Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 26

बहुत देर हाथ में मोबाईल लिए अनिकेत सोच में पड़ा रहा कि अब वह क्या करे !! इसी उपापोह में वह अपने होठ चबाता हुआ वार्ड में वापस आ गया| डॉक्टर जॉन का चेकअप कर रहे थे और अब उसकी रिपोर्ट आ गई होगी ये ध्यान आते अनिकेत डॉक्टर के पास आता है| इससे पहले कि अनिकेत कुछ पूछता डॉक्टर पहले ही बोल उठे –

“सब नार्मल है – आप चाहे तो शाम तक डिस्चार्ज करा सकते है|”

यही सुनने को उसका मन इंतजार कर रहा था| अनिकेत अन्दर से मुस्करा दिया| फिर डॉक्टर का आभार व्यक्त करते वह जॉन को उनकी देखरेख में छोड़कर होटल के लिए निकल गया ताकि वह वापसी का टिकट बुक कर सके| वह सब कुछ सोचता हुआ बाहर अभी निकल ही रहा था कि उसे विपरीत दिशा से मयंक आता हुआ दिखा| अबकी उसे देखते अनिकेत पूरी गर्म जोशी से उसका स्वागत करता है पर इस बार मयंक हर बार से अलग दिख रहा था| कुछ अनजानी सी उदासी उसके चेहरे पर झलक रही थी जिससे अनबूझा सा अनिकेत उससे तुरंत पूछ उठा|

“हाँ सर परेशानी वाली बात ही है – मैं आपसे यही सोचकर मिलने आ गया – अच्छा हुआ जो आप बाहर ही मिल गए|”

“क्यों ऐसा क्या हुआ – क्या मैं तुम्हारी कोई मदद करूँ ?”

“काश इसमें आप मेरी मदद कर सकते |”

अनिकेत अनबूझा सा देखता हुआ पूछता है – “बात क्या है ?”

“सर कल फोन आने से मैं जिस हड़बड़ी में गया दरअसल मेरा रूम मेट जो मेरा कोर्स मेट भी है उसने पढाई के दवाब में रूम में फांसी लगाने की कोशिश की – ये खबर मिलते ही मैं भागा भागा अपने होस्टल पहुँचा |”

“ओह – क्या अब वह सुरक्षित है ?”

“जी सर – बच तो गया पर उसकी मानसिक स्थिति बिलकुल ठीक नही है इसलिए मैं उसे उसके परिवार वालों के पास छोड़ने जा रहा हूँ – फैमिली के बीच रहेगा तो शायद खुद को संभाल पाए – बस यही बताने आया था कि हो सकता है चार पांच दिन लग जाए – वह चिन्नई का है न !”

मयंक की बात पर अनिकेत उसके कंधे पर आश्वासन भरा हाथ रखते हुए कहता है – “सच में तुम बहुत अच्छे इंसान हो – कीप इट अप |”

इस पर मयंक के हाव भाव में हिचकिचाहट भरी मुस्कान तैर जाती है|

“चलो अच्छा है जाने से पहले तुमसे मिल लिया -|”

ये सुन मयंक अवाक् तुरंत पूछ उठा – “आप जा रहे है क्या सर !”

“हाँ जाना तो होगा ही और जिस काम के लिए आया था वो हो गया मतलब मेरा दोस्त मिल गया तो सोचता हूँ कल सुबह तक निकल जाऊ |”

“हाँ जाना तो होगा ही – पर सर याद रखिएगा आप गोवा से निकल जाएँगे पर गोवा आप में से नही निकलेगा |”

कहता हुआ मयंक लापरवाही से हँस पड़ा तो अनिकेत भी बंद होठो के किनारों से मुस्करा दिया|

