Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 36

आज बारिश भी जैसे बड़े रोमानी मूड में थी तब से झमाझम बस बरसे जा रही थी और जैसे इस बारिश से उन चारो का भी हटने का कोई मन नही था|

जॉन भी अब बारिश रुकने के बाद ही उनके लौटने की उम्मीद करने लगा| तब तक अपने लिए इत्मिनान से चाय बनाने की तैयारी कर रहा था| पानी को उबलता छोड़कर अब फ्रिज से अदरक ढूंढ कर उसे धोने सिंक के नल की तरफ जाता है| बेख्याली में नल एकदम से खोल देता है| वह अभी वापस नल बंद करने ही वाला था कि उसे तेज बदबू का अहसास हुआ| बेहद तीक्ष्ण बदबू थी वो जो नथुनों को भेदती सीधी दिमाग को झंझोड़ गई|

जॉन तुरंत नल से पीछे हटकर उस बदबू को फिर से न चाहते हुए भी सूंधने और उसकी दिशा का पता करने लगा| पर अब बदबू जैसे सब जगह फ़ैल गई थी इससे जॉन को कुछ समझ नही आया| थक हार कर वह गैस में चढ़े पैन का और पानी बढाकर अदरक को ग्रेड करके डालने के बाद हाथ धोने एक बार फिर नल खोलता है जिससे हाथ पर कुछ चिपचिपा सा उतर आता है साथ ही फिर से वही गंध उस किचेन में फ़ैल जाती है|

जॉन अब अपने हाथ को देखता है जो अब किसी गंध से भर चुके थे| वह उसे होंठ सिकोड़े अपनी नाक के पास सूंघता है तो उसी पल घबरा कर दो कदम पीछे हो जाता है| गंध उसके हाथ से आ रही थी….नही गंध जरुर उस पानी से आ रही थी जिसमे उसने अभी अभी अपना हाथ धोया था|

वह फिर से नल खोलता है अबकी उनके नीचे कोई कांच का खाली गिलास लगा देता है| अगले पल जो दृश्य उसकी आंखे देखती है उसे वह असहज हो जाता है| गिलास का पानी कुछ हद तक लाल था जिसमे कुछ अजीब सी चीजे तैर रही थी जिसे ध्यान से देखने पर मांस के टुकडे जैसा लगा| ये देखते जॉन तुरंत सतर्क होता एक हाथ से गैस ऑफ करता तो दूसरी ओर बाहर की ओर तेज कदम से भाग लेता है|

बाहर आंगन की ओर जाता है जहाँ अभी भी अनिकेत पलक के साथ बेहद रोमानी मूड में उसे अपने अंक में लिए अपनी प्यार की बारिश में भीग रहा था| तेज कदमो से आंगन में आते अचानक उन्हें ऐसे देखते जॉन वही ठिठक गया और उन्हें बिना डिस्टर्ब किए तेज कदमो से ऊपर छत की ओर भागा| वह जिस तेजी से भागा उससे तुरंत ही अनिकेत का ध्यान उसकी ओर चला गया और वह उसे संशय से देखता उसे आवाज लगाता है पर जॉन रुकने के बजाये एक रफ़्तार में सीढियां चढ़ जाता है| ये देख अनिकेत पलक को वही छोड़कर उसके पीछे भागने लगता है|

अब तक रचित और झलक का ध्यान भी जॉन की ओर चला गया था| वे दोनों भी आश्चर्य से जॉन को ऊपर आया हुआ देखते है| जो हड़बड़ी में बस किचेन की पानी की टंकी कहाँ है ये पूछता हुआ उसकी बताई दिशा की ओर देखता है| छत के ऊपर एक ऊँचे हिस्से पर दो तीन टंकियां रखी थी जिसमे से एक पांच सौ लीटर वाली छोटी टंकी की ओर झलक ने इशारा किया था पर अभी तक नही समझ पायी थी कि जॉन ये क्यों पूछ रहा है|

जब वे चारो ऊपर इकट्ठे हुए इससे पहले जॉन से कुछ पूछ पाते तब तक जॉन ऊपर टंकी तक जाने वाली लोहे की सीढ़ी चढ़ चुका था| उसे टंकी के पास जाता देख अनिकेत उसे फिर आवाज लगाता हुआ पूछता है|

“क्या हुआ जॉन ? ऊपर टंकी में क्या देख रहे हो ?”

