
डेजा वू एक राज़ – 59
जॉन को उसके सिस्टम के साथ छोड़कर अनिकेत लेट गया था| उसे पता था जॉन को अपना काम करने में रात का एकांत चाहिए था| वह अपने सोल रिकॉल सिस्टम को एक बार फिर प्रोसेस में ला रहा था बस एंटर दबाते वह जिस भी आत्मा को चाहता उसे बुला सकता था|
उसने ये सिस्टम कुछ इस तरह से बनाया था कि कुछ ख़ास बाते और कुछ खास मेसेज द्वारा वह जैसे ही अपनी रिकार्डेड आवाज मे उसमे लोड करता तब वह उन आत्माओ को इस दुनिया में आने के लिए आकर्षित कर सकता था| वह इसी तरह का मेसेज परालौकिक दुनिया में भेज रहा था और बस वह एंटर दबाता ही है कि कुछ आवाज उसका ध्यान भटका देती है|
शायद किचेन में कुछ गिरा था ये महसूस होते जॉन तुरंत नज़र उठाकर देखता है तो फेनी के कमरे की लाइट उसे ओन दिखती है| वह तुरंत ही किचेन की ओर चल देता है|
किचेन में सबसे डीम वाली बत्ती जल रही थी जिसे जॉन रोजाना रात में खुला ही छोड़ देता था| किचेन में आते वह वहां फेनी को देख चौंक जाता है वही आहट पाते फेनी भी चौंक जाती है| यक़ीनन दोनों ने इस समय एकदूसरे की उपस्थिति की उम्मीद नही की थी|
फेनी कुछ ढूँढते ढूँढते एकदम से रूकती हुई जॉन के आगे एक खाली कंटेनर हिलाती हुई कहती है – “एक्चुली सोते समय अचानक ख़ासी आ गई तो सोचा गर्म पानी में नमक डालकर पी लुंगी तो ठीक लगेगा पर ये तो खाली है|”
जॉन उस कंटेनर को देखता है जिसमे साल्ट लिखा था फिर बिना शब्द के उसकी नज़रो के ठीक सामने रखे दूसरे कंटेनर को उठाकर उसकी नज़रो के सामने करता है|
फेनी उसे देखती हुई आश्चर्य से बोल उठी – “इसमें तो शुगर लिखा है – क्या इसमें साल्ट रखा है – मैंने तो इसे कई बार उठाकर ये सोचकर रख दिया कि इसमें शुगर होगी|”
फेनी उस कंटेनर को खोलकर देखती हुई बोली तो जॉन के होंठ हिचकिचाते हुए विस्तार कर उठे| ये देख फेनी भी मुस्करा दी और गर्म हो रहे पानी में साल्ट डालती हुई बोल उठी – “अब बैचलर के किचेन से कुछ यही उम्मीद कर सकते है – अगली बार हो सकता है चाय पत्ती के डिब्बे में चीनी मिल जाए|”
इस पर जॉन भी मुस्कराए बिना न रह सका|
गैस ऑफ़ करते पानी को कप में डालने में फेनी कप ढूंढ ही रही थी कि जॉन उससे पहले ही कप उसकी नज़रो के सामने रख देता है| फेनी अब तिरछी नज़र से उसे देखती हुई धीरे से कहती है – “सॉरी |”
जॉन चौंककर उसकी ओर देखने लगता है|
फेनी कह रही थी – “उस गलती के लिए जो मुझसे करायी गई |”
“जब वो गलती नही तुम्हारी तो सॉरी का क्या मतलब |”
“मतलब तो है – बार बार इल्जाम जो लगते है मुझपर |”
“तो इसके लिए मैं सॉरी बोल देता हूँ |” अबकि बेहद गहरी नज़र उसकी नज़रो में उड़ेलता हुआ जॉन कहता है|
जबकि फेनी कह रही थी – “मैंने तो इसलिए सॉरी कह दिया कि किया धरा उस सो कॉल वजीर का और इल्जाम मुझपर लगते है – पता नही उसकी तुमसे क्या दुश्मनी है जो उसने इतना ज्यादा हार्ट किया तुम्हे |”
“हाँ हो सकता है कभी किसी जन्म में उसकी भैंस खोल ली होगी मैंने |”
