Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 3

उस नीम अँधेरे कमरे में सब कुछ सामान्य था| हर एक सामान अपनी अपनी जगह सयंत रखा था| कही कोई हलचल नहीं थी सिवाए अँधेरे कमरे में एक किनारे बेड पर लेटे शख्स के जो बार बार अपना सर दाए बाए हिला रहा था| मानों वह फसी जगह से  निकलना चाहता था| उसके सर के अलावा पूरा शरीर शांत पड़ा था मानो सारी हलचल बस सर में ही समाही हो| वह लगातार अपने सर को हिलाते जैसे कही से निकलने का प्रयास कर रहा था कि अचानक वह तेजी से उठकर बैठ गया| वह खुली आँखों से एक वक्र दृष्टि डालता पूरे कमरे को देख डालता है| कमरा अभी भी सामान्य था बस शांत कमरे में उसे अपनी बढ़ी हुई धड़कने साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी| वह एक गहरा उच्छ्वास छोड़ता हुआ अपने चेहरे पर हाथ फेरता हुआ टेबल पर रखी क्लॉक में समय देखते खुद में ही बुदबुदाता है – ‘ओह अभी रात के नौ ही बजे है – लगता है मैं दोपहर से ही काफी ज्यादा सो गया – अब तो नींद भी नही आएगी |’ सोचते हुए वह सामने की टेबल पर नज़र दौड़ाता है तो हैरानगी से फिर बुदबुदा उठता है – ‘क्या मैंने लैपटॉप शटडाउन नही किया था|’ उसकी नजर सामने की स्टडी टेबल पर रखे लैपटॉप की बंद परत से झाकती हलकी रौशनी पर थी| अब वह साइड का टेबल लैम्प ऑन कर देता है जिससे पल में अँधेरे में डूबा कमरा जगमगा उठता है| वह जॉन था जो उठकर अपनी स्टडी टेबल की ओर बढ़ रहा था| वह लैपटॉप को खोलता हुआ वही रखी पानी की बोतल उठाता हुआ उसकी ऑन होती स्क्रीन को देख रहा था| इससे पहले कि ऑन लैपटॉप पर वह अपनी उंगली रखता तभी दरवाजे की कॉल बेल बजी जिससे उसका सारा ध्यान अब बाहर की ओर चला गया|

‘इस वक़्त कौन होगा ?’ सोचता हुआ वह बोतल से दो घूंट पीकर रखता हुआ अब दरवाजे की ओर बढ़ जाता है|

जॉन उस वन बीएचके के फ्लैट में अकेला रहता था और अपने स्वभाववश बाकी की दुनिया से कटकर इसलिए बेवक्त किसी का भी आना उसके लिए किसी आश्चर्य से कम नही था| उसे दरवाजा खोलने में एक दो मिनट बीतने पर भी घंटी दुबारा नही बजी जिससे एक पल को उसे लगा हो सकता है किसी ने गलती से बजाई हो ये सोचता हुआ वह दरवाजे के पास आता बड़े बेमन से उसे खोलता है|

‘चलो फिर भी खोलकर देख लेता हूँ |’

वह लॉक घुमाकर दरवाजा खोलता हुआ बाहर देखता है तो उसकी ऑंखें आश्चर्य से दो गुनी फ़ैल जाती है| उसकी आँखों क्या उसके दिलों दिमाग के लिए भी सामने का दृश्य अविश्वसनीय था| दरवाजे के पार कोई कमसिन और बेहद खूबसूरत लड़की खड़ी थी वो भी रात के नौ बजे !! इससे बड़ा और क्या आश्चर्य होगा उसके लिए| दो पल तक वह उस चेहरे के आकर्षण में घिरा बस बुत बना देखता रह गया|

“क्या मैं अंदर आ सकती हूँ ?”

आवाज की तन्द्रा से वह जैसे कई किलोमीटर से भागता हुआ वापस आता तेज गहरी सांस छोड़ता है पर इसी में चंद मिनट बीत जाते है और सामने खड़ी लड़की प्रतिक्रिया के इंतजार में फिर उसे टोकती है|

“आप ठीक तो है ?”

“ओह हाँ हाँ – मैं !” वह हक्बकाता हुआ सामने देखता है| लड़की अब उसे देखती हलके से मुस्करा रही थी| फ़्लैट के बाहर जलते मद्धिम बल्ब की दूधिया रौशनी में उसकी रंगत और भी आकर्षक हो गई थी|

“लगता है मैंने आपको परेशान कर दिया !”

