
डेजा वू एक राज़ – 61
मंत्रो की अद्भुत शक्ति से अनिकेत अच्छे से वाकिफ ही नहीं था वह इसका अच्छे से अभ्यस्त भी था| वह उन दोनों को बता रहा था –
“वायुमंडल में सभी एक तरंग के रूप में है – वे सारी आत्माए भी तरंग के रूप में अब इस वायुमंडल में फ़ैल चुकी है और वे सभी आत्माए है हम चाहकर भी उनका पीछा कर उन्हें अपनी जद में नही ले सकते इसलिए अब बस इसका एक ही उपाए है वो है परावर्तित गूंज – हाँ इसे सरल शब्दों में कहा जाए तो वायुमंडल में जिस तरह से अनेको ध्वनी और तरंगे मौजूद है और आपस में कही कही वे परावर्तित होकर गूंज का एक पुंज बनाती है – मुझे बस उसी पुंज का निर्माण करके उन नकारात्मक ऊर्जाओ को वही संग्रहित करना है और वो संभव होगा मंत्रो के उच्चारण से|”
वे दोनों हैरान अनिकेत की बात सुन रहे थे| उनके लिए अनिकेत जैसे हर एक पल एक नया ही अद्भुत इंसान बन जाता था|
वह अभी भी उन्हें अपनी बात समझा रहा था – “समझो तुम्हारे पास एक रेडियो है जिसे एक ख़ास फिक्वेंसी पर तुम उसे ट्यून करते है तो उसमे गाना आने लगता है – अब तुम्हे पता है वो रेडियो गाना नही सुना रहा – गाना तो हवाओ में पहले से ही था बस उसे सही फिक्वेंसी में पकड़ने का काम रेडियो ने किया और यही काम मन्त्र अपनी तरंगो से करते है|”
“अब मैं इस प्रक्रिया को इस वक़्त से शुरू करूँगा तब मैं साधना की स्थिति में चला जाऊंगा लेकिन बस इसमें थोड़ा समय लग सकता है क्योंकि अभी रात्रि का अंतिम पहर चल रहा है और जब तक ब्रम्ह मुहरत नही शुरू होता तब तक ये तरंगे प्रबल रूप से अपना काम नही कर पाएंगी इसलिए तब तक बस तुम दोनों खुद को सुरक्षित रखना |”
“अनिकेत तुम हमारी फ़िक्र मत करो – बस तुम इस प्रक्रिया को शुरू करो|” कहते हुए जॉन फेनी को देखता है|
इसके बाद बिना समय गंवाए अनिकेत अपनी साधना की तैयारी करता अपने इष्ट का ध्यान लगाने सिद्धासन की मुद्रा में बैठ जाता है| वह उपांशु जाप के जरिए मंत्रो का उच्चारण प्रारंभ कर देता है| इस एक पल से वह एकाग्र होता स्थूल से सूक्ष्म की यात्रा तय करने लगता है|
अनिकेत तो अपनी ध्यान की मुद्रा में जा चुका था| अब जॉन फेनी को सब कुछ जल्दी ठीक होने का ढाढस दे रहा था कि तभी उसके मोबाईल में कोई कॉल आती है| जॉन ज्योंही उसे रिसीव करता है विपरीत ओर से शायद उसके अपार्टमेंट का चौकीदार बोल रहा था|
“साहब – नीचे आपकी कार की इंडिकेटर ओन है आप नीचे आकर साहब उसे लॉक कर दे |”
“नहीं ये कैसे हो सकता है |” जॉन हकबकाया सा उससे प्रश्न करता है|
“साहब सही कह रहा हूँ – आप आकर बस लॉक करदे गाड़ी – तब से गाड़ी आवाज कर रही है |” अबकी कहता हुआ चौकीदार फोन रख देता है|
“ये कैसे पोसिबल है – मेरी कार का इंडिकेटर कैसे ओन रह गया ?” जॉन खुद में बडबडाता हुआ कहता है|
जिसे सुनते फेनी जल्दी से कहती है – “इसमें जरुर कुछ गड़बड़ है – मुझे ये सही नही लगता |”
“पर देखना तो पड़ेगा न – आखिर गाडी को यूँही कैसे छोड़ दे ?”