जॉन की इस मजाकिया बात पर फेनी को ठसक कर हँसी आ जाती है जिससे जॉन उसके होंठ पर उंगली रखकर उसे खामोश करते सोते हुए अनिकेत की ओर इशारा करता हुआ कहता है| पर क्या पता था इस बेखुदी का अगला क्या असर होगा फेनी मस्ती में उसकी उंगली दांत से हलके से काटती हुई किचेन से भागती हुई कमरे की ओर चल देती है|
और प्यार भरी टीस दिल में समाए जॉन उसे जाता हुआ देखता रहता है| वह कमरे की देहरी तक पहुंचकर पलटकर बिना आवाज के उसे गुड नाईट कहती है जिसके जवाब में एक ठंडी आह छोड़ते हुए वह बस मुस्करा देता है|
वह तब तक वही खड़ा रहा जब तक दरवाजा बंद करके फेनी के कमरे की लाइट नही ऑफ़ हो गई फिर खुद पर मुस्कराते हुए अपने स्थान पर आकर लेट जाता है| इस वक़्त जैसे कोई अनदेखे ख्वाब की खुमारी उस पर तारी थी जिसे और जीने वह गहरी नींद में जाना चाहता था| पर इन सबके बीच जॉन का एक बार भी ध्यान अपने सिस्टम की ओर नही गया जहाँ रिकॉल सिस्टम अभी भी ओन मोड में था|
अब आगे क्या बुरा होने वाला था ये किसी को खबर नही थी पर खबरे जरुर बलखाती उनके दरवाजे के ठीक पीछे तक आ गई थी| जॉन आंख बंद किए लेटा था और उसके लैपटॉप में आकड़ो का खेल शुरू हो चुका था|
अभी बस आधी रात ही हुई थी कि एक खट खट की एक लगातार आवाज ने आखिर अनिकेत की नींद तोड़ दी और वह एकदम से आंख खोले उस आवाज पर अपना ध्यान लगा देता है|
उसकी छठी इन्द्रिय जैसे किसी अनहोनी को तुरंत ही भाप जाती है और वह अपने बगल के सोफे पर लेटे जॉन को झंझोड़कर उठाता है|
जॉन अभी अभी गहरी नींद में डूबा था इसलिए एकदम से झंझोड़ने से वह हडबडाता हुआ उठकर बैठ जाता है|
अनिकेत अब कमरे की मध्यम रौशनी में चारो ओर देख रहा था और जॉन उठता हुआ उसे देखता हुआ पूछ उठा – “क्या हुआ अनिकेत –?” एक गहरी उबासी लेता हुआ पूछता है – “अभी तो सोया ही था – क्यों उठाया ?”
“कुछ तो हो रहा है – तुम….|” अनिकेत की बात अधूरी रह गई| तभी एक गहरी चीख उनके आस पास कौंध उठी|
इस आवाज को तो जॉन सपने में भी पहचान जाए| ये चीख फेनी की थी| वह बिना पल गंवाए तुरंत भागकर उस कमरे की ओर भागता है जिसके अन्दर फेनी सो रही थी| अनिकेत भी उसके पीछे चल देता है| वे साथ में फेनी को आवाज लगाकर उसे पुकारते है पर बदले में बस चीख के सिवा उन्हें कुछ सुनाई नही देता जिससे बिना समय गंवाए जॉन झट से अपने कंधे से धक्का देता उस दरवाजे को खोलने लगता है| दरवाजा मजबूत था इसलिए साथ देने अनिकेत भी उसी प्रकार धक्का देने लगता है|
फेनी के रोने की आवाज लगातार उन्हें सुनाई पड़ रही थी जिससे परेशान होते दोनों अपनी भरसक कोशिश से आखिर उस दरवाजे को एक तेज धक्के से खोल ही देते है|
दरवाजे की चिटकनी टूट कर अलग हो गई थी| दरवाजा खुलते दोनों एक साथ कमरे में प्रवेश करते फेनी को ढूंढते ही है कि उनकी नज़र दिवार के कोने में दुबकी बैठी फेनी पर जाती है जिसतक दोनों तेजी से आते उसकी ओर झुके पूछते है –
“फेनी !! क्या हुआ ? क्यों चीखी तुम ?”
