
डेजा वू एक राज़ – 35
अनिकेत की बात सुनने के लिए सभी के चेहरे पर विश्रांति के भाव आने लगे थे| अनिकेत भी उसकी ओर झुका हुआ अपनी बात कहना प्रारंभ करता है –
“सबसे पहले मैं जॉन की बात से शुरू करता हूँ -|”
जॉन की ओर नज़र करता हुआ अनिकेत कहता है तो जॉन भी जल्दी से कह उठता है –
“हाँ मैं भी तब से ये जानना चाहता हूँ कि आखिर मुझे हुआ क्या था ?”
“हाँ बताता हूँ लेकिन उससे पहले ये बताओ – जब तुम हॉस्पिटल में पहुंचे क्या उससे पहले तुमने कोई दवाई जैसा कुछ लिया ?”
जॉन तुरंत न में सर हिलाता हुआ कहता है – “बिलकुल नही – मैंने कोई दवाई नही ली थी – मुझे बस हॉस्पिटल जाने तक का याद है तब तक तो बिलकुल भी नही |”
“कुछ तो !! याद करो |” अनिकेत जोर देता हुआ पूछता है|
“नही न कुछ भी नही |” इंकार में सर हिलाते हिलाते अचानक वह सोचता हुआ कहता है – “हाँ शराब मतलब फेनी मतलब फेनी पिया था बस |” जॉन का ऐसा कहते सभी की नज़रे बस उसी के चेहरे पर टिक जाती है जिससे हिचकिचाते हुए जॉन एकदम से कह उठता है – “अरे फेनी शराब थोड़े ही होती है ! तो क्या होती है शराब !!!”
सभी अभी भी उसकी ओर मूक देख रहे थे|
“लेकिन उसमे मिलाकर तो कुछ दिया जा सकता है |”
“!!!” जॉन हैरान बिन शब्द के अनिकेत को देखता रहा|
“तुम्हे माइल्ड ट्रैंक्विलाइज़र दिया गया और यही रचित को भी दिया गया जिससे तुम दोनों सेम कंडीशन में चले गए – मतलब चलते फिरते पुतले में तब्दील हो गए |”
“क्या !!!!” अबकी सबके चेहरे पर हवाइयां उड़ने वाले भाव उतर आए|
“अब उस दवाई का कोई लैब टेस्ट होता तो उसका और भी कंटेंट मैं समझ पाता पर तुम दोनों की कंडीशन से यही साबित होता है कि ये इसी बेस की दवाई थी जो सीधा दिमाग पर असर करती है जिससे उससे पहले इंसान जिस विचार से ग्रसित होता है वही उसके दिमाग पर सीधा ट्रिगर करता है और उसके सारे सेन्स वही सेंटर्ड हो जाते है – तभी जॉन तुम जिस बात को लेकर परेशान थे वही बात तुम्हे उलझाती चली गई और रचित तुम भुज को लेकर सेंसेटिव हो रहे थे तो तुम उसी स्विचेशन में फंस गए और तुम समय के पार पहुँच गए |”
“मुझे तो उस समय का कुछ याद नहीं|” रचित एक उंगली माथे पर फिराते हुए कहता है|
“क्या हम समय के पार पहुंचे थे !!!” झलक अबकी अपने होंठ काटती हुई पूछ बैठी|
“हाँ तुमने जो कुछ बताया उससे तो यही साबित होता है – वहां समय बहुत धीमा चलता है और घड़ी रुक जाती है – चीजे भ्रम के रूप में दिखती है और वही सब दिखता है जो हमारे दिमाग में एक्सजेक्टली चल रहा होता है|”
“ओह तभी मुझे वो ब्लॉग के लोग दिखे !”
