
डेजा वू एक राज़ – 55
उस वक़्त अँधेरे में जो कुछ भी घट रहा था उसे बस आवाजो के रूप में अनिकेत देख पा रहा था| उन आवाजो को सुनते हुए वह अंदाजा लगा रहा था कि क्या हो रहा है| मैरी अँधेरे की वजह से शायद गिर गई थी और मौरिस उसे अभी भी अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहा था|
अनिकेत जानता था कि ये सब अतीत में घट चुका है इसलिए उसे सिर्फ ये दृश्य देखने भर है वह उन्हें होने से रोक नही सकता था|
इसलिए वह अँधेरे में छिपा सब देख रहा था|
मैरी दर्द से कराह उठी तो मौरिस उसे सहारा देता हुआ कहता है – “अगर एक आखिरी बार विश्वास कर सको तो मैं अपनी सफाई में कुछ कहना चाहता हूँ लेकिन अभी तुम बस घर चलो – तुम्हारी हालत में….|”
वह बीच में ही चीख उठी – “हाँ पता है पर ये उस मौत से भी ज्यादा घातक है – क्या सोचा था मैंने कि अपने अंतिम समय मैं अपने पति और बच्चे के साथ उन्हें पल पल निहारते हुए काट लुंगी पर उससे पहले ये मालूम पड़ा – उफ़|”
“चलो अभी घर चलो |” मौरिस अपने भरसक प्रयास में मैरी को घर वापस ले आता है| घर में आते वह बाहरी कमरे में उसे बैठाकर उसका चेहरा अपनी हथेली में लिए ध्यान से देखने लगा जहाँ हमेशा भरपूर प्यार होता था पर आज नफरत थी फिर भी मौरिस उसे प्यार से सँभालते हुए कहता है – “काश मैं अपना दिल चीरकर ये बता पाता कि मैं क्या सोच रहा हूँ बस अभी इतना ही कह सकता हूँ कि मुझपर कुछ तो विश्वास करो |”
“कैसे विश्वास करूँ ?” वह उनका हाथ तेजी से झटकती हुई कहती है – “सब सुना है मैंने |”
“हाँ तो ये भी सुना है न कि तुम मौत के कगार पर खड़ी हो इसलिए तो मैं कुछ ऐसा खोज रहा हूँ जिससे मैं तुम्हे मौत के पास जाने से रोक सकूँ |”
“तो क्या उसके लिए मासूमो को बलि बनाओगे – मौरिस हमारा भी तो बच्चा है – और ये याद रखो – सब कर्म वापस होते है – अगर तुम बुरा करोगे तो तुम्हारे बेटे पर भी ये बुराई वापस होगी इसलिए कहती हूँ सब छोड़ दो – अभी भी वक़्त है – हम यहाँ से कही दूर चले जाएँगे|”
“नहीं – अब बहुत देर हो चुकी है – मुझे ये हर हाल में खत्म करना होगा – लेकिन उन बच्चो को मैं वापस लाऊंगा – बस आज भर तुम मेरा इंतजार करो – फिर मैं वो खबर लेकर आऊंगा जिससे ये जीवन से लेकर मौत तक का फासला मैं इतना लम्बा कर चुका होंगा कि उसके बीच बिना किसी डर के हम अपनी जिंदगी जी सकेंगे – बस आज मुझे जाने दो |”
वह मौरिस के चेहरे पर आए अजीब से बदलाव को देखती रही| उसे विश्वास नही आ रहा था कि जो व्यक्ति अभी न जाने को कह रहा था वह खुद अब वही जाना चाहता है| क्या मेरे सामने खड़ा व्यक्ति सच बोल रहा है या एक बार फिर उसे धोखा दे रहा है|
मौरिस एक पल भी नही रुकता और तुरंत ही बाहर निकल जाता है|
