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डेजा वू एक राज़ – 41

जॉन अनिकेत की बात बिलकुल नही समझ पाया कि आखिर वह आत्माओ को रिलीज करने की बात क्यों कर रहा है !! वह अनबूझा सा उसकी ओर ताकता रहा|

“जॉन बात को समझो – हम जिस वजीर को ढूंढ रहे है और जो तुम्हारे पिता का हत्यारा है वो अगर एक हुआ तो !! देखो अगर ये जो मैं सोच पा रहा हूँ कि तुम्हारे पिता की कहानी और आज प्रेजेन्ट में लोगो के गायब होने की कहानी का एक ही सूत्रधार है तो इसका साफ़ साफ मतलब है कि वह बहुत मंझा हुआ खिलाडी है और इतनी आसानी से हमारी पकड़ में नही आएगा इसलिए उसे पकड़ने में हमे कुछ तो रिस्क लेना ही होगा|”

“एक्स्जेक्टली करना क्या चाहते हो तुम ?”

“यही कि तुम्हारे पिता जरुर कुछ ऐसा जान गए थे जिससे उनका जिन्दा रहना उसके लिए मुश्किल खड़ा करता इसलिए उसने उनकी हत्या की – अब वो एक राज़ जो सिर्फ तुम्हारे पिता जानते थे उसे बाहर लाने के लिए तुम्हे अपने पिता की आत्मा को रिलीज करना होगा |”

“क्या !!!! ये क्या कह रहे हो अनिकेत – ये ..!”

“हाँ ये आखिरी रास्ता है हमारे पास क्योंकि इतना माथापच्ची करने के बाद भी न हम अब तक वजीर तक ही पहुँच पाए और न उसके अपराध की जड़ तक इसलिए मैं चाहता हुआ कि तुम अपने पिता की आत्मा का आवाहन करो – अब सारा सच वे ही बताएँगे |”

“तुम्हे पता है अनिकेत – ये बहुत रिस्की है – क्योंकि सोल का कोई निश्चित नही वह हमे किस रूप में मिले |”

अबकी अपनी बात समझाने अनिकेत जॉन के पास बैठता हुआ भरोसे के लिए उसके कंधे पर हाथ रखता हुआ अपनी बात कहता है – “जॉन विश्वास रखो – ये तुम्हारे पिता की आत्मा है – एक सात्विक आत्मा लेकिन हत्या होने से उनकी आकस्मिक मौत से उनकी आत्मा जरुर चौथे आयाम में फंसी होगी – अगर तुम एक बेटे की तरह उनका आवाहन करोगे तो वे जरुर तुम्हारी बात सुनेगी – तुम विश्वास करके कोशिश तो करो |”

जॉन अनिकेत की बात सुनता होंठो पर दवाब देता सोचने लगता है तब अनिकेत आगे कहता है – “जॉन शरीर नष्ट होता है पर आत्मा नही और आत्मा एक ऊर्जा है जो दूसरी आत्मा से बहुत जल्दी कनेक्ट हो जाती है – इसलिए मुझे विश्वास है कि तुम्हारी मानसिक ऊर्जा तुम्हारे पिता की मानसिक ऊर्जा से जल्दी कनेक्ट हो पाएगी और बस उन्हें यहाँ फिर वापस लाना है – क्योंकि जब तक वह अपने हत्यारे को उसके अंजाम तक नही देख लेती उनकी आत्मा को वैसे भी शांति नही मिल पाएगी तो जॉन ये तुम्हे करना ही है हर हाल में |”

इस पर एक गहरा श्वांस छोड़ता हुआ जॉन हाँ में सर हिलाता है|

जॉन की ओर से आश्वस्त होते अनिकेत उठता हुआ कहता है – “ठीक है – जब तक तुम अपना काम पूरा करो तब तक मैं किसी विश्वस्त लैब टेक्निशियन का पता करता हूँ क्योंकि जब तक उन दवाइयों के कंटेंट की जांच नही होगी तब तक सबूत के तौर पर हम उस शख्स के खिलाफ कुछ नही कर सकते |”

दोनों दोस्त आपस में विदा लेते अपने अपने काम में लग जाते है|

जॉन के लिए ये काम जितना प्रोफेशनल था उससे कही ज्यादा भावुक पल था जिस पिता का चेहरा उसे ठीक से याद भी नही आज वह उनकी आत्मा को खोजने जा रहा था| उसे नही पता था कि उनकी आत्मा को देखकर वह कैसा महसूस करेगा या वो आत्मा ही उसके प्रति क्या प्रतिक्रिया करेगी !! बस एक अनदेखी कोशिश में वह जी जान से लग चुका था|