“नही जॉन – ये जरुर आत्माए कर रही होंगी – आखिर गैराज भी तो अँधेरी जगह होती है – तुम्हे बिलकुल नही जाना चाहिए वहां |”
अभी जॉन फेनी की बात सुन रहा था कि उसके मोबाईल में फिर से चौकीदार का नंबर डिस्प्ले में दिखने लगता है| ये देखते हुए जॉन कहता है – “मुझे जाना ही पड़ेगा – तुम बस यही रहना – मैं दूर से ही की-लॉक से गाडी लॉक करके आ जाऊंगा |”
“लेकिन !!” फेनी उसे असमंजस से देखती है|
जॉन की-होल्डर से कार की चाभी लेता हुआ दरवाजे की ओर जाने लगता है फिर कुछ याद आते वह फेनी की ओर मुड़ता हुआ आता है| फेनी अभी भी डरी सहमी अपने स्थान पर खड़ी थी| जॉन उसके पास आता हुआ उसे ध्यान से देखता हुआ खड़ा था उसके सामने| फेनी कुछ समझ नही पायी थी तभी जॉन अपने गले से कोई लॉकेट अपने गले से निकालता हुआ उसके गले में पहनाने लगता है|
“ये क्या है ?” फेनी अचकचाती हुई पूछती है|
“ये रुद्राक्ष है – अनिकेत ने मुझे इन सभी काली बाधाओ से सुरक्षित रहने के लिए सिद्ध एकमुखी रुद्राक्ष दिया था – तुम इसे पहनलो – वे सभी तुम्हे हानि नही पहुंचा पाएंगी |”
“और तुम !!”
इस पर जॉन बस हलकी मुस्कान से मुस्करा कर वापस दरवाजे की ओर मुड जाता है|
“जॉन !!”
आवाज सुनते जॉन पलटता है फेनी तेजी से अब उसके पास आती हुई कह रही थी – “ये सिर्फ मेरी ही क्यों – हमारी रक्षा करेगा – इस वक़्त तुम्हे इसके बिना नही जाना चाहिए – मैं भी साथ चलूंगी तुम्हारे |”
“लेकिन तुम यहाँ ज्यादा सुरक्षित हो |”
“इस वक़्त हमारा साथ रहना जरुरी है – मैं तुम्हारे साथ ही चलूंगी |”
फेनी के दृढ़ स्वर पर जॉन के चेहरे पर जो चिरपरिचित मुस्कान नज़र आई उसे फेनी जानकर अनदेखा करती हुई कहती है – “चलो जल्दी से लॉक करके वापस आते है|”
फेनी और जॉन साथ में एकदूसरे का हाथ पकड़े कमरे से बाहर निकलते है| वे तुरंत ही लिफ्ट में जाते है|
आधी रात का समय था और सब तरफ अजीब सी शांति छाई थी| जैसे किसी तूफान के आगाज से पहले की शांति हो वह| जॉन सेवंथ फ्लोर से ग्राउंड फ्लोर का बटन पुश करता फेनी के साथ लिफ्ट में था| लिफ्ट अब नीचे की ओर चल दी थी| जॉन फेनी की ओर देखता है जो अन्यत्र देख रही थी पर उनके हाथ अभी भी आपस में बिंधे हुए थे| ये देखते जॉन मन ही मन ये सोच मुस्करा उठा कि आखिर यही निकटता का पल तो वह चाहता था पर वो आया भी तो कितने अजीब समय| जब उसके पास फेनी है भी तो वो भी किसी कारण से| तभी जाने कैसे उसके दिमाग में जैकी की अनदेखी तस्वीर घूम गई जिसमे फेनी किसी ओर की बाहों में नज़र आने लगी| ये सोचते हुए जैसे उसकी नसे फड़क उठी और मुंह यूँ बन गया जैसे अचानक कोई कसैला फल जबान पर आ गया हो|
लिफ्ट चुपचाप नीचे चली जा रही थी| बस अब ग्राउंड फ्लोर आने ही वाला था| फेनी अब जॉन की ओर देखती है| जॉन अजीब नज़र से उसे देख रहा था जिसे अनबुझे भाव से फेनी आँखों के इशारे से उससे पूछती है|