वे आपस में विदा लेकर अपने अपने रास्ते चल दिए|

अनिकेत आगे के बारे में सोचता हुआ होटल चला जा रहा था| आज उसे कुछ ज्यादा ही लोगो की भीड़ होटल के बाहर और रिसेप्शन पर दिखी पर होगा कुछ इसपर ज्यादा ध्यान न देते हुए अनिकेत अपने रूम की ओर बढने लगा पर कुछ तो अगल था और तुरंत ही अगला दृश्य देखते अनिकेत के मन में खटका| वहां पुलिस भी थी| ये सही संकेत नही थे ये सोचते वह तेज कदमो से अपने रूम की ओर बढ़ गया|

अपने रूम के बाहर किसी को न पाकर वह गलियारा मुड़कर दरवाजे के ठीक सामने आया तो हैरानगी से उसके कदम वही ठिठक गए| अप्रत्याशित रूप से उसका रूम खुला हुआ था| ये देख वह तुरंत अन्दर घुसा ही था कि कोई सिपाही उसके सीने पर हाथ से धक्का देकर पीछे ठेलता हुआ कह रहा था – “अभी सब बाहर |”

“ये मेरा रूम है |” अनिकेत तेज आवाज में कहता उसका हाथ परे कर देता है|

सिपाही अब सकपकाया हुआ सा किनारे खड़ा हो गया और उसके परे हटते अनिकेत तेजी से अंदर की ओर आया तो देखता है कि कोई पुलिस वाला उसके  कमरे से कुछ सामानों को अपनी पहुँच में रख रहा था| अनिकेत के अंदर आते अब उसका ध्यान उसकी ओर जाता है जिससे वह उसकी ओर भव उठाए हुए पूछता है – “अपना आईडी दिखाओ |”

अनिकेत होठ सिकोड़ता हुआ तुरंत अपना आईडी उसकी नज़रो के सामने करता है| जिसे देखते पुलिस वाले के चेहरे के कुछ भाव तो बदल ही जाते है जिससे वह थोड़ा नरमी से कह उठता है – “देखिए असल में ड्रग्स के एक खेप के इनपुट की हमे खबर मिली कि उसे किसी इलेक्ट्रोनिक डिवाइस के जरिए इम्पोर्ट किया गया है इस होटल में इसलिए हम सभी के रूम से इलेक्ट्रोनिक डिवाइस निकलवा रहे है |”

“पर मेरा रूम तो बंद था |”

अनिकेत के मासूम सवाल पर पुलिस वाले को जैसे हँसी आ गई और वह हलकी मुस्कान के साथ कह उठा – “होटल के सभी रूम की एक चाभी इनके पास भी रहती है – ये शायद आप भूल रहे है |”

इस पर अनिकेत थोड़ा अचकचाता हुआ इधर उधर देखने लगता है|

“देखिए बस ये रेगुलर सर्चिंग है – हम बस सारे डिवाइस स्कैन करा कर  आपको सही सलामत वापस कर देगे – क्या मैं आपका मोबाईल देख सकता हूँ !”

पुलिस वाला अनिकेत के आगे हाथ फैलाता है तो अनिकेत्त उसकी हथेली पर अपना मोबाईल निकालकर रख देता है| जिसे बिना देखे ही लेते हुए वह तुरंत अपने सिपाही की ओर बढ़ाता हुआ कहता है – “ये लो – इसको भी एड करो|”

ये देख अनिकेत अरे कहता रह जाता है और पुलिसवाला कहता हुआ कमरे से उसका सामान लेकर बाहर निकलते हुए कह उठता है – “सभी डिवाइस आपको स्कैन कर के वापस मिल जाएँगे बस तब तक आप रूम में रहेंगे और कही बाहर नही जाएँगे |”

सिपाही उसके कमरे से सारे डिवाइस यहाँ तक कि जॉन का लैपटॉप लेकर निकलता हुआ उसके रूम का दरवाजा बाहर से बंद कर देता है| और अनिकेत अपने में गुम सब होता बस देखता रह जाता है| अचानक से सब कुछ उलट पलट कर रह गया था| क्या सोचा था और क्या हो गया|