अनिकेत आँखों से हाँ में सहमति देता है|
“तो ये सब दवाई की वजह से हुआ फिर वो महामाया का भ्रम जाल !! वो क्या था ?” अबकी पलक पूछती है|
“हाँ ये भी बात इसी के लिंक है – असल में जॉन ने कुछ समय पहले एक सोफ्टवेयर बनाया था जिससे वह इंसानों और आत्मा के बीच का मार्ग खोल सकता है – बनाया इसलिए था कि वह आत्माओ की हेल्प कर सके पर हुआ उल्टा ही –इस वजीर ने इसे हैक करके उस मार्ग को खुला छोड़ दिया जिससे जिन आत्माओ को ट्रिगर किया गया वे बाहर आकर अपना काम करने लगी – महामाया भी आजाद हो गई पर चूँकि उसे शरीर नही मिला तो भ्रम देने लगी और संभव है पापा जी का बस में फंसे रहने का भ्रम उसी ने दिया हो तभी मैंने पलक तुमसे कहा कि सकारात्मकता को छोड़ना नही और अभी यही एकमात्र हथियार है हमारे पास जिस सावधानी की मैं अभी बात कर रहा था|”
सभी सांस रोके अनिकेत की बात सुन रहे थे जिससे वह बेरोक अपनी बात कहता रहा|
“इस वक़्त हमे किसी भी हाल में कुछ ऐसा नही सोचना है जो हमे डिप्रेस करे क्योंकि इससे हमारे आस पास सकारात्मकता बनी रहेगी और तब तक मैं इस वजीर का पता लगाता हूँ |”
“लेकिन अनिकेत तुम ये कैसे कह सकते हो कि इस सबके पीछे वो वजीर ही है |” जॉन पूछता है|
“हाँ बताता हूँ – तुम्हारे सोफ्टवेयर का हैक होना फिर आत्माओ के लिए द्वार खुला छोड़ना उसके बाद तुम्हे दवाई देकर तुम्हारी मेंटल कंडीशन बिगाड़ना ये किसी आत्मा का काम नही है – वो कोई तो है जो अपने बुरे मकसद के लिए इन सब चीजो का यूज कर रहा है – पर बस यही मैं नही समझ पा रहा कि वह एक्सजेक्टली चाहता क्या है और इसी वजह से उसे ढूंढ भी नही पा रहा |” परेशानी में अपनी ठोड़ी पर उंगली फिरता हुआ कहता है|
“अनिकेत तब से मुझे भी एक चीज पूछनी है जो मुझे समझ नही आ रही – |”
रचित की बात सुनते उसके सवालियां नज़रो की तरफ अनिकेत चेहरा कर लेता है|
“मेरा इन सब चीजो से क्या ताल्लुक है और कोई मुझे दवाई क्यों देगा – मतलब की यूजली हम अक्सर किसी भी मेडिकल शॉप में जाकर सर दर्द की दवाई मांगते है तो वो दवाई दे देता है – ये सब बिलकुल नार्मल है – किसी की मुझसे क्या दुश्मनी है जो इस तरह का ट्रैंक्विलाइज़र मुझे देगा |”
“क्योंकि इस तरह की दवाई मार्किट में आ चुकी है |”
“क्या !!!” अबकी फिर सब हैरान होकर अनिकेत की ओर देखते है जो अब अपने मोबाईल में कुछ सर्च कर रहा था|
जल्दी ही सर्च स्क्रीन उन सबकी नज़रो की सीध में करता हुआ कहता है – “इस तरह के हजारो केसेज देश में कई जगह हो रहे है – लोगो तक ये दवाई आसानी से पहुंचाई जा रही है और जो अपनी परेशानी या अकेलेपन से पहले से ही डिप्रेस है वे इस जाल में आसानी से जकड जाते है फिर और फिर वे सभी अचानक से गायब हो जाते है इसलिए तो मैंने कहा कि भगवान् का लाख लाख शुक्र है कि तुम सब सुरक्षित इस मुसीबत से बाहर आ गए नहीं तो कुछ भी हो सकता था|”
“ओह माय गॉड – इतना सारा झोल !!!” झलक की आंखे को हैरानगी से बाहर ही आ गई|
“अनिकेत मैं तो बस आपकी वजह से इन सबसे बाहर आ पायी – अगर आपने इसे वक़्त के लिए ध्यान करना न बताया होता तो जाने कैसे मैं बाहर आती |” पलक बेहद प्यार से अनिकेत की ओर देखती हुई बोली|
“सच में अनिकेत – मुझे तो अपना होश ही नही था – अगर तुम न होते तो पता नही मेरा क्या होता !” जॉन भी अपना दर्द कह उठा|
“लेकिन झलक अपनी वजह से वापस आई |” अनिकेत अबकी मुस्कराते हुए झलक की ओर देखता हुआ कहता है जो अनिकेत की बात पर मुंह खोले उसे देखने लगी थी|
“मैं !!! वो कैसे ?”