अगले दो दिन तो जैसे यूँही हवा हो गए| रात दिन वह अपने सर्वर में अपने पिता की आत्मा को तलाशता रहा पर बार बार उसकी सारी कोशिश बेकार होती गई| कई बार वह झुंझला उठता कि वह आखिर अपने पिता की आत्मा से क्यों नही कनेक्ट कर पा रहा आखिर उन दोनों की ऊर्जा आपस में सम्बंधित तो है ही !! फिर आखिर ये क्यों हो रहा है !!

जॉन अपने काम में दक्ष था| वह भलीभांति जानता था कि चौथा आयाम उसके आस पास ही मौजूद हवा है बस उसे अपने आयाम और उस आयाम के बीच का द्वार खोलना भर है पर फिर भी वह अपने काम में लगातार नाकाम हो रहा था| वह अब तक कई बार सोल रिकॉल सिस्टम को इनपुट भेज चुका था फिर भी आउटपुट में उसे अपने पिता की आत्मा नही मिली थी| वह इन दो दिनों की अपनी नाकामयाबी से ज्यादा अपने पिता को न ढूंढ पाने से ज्यादा निराश था|

वह हताश सा बैठा था तभी अनिकेत से उसे टोका जो दो दिन बाद ही वापस आया था| अब तक वह कहाँ था जॉन जान भी नही पाया था|

लौटकर इस नाकामयाबी की अनिकेत को कतई उम्मीद नही थी इसलिए प्रश्नात्मक भाव से वह जॉन का हताश चेहरा देखता हुआ पूछता है – “हुआ क्या – क्या तुम्हे अपने पिता की सोल नही मिली ?”

“नही – |”

“ऐसे कैसे हो सकता है – क्या सिस्टम में कोई समस्या है ?”

“नही न सिस्टम में न रिकॉल में – इसलिए मैं खुद नही समझ पा रहा कि आखिर इसके पीछे कारण क्या है ?”

“फिर भी कुछ तो आउटपुट मिल रहा होगा तुम्हे ?”

“हाँ मुझे इसके बदले कई और आत्माओ का आउटपुट मिला है जिनका सन्देश मैंने नोट भी किया पर उसमे मेरे पिता की आत्मा नही है और ये बात मेरी समझ से परे है |”

इस पर अनिकेत कुछ सोचता हुआ मौन हो जाता है जबकि जॉन अपने सामने खुले लैपटॉप को देखता हुआ अपनी बात कहता रहता है – “मुझे कई आत्माओ का सन्देश मिला है जो मुझसे रिलीज होने को अपना सन्देश छोड़ रही है – तुम खुद देखो |”

अबकी जॉन स्क्रीन पर कई आड़े तिरछे सन्देश जो अभी कोडिंग के रूप में दिख रहे थे उन्हें दिखता हुआ कहता रहा – “ये किसी आदमी का सन्देश है जो अपने  कातिल का नाम जानने के लिए इस आयाम में आना चाहता है क्योंकि किसने उसे मारा वह जान भी नही पाया और ये किसी लड़की का सन्देश है जो अपने भाई को अपने हत्यारे के बारे में बताना चाहती है और ये..फिर ये…ऐसा करते जाने कितनी आत्माओ ने अपना आउटपुट भेजा बस उसमे मेरे पिता की आत्मा की ओर से कोई रिस्पोंस नही मिला – अब तुम्ही बताओ मैं क्या करूँ – आज मेरा अपने ही ओरिजन सिस्टम से विश्वास उठ गया….|”

“हताश मत हो जॉन – हर निराशा में एक आशा जरुर छुपी होती है बस हमे अपना विश्वास नही खोना है – खैर मैंने तो अपना काम कर लिया|”

अबकी अनिकेत की बात सुनते जॉन अपनी मूविंग चेअर घुमाते हुए उसकी ओर होता हुआ उत्सुकता से पूछता है – “चलो अच्छा है – कुछ तो अच्छी खबर मिली तो कौन शक्स है वह लैब टेक्निशियन ?”

