Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़  – 39

जॉन बिलकुल सही पते पर पहुंचा था, उसे आश्चर्य भी हुआ आखिर इसने साल बाद भी वह जगह याद रख पाया शायद इसका कारण उस जगह का बिलकुल भी न बदलना था| वह बोर्ड पर एक नजर मारता हुआ अन्दर की ओर चल देता है|

वह इस वक़्त मेरठ के उस ओर्फेनेज में था जिसके मेनेजर सतीश नागर थे और किसी ज़माने में उसके दिवंगत पिता मौरिस इसे साथ में चलाया करते थे| आज इसका सारा काम इसके सर्वोसरवा मेनेजर सतीश ही देखते थे| वह सुनिश्चत समय और स्थान पर खड़ा ही हुआ था कि उनकी नजर उस पर पड़ते वे तुरंत उसके पास लगभग दौड़ते हुए आते है|

“जॉन – तुम जॉन ही हो न !! कितने समय बाद तुम्हे देख रहा हूँ – बहुत अच्छे दिख रहे हो -|”

वे जॉन को अपने गले से लगा लेते है|

अगले ही पल वे साथ में ऑफिस में आमने सामने जॉन की ओर देखते हुए उससे पूछते है – “कब आए – क्या आज ही वापस आए गोवा से ?”

“नही – कुछ दिन से अपने दोस्त के पास था |”

“अरे हाँ तुम्हारे दोस्त ने एकबार फोन किया था – तुम शायद बीमार थे – अब कैसे हो – सब ठीक तो है न !!”

तभी वहां एक आदमी प्रवेश करता है जिस पर ध्यान जाते अंकल अब उससे कहते है – “हाँ दो चाय तो भेजना जरा – |” फिर जॉन की ओर देखते हुए पूछते है – “दूर से आए हो बेटा – कुछ और चाहिए तुम्हे ?”

“आपको पता है कि मुझे क्या चाहिए |”

जॉन के सटीक उत्तर से अंकल सतीश उसका मंतव्य समझ गए इसलिए उस आदमी को बस दो चाय का बोलकर भेज देते है|

“आप नही जानते कि जबसे मुझे ये अहसास हुआ है कि मेरे माता पिता का कोई सच मुझसे छुपाया गया है तब से मेरा मन कितना बेचैन बना हुआ है तो प्लीज़ अंकल बिना समय गंवाए आप मुझे उनका सच बता दीजिए |”

जॉन की बात पर वे भीतर एक गहरा श्वांस खींचते फिर हलके से बाहर साँस छोड़ते हुए दो पल तक जॉन की ओर देखते रहे फिर टेबल में रखी घंटी बजा देते है| घंटी बजाते ही एक क्षण बाद वही आदमी फिर उनके सामने खड़ा होता है जिससे वे कहते है – “चाय घर पर भिजवा देना – मैं घर जा रहा हूँ – कोई आवश्यक काम हो तो फोन कर देना |”

वह सहमती में हाँ में सर हिलाता हुआ वापस चला जाता है|

“चलो जॉन – किस्सा लम्बा है तो घर चलकर बात करते है|” कहते हुए तुरंत वे कुर्सी से उठकर कमरे से निकलने लगते है जिससे जॉन भी उनके पीछे हो लेता है|

उनका घर बस उस अनाथालय के पीछे बना हुआ एक कमरा ही था| वहां ताला खोलकर वे दोनों साथ में अंदर प्रवेश करते है| कमरा काफी छोटा था और मालूम पड़ रहा था कि अंदर की ओर शायद एक और कमरा हो| जॉन वहां प्रवेश करते उस कमरे पर अपनी वक्र दृष्टि डालते सामने की दीवार पर अपने पिता और अंकल के साथ खड़े पोज़ की कोई पुरानी तस्वीर देखता है जिसपर से काफी देर तक वह अपनी नजर नही हटा पाता|

“ये तक़रीबन तीस साल पहले की तस्वीर है – बस यही लेटेस्ट तस्वीर है मोरिस की – फिर उसके बाद कभी ऐसा अवसर ही नहीं आया कि हम साथ में तस्वीर खिचवा पाते |”

जॉन अभी भी उस तस्वीर को देख रहा था|

“बैठो जॉन |”