वह वहां से निकलकर कही जा रहा था| अनिकेत उलझा हुआ था फिर भी उसका पीछा करने लगा कि तभी किसी तेज आवाज ने एकसाथ दोनों का ध्यान अपने पीछे की ओर खींचा और उसके अगले ही पल मौरिस हवा की रफ़्तार से अपने घर की ओर भागा|
वह चीखता हुआ अपने घर की ओर जा रहा था जो अँधेरे में एक रौशनी के गोले के रूप में दहक रहा था| उस पल उसकी आँखों और न दिल को ये स्वीकार हो रहा था कि उस आगे के कमरे को बंद करके मैरी खुद को आग लगा लेगी|
मौरिस तड़पते हुए उस कमरे को लात बरसाते हुए खोलता है लेकिन तब तक मैरी काफी हद तक जल चुकी थी| उस वक़्त मौरिस बिलखता हुआ मैरी को कम्बल में समेटे किसी तरह आग से बचा तो लेता है पर उसके शरीर में हो रहे बेइंतहा दर्द से छुटकारा नही दिला पा रहा था|
“ये क्या किया तुमने मैरी…|” मौरिस उसे अपनी बाहों में समेटे दर्द से चीख रहा था और वह अपनी धीरे धीरे मूंदती हुई आँखों से मौरिस को फिर इन सब आवाजो को सुन कर आए हुए जॉन को देखती है | जॉन डरा सहमा देहरी पर अपनी आंखे मलता मौन खड़ा था|
“चलो अभी बिना देर किए मैं तुम्हे हॉस्पिटल ले..|”
मौरिस उसे अपनी बाँहों में उठाने की कोशिश करता ही है पर मैरी उसे रोकती हुई अपनी कांपती आवाज में कहती है – “अब से तुम मेरी वजह से – किसी की गलत बात को मानने के लिए मजबूर – नही हो – इसलिए छोड़ दो ये सब – मुझे तो मरना ही था चन्द सालो बाद या अभी – बस मेरी मौत तुम्हे जीवन दे इससे भला – और क्या बड़ी बात होगी……जॉन का ख्याल रखना और उसे – इन सबसे दूर….|”
बस अंतिम शब्द उसके होठो पर बुदबुदाहट बनकर सदा की ख़ामोशी छोड़ गए| मैरी ने मौरिस की बाहों में अपना जीवन त्याग दिया| नन्हा जॉन ये विभत्स दृश्य किस तरह देख रहा था ये बस अकल्पनीय था और उन सबको देखता अनिकेत भी ये भावुक पल देखता किसी तरह से अपने डूबते जज्बात पर काबू पाने की कोशिश करता रहा|
एक ही पल में मौरिस का जैसे सब कुछ खत्म ही गया था| मैरी जो उसके लिए उसका संसार थी आज उसकी नज़रो के सामने खत्म हो चुकी थी| कुछ पल तक मैरी को उन्ही लिए मौरिस स्तब्ध हुआ उसे निहारता रहा| कुछ समय बाद वह फिर तुरंत उठा और उसे कम्बल से अच्छे से ढकता हुआ पीछे पलटता है जहाँ देहरी पर जॉन मूर्त बना अभी भी खड़ा था|
एक ही पल में उसकी खत्म हुई दुनिया में अब बस उनका बच्चा ही रह गया था और अब उसके जीवन के साथ वह किसी भी तरह का समझौता नही करना चाहता था इसलिए वह उठा और उसे गोद में लिए बाहर निकल गया|
रात में मची इस चीख पुकार से अब कुछ लोग अपने अपने घर से निकल आए थे और भीड़ की शक्ल में वही जमा हो गए थे पर उन सबको नजरअंदाज करता मौरिस जॉन को गोद में लिए लिए ही जाने कहाँ चला जा रहा था|
