Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 62

जॉन पल भर में पूरे जिस्म से डर जाता है, वह तो फेनी का हाथ पकड़े था और कब वह उसके हाथ से छूट गई और वह गई कहाँ ? इस एक पल ने उसे बेहद चिंता और खौफ से भर दिया| जॉन अब तुरंत ही पलटकर फेनी को आवाज लगाता हुआ लिफ्ट की तरफ भागा पर रास्ता अँधेरे में जैसे कही और ही जा पहुंचा| वह गैराज के गोडान में कैसे आ पहुंचा ?

जॉन चारों ओर अपनी नज़र घुमाता है पर फेनी और न उसकी आवाज उसे कही सुनाई नही पड़ती| वह फिर उसे आवाज लगाता है पर प्रतिउत्तर में वही सन्नाटा !! वह गैराज के कोने में स्थित गोडान के सामने था जहाँ फ़्लैट का फालतू सामान और पानी की मोटर से लेकर जेनरेटर रखा रहता था| इसलिए वहां कोई आता जाता नही था पर वह यहाँ तक कैसे आया !!

जॉन अभी अपनी सोच में डूबा ही था कि फिर किसी की पदचाप उसे अपने बेहद पास महसूस हुई मानो कोई उसके चारो ओर चक्कर लगा रहा हो| जॉन सांस रोके घबराकर से  अपने चारो ओर देखने लगता है पर उस भयावह अहसास के अलावा उसे कुछ महसूस नही हुआ|

जॉन धीरे धीरे अपने कदम पीछे लेता हुआ उस जगह से दूर जाने लगता है कि सहसा किसी के होने के अहसास से वह टकराकर वही रुक जाता है| कुछ था जो ठीक उसकी पीठ को छूता हुआ उसके पीछे था| वह अगली सांस अपने भीतर खींचता हुआ झटके से पीछे पलटता है और बस हलक से चीख निकलते निकलते रह जाती है|

ठीक उसके पीछे अँधेरे में कोई लाश छत से झूल रही थी जिसका चेहरा ठीक जॉन की ओर था| पल भर को उसपर दृष्टि पड़ते जॉन उसकी बाहर को निकली आंख और फूल आया चेहरा देखते तुरंत दूसरी ओर भागने लगता है|

वह बदहवास सा रास्ता टटोलता हुआ इधर से उधर जाने लगता है| हर बढ़ते कदम के साथ उसे फेनी की चिंता हो रही थी साथ की मन ही मन खुद को कोस रहा था कि आखिर वह उसे नीचे लाया ही क्यों जबकि उसे अच्छे से पता था कि कभी भी कुछ भी हो सकता है|

जॉन तेजी से एक दिवार के सहारे सहारे किनारे चलता फेनी को फिर आवाज लगाता है अबकी बदले में उसे फेनी की आवाज सुनाई पड़ती है| वह उस आवाज को टटोलता हुआ उसी दिशा में दौड़ता है|

“फेनी !!” उसकी नज़रो के टीक सामने दिवार का टेक लिए अपना चेहरा अपने घुटनों में छिपाए सुबक रही थी| ये सुनते जॉन बिना पल गंवाए उसके पास आता उसे बस छूकर कुछ कहने लगा था कि सहसा उसका ध्यान उसके कपड़ो पर जाता है| फेनी तो सफ़ेद रंग की लॉन्ग फ्रॉक में थी और ये तो काले कपड़े पहने कोई है|

जॉन पूरी ताकत से पीछे होकर उससे दूर हो जाता है पर नज़रे उसकी उसी पर टिकी थी| जॉन देखता है वह साया अपना सर उठाकर शायद जॉन की ओर देखता है पर चेहरे पर आए बालो से वह उसका चेहरा नही देख पा रहा था पर वह क्या हो सकता है इसका अहसास था उसे जिससे वह जल्दी से उठकर उससे दूर जाने लगता है तभी लगता है वह साया ठीक उसके पीछे है वह उसकी गडी हुई आंखे अपनी पीठ पर महसूस कर सकता था तभी उसके हाथ का भार अपने कंधे पर वह महसूस करता है जिसे पल में झटकते वह अपने कदम और तेज कर लेता है|

