Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 5

वह साधारण से कमरे में बेहद शांति से चादर में खुद को लपेटे लेटे हुए था पर थोड़ी थोड़ी देर में वह हिल्की लेता हलके से हिल जाता पर अगले ही पल फिर से उसका शरीर निस्तेज नजर आने लगता है| उस नीरव एकांत में किसी के स्पर्श का अहसास मिलते वह चादर हटाकर उस चेहरे को देखता है जो उसके पास आकर कह रही थी – “बहुत हो चुका ये सब सहते सहते – मैं कहती हूँ तुम चले जाओ यहाँ से – कहीं दूर जहाँ तुम्हे कोई न पहचाने – न हमारे नाम की जरुरत रहे और न तुम्हे हमारी – चले जाओ यहाँ से |” कहते कहते वह आवाज तेजी से हुलस पड़ी मानो दुनिया तमाम के आंसू उसके हलक में फंस गए हो|

वह अपना स्पर्श उस पर से हटाती उस जगह से चली जाती है पर उस ओर टंगी ऑंखें अभी भी बड़ी उम्मीद से उन्हें देख रही थी, वे ऑंखें जो इस घर में सुकून से सोती जागती थी पर आज सिर्फ बेबस हुई रहमतो की भीख मांग रही थी| वह उन्हें जाते देख उठकर बैठते घुटनों पर सर दिए फिर सुबक उठता है| कबसे वह ऐसे ही सुबकता हुआ अपने आप को खाली कर देना चाहता था पर कुछ था अंतरस जो मवाद सा बहता ही जा रहा था| अगले ही पल वह उठकर कमरे के आदमकद शीशे के सामने खड़ा एक भरपूर नज़र खुद पर डालता हुआ खुद में बडबडाता है – ‘उम्र के सोलह साल और जख्मो के सोलह हज़ार से भी कही ज्यादा पल जब उसे हर पल खुद से ही ये तय करने लड़ना पड़ता कि वह बाहर से भलेही एक लड़का दिखता है पर अन्दर से अपनी ही बहनों की तरह वह एक लड़की है जो सजना संवरना और उन्ही की तरह ही रहना चाहता है लेकिन उसकी माँ और समाज उसे बार बार उसके अस्तित्व को ही झूठा बना रहे थे| अम्मी हर रोज उसे बताती कि तीन बेटियों के बाद कैसे बड़ी मुराद के बाद उन्होंने उसे पाया क्योंकि उनका घर बेटे के आने से ही पूर्ण होता तो अब्बू उसमे लड़की का अहसास पाते बेदम होने तक उसे पीटते ताकि उसके अन्दर की लड़की को खत्म कर सके पर वह कैसे बताए कि उसके अन्दर की लड़की उसकी नस नस मज्जा में समाई है तो कैसे खत्म होगी !! जन्म से भलेही उसे लड़के की तरह पाला गया पर बढ़ते समय ने उसे बता दिया कि वह लड़के के भेष में एक लड़की है जिससे वह अभी तक हामिद से हमीदा होने के बीच त्रिशंकु का झूल रहा है| उसकी लड़ाई अगर सिर्फ घर के भीतर होती तो शायद वह लड़ भी लेता पर उसकी लड़ाई तो खुद के वजूद से भी थी जिसे पहचनाने के बाद उसका समूल बदल चुका था| अब और उससे ये सब बर्दाश्त नही होता !! कब तक वह घर पर अब्बू की मार अम्मी का रोना और समाज का तिरस्कार देखेगा, और वे सब है भी कहाँ उसके वह तो उनके बीच रहता हुआ भी अकेला ही है काली अंधियारी रात के सीने में छुपा एक लुप्त सितारे सा जो होकर भी उनकी नज़रो में नहीं है| वह तुरंत अपनी कमीज और पैंट उतारकर अपनी बहन का सलवार कमीज पहन लेता है| भलेही ऐसा करते उसके हाथ कांप रहे थे दिल बेतरह धडक रहा था फिर भी वह उस पल वही करना चाहता था जो पिछले वक्त से खुलकर कभी नही कर पाया|

