Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़– 4

फेनी का जाना जैसे तिलिस्म के टूटने जैसा था, उसकी नज़रों के परिदृश्य से जाते ही जॉन जैसे अपनी तन्द्रा में वापस आते खुद से ही पूछता है – ‘आखिर एक अजनबी लड़की संग जाने को मैं राजी कैसे हो गया ? क्योंकि मुझे लगा होगा कि वाकई उसकी मुश्किल बहुत बड़ी है !!’ खुद से ही प्रश्न करके खुद को जवाब देते हुए जॉन वापस अपने रूम के अन्दर आ जाता है|

अब डेस्क पर बैठते उसका सारा ध्यान लैपटॉप की ओर जाता है| अभी भी उसका बंद स्क्रीन चमक रहा था| जॉन ज्योंही स्क्रीन ओपन करता है सामने कोई मेसेज ब्लिंक करने लगता है| जिसे पढ़ते ही जॉन के चेहरे की मुस्कान दो इंच और बढ़ जाती है| वह धीरे से बुदबुदा उठता है – ‘अनिकेत इज कमिंग – वाओ – दिज इस गुड न्यूज |’

मेसेज को पढ़ते वह वापसी में मेल को टाइप करने लगता है – ‘सुनकर अच्छा लगा कि अपनी थिसेज कम्प्लीट करके तुम जल्दी ही वापस आ रहे हो – तुम दोनों का दिल से स्वागत है दोस्त – मैं किसी काम से कल गोवा जा रहा हूँ – उम्मीद है दो चार दिन में वापस आ जाऊं इसलिए कैम्ब्रिज से लौटते सबसे पहले तुम मेरे पास आओगे – इन गुजरे तीन सालों के गैप में बहुत कुछ हुआ है जो सामने बैठकर ही मैं तुम्हे बताऊंगा – मेरा नया प्रोजेक्ट भी लगभग पूरा तैयार है – अब मैं वो करूँगा जिसका सदियों से मुझे इंतजार रहा – तुम आओ तो सब बताऊंगा – अभी तो कल मुझे मिस फेनी फर्नांडिस से मिलना है – मिलते है बहुत जल्द |’

अंत में बाय लिखता जॉन लैपटॉप बंद करके सोने चला जाता है ताकि अगली सुबह सही समय पर उठ सके तभी उसे लगता है कि उसे अपने जरुरी सामान की पैकिंग अभी कर लेनी चाहिए| ये सोच जॉन बिस्तर पर जाने के बजाये एक बैग में अपना जरुरी सामान रखने लगता है….पैनानोर्मल एक्टिविटी इन्वेस्टिगेटर मशीन, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फिक्वेंसी डिटेक्टर, डिजिटल वॉइज रिकार्डर, नाईट विजन फुल स्पेक्ट्रम कैमरा, कम्पास इत्यादि रखते हुए उसे आधी रात हो जाती है तब जाकर वह बिस्तर पर लेटने जा पाता है|

सुबह की हलकी रौशनी ज्योंही खिड़की से होती जॉन के चेहरे का स्पर्श करती है वह तुरंत उठ बैठता है| उठते ही वह साइड टेबल क्लॉक को देखते लगभग चौंक ही पड़ता है|

‘क्या नौ बज गए – उफ़ मैं इतनी देर तक कैसे सोता रह गया !’ भुनभुनाता हुआ जॉन तुरंत उठते ही वाशरूम के अंदर जितनी तेजी से गया उतनी ही तेजी से वापस आते वह अपने मोबाईल की घडी अब चेक करता है जिसमे सवा नौ हो रहे थे| ये देखते उसका मन खुद से ही उलझता हुआ तुरंत अपना पैक बैग उठाते हुए बाहर निकलते खुद में ही बडबडाता है – ‘कम से कम ये अच्छा हुआ कि मैंने रात में ही पैकिंग कर ली थी लेकिन अभी नौ बज रहे है और उसने आठ बजे आने को बोला था – क्या मैंने अपनी फ्लाइट मिस कर दी होगी !! अब कर भी क्या सकते है – ओह मेरे पास तो उसका नंबर भी नही तब भी चलकर देखते है|’ खुद से कहता हुआ वह फिर मोबाईल में समय देखता है जिसमे तब से कोई मेसेज ब्लिंक कर रहा था पर उसे दिमाग से परे करता वह तेजी से फ़्लैट से बाहर निकल जाता है|

ट्रैफिक जाम से बचने के लिए वह मेट्रो से सीधे हवाईअड्डे पहुँचने के लिए निकलता है| उसके मन में खुद के प्रति अजब ही भुनभुनाहट थी आखिर वह उठ क्यों नही पाया| उसके साथ ऐसा होता तो नही वह तो बिना अलार्म के उठने वाला व्यक्ति है, वह बस जो समय सोचकर सोता ठीक उसी समय उसकी नींद खुलती| ये उसकी एक जाग्रत अवचेतन अवस्था थी जिसपर उसे काफी यकीन था पर आज जो हुआ उससे उसका ये यकीन डगमगा गया था| खैर कारण कोई भी हो पर लेट तो वह हो ही चुका था अब वह उसे कहाँ मिलेगी या नही मिलेगी कुछ भी कह पाना उसके लिए मुश्किल था| अपने गंतव्य पहुँचने के समय को काटने के लिए वह अपना ध्यान मोबाईल की ओर लगा देता है| एक मेसेज अभी भी उसके मोबाईल में ब्लिकं कर रहा था जिसे आखिर वह ओपन कर ही लेता है|