“ओह सॉरी – असल में मैं इस समय किसी का आना एस्पेक्ट नही कर रहा था इसलिए थोड़ा अचकचा गया – प्लीज़ आप अन्दर आए |” कहता हुआ जॉन उसे अंदर आने के लिए दरवाजे के एक ओर हो जाता है|

वह भी सहजता से अन्दर आ जाती है|

अब वे एकदूसरे के सामने बैठे थे| लड़की सपाट भाव से देखती हुई कह रही थी –

“मेरा नाम फेनी फर्नांडिस है -|”

उस पल उसका नाम सुनते जॉन गोवा की फेनी मादक द्रव्य को सोचते मन ही मन मुस्करा दिया जबकि वह अपनी बात कहे जा रही थी|

“मैं गोवा गवर्नमेंट हॉस्पिटल में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट हूँ और आज ही आपसे बहुत ही खास बात के सिलसिले में मिलने के लिए गोवा से दिल्ली आई हूँ |”

“हाँ कहिए – मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूँ ?”

“जी आप ही है जो मेरी मदद कर सकते है – |” वह व्यग्रता से अपनी बात कहना जारी रखती है – “एक्चुली मेरे हॉस्पिटल में एक बड़ा अजीब सा केस है जिसे पहली नज़र में सभी मेंटल डिसऑर्डर मानते है और है भी पर मुझे कुछ दिन से लगने लगा है कि वह इससे ज्यादा कुछ और भी है – कुछ पैरानोर्मल |”

“कुछ और मतलब !!”

“साइकोलॉजी और पैरानोर्मल स्टडी में स्लिप पैरालिसिस आम बात है बस पैरानोर्मल स्टडी में यही फर्क है कि इस स्थिति में कई लोग किसी डेविल को देखने की बात करते है |”

“पर आप इस बारे में कैसे इतना जानती है ?” जॉन उसे बीच में टोकता हुआ पूछता है|

“क्योंकि इसे सम्बंधित मैंने नेट में जो कुछ भी पढ़ा उससे मुझे इस बारे में पता चला |”

“ओह पर अब मैं ये जानना चाहूँगा कि अचानक इस बारे में आपको खोजने की क्या जरुरत पड़ गई ?”  

“अगर आप मेरे साथ गोवा चलकर उस मरीज को देखे तो आपको अपने इस प्रश्न का बखूबी उत्तर  मिल जाएगा |”

“गोवा !”

“जी मैं चाहती हूँ कि आप मेरे साथ गोवा चले और इस बारे में कुछ करे – नही तो बहुत बड़ी मुश्किल हो सकती है |”

“मुझे अभी तक आपकी बात पूरी तरह से समझ भी नही आई और आप मुझे गोवा जाने को आमंत्रित कर रही है !”

“वैसे भी मैंने आपको बहुत रात में डिस्टर्ब किया इसलिए अभी इतना समय तो नही कि आपको सब विस्तार से बताऊँ पर आप मुझपर विश्वास कर सकते है |”

“आप पर विश्वास करूँ इसकी कोई ठोस वजह तो बताए |” जॉन इत्मिनान से बैठता हुआ जैसे उसकी बातो का लुफ्त ले रहा था|

“क्योंकि मैं जानती हूँ कि वो डेविल कौन है – नाईट हैग |”

नाम सुनते जॉन के चेहरे की मुस्कान एकदम से गायब हो गई और वह चेअर की पुश्त से उठता हुआ आगे की ओर झुक आया|

“मेरी लाइन वालों को इस पर विश्वास नही है – एक वक़्त था जब मुझे भी इस पर विश्वास नही था लेकिन इस सच को मैंने खुद महसूस किया – पहले तो मेरे मरीज ने लगातार कई दिन तक उसके देखे जाने की बात कही फिर उसने कुछ ऐसी बात बताई कि मैं उन सब तथ्यों पर से ऑंखें नही मूंद सकती इसलिए मैं किसी ऐसे की तलाश में थी जो इस बारे में वाकई में मदद कर सके – तब  बहुत सर्च करने पर फेसबुक में मैंने आपकी कई पोस्ट देखी तब आपका पता लगाती हुई मैं आज ही गोवा से यहाँ आपके पास आई|” वह एक सांस में सब कहती हुई कुछ पल रूककर प्रतिक्रिया के लिए जॉन का चेहरा ताकती रही|

“और वे क्या तथ्य रहे ?”

