
डेजा वू एक राज़ – 49
अनिकेत की बात जैसे दोनों के गले नही उतरी ये दोनों के चेहरे से साफ़ साफ़ पता चल रहा था| झलक तो विरोध करती हुई कह उठी –
“ये क्या कह रहे है आप ? आप और वजीर !! इम्पोसिबल |”
रचित भी झलक के स्वर में स्वर मिलाता हुआ कहता है – “आप सपने में भी कुछ बुरा नही कर सकते – आई एम् श्योर टू से |”
दोनों अपनी बात कहने के बाद भी बड़ी अनिश्चितता के साथ अनिकेत को देख रहे थे जिसका चेहरा अब तनाव से बुरा बन चुका था| वह बालो में उंगलियाँ फेरता हुआ एक बार आसमान की ओर देखता है मानो ईश्वर से अपनी तल्खी व्यक्त कर रहा हो फिर होंठ पर जबान फेरता हुआ धीरे से कहता है –
“आज से छह साल पहले जब मैंने अपनी थ्योरी पर काम करना शुरू किया था तब उसके रिसर्च के लिए मुझे काफी लोगो की जरुरत थी – चूँकि मेरी रिसर्च तब पूरी तरह से पर्सनल थी इसलिए किसी भी बाहरी ओथराईज़ सहायता का मिलना लगभग इम्पोसिबल था लेकिन मुझे अपने काम का इतना जूनून था कि मैंने इसे किसी भी हाल में करना तय कर लिया था – मैं इस रिसर्च की सहायता से टाइम ट्रेवल में एक ऐसा लूप होल तैयार करना चाहता था जिससे मैं कभी भी आसानी से इस पार से उस पार जा सकूँ – इस रिसर्च के जरिए मैं चाहता था कि भविष्य के समय के साथ होने वाली कुछ बुरी घटनाओ को रोका जा सके या उन्हें बदला जा सके – बस यही चाहता था और इसके लिए मैंने पूरी रणनीति भी तैयार कर ली बस कुछ लोगो पर इसे अप्लाई करना शेष था – मुश्किल बस यही थी कि समय के पार हर कोई जाना चाहता था पर इसका शोध अपने ऊपर करने को कोई राज़ी नही था इसलिए अब इसके लिए मुझे कुछ तो करना ही था तब मैंने पैररल वर्ड से कुछ लोगो पर इसे अप्लाई करने का तय किया –|” अपनी बात कहते कहते अनिकेत दोनों के चेहरे पर के उड़े हुए भाव से उनके अनकहे शब्द भी समझ जा रहा था जिससे वह अपनी बात और अच्छे से उन्हें समझाता हुआ कहता है – “पैररल वर्ड अर्थात समान्तर संसार जो हमारी दुनिया जैसी ही एक दुनिया होती है – ये एक या कई भी होती है – जहाँ समय की गति का कोई निश्चित नियम नही है – वहां समय तेज भी जा सकता था या धीमा भी – मुझे बस एक ऐसा पैररल वर्ड खोजना था जहाँ के लोगो पर अपना रिसर्च मैं अप्लाई कर सकूँ इसलिए रेंडमली मैंने काफी लोगो का चयन किया और वो भी ऐसे लोगो का जिनका आईक्यू लेवल बिलो अवरेज था ताकि मेरी रिसर्च के समय वे अपनी ओर से कोई निर्णय न ले सके और मैं आसानी से अपनी रिसर्च कर सकूँ – और इन सबमे मेरी सहायता की थी मेरी योग निद्रा ने – जहाँ सिर्फ मैं ही सम्बल हो सकता था – पर सबसे मुश्किल बात ये थी कि यहाँ मैं सशरीर नही जा सकता था – मुझे उस पैररल वर्ड में जाने के लिए अपने शरीर को छोड़ना ही था जो बस कुछ समय तक ही संभव था क्योंकि इसके लिए मुझे कॉस्मिक एनर्जी का प्रयोग करना था जो सबसे ज्यादा ब्रम्ह मुहरत में एक्टिव होती है जिसका समय काल बहुत छोटा होता है – यही मुश्किल थी कि ये समय बहुत छोटा होता है और एक बार में इसे पूरा करना संभव भी नही था – पर उस वक़्त बस इसे करने का एक जूनून सा मेरे मन में था – चाहे ये क्षणिक ही क्यों न हो – बस मैंने सब कुछ तय कर लिया – मैंने अलार्म में समय सेट करके योग निद्रा की स्थिति में खुद को रखा ताकि समय काल पूरा होते मैं वापस अपनी दुनिया में आ जाऊ – सब कुछ लगभग तैयार ही था – बस सुनिश्चित पैररल वर्ड में पहुंचकर लोगो को वर्म होल से प्रवेश कराना था ताकि वापसी में उनके लूप होल का मैं पता कर सकू – लूप होल मतलब वे अपने जीवन की जिस घटना क्रम से प्रवेश करते लौटने पर वो घटना क्रम कितना बदल जाएगा यही लूप होल – इस तरह से मैं समय यात्रा के लूप होल का ठीक ठीक पता लगा सकता था – बस सब तय करके मैं योग निद्रा में चला गया फिर पता नही क्या हुआ कि क्षण भर में ही मैं वापस जाग गया – वो अलार्म बज उठी और मैं योग निद्रा से जाग गया – तब मुझे बिलकुल समझ नही