जब तक जॉन अनिकेत के सवाल का कोई जवाब देता तब तक जॉन टंकी के बराबर खड़ा उसमे झाँक चुका था और ऐसा करते उसके हैरानगी भरे भाव, उसकी फैली हुई आंखे और टंकी पर टिकी उसकी तन्द्रा कुछ तो बात जरुर है ये सोचने पर सबको मजबूर कर देती है|

अनिकेत अब बिना समय गंवाए उसी सीढ़ी से ऊपर आ जाता है| ऊपर टंकी वाली छत पर काफी जगह थी जिसे एक एक करके सभी ऊपर आ जाते है पर झलक पलक को ऊपर आने से रोक देती है| अब बारिश भी हलकी हो चली थी| पलक मनमसोजे नीचे खड़ी खड़ी ऊपर का जायजा ले रही थी|

वे सभी उस दृश्य को पहले हैरानगी से फिर भयभीत होते देखते रहे जिसके बाद एक साथ उनका शरीर जुगुप्सा की कपकपी लेता है| टंकी के अन्दर आधे से भी कम पानी था और उसके ऊपर कुछ नुचे हुए बाल, मांस के टुकडे और कुछ हद तक जमे हुए खून की कतरन तैर रही थी| साथ ही उसका ढक्कन खोलते जो गंध का तेज भभका आया उससे एकसाथ सभी चिहुंक पड़ते है|

झलक तो अपने मुंह पर हाथ रखे नीचे ही भाग जाती है| पलक समझ गई कुछ तो बहुत बुरा दिखा है उन्हें| झलक तो छत पर भी नही रुकी वह तुरंत सीधी नीचे ही उतर गई|

तीनो बारी बारी से उस वीभत्स दृश्य को देखते है फिर उसे और जानने के लिए वही पड़ी डंडी उठाकर जॉन उसमे घुमाता है और नीचे तो और भी विभत्स दृश्य था बेहद बुरी हालत में कोई नुची हुई बिल्ली वहां मरी पड़ी थी| जिसका शरीर बुरी तरह से यहाँ तहां से नुचा हुआ था और उसके बाल पानी में तैर रहे थे| अब ये सब देख लेने के बाद और कुछ पल वहां खड़े रहना नामुमकिन हो गया जिससे वे बारी बारी से नीचे उतर आए|

छत पर तीनो पलक के साथ खड़े थे| बारिश अब बस फुहार में बदल चुकी थी| उनके चेहरे के हाव भाव को देखती पलक तुरंत पूछ उठी – “क्या है ऊपर – सब ऐसे क्या देख रहे थे?”

अनिकेत पलक के कंधे पर हाथ फैलाते हुए उसके साथ नीचे चलने का उपक्रम करता हुआ कहता है – “कुछ नही – लगता है टंकी खुली रह गई तो कोई बिल्ली मर गई अन्दर और कुछ नही – चलो – अब सब नीचे चलते है|”

अनिकेत द्वारा इस बात को इतने सहजता से कहते सब भी इस पर चुप रहकर उसके साथ ही नीचे उतरने लगते है|

“ओह तभी टंकी खुलते इतनी तेज गंध वहां फ़ैल गई पर वो तो किचेन की टंकी है !!” उतरती हुई पलक कहती है|

“टंकी का ढक्कन हटा हुआ था – संभव है कोई बीमार बिल्ली होगी जो उसमे गिर कर मर गई होगी – अब इस बात पर ज्यादा सोचने वाली कोई बात नही है – चलो अब तुम चेंज कर लो नहीं तो ठण्ड लग जाएगी -|”