इस पर जॉन उस तस्वीर से निगाह हटाकर कुर्सी को देखता हुआ उसमे बैठता हुआ कहता है – “ऐसा क्या है अंकल कि ये बात आपने मुझे पहले कभी नही बताई |”

“क्योंकि तुम्हारे पिता ऐसा चाहते थे |”

ये सुनते जॉन के चेहरे पर ढेरो प्रश्न तैर गए जिसे नज़रन्दाज करते वे कहते है – “इतने वर्षी बाद आज मैं उस कसम को तोड़ रहा हूँ क्योंकि मुझे लगता है कि इस सच को जानने का तुम्हारा भी हक़ है जिसे छिनने का अधिकार मुझे नहीं है|”

“तो बताइए क्या हुआ था मेरे माता पिता के साथ और गोवा के चर्च से उनका क्या सम्बन्ध है ?”

तभी दरवाजे पर दस्तख के साथ उनका ध्यान दरवाजे की ओर जाता है जो अभी उड़का हुआ था| वे गर्दन घुमाकर अन्दर आने को बोलते है जैसे वे जानते थे कि दरवाजे के पीछे कौन है| वह आदमी चाय के साथ अंदर आते ट्रे उनके बीच रखता हुआ वापस चला जाता है|

“लो चाय पियो |” वे ट्रे पर से एक चाय उठाकर ठीक जॉन के सामने रखते हुए दूसरा कप अपने हाथ में उठा लेते है|

वे एक चुस्की चाय लेते हुए कहना शुरू करते है – “तुम्हारे पिता की कहानी दो हिस्सों में है सोचता हुआ पहले गोवा की बात ही बता देता हूँ |”

जॉन बिना कुछ बोले अब अपना सारा ध्यान उनकी बात पर लगा देता है ऐसा करते उसके चेहरे पर बहुत ही व्यग्र भाव उतर आए थे जैसे एक एक पल उस सच तक पहुँचने के लिए उस पर भारी गुजर रहा हो|

“गोवा से तुम्हारे पिता का नही बल्कि तुम्हारी माँ का सम्बन्ध था – तुम्हारे पिता घूमने के बेहद शौक़ीन थे और साल में एक बार वह कही न कही जरुर जाते – कुछ जगह तो मैं भी साथ में गया हूँ – गोवा में तुम्हारे पिता अकेले गए थे तब वही वे तुम्हारी माँ से मिले और वो जो कहते है न लव एट फर्स्ट साईट बस उसे भी वही हुआ और जल्दी ही उन्होंने शादी करने का मन भी बना लिया |”

अंकल की बात सुनते सहसा जॉन के दिमाग मे जाने कहाँ से फेनी का चेहरा उतर आया पर अगले ही पल उसे अपने मष्तिष्क से झटकते वह फ़ौरन अपना ध्यान उनकी बात पर लगा देता है|

“सब कुछ सही था वे शादी करके यहाँ भी आ गई पर अगर उस दिन वो घटना नही घटी होती तो…|”

“कौन सी घटना ?” व्यग्रता से जॉन पूछता है|

“मैंने कहा न तुम्हारे पिता की जिंदगी दो घटनाओ में है – अब मैं तुम्हे दूसरी घटना बताता हूँ फिर इन दोनों घटनाओ का तुम खुद ही लिंक कर लेना |”

जॉन बस ख़ामोशी से हाँ से सर हिलाता है|

“तुम उस वक़्त छह सात साल के रहे होगे तब इस कस्बे को इस घटना ने हिलाकर रख दिया था – तब ये शहर नही एक क़स्बा ही था और यहाँ की हर घटना इतनी जल्दी किसी के संज्ञान में नही आती थी पर तुम्हारे पिता ने घटना को सुर्खी में लाया जिसका बुरा परिणाम उसने अपनी जिंदगी में भी भुगता |”

“और वो क्या घटना थी ?”