आया कि समय इतनी तेजी से कैसे जा सकता है जबकि मैं समय के पार गया भी नही – तब इसकी खामी के कारण मैंने इसे यही त्याग दिया पर ठीक दो साल मैंने जॉन की मदद से फिर इसे शुरू किया पर सिर्फ थीसिस से रूप में और यही वो समय है जब पलक को समय के पार जाकर मैंने बचाया तब पहली बार मैंने इसे अप्लाई तौर पर यूज किया इससे मेरा इसके प्रति बहुत विश्वास बढ़ गया – फिर अपने रिसर्च वर्क में मैंने इसे दुबारा करने का तय किया लेकिन जिस बात पर मैं पूर्ण विश्वास से कह रहा था उस पर किसी को विश्वास नही आ रहा था इसलिए मैंने इस पर पेपर वर्क करना शुरू किया – और इसी थीसिस का नाम है इन्त्युशन ऑफ़ थर्ड आई और पैररल वर्ल्ड विथ थर्ड आई – इसलिए मैं कह रहा हूँ कि जो कुछ भी हो रहा है वो सब यही थ्योरी ही है जिसका रचयिता तो मैं ही हूँ फिर क्या मैं अनजाने में ये सब कर रहा हूँ – कही मैंने ही तो वो लूप होल नही छोड़ दिया जिससे इस समय काल की घटना समान्तर दूसरे समय की घटना से जुड़ जाती है|”
“मतलब आप कहना चाहते है कि उस पार भी आप है और इस पार भी – पर ये कैसे संभव है ? जॉन के जीवन की घटना जो आपने बताई थी उस तरह से वो वजीर की उम्र चालीस पचास के करीब होनी चाहिए |” रचित बीच में उसे टोकता हुआ पूछता है|
“मैंने कहा न पैररल वर्ड का समय बहुत तेज भी जा सकता है और बहुत धीमा भी |” अनिकेत बात साफ़ करता है|
“लेकिन आज से बीस साल पहले बच्चो के गायब होने की घटना तो इसी वर्ड में सच में हुई फिर वो पैररल वर्ड से कैसे सम्बंधित हो सकती है?” झलक अबकी पूछती है|
“यही लूप होल तो पता करना है कि अगर सच में वो सारा बीस साल पहले हुआ तो आज वही सब कैसे फिर से हो रहा है जो मेरी थीसिस में है और अगर इसका मैं अपराधी निकला तो मैं इस बात की खुद को सजा देने से भी नहीं हिचकूंगा |”
“ये क्या कह रहे है आप ? आप कभी कल्प्रिट नही हो सकते – ये सब आप जो सोच रहे है बिलकुल सही नही है |” झलक बिफरती हुई कहती है|
“अब क्या सच है और क्या झूठ इसका पता मुझे खुद ही लगाना पड़ेगा – मुझे अब उसी समय में जाना होगा जहाँ से ये सब शुरुवात हुआ है – मैं उसे खुद अपनी आँखों से देखना चाहता हूँ जिसने ये सारा षड्यंत्र रचा है – आखिर वह क्यों मुझे इन सबका मोहरा बना रहा है – या वो मैं ही हूँ ? बस ये आखिरी कोशिश करनी है क्योंकि अगर ये सब मेरी वजह से हो रहा है तो टाइम पैराडॉक्स मैं ही तैयार करूँगा – फिर चाहे इसके लिए कुछ भी करना पड़े |”
“जीजू आप ये क्या कह रहे है – आप क्या करने वाले है -?” झलक परेशान होती हुई पूछती है|
झलक अबकी उसकी बाजु के हाथ रखते जैसे उसका ध्यान अपनी ओर दिलाती हुई पूछती है| इस स्पर्श से अनिकेत भी जैसे होश में आता हुआ अब ध्यान से दोनों का चेहरा बारी बारी से देखता है जिसके भाव बुरी तरह से उड़े उड़े बने हुए थे|
अनिकेत अब दोनों की ओर सामान नज़र से देखता हुआ कहता है – “अब बस तुम दोनों यहाँ सब संभाल लेना क्योंकि मुझ्रे जाना पड़ेगा – इस लूप होल को मुझे ही खोजना होगा – बस पलक को ये सब मत बताना |” अपना आखिरी शब्द थोड़ा संभालकर कहता है|
“ये क्या कह रहे है आप – इसका मतलब आप कुछ खतरनाक करने वाले है – देखिए अभी आप सब कुछ सोच लीजिए ठीक से और फिर जॉन भी तो नही है आपके साथ -|” झलक अपना विरोध प्रकट करती हुई कहती है|
“अभी मेरे पास इतना वक़्त नही है – पहले ही बहुत कुछ बुरा हो चुका है – बस जो मैं कह रहा हूँ उसपर ध्यान दो – वैसे भी समय के उस पार जो समय मैं वर्षो में तय करूँगा वो यहाँ के लिए एक दिन के बराबर भी नही होगा इसलिए पलक को कुछ पता नही चलेगा – अब सब तुम दोनों के हवाले करता मैं चलता हूँ |” अनिकेत उस दोनों के साथ में बड़े हाथो को स्पर्श करता उनसे दूर जाने लगा और हतप्रभ दोनों उसे जाता हुआ देखते रहे|
अनिकेत लम्बे डग भरता हुआ वहां से निकल रहा था और दोनों चाहकर भी उसे रोक पाने में असमर्थ रहे थे|
क्रमशः……