्वस्त होते अनिकेत उन डॉक्टर के साथ चल देता है| केबिन में आमने सामने बैठे वे दोनों एकदूसरे को गहरी नजरो से देख रहे थे|
“आप अभी पूरी बात नही जानते है – असल में हमारे हॉस्पिटल में कुछ समय से कुछ ऐसे ही पेशेंट मिल रहे है जो इसी हालत में आते और ये सरकारी हॉस्पिटल है इसलिए हम उनकी भरती भी कर लेते|”
डॉक्टर की बात पर अनिकेत आश्चर्य से पूछता है – “इस तरह के पेशेंट आ रहे है – मैं कुछ समझा नही |”
“हाँ ये बात हमारे लिए भी उतनी ही आश्चर्यजनक है जितनी आपको लगी – ऐसे एक्यूट सिजोफेनिक पेशेंट हमारे हॉस्पिटल के बाहर मिलने लगे – पहले शुरुवात में हमने पुलिस में इस बात की रिपोर्ट भी की और उन्होंने अपनी तरफ से तहकीकात भी किया पर उन लोगों के बारे में कुछ पता नही चल पाया फिर हमने ऐसे पेशेंट की रिपोर्ट करनी बंद कर दी इसीलिए जब आपका दोस्त यहाँ आया तो उसका बिहेवियर बिलकुल ऐसा ही था और उसकी आडेनडिटी के नाम पर उसका कोई परिचय उसकी पॉकेट में नही था फिर हम उसे कैसे पहचानते फिर उसे डील्युजन हो रहे थे इसलिए उसे प्राथमिक सहायता पहुँचाने के लिए हमने ईसीटी ट्रीटमेंट दिया|”
अनिकेत हैरानगी से उनकी बात सुनता रहा|
“अब आप ही तय करिए कि हमसे गलती हुई है या नही !”
कुछ पल तक उनके बीच ख़ामोशी रही जिसने अगले ही पल अनिकेत की मंशा जाहिर कर दी| वह चुपचाप उठकर चला गया इससे ये तय था कि उसे जॉन के साथ किए बिहेवियर पर अभी भी नाराजगी थी|
इसके बाद वहां उनके बीच समझौता हो गया और डॉक्टर अनिकेत के साथ कोपरेट करते जॉन को उनके साथ जाने देते है| सबसे पहले अनिकेत जॉन को किसी अच्छे प्राइवेट हॉस्पिटल में उसका मेडिकल चेकअप कराने ले जाता है| जहाँ डॉक्टर उसका चेकअप करने के बाद बताता है कि उसमे कुछ दवाइयों का असर है और बेहद कमजोरी भी है जिससे उसके ट्रीटमेंट के लिए अनिकेत उसे वही एडमिड करा कर इन्स्पेक्टर के साथ हॉस्पिटल से बाहर आ जाता है|
अनिकेत उसका थैक्स कहता उससे हाथ मिलाते हुए कहता है – “थैंक्स इन्स्पेक्टर – तुमने मेरी बहुत हेल्प की |”
“सर मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि आखिर ये केस सोल्व हो गया और आपको आपका दोस्त मिल गया तो..|” वह अपनी बात अधूरी छोड़ता हुआ अनिकेत की ओर गौर से देखता रहा जिसका साफ़ मतलब था कि उसका काम कब होगा ?
अनिकेत समझ गया कि अब उसे उसकी बात का जवाब देना होगा जिससे वह आगे कहता है –
“तुम आज शाम को आना तुम्हारे सवाल का जवाब मिलेगा|”
इन्स्पेक्टर उत्साहित होते हुए पूछता है – “शाम चार बजे !!”
“छह बजे |” कह कर अनिकेत अपने रास्ते चला जाता है|
पलक को तैयार होता देख झलक बिस्तर पर लेटी लेटी अंगड़ाई लेती हुई पूछती है – “अब सुबह सुबह कहाँ चली ?”
“तुम्हे भी चलने को माँ कह रही है |” पलक अपने बाल सहजती हुई कहती है|
“पर कहाँ !!”