हर बीतते पल के साथ उसे बस फेनी की चिंता थी इससे वह सीढ़ी नज़र आने पर भी उसमे ना जाकर फेनी को आवाज लगाता हुआ बदहवास सा इधर उधर घूम रहा था|

वह समझ रहा था ये महामाया का मायाजाल है वह ही उसे इस तरह का भ्रम दे रही है| तभी वह गैराज उसके लिए किसी भूल भुलैया जैसा हो गया था| वह जिधर भी जाता लगता वह वहां पहले ही आ चुका है| रास्ता एक जैसा हो गया था जिसे पार करने पर भी वह दुबारा वही पहुँच जा रहा था|

घबराहट से उसका जिस्म पसीने से सराबोर हो चुका था| उसकी टीशर्ट उसके जिस्म से चिपकती उसकी खाल सरीखी हो गई| वह परेशानी में अपने सर पर हाथ फेरता गुस्से में चीखता है| उसे समझ नही आ रहा था कि आखिर वह इससे कैसे बाहर निकले और जाने फेनी कहाँ और किस हाल में होगी ?

पल पल उसे बस उसी का ख्याल परेशान कर रहा था| वह बौखलाया हुआ था| पल भर रुककर वह अपने चारो ओर देखता है फिर जैसे कोई विचार उसके दिमाग मे कौंधता है जैसे ऊर्जा तरंगो से अनिकेत उससे कुछ कह रहा था| उसका मन उसे सशब्द समझता हुआ खुद को बताता है कि बौखलाहट में वह अपना रास्ता नही खोज पाएगा, रास्ता हमेशा परेशानी के निकट ही होता है पर अपनी तत्परता और घबराहट में इन्सान उसी रास्ते से दूर होता जाता है| किसी भी भूल भुलैया को पार करने का एक ही तरीका है कि रास्ता खोजने उसके आगे नही बल्कि पीछे जाओ| ये विचार मन में आते ही जॉन का मन कुछ शांत पड़ता है और वह समझ जाता है कि ये भ्रम तभी टूटेगा जब वह अपने हौसले से काम लेगा क्योंकि रास्ता उसकी नज़रो के सामने ही है बस उसे नजर नही आ रहा|

वह अपनी पॉकेट में हाथ डालते हुए कार की चाभी निकाल लेता है| अगर वह किसी समयांतर में फंसा भी है तो बस कार की इंडिकेटर की आवाज से ये भ्रम टूट जाएगा| दो समान्तर समय में जिस समय में आवाज होगी वही असल समय होगा| ये सोचते जॉन कार की चाभी हाथ में लिए उसका लॉक पुश करता है| और वाकई आवाज ठीक उसके सामने से आती है जबकि वहां से खड़े दूर दूर तक उसे कुछ नज़र नही आ रहा था| जॉन फिर लॉक पुश करता है और फिर आवाज वही से आती है इस तरह बार बार आवाज करते वह उसी स्थान पर पहुँच जाता है|

और वाकई उसे वहां अपनी कार खड़ी दिख जाती है| कम से कम ये भ्रम टूटा इससे जॉन कुछ राहत महसूस करता है कार को दुबारा लॉक करता है तभी उसे अपनी पीठ पर किसी के हाथ का फिर से भार महसूस हुआ लेकिन ये जाना पहचाना अहसास वह सपने में भी जान सकता था| वह तुरंत पलटता है और सच में फेनी ठीक उसके सामने खड़ी थी जो अपनी घबराहट में लगभग रोने को हो आई थी|

“तुम थे कहाँ ? कब से मैं आवाज दे रही थी – तब से इधर उधर मैं तुम्हे खोज रही थी – लिफ्ट से निकलते दो पल को हाथ क्या छूटा और जाने तुम कहाँ चले गए – तुम्हे खोजते खोजते मैं तब से तुम्हारी कार के पर खड़ी थी कि आखिर तुम यहाँ तो आओगे ही – पता भी है कब से खड़ी हूँ यहाँ – तुम्हारी चिंता हो रही थी – अगर तुम्हे कुछ हो जाता तो !! कितना अजीब सा माहौल है यहाँ का..|” वह अपनी बदहवासी में धाराप्रवाह कहे जा रही थी| उसकी आवाज में अकेलेपन ही टीस के साथ उलाहना था तो जॉन की नामौजूदगी की कमी भी साफ़ साफ़ झलक रही थी| इस बेचैनी को जॉन हतप्रभ बस देखता रहा| ये बेचैनी आखिर उसकी जाने पहचानी जो थी| वो बेचनी जो अब तक फेनी की नामौजूदगी की उसके दिल में टीस सी रहती थी आज उसने जैसे पल भर को अपना ठिकाना फेनी के दिल में बना लिया था|