वह किसी घर के बाहर खड़ा था और हलके हलके से उसकी सांकल खटखटा रहा था| अभी भी रात थी जिससे दरवाजा खुलने में देर लग रही थी और उसी पल अपनी जेब से कुछ निकालकर वह जॉन के मुंह में डालता हुआ उसे अपनी गोद में चिमटाए वह उसकी पीठ पर हलके हलके से थपकी देता हुआ मन ही मन बुदबुदा उठता है – ‘मुझे माफ़ करना बेटा पर ये यादें तुम्हारे दिमाग से मिटानी बहुत जरुरी थी – क्या पता था प्रयोग के लिए बनाई दवाई कभी अपने बेटे को खिलानी पड़ेगी पर आज से ये चेप्टर यही क्लोज होता है और वही तुम याद रखोगे जो मैं तुम्हे बताऊंगा – अपना ध्यान रखना बेटा शायद अब हम कभी न मिले|’
तभी दरवाजा खुलता है और उस पार सतीश दिखता है| वह शायद गहरी नींद से जगा था इसलिए कुछ पल तक वह सामने खड़े मौरिस को देखता रहा फिर उस ख़ामोशी को तोड़ते हुए मौरिस ही कहता है – “सतीश मुझे तुम्हारी मदद की बहुत जरुरत है – आज मैं जॉन की जिम्मेदारी तुम पर डालता हूँ – तुम इसका और ओर्फ्नेज का ख्याल रखना – बस यही अपनी दोस्ती कीमत मांगता हूँ तुमसे – लोगो ने मेरे घर को आग लगा दिया क्योंकि उन्हें लगता था कि मेरी पत्नी उन सारे बच्चो के गायब होने के पीछे है – मैं कुछ न कर सका – अभी मेरा जाना बहुत जरुरी है – अगर लौट सका तो सारा कुछ बताऊंगा नही तो बस यही आखिरी प्रार्थना मेरी याद रखना|” कहते हुए वह सोते हुए जॉन को उसकी गोद में दे देता है और बिना पल गंवाए वापस अँधेरे में कही गुम हो जाता है|
सब कुछ इतनी जल्दी घटित हुआ कि सतीश कुछ समझ ही नही पाया और अवाक् कभी अपनी गोद में सिमटे जॉन को देखता है तो कभी अँधेरे में गुम हुए मौरिस को|
अनिकेत जो सब कुछ मूर्ति बना देख रहा था बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाओ पर नियंत्रण कर पाया| जॉन अपने बचपन में किस हादसे से गुजरा ये देखते उसकी आंखे भी अब नम हो आई थी|
पर अभी भावुक होने का समय नही था इसलिए बिना समय गंवाए वह अँधेरे में ही मौरिस के पीछे पीछे भागा क्योंकि उसे पता था कि आज उसे उस वजीर का चेहरा देखना ही है| हो न हो मौरिस जरुर उस व्यक्ति के पास ही जा रहा होगा जो इन सबके पीछे था और अनिकेत इस एक पल को कतई गंवाना नही चाहता था| वह भरसक तेजी से उसके पीछे भागता है|
मौरिस अब ठीक उसकी नज़रो के सामने चला जा रहा था और उसी रफ्तार से अनिकेत भी उसका पीछा कर रहा था|
अब तक काफी देर चलने के बाद अनिकेत बहुत दूर निकल आया था पर जहाँ भी आया था वह जगह बड़ी अलग सी थी| वह गलियों से होता किसी पुराने घर में जा रहा था जहाँ आगे खुलती गली चौड़ी होती जा रही थी|
आगे चौड़ा होता रास्ता किसी घर की ओर जा रहा था जहाँ मौरिस तेजी से प्रवेश कर जाता है और उसके प्रवेश करते वहां का दरवाजा बंद हो जाता है जिससे उसके अन्दर जाने का अनिकेत बस सोचता ही रह जाता है|
उस बड़े से घर के आस पास घूमते हुए वह किसी खिड़की को ढूंढने में लगा था जहाँ से वह अंदर क्या हो रहा है जान सके| सब देखते हुए उसे ये घर बड़ा अजीब मिला जहाँ न कोई खिड़की थी और न कोई झरोखा| क्या ऐसा भी कोई घर होता है या इसे परपजली ऐसा बनाया गया है|