उन सबके जाते अनिकेत हताश सा अपना सर पकड़े बिस्तर पर पस्त बैठ जाता है| अब ऐसी हालत में न वह टिकट बुक कर सकता था और जॉन !! उसके पास कैसे जाएगा वह !! कुछ पल इस परेशानी में अपनी आंखे बंद किए वह यूँही बैठा रहा| कमरे के एकांत में उसकी मौजूदगी भी जैसे किसी मौन की तरह थी| कुछ पल तक यूँही खुद में मनन करते वह बैठा रहा|

मौन सिर्फ एकांत या विषाद नही होता वह एकांत का अन्वेषण भी होता है| जब बाह्य नेत्र बंद होते है तभी मस्तिष्क का तीसरा नेत्र खुलता है तब हमारा एकांकी मन पांच सौ नही बल्कि पांच हजार गुना तेजी से काम करता है| अब तक की अव्यवस्था में अनिकेत एक बार भी ऐसी मुद्रा में नही आ सका था पर इसी पल उसके दिमाग में कई सारी चीजे एकसाथ घूमती है और अचानक से वह आंखे खोलकर अपने आस पास देखता है| कुछ तो था जो उस पल उसके मन के भीतर उगा था|

‘मुझे इसी वक़्त जॉन के पास पहुंचना होगा|’ मन में तय करता अनिकेत अब किसी भी बाधा को पार करने को अग्रसर था|

उसे अच्छे से पता था पुलिस सीधे से उसे रूम से बाहर नही जाने देगो तो वह भी किसी भी तरह की बहस में नही पड़ना चाहता था इसलिए बिना समय गंवाए वह खिड़की के पास आता है| संयोग से वह निचले तल्ले पर था जिससे बस उसे वह खिड़की पार करनी थी| वह कमरे की खिड़की से लेकर बाथरूम की खिड़की तक जायजा लेता है कि किस खिड़की से निकलना सुरक्षित होगा| फिर कमरे की कोने वाली खिड़की थी जिसका शीशा सरका कर वह आसानी से बाहर निकल सकता था| वह तौलिए की मदद से कांच को अहिस्ते से निकालकर बिस्तर पर रखता है और खिड़की से बाहर निकलने का उपक्रम करने लगता है|

खिड़की काफी नीचे की ओर थी| असल में उके पीछे के गार्डन के व्यू के लिए उसे ऐसा बनाया गया था| उस खिड़की से धीरे से बाहर निकलने में आखिर अनिकेत कामयाब हो जाता है| अब शाम होने जा रही थी जिससे वहां तैनात सिपाही शायद चाय वगैरह के लिए इधर उधर हो गए थे| और यही सही वक़्त था जब अनिकेत किसी तरह से वहां से बाहर निकल गया|

सबकी नज़रो से बचता हुआ अनिकेत सीधे हॉस्पिटल पहुँच रहा था| वह तेज कदमो से जॉन के वार्ड में पहुँच गया| इस वक़्त उसके मन को जो खटका हुआ था वही हुआ| इस वक़्त जॉन को डॉक्टर और वार्ड बॉय घेरे खड़े थे ये देखते अनिकेत लगभग दौड़ता हुआ उसके पास आता है|

वह दृश्य जो उसके मन को झंझोड़ गया| जॉन बुरी तरह तड़प रहा था और  डॉक्टर वार्ड बॉय संग उसे शांत करने का प्रयास कर रहे थे| अनिकेत समझ नही पा रहा था कि आखिर सुबह तक जो ठीक स्थिति में अचानक क्या हो गया उसके साथ !! उसका मन यूँही किसी आशंका से ग्रसित नही हुआ जा रहा था|

आखिर किसी तरह डॉक्टर उसे इंजेक्शन देकर अपने काबू में करते हुए पीछे पलटते है| अनिकेत को खड़ा देख वे एक राहत की सांस छोड़ते हुए कहते है –