अबकी वे उसकी बात का प्रतिउत्तर न देते हुए कप टेबल पर रखते हुए उठकर अंदर कमरे में चले जाते है| जॉन को ये बहुत अटपटा लगा पर फिर भी वह धैर्य से वही बैठा उनका इंतजार करता रहा| अगले क्षण में वे दुबारा उस कमरे में आते अपनी जगह पर बैठ जाते है| जॉन देखता है कि अब उनके हाथ में कुछ कागज जैसा था जो पुराने अख़बार की कटिंग लग रहा था|

“ये है – इसे देखो फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब देता हूँ |”

जॉन जल्दी जल्दी उन अख़बार की पुरानी कतरनों को अटल पलट कर उसकी मुख्य हेडलाईन पढने लगता है| उन कतरनों को पलटते पलटते उसके चेहरे के हाव भाव बदलते रहते है| उन्हें देखते हुए वह फिर अंकल की ओर देखता हुआ जल्दी से पूछता है – “इन खबरों का मेरे पिता से क्या सम्बन्ध ?”

“ये कतरने तुम्हारे पिता द्वारा इकट्ठी की हुई है -|”

“मतलब उस समय ओर्फेनेज से बच्चे गायब हो रहे थे तो इस खबर से मेरे पिता का क्या सम्बन्ध ?”

“मैंने कहा न सम्बन्ध तुम समझो मैं सिर्फ घटना बताता हूँ |” अबकी वे बड़ी रुखाई से अपनी बात कहते है जिससे जॉन चुप होता उनकी बात सुनता रहा| वे आगे कहते है – “मैंने कहा न बात उस समय की है जब तुम छह सात साल के होगे और अचानक ओर्फेनेज से बच्चे गायब होने लगे – गायब समझो कि हर दिन बच्चो की गिनती करते और उसमे एक बच्चा कम मिलता – ये हैरान कर देने वाली बात थी – पहले पहल तो लगा हो सकता है वे भाग गए होंगे क्योंकि अक्सर ही ऐसा होता रहता यहाँ पर मोरिस ने इसे इतना हलके में नही लिया और पहली बार इसकी रिपोर्ट थाने में दर्ज कराई और फिर वही हुआ जो अकसर अभावों के संग होता है – पुलिस इस केस में कोई दिलचस्पी नही ली – उन्होंने भी इसे हलके में लेते हुए अपने हाथ इससे झाड़ लिए पर घटना नही रुकी – हर बार एक बच्चा गायब हो जाता और ये सिर्फ हमारे ओर्फेनेज में ही नही होता था पता चला कि उस इलाके के कई ओर्फेनेज में ऐसी घटना हो रही है पर इन अनाथो पर कौन समय बर्बाद करता – इनका होना न होना सबके लिए समान था – आखिर जिसका कोई परिवार न हो उसका गायब हो जाने पर किसे फर्क पड़ता और ये घटनाए यूँही होती रही|”

जॉन अभी भी उन्हें बिना टोके उनकी बात सुन रहा था अबकी वे झुककर कप को उंगली से हिलाते हुए कहते है – “लेकिन तुम्हारे पिता ने इस घटना को यूँही नही जाने दिया – उसने अखबारों को इतला दिया और रोजाना ही पुलिस थाने के चक्कर काटने लगा पर थानेदार की झिड़की और अख़बार के हाशिए पर इस खबर के प्रकाशन के अलावा उसके हाथ कुछ न लगा तब उसने एक बहुत बड़ा फैसला लिया जो शायद किसी पिता के लिए बहुत बड़ी बात होती लेकिन मोरिस सिर्फ एक पिता ही नही था वह इस पूरे ओर्फेनेज को ही पिता की तरह संभालता था – तब उसने तुम्हे इस ओर्फेनेज में दाखिल कर दिया ताकि तुम्हारे गायब होने पर वह इस घटना की तह तक पहुँच सके – काश उसने ये नही किया होता |”

अबकी वे कुछ ज्यादा ही गहरा शवांस अपने भीतर से लेकर बाहर छोड़ते है और जॉन हैरान नज़रो से उनको देखता रहता है|

“तुम्हारी माँ को ये कतई नामंजूर था और हो भी क्यों नही आखिर वह एक माँ थी तो कैसे इस बात को सहजता से सह जाती पर तुम्हारे पिता की जिद्द के आगे वह बेबस हो गई और उस रात बहुत बड़ा हल्ला मचा – बस वही एक रात थी जिसके बाद से मोरिस की दुनिया पूरी तरह से तबाह हो गई|”