वह बावरा सा खामोश खड़ा उसे देखता रहा जैसे अपना चेतन भाव खो चुका हो| तभी फेनी चीखती हुई जॉन का हाथ पकड़े उसे अपनी ओर तेजी से खींच लेती है| वे दोनों साथ में लिपटे कार की बोनट पर आ गिरते है|

जॉन तुरंत पलटकर पीछे देखता है| उस तेज आवाज से उसे मालूम पड़ा कि अगर पल भर में फेनी ऐसा नही करती तो ऊपर को जाता वेंट का पाइप बस उसके ऊपर गिरने ही वाला था|

फेनी घबराहट में बुरी तरह हाफ रही थी जबकि उसके इतना नजदीक होते जॉन की धड़कन जैसे पल भर को थम सी गई थी| फेनी उससे हटकर खड़ी होती हुई कह रही थी – “चलो अब वापस चलते है – पता नही ये सब कब ठीक होगा|” कहती हुई फेनी जॉन का हाथ पकड़े आगे बढ़ने लगती है|

वह लिफ्ट के दरवाजे के सामने खड़े बटन पुश करते ही है कि दरवाजा तुरंत खुल जाता है और दरवाजा खुलते एक दम से बहुत सारे लोग जैसे उन्हें पार करते निकल जाते है इस पल भर के अहसास से दोनों जडवत हुए वही जम जाते है|

ये पल का अहसास अपने आप में कितना भयावह था ये बस उन्हें ही खबर थी| पर इसके अलावा उनके साथ कुछ अनहोनी नहीं हुई| जॉन जानता था ये बस उस  रुद्राक्ष का प्रभाव है| पर फेनी बुरी तरह डर गई थी| जॉन अब उसका बाजू पकड़े उसे ढाढस देता हुआ कहता है – “जब तक तुम्हारे पास रुद्राक्ष है तब तक वे काली  शक्ति तुम्हारा कुछ भी नही बिगाड़ सकती|”

ये सुनते फेनी डरे स्वर में पूछती है – “फिर ये क्या था ?”

“भ्रम – चलो अब अंदर चलते है|” दोनों एकसाथ लिफ्ट में समा जाते है|

इधर रचित और झलक उस महिला की मदद करने पहुँचते है वैसे ही कुछ अजीब घटने लगता है वहां| दिवार की तस्वीर से लेकर फूलदान तक जमीं पर यूँ आ गिरते हो जैसे किसी ने उन्हें तेजी से पटका हो| वह महिला अभी भी दर्द से छटपटा रही थी जिससे बिना कुछ सोचे रचित उस ड्रावर को तेजी से बाहर की ओर खीचकर उस महिला का हाथ छुडाने की कोशिश करता है| महिला दर्द से चिल्ला रही थी|

इससे झलक अब अलमीरा को पीछे से पकड़े थी तो आगे से रचित उसे खींच रहा था| उस पल अजब सा भयावह माहौल बना था| सब बस खुद को बचाते हुए बदहवास से भागे जा रहे थे|

सब तरफ चीख पुकार और भयावह माहौल बना हुआ था| पर इन सब पर नियंत्रण करने अनिकेत पलक के साथ मिलकर वायुमंडल में अपनी तरंगो को सम्मिलित करते एक पुंज सा बनाने में लगे थे| ये तरंगे सकरात्मकता की आभा से धीरे धीरे विस्तार हो रही थी| इधर समय ब्रम्ह्मुह्रत का होने ही जा रहा था|

क्या होगा आगे क्या वे दोनों अपनी सम्मिलित तरंगो से अपनी समस्त आतंरिक शक्ति का आभा मंडल तैयार कर सकेगे या सबको अभी और झेलना होगा उन अतृप्त आत्माओ का प्रकोप….!!

क्रमशः……

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