अनिकेत उलझा सा इधर उधर देखने लगता है| उस घर के आस पास कोई और घर भी नही थे| अभी अनिकेत कुछ सोच ही रहा था कि उसके आस पास कोई रौशनी का घेरा सा तैयार होने लगा जिसे देखते अनिकेत हैरानी से अपना माथा मसलता बडबडा उठा – ‘ओह लगता है स्पेक्ट्रम ने अपना एक चक्कर पूरा कर लिया – अब हर हाल में मुझे लौटना होगा – ओह ये भी बस अभी ही होना था – मुझे कुछ वक़्त और मिल जाता तो आज उस तीसरे तक बस मैं पहुँच ही जाता|’
वह घेरा उसकी नजरो के ठीक सामने गोल गोल घूमने लगा था, कुछ सेकण्ड तक वह यूँही घूमता रहा फिर अचानक उसकी रौशनी मध्यम पड़ने लगी| अनिकेत समझ गया कि अब बस कुछ सेकण्ड में ये गायब हो जाएगा और फिर कब दुबारा ये अपना अगला चक्कर पूरा करके वापस आए कुछ कहना मुश्किल था इसलिए इसे आखिरी अवसर मान वह उस गोले में त्वरित समा जाता है| उसके गोले में प्रवेश करते वह तुरंत ही वातावरण से अदृश्य हो जाता है|
अनिकेत की अपनी दुनिया में वापसी हो चुकी थी| वह एकदम झटके से आगे की ओर गिरता है जैसे पीछे से किसी ने फ़ोर्स फुली उसे धक्का दिया हो| इससे वह जिस सड़क पर था वहां दो कदम तेजी से आगे की ओर बढ़ जाता है| जिससे उसके दूसरी ओर से आ रही किसी महिला से बस वह टकराते टकराते ही बचता है|
असल में गलती उस महिला की भी थी क्योंकि वह राह चलते भी अपने मोबाईल में इस कदर खोयी थी कि सामने कौन आया वह ये खुद देख भी नही पायी| बस हवा में सॉरी कहती अपनी नजर मोबाईल में बराबर बनाए रखे रही|
“अरविन्द…|”
अनिकेत उस महिला की इस हरकत पर उसे घूरता हुआ बस निकलने ही वाला था कि नाम की पुकार सुनते तुरंत उस महिला की ओर देखने लगता है जो अब अचानक से अनिकेत की ओर देखती हुई पूछने लगी – “क्या आपका नाम भी अरविन्द है ?”
“न नहीं – अनिकेत है मेरा नाम |” तुरंत अपनी सकपकाहट छिपाते हुए अनिकेत धीरे से कहता है|
इस पर वह महिला अपनी प्यारी से मुस्कान के साथ एक दूसरी ओर आँखों से अपने से कुछ दूर खड़े एक आदमी की ओर इशारा करती हुई कहती है – “ओह मेरा नाम भव्या शर्मा है और अरविन्द मेरे पति का नाम है – मैं उन्हें ही बुला रही थी पर आपका नाम भी बहुत अच्छा है – इनफैकट अभी मैं एप में जो कहानी पढ़ रही हूँ उसके नायक का नाम भी अनिकेत ही है – व्हाट अ कोइंसिडेंट – वैसे आप भी पढ़ते होंगे न एप पर कहानी !”
उस महिला के अत्यधिक मुस्कराने से अनिकेत झेपता हुआ बस न में सर हिलाते हुए दूसरी ओर बढ़ जाता है| वह महिला फिर से मुस्कराती हुई अपने मोबाईल की स्क्रीन पर देखती हुई आगे बढ़ जाती है|
अनिकेत हतप्रभ इधर उधर देखता हुआ ये जानने का प्रयास करने लगा कि वह कब कहाँ आ गया है !!!
क्रमशः…….