वे कप से उंगली हटाकर अब दीवार पर की मोरिस की तस्वीर देखते हुए कहते है – “तुम्हारी माँ सामने से तो अपने पति का विरोध नही कर पायी तब उसने इसका दूसरा रास्ता निकाला और आधी रात को ओर्फेनेज में घुसकर तुम्हे चुपचाप अपने साथ ले जाने लगी – उसे लगा वैसे भी मोरिस जो कई कई दिन तक वापस घर नही आता था तो कुछ दिन बाद बेटे को घर पर वापस देखकर सब भूल जाएगा और दूसरी बात आखिर मोरिस चाहता था कि उसका बेटा भी उन बच्चों की तरह गायब हो जाए ताकि तब वह अपने बेटे की गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा सके – आखिर एक बाप की सुनवाई तो होती तब उसे ढूंढने में बाकि के बच्चो के मिलने की उम्मीद भी बन जाती पर हुआ बिलकुल उल्टा – उस रात जब तुम्हारी माँ चुपचाप तुम्हे लेकर निकल रही थी तब किसी ने उसे देख लिया और उसके बाद वो एक झूठ समाज की पसंद बन गया और तुम्हारी माँ को अचानक से इन सारे काण्ड के साथ जोड़ लिया गया – किसी ने कहा कि ये सब मोरिस की मिलीभगत से होता है किसी ने मोरिस को नादान बताया जो अपनी पत्नी के कृत्य से अनभिज्ञ है – उस रात भी यही हो रहा था जब तुम्हे ले जाते किसी ने उसकी पत्नी को रंगे हाथ पकड़ लिया – इस पर मोरिस ने कितना सच बताने की कोशिश की कि वह उसका अपना बेटा है पर किसी ने उसका सच नही माना और बहुत जल्दी ये खबर अफवाह का रूप लेती पूरे कस्बे में फ़ैल गई – इस घटना को कुछ और ही रंग दे दिया गया – अचानक से सभी को तुम्हारी माँ डायन नज़र आने लगी..|” भावावेश में कहते कहते सहसा वे रुककर जॉन के चेहरे को पढ़ने लगे जहाँ दर्द की ढेरो तहे जमा होने लगी थी|

“मैं ये नही बताना चाहता था पर तुम ही …|”

“आप बताइए पूरी बात – मैं सुन रहा हूँ |” जॉन भरसक अपने भावों पर नियंत्रण करता सख्त आवाज में कहता है|

“ये क़स्बा था इसलिए इस तरह की बात को सबने बड़ी आसानी से यकीन कर लिया – ये हमारे समाज का कुरूप स्वरुप ही है कि जिस सच को मोरिस चीख चीख कर बताता रहा उसमे समाज की कोई रूचि नही थी पर एक छुपे झूठ में सभी रूचि लेने लगी और इसके पीछे का एक महत्वपूर्ण कारण भी था – |”

वे अब धीरे धीरे सँभलते हुए अपनी बात रखने लगे – “तुम्हारी माँ एक नन थी – जब तुम्हारे पिता ने गोवा में पहली बार तुम्हारी माँ को उस चर्च में देखा था जिसके बारे में तुमने मुझे बताया वही तुम्हारी माँ नन थी और बड़ी मुश्किल के बाद किसी तरह भाग कर तुम्हारी माँ ने तुम्हारे पिता से शादी की थी क्योंकि वह अपनी जिंदगी तुम्हारे पिता के संग जीना चाहती थी बस यही बात के साथ इस घटना का सम्बन्ध सबने जोड़ लिया – और उसे डायन करार देते उसे मारने की मांग उठने लगे – तुम्हारे पिता ने लाख लोगो को समझाने की कोशिश की लेकिन वे अंधी भीड़ थी जिसकी सिर्फ जबान थी जो बस चल गई तो चल गई चाहे इसमें कोई भी बलि चढ़ जाए|”

“तब आपने कुछ क्यों नही किया ?” जॉन जल्दी से बीच में उन्हें टोकता है|

“मैं क्या कर सकता था – मैं भी तो एक आम व्यक्ति था – बहुत लोगो को समझाया लेकिन उस रात जब मोरिस तुम और मैं यहाँ थे तब भीड़ ने उस घर को आग के हवाले कर दिया जहाँ तुम्हारी माँ अकेली थी |”