“हाँ तुम – जैसा कि तुमने बताया – तुम लगातार रचित को अपनी बातो से अहसास कराती रही कि वो जो कुछ भी सोच रहा है वो सब उसका भ्रम है इससे उसके आस पास की औरा पोजिटिव होने लगी – एक तरह से अनजाने में तुमने वो काम किया जो हम सोशल मीडिया द्वारा करने की कोशिश कर रहे थे – तुम वाकई बहुत बहादुर हो |”
“वो तो मैं हूँ ही – इस डरपोक्की जैसी थोड़े न |” अपना आखिरी वक़्त धीरे से अपने बगल में बैठी पलक के कानो के पास कहती हुई हँस दी जिससे पलक मुंह बनाती हुई दूसरी ओर देखने लगी|
अनिकेत उनकी चुलबुलाहट को देख मुस्करा दिया वही रचित झलक के हाथ पर अपना हाथ रखता हुआ प्यार से उसे देखने लगा|
“तो अभी तक जो मुझे पता था वो सब मैंने बता दिया अब बस हमे आगे की रणनीति तय करनी है|” अनिकेत अब सबकी ओर वर्क दृष्टि डालता हुआ कहता है|
“हाँ उस वजीर का सामने आना बहुत जरुरी है जो ये सब कर रहा है |” सभी समवेत स्वर में एकसाथ कहते है|
“हाँ अब इसलिए हमे एक टीम की तरह काम करना होगा|”
अनिकेत की बात पर सभी फिर एकसाथ चौंकते हुए पूछते है – “हम क्या कर सकते है ?”
“सब कुछ क्योंकि अब इस युद्ध में तुम सब मेरी सेना हो – तुम सबमे वो सारी काबिलियत है जिससे मैं इस सच तक पहुँच सकता हूँ – बोलो तैयार हो !!” अनिकेत सबकी ओर एक एक करके देखता है|
अब सभी आश्चर्य से एकदूसरे की ओर देखते फिर सहमति में मुस्कराते हुए हामी भरते हुए अपना अपना हाथ आगे कर देते है| जिसमे सबसे ऊपर अनिकेत हाथ रखता हुआ कहता है – “वेल डन ब्रेवो |”
तभी अचानक तेज आवाज उन सबके कानो में कौंधती है जिससे एकसाथ वे चिहुंक पड़ते है|
“ये तो बादल गरज रहे है |” पलक कहती है|
“अरे कुछ नही बस गरजने वाले बादल है|” झलक लापरवाही से कहती है|
“मेरे ख्याल से इससे पहले की बारिश शुरू हो मुझे निकल जाना चाहिए |” जॉन खिड़की की ओर देखता हुआ कहता है|
“आज रात यही रुक जाओ जॉन – क्या करोगे अभी घर जाकर ?” अनिकेत उसे टोकता है|
“हाँ बिलकुल – मैं सबके लिए खाना बनाती हूँ |”
अभी पलक कह ही रही थी कि तभी बादल जैसे फट पड़ते है और तेज बूंदों के साथ घमासान बारिश शुरू हो जाती है|
“ये भगवान – बाहर तो कपड़े पड़े है |” कहती हुई पलक तुरंत उठकर पीछे आँगन की ओर तेज कदम से चलने लगी| ये देखते अनिकेत उसके पीछे जाता हुआ कह उठा – “रुको पलक – आराम से – मैं चलता हूँ तुम्हारे साथ|”
दोनों को बाहर जाते देख झलक भी तेजी से उनके पीछे चल देती है| बारिश इतनी तेज हो रही कि उसकी झमाझम की आवाज अन्दर कमरे तक साफ़ साफ़ सुनाई पड़ रही थी| ये देखते जॉन तुरंत अपने डिवाइस समेटता हुआ बुदबुदाया –
“पता नही कब लाईट चली जाए – उससे पहले ही चार्ज पर लगा देता हूँ|” वह डिवाइस को चार्ज पर लगाते लगाते देखता है कि अब कमरे में वे अकेला ही है|