उस छोटे से कस्बे की शाम ही उस कस्बे के लिए रात थी| कर्नाटक बीदर का छोटा सा गांव जिसकी सरहद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से छूती थी| उस शाम के धुंधलके को चीरता हुआ वह सहमे कदमो से अपने गाँव की सरहद से बाहर निकल रहा था| अंधियारी सड़क के दोनों छोर पर के विशालकाय पेड़ किसी दानव सरीखे हवा में डोल रहे थे उनके बीच वे सहमे कदम बिना रुके जाने कहाँ बस बढे चले जा रहे थे| बढ़ते अँधेरे और सन्नाटे से डरे उसके कदम तेजी से सड़क पर लगभग दौड़ रहे थे| काफी देर तक चलते रहने से उसकी साँसे अब उखड़ने लगी थी| वह कुछ देर राहत लेने वही किनारे मील के पत्थर पर बैठ जाता है| उस वक़्त वहां किसी की भी मौजूदगी नही थी इससे उसके अंदर का डर और तीव्र हो उठा| वह जैसे खुद पर ही झुंझला उठा – ‘वह कही नही जा सकता – उसे वापस लौटना होगा |’ मन ही मन खीजता हुआ हामिद अब उसी तेजी से उठता हुआ पलटकर वापस जाने लगता है पर लौटते कदम पीछे पलटकर नही देख पाए कि उसकी परछाई अभी भी उसी मील के पत्थर पर बैठी थी जबकि वह अँधेरे की ओर वापस चल दिया था|

अब तक जॉन ने वही पास ही होटल ले लिया था और वही रात का खाना लेकर वह नींद लेने लेटा था| सोने से पहले फेनी को वह अपने आने की सूचना उसी नंबर पर मेसेज के जरिए दे चुका था| अब अगली सुबह उससे मिलने का तय करते वह नींद में खोया था कि अचानक उसकी नींद खुलती है और उसकी निगाह कलाई घड़ी की ओर जाती चौंक जाती है – ‘क्या गयारह ही बजे है अभी और मुझे लग रहा है जैसे पूरी नींद लेकर उठा हूँ |’ एक बार नींद के पूरे होने के अहसास के बाद उसका बिस्तर पर पड़ा रहना मुश्किल था| वह उठकर कम वॉट का एलइडी जलाकर टेबल पर रखी पानी की बोतल से ही पानी गटकने लगता है| उस पल गोवा की समुद्री नमी और मौसम की हलकी तरावट को महसूसते उसका मन अब कमरे में नही लगा तो कमरा लॉक कर वह अपने कैमरे के साथ होटल से बाहर निकल गया| उसने होटल बोम्बोलिम बीच के पास ही लिया था ताकि वह फेनी के हॉस्पिटल भी आसानी से पहुँच सके और उसे ये बीच कुछ ख़ास पसंद भी आ गया था| हालाँकि यहाँ बीच की कमी नही थी पर जब नारियल वाले से उसे पता चला कि बोम्बोलिम बीच अभी पर्यटकों की भीड़ से अछुता है जिससे अभी यहाँ इसका इतना व्यावसायिककरण नही हुआ इसलिए तो इसे वर्जिन बीच भी कहते है ऐसा एकांत बीच देख जॉन को भी यहाँ बहुत अच्छा लगने लगा| अब उसके कदम पैदल चलते हुए बीच तक पहुँच रहे थे| आधी रात के आगाज में भी गोवा जैसे सोया ही नही था लोग अभी भी आ जा रहे थे| लोगो से कटता हुआ जॉन अब बीच की सुनहरी रेत तक पहुँच चुका था| एक पल रूककर वह दूर उमड़ती लहरो और उनकी सुरलहरी बनी ताड़ और नारियल के पत्तो की सरसराह को महसूसने हुए एक गहरी सांस अपने भीतर खींचता हुआ मुस्करा लेता है| उस एक पल उसे फेनी की याद हो आई कि सामने होती तो वह उसे शुक्रिया कहता आखिर उसी की वजह से वह इतनी खूबसूरत जगह आया नहीं तो अपने काम की व्यस्तता के चलते वह कभी भी इधर उधर यात्रा नही करता| गोवा तो खैर वह पहली बार आया था|