फेनी बुरी तरह डरी सहमी कोने में सिमटी अपने बाजुओ से खुद का चेहरा छुपाए थी पर सहानभूति की आवाज पर तुरंत अपनी बांह हटाती हुई जॉन के बढे हाथ को थामती हुई खड़ी हो जाती है| वे दोनों अभी भी उसे आश्चर्य से देख रहे थे जिससे वह बिस्तर के नीचे की ओर इशारा करती है|
दोनों देख रहे थे कि फेनी बुरी तरह से डरी हुई कांप रही थी| जिससे जॉन उसे अपनी बाहों के बीच सुरक्षित करता उससे इशारे में कारण पूछता है तब भी वह बस कुछ न कहती हुई बस बिस्तर के नीचे की ओर इशारा करती है|
इससे अनिकेत तुरंत बिस्तर के नीचे झांकने लगता है| फेनी को संभालकर खड़ा छोड़कर अब जॉन भी बिस्तर के नीचे देखते हुए कहने लगा – “कुछ भी तो नही यहाँ !!”
अब पलटकर फेनी की ओर देखता है जो डरी सहमी उसके आश्वासन पर अब खुद भी हिम्मत करती हुई बिस्तर के नीचे झांकती है|
“देखो कुछ भी नही है यहाँ !! क्या देखा तुमने ?”
जॉन फेनी को गौर से देख रहा था जो खुद हकबकाई हुई सी कभी बिस्तर के नीचे दुबारा देखती है तो फिर जॉन को|
“क्या देखा तुमने ?” जॉन दुबारा पूछता है|
“कुछ था यहाँ – क्या !! पता नही पर बहुत डरावना अनुभव हुआ -|” फेनी अभी भी डरी सहमी अपनी बात कह रही थी और दोनों खड़े होकर अब उसे सुन रहे रहे थे|
फेनी कह रही थी – “मैं बस गहरी नींद में सोई थी कि किसी अनजान हाथ ने मेरी चादर खींच ली – अचानक नींद टूटने पर मैंने देखा मेरी चादर नीचे पड़ी है – मैंने बस उसे उठाने हाथ नीचे किया ही था कि कोई हाथ मेरा हाथ कसकर पकड़ लेता है – मैं बता नही सकती उस वक़्त डर से मेरी क्या हालत हो गई – किसी तरह हाथ वापस खींचते हुए मैं बैठी ही थी कि बिस्तर हिलने लगा जिससे मैं भागकर दिवार के कोने में बैठ गई – मैं बहुत डर गई थी – सच में बहुत डरावना अनुभव था|” कहती हुई फेनी सुबकती हुई अपनी हथेली से चेहरा ढापे रो पड़ी थी| उसकी बिखरी हालत दोनों देख रहे थे फिर अनिकेत जॉन को आँखों से इशारा करते उसे फेनी को सँभालने को कहता है इससे जॉन आगे बढ़कर फेनी को अपनी बाहों के घेरे में लिए उसे संभालने लगता है|
अभी बस जॉन फेनी को संभाल ही रहा था कि फिर किसी अज्ञात आवाज ने उन तीनो का ध्यान बाहर की ओर खींचा| वे बिना पल गंवाए बाहर की ओर भागते है| आवाज किचेन से आई थी और वे सीधे आवाज की दिशा की ओर आते है|
किचेन में आते तीनो वहां का दृश्य देखते हैरान रह जाते है| स्लेप पर रखे कंटेनर जमीं पर पड़े थे| जॉन और फेनी एकदूसरे की ओर देखते फिर सामने के दृश्य की ओर देखते है जहाँ नमक का कंटेनर पूरा उल्टा पड़ा था और उसके अन्दर का नमक चारो ओर इस तरह फैला था जैसे जबरन किसी ने हिलाकर उसे यहाँ फेका हो|
अभी वे उधर देख ही रहे थे कि बाहर के कमरे की खिड़की एक झटके से आवाज करती खुल जाती है| अब डर की दहशत साफ़ साफ़ फेनी के चेहरे पर नज़र आ रही थी| वह डरती हुई जॉन की बाजू पकड़ती हुई पूछती है –
“ये सब क्या हो रहा है ?”
