Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 40

जॉन के लिए अपने माता पिता का अतीत जानना उसके लिए किसी सदमे से कम नही था| एक दर्द भरा पल था जो उसकी रगों में सनसनी सा दौड़ गया| साथ ही ये भी तय हो गया कि अब वह उस वजीर के और पास पहुँचता जा रहा है| अंकल सतीश से सब जान लेने के बाद जॉन के लिए अब वहां और रुके रहना बेकार था|

“थैंक्स अंकल आपने आज मेरी बहुत बड़ी दुविधा दूर कर दी – अब मैं चलना चाहूँगा |” वह उनके आगे हाथ जोड़कर तुरंत वहां से निकलने को व्याकुल था| अंकल एकबारगी अपने सामने खड़े हुए जॉन को देखते है फिर उनके बीच की मेज पर रखी उसकी चाय को जो माहौल के हिसाब से बिलकुल ठंडी पड़ चुकी थी| जॉन बस जाने को व्यग्र ही था उससे पहले ही वे उसे टोकते हुए कहते है –

“मुझे जो पता था वो मैं तुम्हे सब बता चुका हूँ – जॉन तुम मेरे अज़ीज़ दोस्त की निशानी हो और इसलिए मैं नही चाहता कि तुम्हारी जान कभी खतरे में पड़े तो बेटा जो करना सोच समझ कर करना – अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं उस ग्लानी से कभी बाहर नही निकल पाउँगा इसलिए अपना ध्यान रखना |”

“बिलकुल अंकल – अब मैं जो करूँगा बहुत सोच समझ कर करूँगा – चलता हूँ |”

“अरे हाँ जॉन एक और बात तुम्हें बतानी थी|”

जॉन अब रूककर उनकी ओर देखने लगता है वे कह रहे थे – “एक लड़की तुम्हें पूछती हुई यहाँ आई थी |”

“लड़की !! कौन लड़की !! कब !!”

“तारिख तो याद नही पर इतना को तय है कि तुम्हें ही पूछ रही थी बस कुछ दिनों पहले की बात है|” 

“कौन थी ?” हिचकिचाते हुए पूछता है|

“अब ये तो तुम बेहतर जानते होगे |” वे शंकित नज़रो से उसे देखते है तो जॉन उनसे नजर फेरता हुआ इधर उधर कर लेता है|

“मैं उस समय नही था – ओर्फेनेज के बच्चों ने बताया कि वह लड़की ही थी जो तुम्हें पूछ रही थी|”

“??”

चकराया दिमाग अब ज्यादा कुछ न सोचते बस उनसे विदा लेता वहां से बाहर आ जाता है| एक बहुत बड़ी समस्या का रास्ता तो मिल गया था पर एक नई गुत्थी थी कि उसे पूछने वाली वह लड़की कौन थी ??

यहाँ से निकलकर जॉन दिल्ली अपने फ़्लैट में पहुंचकर अनिकेत को वापस आने  के लिए फोन करता है|

अनिकेत पलक के साथ वापस लखनऊ पहुँच चुका था| वे चारों अब साथ में बैठे आगे की योजना पर बात कर रहे थे|

झलक अपनी अब तक की इन्क्वारी के बारे में बता रही थी –  “जीजू मेरे पास जो नंबर थे उसमे से दो ही नंबर लगे बाकी पर कॉल रिसीव ही नही हुई – एक हेमा नाम की लेडी का नंबर था जिसके पति बकुल ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी फिर कुछ समय बाद हेमा वापस भी आ गई पर बिलकुल बदली हुई – वैसे उसकी सास के संग उसकी नहीं पटती थी पर अब तो उसकी सास उससे खौफ खाने लगी है क्योंकि हेमा अब बहुत हिंसक हो गई इसलिए उसे अभी मेंटल हॉस्पिटल में रखा हुआ है और दूसरा कॉल केवल नाम के लड़के के ओर्फेनेज का था वहां के मेनेजर ने बताया कि वह कुछ दिन के लिए गुम हो गया था और जब से वापस आया है उसे वहां का कुछ भी याद नही है बस अकेला कमरे में बैठा खुद से बातें करता रहता है |”

“ओह – और कुछ ख़ास बताया ?”