“मंदिर |” माँ कमरे में आती हुई कहती है|
“ओह नो – अब प्लीज़ मुझे मत खींचकर ले जाना आप लोग – मुझे अभी सोना है|”
माँ झलक को देखती हुई कहने लगी – “ये लड़की भी सारे काम उलटे ही करती है – रात को जागेगी सुबह सोएगी अब नाश्ता करते सो रही है हम सबसे बिलकुल अलग काम करती है |”
इस पर पलक माँ के कानो के पास आती हुई कहती है – “माँ पक्का इसे हम अनाथायल से नही लाए न !!”
माँ भी पलक की बात पर मुस्करा दी|
“मैं सब सुन रही हूँ |” झलक चादर के अंदर से आवाज लगाती हुई कहती है तो दोनों मुंह दबाकर हंसती हुई कमरे से बाहर निकल आती है|
दोनों बाहर आती हुई देखती है कि वैभव जाने को तैयार खड़े थे| पर झलक को न देखकर वे पूछते है –
“झलक कहाँ है ?”
“पापा वो नही आएगी – अभी भी नींद आ रही है उसे |”
इस पर वैभव कहते है – “रुको मैं देखता हूँ |”
वैभव ज्यो जाने को हुए तो नीतू उन्हें रोकती हुई बोल उठी – “रहने दीजिए – वो सच में नही आएगी और अगर अभी बोला तो शाम कर देगी तैयार होने में – चलिए हम लोग ही मंदिर चलते है |”
इस बात पर वैभव भी झलक के बारे में सोचकर मुस्करा दिए| सभी बाहर निकलने लगे तभी कुछ याद करते हुए वैभव अपनी पत्नी से बोलते है – “हाँ नीतू तुमने वो कपड़े रखे जिन्हें तुम अनाथालय में देने वाली थी |”
“अरे हाँ – मैं तो बिलकुल भूल ही गई |” फिर पलक की ओर देखती हुई – “चल तो पलक साथ असल में तेरा ही एक बैग रखा था जिसमें अगर तुम्हारे यूज के कोई कपड़े नही तो उन्हें भी साथ में दे देती हूँ |”
दोनों को घर के अन्दर जाते देख वैभव कहते है – “जल्दी आना – मैं कार में वेट करता हूँ |”
नीतू झट से अपने कमरे में वापस आती बेड के नीचे से कोई बैग खींचती हुई कहती है – “ये देखो इसमें से है कोई तुम्हारे यूज का कपड़ा – तुम्हारा बैग ही है ये !”
“अरे नही माँ – आप सब दे दो |”
पलक की बात सुनते वे बैग को खोलती हुई कहती है – “ठीक है तुम झलक को बाहर का गेट बंद करने को बोलो तब तक मैं इसे लेकर आती हूँ |”
पलक हामी भरती झलक को आवाज लगाती उसके कमरे की ओर चल देती है|
नीतू बैग को ऊपरी तौर पर सरसरी नज़र से देखती हुई अलटने पलटने लगती है फिर उनके हाथ से कोई दुप्पटा टकराते वे उसे गौर से देखती हुई बुदबुदाती है – ‘ओहो कितनी गांठ बंधी है – चलो खोलकर देती हूँ |’ वे उस दुपट्टे की गांठ को खोलने लगती है तभी पलक की आवाज मिलती है|
“माँ जल्दी करिए – पापा बुला रहे है |”
“हाँ हाँ आती हूँ |” कहती हुई वे जल्दी से बिना देखे ही उसकी गांठ खोल कर उसे बैग में दुबारा घुसा देती है| पर ऐसा करते वे नही देख पाई कि उसकी गांठ के बीच में से कुछ जले चावल वही बिखर गए|
बैग लिए वे ज्योंही बाहर आए वैभव नाराज होते हुए कहने लगे – “पहले से सब क्यों नही प्लान करती हो – मैं कबसे इंतजार कर रहा हूँ – अब ये झलक कहाँ है – बाहर का गेट कौन बंद करेगा ?”
पापा की नाराजगी पर पलक धीरे से कहती है – “उसने बोला है वह बंद कर लेगी |”
अब तीनो कार में सवार बाहर निकल गए|
घर पर झलक अकेली रह गई पर काफी देर बाद भी वह मुख्य गेट बंद करने नही आई| कुछ देर बाद उस गेट से कोई कदम परिचित से अंदर आने लगते है| अंदर कमरे में चैन से सोई झलक को इसकी भनक भी नही लगी कि कोई उस घर के अंदर आ चुका है|
क्रमशः