तभी अचानक से सब तरफ अँधेरा हो जाता है जिससे सहसा फेनी के हलक से एक दबी चीख निकल जाती है|
“कुछ नही बस लाइट गई है – अभी आ जाएगी|” जॉन उसके हाथ को पकड़े पकड़े उसे ढाढस देता है|
तभी लिफ्ट का दरवाजा खुल जाता है और उस पार हलके अँधेरे उन्हें एक आवाज सुनाई देती है – “साहब बाहर आ जाए |”
“ओह थैंक गॉड – आखिर ग्राउंड फ्लोर पहुँच गए |” कहती हुई फेनी बाहर निकालने लगती है|
लाइट जाने की वजह से अभी उनके चारो ओर हलकी रौशनी थी जिसमे चौकीदार किसी आदमकद आकार की तरह दिख रहा था| फेनी अब बाहर निकलने लगती है लेकिन अपनी जगह जमे जॉन ने एक कदम भी बाहर की ओर नही बढाता इससे फेनी उसका हाथ हिलाकर उसे बाहर आने को कहती है पर फेनी समझ नही पाई कि क्यों जॉन उसे अपनी ओर खीच लेता है इससे फेनी जॉन की ओर घूरती हुई देखती हुई कहती है –
“क्या कर रहे हो जॉन – चलो न बाहर |”
“नही |”
“मतलब – क्या मतलब है इस नही का |”
फेनी जॉन के पास आ चुकी थी और अँधेरे के बाहर चौकीदार अभी भी खड़ा दिख रहा था|
फेनी अभी इस बात को समझ रही थी कि लाइट आ जाती है| अचानक अँधेरे के बाद उजाला होते फेनी आंखे झपकाती हुई अपने सामने देखती है तो अगले ही पल चौक जाती है|
“ये गेट तो बंद हो गया – और वो चौकीदार कहाँ चला गया ?” फेनी हकबकाई सी अपने चारो ओर निगाह घुमाती हुई कहती है|
लिफ्ट अब फिर से स्टार्ट हो चुकी थी और अभी भी वह ग्राउंड फ्लोर की ओर जा रही थी जबकि फेनी ये सब देखती हैरान थी क्योंकि उसे लगा कि वे तो पहले ही ग्राउंड फ्लोर पहुँच चुके थे| इस अजीब बात से फेनी हैरान थी पर जॉन उसकी परेशनी समझता हुआ कह रहा था –
“सब भ्रम था – इसलिए मैंने तुम्हे बाहर नही जाने दिया |”
“क्या !! भ्रम !!”
“जब कई आत्माए आजाद हुई तो महामाया की नकारात्मक ऊर्जा भी जरुर आजाद हो गई होगी – मुझे इसी बात का डर था -|”
“महामाया !!”
फेनी अभी इस बारे में कुछ नही जानती थी ये समझ आते जॉन आगे अपनी बात कहता है|
“कभी आराम से बताऊंगा पर अगर ये महामाया का भ्रम है तो वह हमे फिर अपने जाल मे उलझाएगी इसलिए तुम मेरे साथ रहो बस |” कहता हुआ जॉन फेनी का हाथ और कसकर पकड़ लेता है|
फेनी कुछ समझ तो नही पायी पर कुछ बुरा होने का अहसास जरुर उसके हाव भाव में नज़र आने लगा| तभी लिफ्ट का दरवाजा खुल जाता है| वे दोनों साथ में बाहर निकल आते है|
ग्राउंड फ्लोर का माहौल भी कुछ अजीब और नीरव बना हुआ था जिसमे उनकी पदचाप स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी| जॉन चौकीदार को ढूंढता हुआ आगे बढ़ रहा था| दोनों साथ में थे| उनकी नज़र उन गाडियों के ढेर में से होकर गुजर रही थी| जॉन अपनी कार के सुनिश्चित पार्किंग स्थान पर पहुँचने वाला था कि तभी उसे लगता है कि उसके आस पास कोई तेज दूसरी पदचाप सुनाई पड़ी और वह पलटकर देखता है……
क्रमशः…….