“हाँ एक खास बात और कि उन दोनों की बांह में इंजेक्शन दिए जाने के निशान थे – ये बात दोनों में समान थी पर किसने दिए उन्हें याद नही |”

“गुड इन्फोर्मेशन झलक |”

“थैंक्स जीजू – पर ये इंजेक्शन वाली बात आपने पूछने को कही थी ये काम कर गई |” झलक भरपूर मुस्कान के साथ कहती है|

“हाँ क्योंकि मुझे जिस बात का संदेह था वही हुआ – खैर रचित तुमने क्या पता किया ?” अबकी अनिकेत अपनी नज़रे रचित की ओर करता है|

“हाँ अनिकेत जी – आपने जो कहा था वो बिलकुल सही निकला – मैंने जहाँ जहाँ से दवाइयों को इकट्ठा किया वे सभी दिल्ली के आस पास के इलाको में ज्यादा मिली और वो भी बिना प्रिस्किप्शन के और वे सभी दवाइयां जेनेरिक दवाइयां है बिना ब्राण्ड के जो केमिस्ट की दुकानों पर बड़ी आसानी से उपलब्ध हो रही है |”

“हम्म्म – मुझे इसी बात का डर था |”

“और एक काम मैंने और किया – थोड़ा रिस्की था पर इसके अलावा मेरे पास कोई चारा नही था -|”

रचित की बात सुनने अब सभी अपना सारा ध्यान उसी पर लगा देते है|

“मैंने डार्क वेब में जाकर इस दवा के कंटेंट के ओरिजेन पर सर्च किया तब आपको  यकीन नही आएगा – मुझे इससे सम्बंधित बहुत सारे रिसर्च पेपर मिले पर एक ख़ास रिसर्च जो सबसे पुरानी थी उसका लिंक डीयू दिखा रहा था |”

“क्या !!” अनिकेत हैरानगी से देखता हुआ पूछता है – “ये तो कमाल की बात पता की पर तुम्हे डार्क वेब का इस्तमाल नही करना चाहिए था रचित |”

“मैं क्या करता इससे सम्बन्धित नेट पर कुछ भी उपलब्ध था ही नही फिर मुझे लगा ये सब तो आखिर क्राइम ही है तो जरुर कुछ न कुछ इससे सम्बंधित डार्क वेब में जरुर होगा और वही हुआ |” रचित कहता है|

“ये डार्क वेब क्या है और इसका इस्तमाल करने में क्या प्रोब्लम है ?” जल्दी से पलक पूछती है तो इससे उसके बगल में बैठी झलक उसे अजीब नज़र से देखने लगी|

पलक के मन की उलझन सुलझाने अनिकेत कहते है – “डार्क वेब एक तरह से इंटरनेट की काली दुनिया का तीसरा नेत्र है जिसमे वो सब दिखता है जिसे हम साधारणतया नही जानते इसलिए सारे गलत काम की जानकारी इसमें उपलब्ध रहती है ये बिलकुल वैसा ही है जैसे काजल की कोठरी से बिना रंगे वापस न आना – ये अच्छे लोगो के लिए बिलकुल नही है तभी मैंने रचित से कहा कि इसका इस्तमाल उसे नही करना चाहिए था |”

“तो इससे रचित पर तो फिर कोई मुसीबत नहीं आएगी न ?” पलक घबराती आवाज में पूछती है|

इस पर रचित मुस्कराते हुए उसे आश्वस्त करने जल्दी से कहता है – “आप चिंता मत करिए – मैं इसमें से सुरक्षित निकलना अच्छे से जानता हूँ |”

“ओह तो फिर ठीक है |” पलक बड़े भोलेपन से सांस छोड़ती सहमति दिखाती है| पर उसके बगल में बैठी झलक उसके कान के पास आती धीरे से उसे कहती है – ‘तू पलक भी न हमेशा बुद्धू रहेगी – अब ये सब भी नही जानती थी तू – बुद्धू कही की |’

‘तेरी तरह तीन पांची नही हूँ इसलिए नही जानती थी – समझी |’ उसी तर्ज पर उसे जवाब देती है पलक|

‘हाँ तेरा तीन पांच हमेशा सात ही निकलता है |’ कहती हुई झलक मुंह दबाकर हँस पड़ी जिससे पलक उसे घूरने लगी और अनिकेत रचित अनबुझे से उन्हें देखने लगे|

“वैसे तुम दोनों ने बहुत ही इम्पोर्टेंट खबर निकाली अब आगे देखते है इससे इस  समस्या से निकलने का क्या रास्ता निकलता है खैर मैं जॉन के पास जा रहा हूँ उसे भी कुछ ख़ास पता चला है तो पलक तब तक तुम यहाँ रहना और अपना ख्याल रखना |” अबकी पलक की ओर देखता हुआ कहता है जिससे वह कुछ उदास सी हो जाती है|