अनिकेत की बात पर बाकी दोनों भी सहज बने हुए बाथरूम की ओर बढ़ जाते है| जॉन हल्का भीगा था तो वह दुबारा किचेन में पहुंचकर सबसे पहले उस चाय का पानी फेंकता है जिसपर अभी अभी उसने उस पानी से धुली हुई अदरक डाली थी| अब वह दुबारा पैन चढ़ाकर सबके लिए बिना अदरक की चाय बनाने लगता है| जब तक चाय खौल पाती है पलक चेंज करके वहां आ जाती है|

“अरे क्या चाय बना भी ली !!”

“हाँ बस तैयार ही है |”

“चलो मैं छानकर लाती हूँ |”

पलक के कहते जॉन अब अपने सर के बाल झाड़ता हुआ मुख्य कमरे की ओर बढ़ जाता है|

“जैसे हालात है उसे देखते क्या तुम्हे ये बात अभी भी इतनी ही सामान्य लगती है ?” जॉन चेंज करके आए हुए अनिकेत से बिना किसी भूमिका के सीधे सीधे पूछता है|

इस पर अनिकेत उच्छ्वास छोड़ते बैठता हुआ कहता है – “नही पर फिर भी हमे इसे सामान्य मानना होगा ताकि जो माहौल यहाँ का मुश्किल से सामान्य हुआ है वो फिर से बोझिल न होने पाए|”

अबकी जॉन अनिकेत के बगल में बैठता हुआ थोड़ा धीमे स्वर में कहता है – “बहुत अजीब सी बात है – उस पानी से बदबू तो ऐसे आ रही थी जैसे सदियों से उसे यूज न किया गया हो और बिल्ली की हालत भी इतनी खराब थी मानो कई दिनों से वही पड़ी हो पर ऐसा कैसे संभव है – मुझसे पहले कल तक तो उस पानी को यूज में लिया ही गया होगा न !”

“हाँ उसे यहाँ लाकर डाला गया है पर कौन और कैसे करेगा जबकि पलक…|” अनिकेत सोचता हुआ चुप हो जाता है तब बाकी बात जॉन पूरी करता हुआ कहता है –

“हाँ कल तो हमारे साथ थी और कोई नही था घर में – क्या कोई पीछे से आया पर कौन…!!”

“महामाया !!!” वे दोनों एकसाथ बुदबुदा उठते है|

“इसका मतलब वह हमारे बीच अभी अभी आभास के रूप में बनी हुई है – |” जॉन थूक निगलते हुए कहता है|

“हाँ मुझे भी यही डर है !! पर डोंट वरी वह सिर्फ हमे डरा सकती है पर कर कुछ नही सकती इसलिए अब इस बात को यही खत्म कर दो |” अनिकेत दरवाजे की ओर नज़र करता है धीमे से कहता है जहाँ से ट्रे में चाय लिए हुए पलक आ रही थी|

“ओहो मैं चाय भी ले आई और ये झलक…!”

अभी अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि पीछे से झलक और रचित आते हुए दिखते है जिनके चेहरे पर अभी भी बारह बजे हुए थे|

उन सबमे बस पलक ही सामान्य दिख रही थी क्योंकि वह वीभत्स दृश्य उसने अपनी आँखों से नही देखा था|

“चलो अब ये चाय पीते सबके होश वापस आ जाएँगे –|” पलक फिर मुस्कराती हुई कहती है|

“वो टंकी !!” अबकी झलक सबका ध्यान उस टंकी की ओर करती है जिसे देखने के बाद से उसका पूरा मूड खराब हो चुका था|

“हाँ वो टंकी ज्यादा गन्दी है क्या – मैंने तो इसलिए नल अभी खोला भी नही |” पलक जवाब में कहती है|