पीछे आंगन में पलक तार से कपड़े उतार रही थी तो उसके पीछे खड़ा अनिकेत उसके ऊपर छतरी करे था| पर बारिश इतनी तेज थी कि तब भी वे हलके हलके भीग रहे थे| हवा भी काफी तेज थी जिससे बार बार छतरी एक तरफ को हो जाती पर अनिकेत किसी तरह से भरसक छतरी पलक के ऊपर किए हुए था| पलक कपड़े उतार कर अपने अंक में समेटे खड़ी ही थी कि देखती है कि सारा आंगन एक पल में ही नदी बन चुका था| वह दोनों बाहों के बीच कपड़े थामे धीरे धीरे संभलती हुई सरकने लगी| ऊपर से छतरी भी नही सध रही थी| वैसे भी दोनों काफी हद तक भीग चुके थे| पलक अब उस भरे आंगन में किसी तरह सरक ही रही थी कि अनिकेत के हाथ के बीच की छतरी एकदम से मुड़कर अंडाकार हो जाती है और ये दृश्य देख पलक की हंसी ही छूट जाती है| अब तो उस तेज बारिश में दोनों सर से पैर तक भीग चुके थे साथ ही उसकी बाँहों के बीच दबे कपड़े भी| पर उस वक़्त न पलक को अंदाजा था कि उसपर प्यार ही बारिश यूँ उमड़ पड़ेगी| अनिकेत तुरंत ही पलक को अपनी मजबूत बाहों के बीच उठा लेता है तो पलक भी शर्माती हुई उसके अंक में लिपट जाती है| बारिश और तेज हो चली थी और अब दोनों तन मन से भीग रहे थे|
उधर छत पर भाग कर गई झलक कुछ बचे कपड़े वहां से उठाकर छत के कोने में बने टीन शेड के नीचे खड़े रचित को फेक फेक कर दे रही थी और साथ ही भुनभुनाती भी जा रही थी –
“ये पलक की बच्ची इस बारिश में भी घर भर के तमाम कपड़े धो डालती है – वाशिंग मशीन है तो क्या सारे कपड़े धो डालेगी – इसका बस चले न तो पहने कपड़े भी धो डाले|”
अबकी कपड़े पकड़ने में रचित थोड़ा चूक गया तो उसपर झलक उसपर बरस पड़ी – “अरे थोड़ा आगे आ जाओ न – बारिश की दो चार बूंद पड़ जाने से गल नही जाओगे|”
“तुम्हें पता है न बारिश में भीगने से मेरी तबियत खराब हो जाती है|” रचित वही खड़े खड़े कहता है|
“हाँ हाँ राजस्थान वालो को पानी की आदत नही है न |” शरारत भरी आवाज में कहती छत की बारिश का पानी हथेली से उसकी ओर उछाल देती है|
“अ अरे – मत करो झलक |”
रचित को पानी से बचते देख झलक को और शरारत सूझती है और वह आखिरी कपड़े उतारती उतारती अचानक से पैर मोड़कर मोच का बहाना बना लेती है जिससे बिना समय गंवाए रचित उसकी ओर दौड़ता हुआ आता है|
“क्या हुआ ?” वह अब उसके पैर की ओर झुका उसे देख ही रहा था तभी झलक झटके से उसे पीछे की ओर हल्का सा धकेलती हुई कपड़े लिए टिन शेड की ओर भाग जाती है|
“थोड़ा मजा लो पानी का – फिर पता नही कब ये सावन आए झूम के |”
“अच्छा – ज्यादा मस्ती चढ़ी है – अभी बताता हूँ |” अब रचित भी अपना भीगना भूलकर उसके पीछे भागता है और पल में दोनों बारिश में एकदूसरे को पकड़ने में खूब मस्ती से बारिश में भीगने लगते है| उस पल माहौल में न उन्हें बादलो की गर्जन सुनाई दे रही थी और न बारिश की झमाझम वे तो बस अपने प्रेमालाप में डूबे एकदूसरे में सिमटे एकदूसरे की दिल की धड़कने सुन रहे थे|
यही पल था जब जॉन उन चारो को देखने पीछे आँगन तक आया और स्तब्ध बस देखता रह गया| अनिकेत अपनी बाहों में पलक को उठाए था तो वही जंगले के झरोखे से रचित और झलक एकदूसरे में डूबे हुए दिखाई दे रहे थे| अब ये देखने के बाद जॉन चुपचाप वापस अंदर चला जाता है और एक गहरा श्वांस छोड़ता किचेन को ढूंढता हुआ सबके लिए चाय बनाने लगता है|
क्रमशः….