ये देख झलक पलक को अपनी बांह के घेरे में लेती हुई कहती है – “आप अपना मिशन पूरा कीजिए और इसकी फ़िक्र छोड़ दीजिए – कल मम्मी पापा वापस आ रहे है तब तक हम है न इसका ध्यान रखने के लिए इसलिए आप न बेफिक्र रहिए इसकी ओर से |”

“वो तो मैं हूँ ही – अच्छा तो क्या कल के बाद से तुम लोग वापस चले जाओगे ?” अनिकेत रचित की ओर देखते हुए पूछते है|

“हाँ अनिकेत जी अब वापस लौटना ही पड़ेगा – बहुत  छुट्टी हो गई लेकिन आपको कभी भी किसी वक़्त भी मेरी जरुरत पड़े तो आप बेहिचक मुझे याद करिएगा मैं हाज़िर हो जाऊंगा |”

“बिलकुल रचित – जब भी जरुरत होगी तो अपनों की तरह ही याद करूँगा |” सहमति में मुस्कराते हुए वे आपस में बाजू मिलाते है|                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  

अब वे सभी अपने अपने जाने की तैयारी करने चले जाते है| पलक फिर अनिकेत के जाने से उदास थी पर भरसक खुद को शांत दिखाती हुई कहती है – “आप मेरी फ़िक्र मत करिए मैं यहाँ आराम से हूँ – आप जॉन की मदद करिए –|”

“बिलकुल तुम्हारी जिम्मेदारी डबल है – तुम्हे अपने साथ साथ इसका भी ख्याल रखना है |” अनिकेत की बात पर वह मचलती हुई उसकी बाँहों में समा जाती है तो वह भी उसके बालो को प्यार से सहलाते हुए कहता रहा – “मुझे अब लग रहा है कि मैं बहुत जल्दी ही इस मिशन में कामयाब हो जाऊंगा – तब हम साथ में फिर से अपनी जिंदगी शुरू करेगे इसलिए तब तक के लिए अपना ख्याल तुम बहुत अच्छे से रखोगी – रखोगी न !”

पलक भी सहमती में सर हिलाती उसके सीने में सिमटी रही|

“बस कुछ दिन और फिर सबसे पहले फ़्लैट की पूजा और तुरंत ही तुम्हारा गृहप्रवेश |”

अनिकेत पलक से विदा लेता तुरंत ही दिल्ली के लिए निकल पड़ता है और बहुत  जल्दी ही वे दोनों दोस्त साथ में होते है| जॉन अनिकेत को पिछला सब सिलसिलेवार कह सुनाता है जिसे सुनने के बाद अनिकेत कुछ पल के मौन में सब कड़ियाँ आपस में जोड़ने लगता है| उसे इस तरह खामोश देख जॉन उसे टोकता हुआ पूछता है –

“अनिकेत – क्या सोचने लगे ?”

“मुझे तो ये अपनी सोची हुई मुसीबत से भी बड़ी मुसीबत लग रही है इसलिए सोच रहा हूँ कि ये सब आपस में किस तरह से लिंक है –|”

अनिकेत की बात पर जॉन खामोश उसे कहता हुआ ताकता रहा |

“इसके पीछे किसी का बहुत खतरनाक इरादा है जो बहुत बड़े स्तर पर इसे कर रहा है – अब इसे रोकना और भी जरुरी हो जाता है क्योंकि इतने बड़े क्राइम की किसी को भनक तक नही लग रही – जॉन अब हमे बहुत ही सावधानी से एक एक कदम फूंक कर रखना होगा – हमे ऐसा कुछ भी नही करना है जिससे वह सतर्क हो जाए बल्कि अब हमे उसकी तरह ही सोचना और करना भी होगा |”

“उसकी तरह – मतलब !!”

“हाँ – अच्छा ये बताओ – क्या तुम्हारा सोल रिकॉल सिस्टम रिकवर हुआ ?”

“हाँ हो तो गया – रचित सच में अपने काम में बहुत एक्सपर्ट है  – अब उस वक़्त इसे हैक करके जिन आत्माओ को रिलीज किया गया था अब हम उन्हें वापस बुला सकते है |”

“लेकिन अब हमे रिवर्स काम करना है |” अनिकेत की बात पर जॉन आश्चर्य से उसे देखने लगा तो अनिकेत अपनी बात समझाते हुए कहता है – “अब हम आत्माओ को रिलीज करेंगे |”

“क्या !!!” जॉन हैरानगी से अनिकेत को देखने लगा|

क्रमशः………

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