“हाँ थोड़ी गन्दी तो है – पलक ऐसा करो जिससे टंकी साफ़ करवाती हो उसे फोन कर दो – वह साफ़ कर जाएगा तब तक दूसरे नल का पानी इस्तमाल कर लेना |” अनिकेत खुद को सामान्य दिखाते हुए कहता है|

“पर वो वो तो बहुत ही गन्दा और डरावना था |” झलक मुंह बिचकाती हुई कहती है|

अनिकेत फिर सहजता से आगे कहता है – “कुछ भी ऐसा नही – हाँ गन्दा जरुर था – कोई बात नही इस बात को बुरे सपने की तरह भूल जाओ – |”

तभी रचित को छीक आ जाती है जिससे अनिकेत उसकी तरफ ध्यान देता थोड़ा हंसी का पुट लिए हुए कहता है – “अरे रचित को पहले चाय दो – नही तो बीमार  पड़ जाएगा – आज तो सबने फुल मस्ती की है |”

अनिकेत की बात पर अब सभी सामान्य होते अपने अपने जोड़े से नज़र मिलाते अंतरस मुस्करा पड़ते है जबकि इस बात पर जॉन बस धीरे से ऑंखें सिकोड़ लेता है क्योंकि ये बात आखिर उस पर तो लागू नही होती थी उसका तो उस गन्दगी से मन बुरा सा हो गया था|  सबकी नज़रो से हटकर वह बाथरूम में कई बार हाथ धो आया था उसे बार बार लगता कि अभी भी उसके हाथ से बदबू गई नही है|

“अच्छा अब खाने के लिए क्या करते है ?” पलक जल्दी से टोकती है|

इस बात पर इससे पहले कोई कुछ बोलता झलक तुरंत बोल पड़ती है – “आज खाना बाहर से मंगाते है और मुझे पता है कहाँ बेस्ट खाना मिलता है – मैं अभी आर्डर करती हूँ |” अब इस बात से झलक का मूड थोड़ा सुधर चुका था जिससे सभी अपना अपना कप लिए चाय सुड़कने लगते है|

खाना होने के बाद सभी फिर एकसाथ बैठे थे|

खाना होने के बाद सब समेटने के बाद बहुत थकी होने से पलक आराम करने चली गई थी तो रचित को कुछ हरारत सी महसूस हो रही थी जिससे वह भी लेटने चला गया जबकि झलक न किचेन समेटने लगी थी| तो अनिकेत और जॉन छत पर साथ में टहलते हुए बात कर रहे थे|

“तुम्हे नही लगता अनिकेत हमे अपना खोजी अभियान गोवा से शुरू करना चाहिए ? आखिर सारे लिंक गोवा में ही तो जुड़ते है|”

जॉन की बात पर अनिकेत बेहद शांत भाव से कहता है – “जो इतना शातिर है कि जिसने अपनी पहचान का एक सबूत अपने पीछे नहीं छोड़ा तो क्या वो अपना गोवा में होने का क्लू तुम्हे देगा !! जॉन – वह बहुत शातिर खिलाडी है और उसने हमे सिर्फ भटकाने के लिए हमे गोवा से जोड़ा पर उसका असली खेल तो कही और ही चल रहा है – बस मुझे कुछ ऐसा करना है जिससे वह कुछ गलती करे और मैं उसतक पहुँच जाऊं |”

“हाँ सही कहते हो |” गहरा शवांस छोड़ते हुए जॉन कहता है – “पर मेरी लाइफ टाइम के लिए तो मेरा गोवा से बुरा अनुभव जुड़ गया – एक अजनबी लड़की मुझे धोखा भी देकर चली गई और मैं समझ भी नही पाया – वह भी उसके लिए काम करती होगी तभी तो उसने मुझे वो नशीला पदार्थ पिलाया – पता नही कौन थी वो पर सच कहता हूँ मैं अब उसे कभी दुबारा नही देखना चाहता – कभी नही |”

अनिकेत अब रूककर जॉन के बदले हुए भाव उसके चेहरे पर देखने लगता है|

क्रमशः…….

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