“अच्छा हुआ आप आ गए – मैं तो शौकड रह गया कि अचानक से दौरा कैसे पड़ गया – खैर मैंने ट्रैंक्विलाइज़र दे दिया है – अब कुछ देर तक यूँही नींद में रहेगा |”

डॉक्टर इतना कहकर वार्ड बॉय को कुछ निर्देश देने लगे|

अनिकेत जॉन की बिखरी हालत को देखते दुखी हो उठता है| वह उसके पास आता उसका सर तकिया में ठीक से लगाता हुआ उसके बिखरे बालो को ठीक करने लगता है|

जॉन का इंजेक्शन दिया बाह अभी भी बिस्तर पर यूँही पड़ी थी उसे ठीक से करता अनिकेत सहसा चौक जाता है| वह अब गौर से उसकी बांह को देखने लगा था| उसकी बांह को ध्यान से देखते देखते उसके हाव भाव बदल जाते है वह उसी तेजी से डॉक्टर की ओर मुड़ता हुआ पूछता है – “डॉक्टर अभी आपने कितने इंजेक्शन दिए ?”

अनिकेत के प्रश्न पर डॉक्टर अब हैरानगी से उसे देखता हुआ कहता है – “अभी तो एक ही दिया है क्यों !!”

अब अनिकेत डॉक्टर का ध्यान जॉन की बांह की ओर दिलाता हुआ कहता है – “अभी आपने इसकी इस बांह में इस जगह इनेक्ष्ण लगाया था तो इसके ऊपर ही एक ओर इंजेक्शन लगाने का क्यों निशान है – आप देखिए ये बिलकुल इसी की तरह ताज़ा है – और जहाँ तक मैं जो जनता हूँ कि इत ऐ टाइम एक हिम बांह पर दो इंजेक्शन नही लगाते डॉक्टर – फिर ये दूसरा इंजेक्शन किसने लगाया ?”

डॉक्टर भी अब हकबकाया सा उस निस्गन को गौर से देखता हुआ कहता है – “हाँ ये तो बिकुल फ्रेस ही लग रहा है पर मैंने तो अभी एक ही इंजेक्शन दिया है – फिर ये दूसरा !!”

डॉक्टर अपना ही प्रश्न दुहरा उठा|

“मुझे लगता है इसकी ये हालत इसे इंजेक्शन देने से हुई है जो आपसे पहले किसी ओर ने दिया है |”

“पर ये कैसे हो सकता है – मैं..!!”

अब डॉक्टर बारी बारी से वार्ड बॉय को देखता हुआ पूछता है – “इसे दौरा आने से पहले तुम लोग कहाँ थे ? क्या किसी और को इसके पास आते देखा ?”

“नही डॉक्टर साहब – कोई नही आया यहाँ |” वे अपनी सफाई में कहते चुप हो जाते हो|

“अब ये कैसे हुआ पता नही पर अब आप अपने मरीज को अकेला मत छोडीए |”

डॉक्टर ही बात पर अनिकेत मौन ही जॉन की ओर देखता रहा| डॉक्टर फिर वार्ड बॉय को निर्देश देकर चला गया|

अनिकेत अब अच्छे से समझ चुका था कि कोई तो है जो उसके आस पास है और जॉन को उसकी ठीक हालत में लौटने नही देना चाहता पर ऐसा क्यों !! ऐसा क्या हो जाएगा अगर जॉन ठीक हो जाता है !! क्या वह कुछ जान चुका था या जान सकता था !!

अपने सवालो को मन में दोहराते अनिकेत उलझन में अपने लम्बे बालो पर हाथ फिराते हुए कुछ गहनता से सोचने लगा था|

यही वक़्त था जब पलक झलक अकेली घर पर थी और अनिकेत हॉस्पिटल में उलझन में घिरा पलक से बात भी नही कर सकता था|

क्रमशः……

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