जॉन मौन उसकी ओर देखता कुछ सोचने लगा और तभी अनिकेत कह उठा – “कुछ तो है – ये सही संकेत नहीं है पर अचानक से कैसे हो सकता है – कुछ तो हुआ है जॉन !!” वह तेजी से जॉन की ओर मुड़ता हुआ कहता है – “तुम्हारा सोल रिकॉल सिस्टम – कही उससे तो ये सब गड़बड़ नही हुआ |”
“ओह शिट !” जॉन अपने सर पर हाथ मारता तेजी से अपने सिस्टम की ओर भागता हुआ कहता है – “ये मुझसे कैसी गलती हो गई – मैंने तो उसे ओन ही छोड़ दिया |”
अब दोनों भी जॉन के पीछे पीछे उसके सिसटम तक आते है जिसकी की बोर्ड पर कॉड डालता जॉन खुद को भी कोस रहा था – “बहुत बड़ी गलती हो गई अनिकेत – मैंने इसे जाने किस भूलवश खुला छोड़ दिया – अब तक जाने कितनी आत्मा आजाद हो चुकी होंगी|”
तभी टेबल पर रखे मोबाईल में कोई नोटिफिकेशन आता है जिसे लपककर उठाता हुआ जॉन कहता है – “हो गई गड़बड़ शुरू – न्यूज का अपडेट है – रात 12:30 के शो के बाद अचानक मूवी हॉल का दरवाजा लॉक हो गया और लाइट भी चली गई जिससे मची भगदड़ में कई लोग घायल हो गए |” जॉन न्यूज पढ़ते हुए अनिकेत की ओर देखता हुआ आगे कहता है – “कोई हॉरर मूवी चल रही थी उसमे |”
फिर कोई नोटिफिकेशन आता है| वह अगली न्यूज थी जिसे पढ़ते हुए जॉन फिर कहता है – “किसी हॉस्पिटल के मोर्चरी से अचानक जोर जोर चीखने चिल्लाने की आवाज सुनी गई पर अभी तक कोई अन्दर जाने की हिम्मत नही कर सका है|”
जॉन की बात सुनते फेनी के चेहरे का रंग ही उड़ गया था वह घबराहट में होंठ काटती हुई अब अपने चारोंओर देखने लगी थी|
अनिकेत कुछ सोचते हुए बोलता है – “आत्माए आजाद तो हो गई पर वे उसी जगह अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही है जहाँ सबसे ज्यादा निगेटिविटी पायी जाती है – अँधेरी जगह, मोर्चरी, हॉस्पिटल….हॉस्पिटल – इसका मतलब पलक भी खतरे में पड़ सकती है|”
अब दोनों घबराकर अनिकेत का चेहरा देखने लगते है|
अचानक किसी आवाज से पलक की नीद खुलती है, वह पाती है कि कमरे में उसके पापा वैभव बेड पर थे और उसकी माँ उनके बिस्तर पर सर रखे लेटी थी जबकि झलक और रचित बाहर के वेटिंग रूम में लेटे थे फिर अभी कौन कमरे से बाहर गया? कही झलक तो नही आई| ये सोचते हुए पलक बाहर निकलने लगती है|
कमरे से बाहर निकलते उसे गलियारे से कोई मुडती हुई दिखती है जिसे झलक समझ पलक उसके पीछे पीछे आवाज लगाती हुई चलने लगती है|
“अरे झल्लो सुन न – वहां कहाँ जा रही है – वहां तो हॉस्पिटल का नॉट अलाउड का बोर्ड है|”
क्या होने को है आए…जानने के थोड़ा इंतजार…
क्रमशः……