बीच कोई भी हो पूरा सुनसान तो नही रहता लेकिन ये बीच और बीचो के मुकाबले कम भीड़ भाड़ वाला था जल्दी ही जॉन अपने मन के मुताबिक सुना स्थान चुनकर समुद्र की ओर मुंह करे बैठ गया था| बैठते ही वह उस ठंडी रेत में अपने पैर रखे अब उस तरावट को मन तक महसूस करने लगा था| सामने लहरें बेचैनी में उमड़े जा रही थी| जॉन अब कैमरा निकालकर समुद्र की कुछ तस्वीरे उतारने लगता है फिर तट की और उसके बाद फोकस करके हुए दूर पत्थर की जहाँ कुछ एक आध लोग बैठे मस्ती कर रहे थे| वह लगातार फोटोस क्लिक कर रहा था कि अचानक अपना नाम सुन वह नजरो से कैमरा का लेंस हटाते हुए सामने देखता है तो अब उसके चौंकने की बारी थी| फेनी ठीक उसके सामने खड़ी थी|

जॉन इतना हैरान रह गया कि कैमरा हवा में लिए अभी भी बुत बना उसे देखता रहा|

“इतना तो कोई भूत देखकर भी नही चौंकता जितना तुम मुझे देखकर चौंक गए -|”

फेनी की बात सुन अब सयंत होता वह कैमरा नीचे रखता हलके से मुस्करा देता है| अब वह भी वही बैठ गई थी|

“आधी रात को बीच पर अकेली लड़की को देखकर क्या मुझे चौंकना नही चाहिए ?” जॉन कैमरे से लेंस पर कवर लगाते हुए पूछता है|

“कम से कम गोवा में तो नही – मेरी शिफ्ट अभी खत्म हुई तो बीच का एक चक्कर लगाकर मैं वापस ही जाने वाली थी कि अचानक तुमपर नज़र चली गई – वैसे तुम्हारे आने का मेसेज मिल गया था मुझे |”

मेसेज की बात से जॉन को पिछली समय छूटी फ्लाइट की याद हो आई जिससे वह हिचकिचाते हुए कहता है – “उस दिन के लिए मैं माफ़ी चाहूँगा – पता नही कैसे मुझे उठने में देर हो गई इसलिए मैंने तुरंत ही यहाँ आने का तय कर लिया |”

“अरे मुझे तो थैंक्स कहना चाहिए – मेरे कहने पर यहाँ जो आए |”

इस बात पर जॉन गहरा शवांस खींचता हुआ अब समुद्र की उफनती लहरों तक अपनी नज़र दौड़ाता हुआ कहता है – “वैसे बहुत खूबसूरत जगह है ये – मैं शाम को हॉस्पिटल भी गया था पर मुझे अन्दर नही आने दिया |”

“ओह हाँ शाम से विजिटिंग अवर खत्म हो जाते है न इसलिए |”

“मैंने एक सफाईकर्मी से तुम्हारा नाम भी पूछा पर वह तुम्हे जान नही पाई – ऐसा क्यों ?”

“ये हॉस्पिटल बहुत बड़ा है और मैं अभी नई नई अपोइन्ट हुई हूँ शायद इसलिए – वैसे इस बात से इतना ख़ास क्या लगा ?” अब उसकी सुरमई ऑंखें जॉन की ओर मुड़ गई थी|

जॉन जो अभी सामने की ओर ही देख रहा था पर उसकी आँखों का आभास होते वह उसकी ओर देखते हुए कहता है – “यूँही पूछ लिया – तो – कल तो मैं आ सकता हूँ हॉस्पिटल ?”

“नही |” वह तुरंत कह उठी|

फेनी का नहीं सुनते जॉन के चेहरे पर प्रश्नात्मक क्यों तैर गया|

“क्योंकि हमे आज रात ही तहकीकात करनी होगी |”

“रात में !!” जॉन फिर बुरी तरह चौंक जाता है|

“हाँ रात के ढाई बजे – क्या तैयार है आप ?” वह अपनी उन्ही सुरमई विस्मित आँखों से जॉन की आँखों में देख रही थी तो वही जॉन अजीब भाव से उसकी ओर देखता रहा|

क्रमशः……………………..

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