एक अननोन मेसेज था जिसमे लिखा था ‘आफ्टर आल यू डीडांट कम..! अगर अभी भी आने का मन बने तो इस लोकेशन पर आ सकते है…|’ मेसेज के साथ कोई लोकेशन भी सेंड थी| सन्देश से साफ था ये अननोन कोई और नही फेनी ही रही होगी इसलिए अब जॉन को लगता है कि एअरपोर्ट जाने का अब कोई फायदा नही| वह वही से वापस हो लेता है| पर कुछ चीजे लगातार उसके दिमाग में घुमड़ती रही कि आखिर ये लड़की है कौन जो उसके बारे में इतना कुछ जानती है और उसके पास तो उसके नाम के सिवा उसकी कोई जानकारी नही| उसका फोन नंबर भी उसे पता चल गया| कैसे !! पर मंथन करते जब जॉन को बहुत देर कुछ समझ नही आता तो वह तुरंत ही गोवा जाने का मन बनाता घर वापस आते ईटिकट बुक करने लगता है|

अगले दिन की जो भी उसे टिकट मिलती है उससे वह उस अनजान लड़की से मिलने उसकी सरजमी पहुँच चला था| पणजी पहुँचते वह उसकी लोकेशन को ट्रैक करता है जो महज वहां से दस से पंद्रह मिनट की दूरी बताता है जिससे वह एक टैक्सी हायर कर वहां के लिए निकल पड़ता है|

गोवा में समुद्री हवा में घुली काजुओ की मादकता अपने आप में ही एक तरावट देती थी| आकाश को पकड़ते ढेरो खजूर और नारियल के पेड़ो को ताकते हुए पल भर में ही वह उस लोकेशन पर पहुँच चुका था| ड्राईवर उसे वही छोड़कर वापस चला गया| जॉन अब जिस बिल्डिंग के सामने खड़ा था नज़र उठाकर उसका बोर्ड वह पढ़ता है| घुमावदार बोर्ड में बड़े बड़े अक्षरों में गोवा मेडिकल कॉलेज बोम्बोलिम गोवा लिखा था| ‘क्या यही उसकी लोकेशन है ?’ खुद से पूछता हुआ जॉन अब उस पुरानी सी दिखने वाली बिल्डिंग को एक सरसरी नजर से देखता है| पेड़ो के झुरमुट के बीच बेहद शांत इलाके में स्थित वह बिल्डिंग काफी पुरानी लग रही थी| संभव है ये आजादी से पहले की रही होगी|

जॉन अपने बैग पैक के साथ अब उस बिल्डिंग में प्रवेश करता ही है कि कोई महिला उसे टोकती हुई पूछती है – “किधर को जाता मैन ?”

वह अधेड़ औरत सफाई करती करती बिना रुके ही उसे टोकती है|

“मुझे मिस फेनी फर्नांडिस ने मिलने बुलाया था|”

“कौन !!” अब रूककर वह उसे अपनी झपकती आँखों से ताकती हुई पूछती है – “कौन फेनी ?”

जॉन मन में सोचता है कि हो सकता हिया नई अपोइंटेड रही होगी इसलिए वह उसे नही जानती इससे वह उससे पूछता है – “मुझे क्लिनिकल साइकोलॉजिकल डिपार्टमेंट जाना है |”

“उधर तीसरे मोड़ पर |”

जॉन शुक्रिया कहता ज्योंही उधर जाने के लिए कदम बढ़ाता है वह उसे फिर टोकती है|

“पर अबी शाम हो गया तो कल मिलते डॉक्टर -|”

“ओह |” दो पल रूककर वह उस अधेढ़ स्त्री को तो कभी उस रास्ते की ओर देखता है जिधर उस औरत ने जाने का इशारा किया था| अब उधर जाने का कोई फायदा नही था ये सोचते वह गहरा श्वांस खींचता हुआ वापस बाहर आ जाता है |

कल के इंतज़ार में उसे रात किसी होटल में काटनी थी ये सोच वह टहलता हुआ मोबाईल में होटल सर्च करने लगता है|

“साहब नारियल !!”

वह आवाज सुनते सर उठाकर देखता है| कोयले सा काला एक सफ़ेद धोती वाला व्यक्ति हाथ में नारियल लिए उसकी ओर बढ़ा रहा था| नारियल देखकर जॉन को अपनी गहरी प्यास की याद हो आई इससे वह फिर उस व्यक्ति को देखता है जिसके दूसरे हाथ में धारदार चाकू था और पीछे ही नारियल का एक बड़ा ढेर|

जॉन को रुका देख वह फिर पूछता है – “नारियल पानी !!”

“हाँ |” जॉन जेब से एक नोट निकालकर उसकी ओर बढ़ाता हुआ नारियल लेलेता है| उस वक़्त वहां उनके सिवा कोई नही था इसलिए नारियल वाला भी बाकि का नारियल ठीक करता वही खड़ा रहा| शायद उसे लगा हो कि वह शख्स दूसरा नारियल भी ले ले| नारियल पीते पीते अब वे कुछ बात करने लगे थे|

“इधर तुम्हारा पेशेंट होता !!”

“नही सिर्फ मिलना था |” जॉन बेहद शांति से जवाब देता है|

“तब तुम इधरिच ही बीच पर वेट कर लो |”

“अच्छा यहाँ पास ही बीच भी है क्या ?”

वह हाँ में सर हिलाता एक ओर को इशारा करता उस रास्ता बताता है| अब उसका दूसरा नारियल बिकने की उम्मीद जग चुकी थी| वह साथ में चलता हुआ उसे बोम्बोलिम बीच के पास ले आता है|

क्रमशः……………………

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