“एक लड़की है |”

“क्या !!” ये सुनते जॉन यूँ अपनी जगह से उछल पड़ा मानो हजार वाट का झटका एकसाथ लगा हो |

“हाँ किसी विश्वस्त को ढूढ़ना था क्योंकि पता नही इस वक़्त कौन दोस्त है और कौन दुश्मन कहना मुश्किल है|”

“तो इस भरी दुनिया में तुम्हे एक लड़की ही मिली इस काम के लिए |”

“हाँ वह अपने काम में बहुत बेहतर है – मैंने खुद उसका काम देखा है तभी उसे तय किया है |”

“अनिकेत तुम्हे हो गया है – अभी कुछ दिन पहले भी तुम किसी लड़की पैरानोर्मल इन्वेस्टिगेटर को खोज कर लाए थे जिसको बड़ी मुश्किल से रफा दफा किया और अब किसी लड़की लैब टेक्निशियन को |”

“हाँ तो क्या लड़कियां ये काम नही कर सकती ?”

“कर क्यों नही सकती पर तुम्हे सब लड़कियां क्यों मिल रही है ?”

“अब मैं लड़की सोचकर तो नही गया था मिली तो क्या कर सकता हूँ |” बेहद भोला सा चेहरा बनाते हुए अनिकेत अपनी बात कहता है जिसपर जॉन की और त्योरियां चढ़ जाती है|

“तुम्हारा कुछ समझ नही आ रहा – आजकल तुम्हें कुछ ज्यादा लड़कियां मिल रही है लगता है ये पलक को बताना पड़ेगा |”

इस पर अनिकेत ठसक कर हँसता हुआ कहता है – “तुम भी बात को कहाँ ले जा रहे हो – तुम मिल तो लो – बहुत एस्पर्ट है अपने काम में – मैंने सोचा अब हम साथ में काम करने वाले है तो पहले तुमसे मिलवा तो दूँ |”

“नही मुझसे मिलवाने की कोई जरुरत नही – तुम ये मान सकते हो कि मुझे लड़कियों से एलर्जी है |”

“अब ये किस तरह की बात कर रहे हो – वो हमारे साथ काम करेगी कोई तुम्हारे रिश्ते के लिए लड़की नही लाया हूँ |”

“हाँ तो लाने की जरुरत भी नही है |” जॉन बेहद चिढ़े हुए स्वर में अपना विरोध दर्ज करवाता है|

“तो फिर क्या बुलाऊ उसे अन्दर ?”

दांत पीसते हुए जॉन एक पल तक अनिकेत को घूरता रहा जिसके चेहरे पर इस वक़्त बेहद शांत भाव थे|

अबकी जॉन की ख़ामोशी पर अनिकेत यही बात इशारे में पूछता है जिस पर जॉन कोई प्रतिक्रिया न करता हुआ अपने लैपटॉप की तरफ अपना चेहरा घुमा लेता है|

“ठीक है बुलाकर लाता हूँ – बेचारी तब से बाहर खड़ी है |”

अनीकेत तुरंत उठता हुआ उस कमरे के उड़के दरवाजे के बाहर देखता हुआ किसी को अन्दर आने का संकेत करता है|

जॉन किसी के अंदर आने की मौजूदगी को महसूस करता है पर पलटकर उसे देखता नही पर पल भर में वह कमरा किसी मादक खुशबू से भर उठता है| क्या ये खुशबू उसकी जानी पहचानी है !! क्या इस अनजान मौजूदगी का उसे पहले से ही आभास था ये सोचते हुए वह तुरंत ही पलटकर पीछे देखता है और बस पीछे देखते उसकी धड़कने मानो पल भर को स्तब्ध रह जाती है| उसे अपनी अनुभूति और अहसास पर ही भरोसा नही हो रहा था| वह जाना पहचाना चेहरा ठीक उसके सामने था और वह स्टैचू बना उसे घूरे जा रहा था| अनिकेत बस उन दोनों की मिली नज़रो को चुपचाप देखता मंद मंद मुस्करा रहा था जबकि जॉन बस अपने सारे होशोहवाश खो चुका उन अनजानी आँखों में झांकता हुआ जहाँ पहचान का दरिया उफान मारता उसके दिलोदिमाग की चट्टान से बार बार टकरा जा रहा था|

“तुम !! लेकिन…!!”

इस प्रश्न का उत्तर जब तक जॉन अपने दिलोदिमाग में खंगालता है आप भी खंगाले…और मुझे जम कर कमेन्ट कर सकते है आपके दिमाग को झंझोड़ने के लिए…..

क्रमशः……..

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