“उसने बताया कि वह अपनी दुनिया बना रहा है और उसके लिए वह उन लोगों को तलाश रहा है जिनसे उसकी दुनिया बनेगी और वे वो लोग होते है जिनका कोई आगा पीछा नही होता मतलब जिनका इस दुनिया में कोई नही होता और उनके अचानक गायब हो जाने पर भी कोई उनकी गुमशुदगी की कम्प्लेन नही करता|”

अब उसकी बातो का फर्क जॉन के चेहरे के उड़े उड़े हाव भाव में साफ़ साफ़ दिखने लगा था|

“मेरे हॉस्पिटल से ऐसे ही कई लोग गायब हो चुके है जिनका कोई फैमिली रिकॉर्ड नही है – उन्हें या तो सड़क पर लावारिस पाया गया या कोई उन्हें हॉस्पिटल के बाहर छोड़ गया – अचानक वे सब गायब हो रहे है जबकि हमारी इतनी कड़ी सुरक्षा के बीच से उनका बाहर निकलना भी नामुकिन है – अब आप ही बताए कि मुझे इन सब बातो पर यकीन नही करना चाहिए ?”

“क्या आपने हॉस्पिटल में आपने इस पर चर्चा की ?”

“हाँ किया – अपने हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट को बताया पर उनका कहना है कि जिनका कोई रिकार्ड ही नही उसके बारे में हम क्या रिपोर्ट लिखाएँगे – तभी मैंने आपसे इस बारे में मदद लेनी की सोची |”

अब सब सुनने के बाद दोनों के बीच कुछ पल तक मौन रहता है| जिसे अगले ही पल तोड़ते हुए वही लड़की आगे कहती है –

“क्या एक बार आप मेरे साथ गोवा चलकर इसकी इन्क्व्यारी कर सकते है !! मैं कल सुबह ही निकल रही हूँ |”

“कल सुबह ही – क्या इतनी जल्दी टिकट मिल पाएगा मुझे ?”

“मैंने आपकी टिकट भी ले ली है |”

अबकी फिर चौंकने की बारी जॉन की थी, वह आश्चर्य से पूछता है – “क्या आपको इतना कॉन्फिडेंस था कि मैं आपके संग चल दूंगा ?”

अबकी वह बहुत देर बाद हलके से मुस्कराई पर कुछ बोली नही|

“अजीब तो मुझे आप लग रही है – पहली मुलाकात में आप को मुझको लेकर इतना विश्वास कि आपने टिकट लेने का रिस्क भी ले लिया और अगर मैं चलने से मना कर दूँ तो !”

“कोई बात नही एक टिकट कैंसिल हो जाएगी पर तुरंत दूसरी टिकट शायद आपको इतनी जल्दी न मिले |”

“ओह तो आपको लगता है कि आपको मना करके मैं पछतावा कर सकता हूँ – !”

“देखिए इसे आप विनती समझिए तब तो चलेंगे आप !”

अब शायद जॉन और ज्यादा उस प्यारी लड़की को नाराज नही करना चाहता था इसलिए हाँ में सर हिलाते हुए उससे पूछता है – “तो कब निकलना है कल ?”

इससे वह खुश होती हुई पूछती है – “कल सुबह आठ बजे – आप एअरपोर्ट पहुँच जाइएगा – मैं आपको वही मिलूंगी |”

“ठीक है |”

जॉन के ठीक है कहते वह लड़की तुरंत ही खड़ी होती हुई कहती है – “ओके अब मैं चलती हूँ |”

“बहुत रात हो रही है – क्या मैं आपको छोड़ दूँ ?”

वह जल्दी से बाहर निकलने को व्यग्र होती दरवाजा खोलती हुई कहती है – “नही मैं टैक्सी को नीचे रुकने का बोल कर आई हूँ और होटल भी मैंने यही पास के एरिया में लिया हुआ है इसलिए मैं आराम से चली जाउंगी |”

इस पर जॉन मुस्करा देता है| वह लड़की अब दरवाजा खोलकर बाहर निकलती हुई कह रही थी – “आपका शुक्रिया जो आपने अपना कीमती समय मुझे दिया |”

“शुक्रिया तो आपको कहना चाहिए आखिर बिना मर्जी के आप मुझे गोवा घुमाने ले जा रही है |” कहता हुआ जॉन बिना आवाज के हँस देता है जिससे वह भी हलके से मुस्करा कर आखिर में उसे बाय कहती झट से लिफ्ट की ओर बढ़ जाती है|

जॉन दो पल तक उस ओर देखता रहा जिधर से वह अभी अभी गई थी मानो वह कोई तिलिस्म थी इसमें वह अभी भी खोया हुआ था|

क्रमशः…..

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