उस पल जॉन के मन में दर्द की तीव्र लहर उमड़ आई| लगा काश किसी तरह वह उस भीड़ के पास पहुँच जाए और अपनी माँ को बचा ले|

“इस के बाद तो जो मोरिस के मन की हालत हुई उसे मैं शब्दों में बयान भी नही कर पाउँगा – वह बुरी तरह से टूट गया – उसे लगा भीड़ ने उसके घर पत्नी को आग में नही झोका बल्कि उसके सम्पूर्ण अस्तित्व को ही आग लगा दी – उस राख में वह पूर्णतया अस्तित्वहीन हो गया – मै बस तुम्हे संभाल पाया और अपने दोस्त को नहीं संभाल सका क्योंकि संभाला जिन्दा को जाता है मुर्दों को नही – उसी दिन से वह भी मर गया और अब जो मेरी आँखों के सामने था वह सिर्फ उसका निस्तेज शरीर था |” कहते कहते उनका गला भर्रा आया जिससे वह कुछ पल के लिए मौन हो जाते है मानों उस मौन के भीतर से खुद को चेतन रखने की ऊर्जा का संचय कर रहे हो|

जॉन से भी आगे न कुछ पूछा गया और न कहा गया वह बस ख़ामोशी से अपनी भावनाओ को किसी तरह से जब्त किए उनके सामने बैठा रहा|

कुछ पल बाद हौसला करते वे आगे कहना शुरू करते है – “उसके बाद तो जैसे मोरिस ने प्रण कर लिया कि जो हुआ उसे बचा तो न सका इसलिए वह इस सारी घटना के असल जिम्मेदार अपराधी को सबके सामने लाएगा जो बच्चों को गायब कर रहा है – और यही वजह उसके मौत की सबब बन गई – इसके कुछ दिन वह क्या कर रहा है – कहाँ जाता है मुझे कुछ नही पता – बस कुछ दिनों बाद उसकी लाश ही मेरे सामने आई – पता नही उसने क्या पता कर लिया था जिसने उसकी जान लेली – इस हादसे ने मेरे दोस्त को हमेशा के लिए मुझसे छीन लिया |” अबकी वे फफककर रो पड़े|

जॉन के भी मन में क्या गुजर रही थी वह क्या कहता बस सर नीचे किए खुद को सयंत करता रहा |कुछ पल तक उस कमरे में ऐसा मौत सा मौन छाया रहा उसके अगले ही पल बाद अचानक जॉन सर उठाते हुए कहता है – “अंकल आज कल भी कुछ इसी ही तरह की घटना घट रही है – पर अब बहुत सारे इलाके से लोग गायब हो रहे है जो इस दुनिया में अकेले है – क्या इससे इसका कोई सम्बन्ध हो सकता है?”

“मुझे अब इससे ज्यादा कुछ नही पता बस मोरिस ने आखिर बार यही कहा था कि मैं तुम्हे ये सब न बताऊँ ताकि जीवन के प्रति तुम्हारा नजरिया नकारात्मक न रहे – वह इस घटना की वजह से अपना सब कुछ खो चुका था और उसके बाद अब तुम्हे नही खोना चाहता था यही कारण है कि ये सब उसने मुझे छुपाने को कहा था लेकिन तुम गोवा पहुंचे और तुमने मुझसे सवाल किया जिसका मुझे जवाब तो देना ही था – अब यही सच है तुम्हारे माता पिता का जिसे अपने सीने से निकाल कर आज मैं बहुत राहत महसूस कर रहा हूँ बस शेष जीवन इस मलाल के साथ जियूँगा कि काश मैं मोरिस के लिए भी कुछ कर पाता…..|”

“कोई बात ही |” अचानक से जॉन खड़ा होता हुआ कहता है – “अब इस सच का मैं पता लगाऊंगा और अपने माता पिता की मौत का बदला भी लूँगा क्योकि ये खेल जो बीस साल पहले शुरू हुआ था वह फिर से शुरू हो चुका है पर अंत मैं करूँगा |”

कहते हुए जॉन की आंखे मानो किसी जलजले की भांति जल उठी थी|

क्रमशः…….

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