
डेजा वू एक राज़ – 67
अनिकेत अपनी दुविधा में सोचता खड़ा था तो वही जॉन जबरन कुछ सामान फेनी से मांगता फिर उसे मना कर देता| वह बस फेनी को छेड रहा था पर इस छेड़छाड़ से नाराज होती फेनी अब वहां से चली जाती है और जॉन का मुंह लटक जाता है|
“जॉन – मैं तुम्हे कुछ कहना चाहता हूँ |”
“आ !! कुछ कहा अनिकेत ?” वह फेनी से नज़र फेरकर अब अनिकेत की ओर देखता हुआ पूछता है|
“अगर किसी हालात में ये स्पेक्ट्रम अधूरा रह जाता है तब उस हालात में तुम क्या करोगे – वो मैं तुम्हे बताता हूँ|”
“पर ऐसा होगा ही क्यों !! पिछली बार की तरह इस बार भी सब ठीक होगा – देखना मैं गोवा के लिए निकल भी नही पाउँगा और हो सकता है तुम वापस भी आ जाओ |”
“हर वक़्त एक सा नही रहता और मेरा मन जब कुछ खटक रहा है तो जरुर कुछ न कुछ होगा – बस तुम्हे जो मैं कह रहा हूँ उसका ध्यान रखना वरना समय के पार मैं हमेशा के लिए फंसा रह जाऊंगा |”
“अव्वल तो ऐसा कभी होगा नही फिर भी तुम जो कहना चाहते हो वो भी बता दो – मैं ध्यान रखूँगा |”
“ये पारस ही है जो दूसरा स्पैक्ट्रम तैयार कर सकता है इसलिए पारस अपनी जगह से नही हिले इसका ध्यान रखना जॉन –|”
“डोन्ट वरी अनिकेत – अगर ऐसा ही है तो जब तक तुम वापस नही आओगे तब तक मैं यहाँ से कही नही जाऊंगा – तुम्हे कुछ नही होगा अनिकेत – तुमपर गॉड की बड़ी स्पेशल वाली ब्लेसिंग है और दुआए कभी खाली नही जाती – तुमने मेरा अतीत पता करने में अपना समस्त जोखिम में डाल दिया – क्या कभी इससे ऊपर मैं तुम्हारे लिए कुछ कर पाउँगा बस दुआ कर सकता हूँ और वो हमेशा मेरी तुम्हारे लिए रहेंगी|”
दोनों दोस्त उस पल एकदूसरे को भावपूर्ण देखते एकदूसरे के गले लग जाते है| उस पल ये विदाई मन को और शंका से भर दे रही थी फिर भी अनिकेत किसी तरह से अपने हाव भाव को संतुलित किए हुए था|
सारी प्रक्रिया बिलकुल वैसी ही हुई जैसी पिछली बार उन्होंने मिलकर की थी| अनिकेत ने पारस को बड़ी सावधानी से अपने पास से निकालकर सही जगह स्थापित किया| सारी मशीने सही काम कर रही थी इसलिए स्पैक्ट्रम बनने में कोई ज्यादा वक़्त नही लगा|
उन दोनों की नज़र सामने बन रहे स्पेक्ट्रम के घनत्व पर जाती है जो उस पल किसी नील प्रकाश के पुंज के रूप में दिख रहा था, अब बस अनिकेत को सशरीर उस पुंज में दाखिल होना था| सब कुछ बिलकुल वैसा ही हुआ जैसा पिछली बार हुआ था इसलिए जॉन पिछली बार की तरह इस बार बिलकुल भी शंकित नहीं था कि इस बार कोई गड़बड़ होगी बल्कि उसे इस बार पिछली बार से कही ज्यादा ही विश्वास था|
वह पल में आंख झपकाता है और अनिकेत सशरीर वहां से गायब हो जाता है| जॉन हवा में मुस्कराकर उसे विदा देता है| अब अनिकेत वहां से जा चुका था तो जॉन को फिर से फेनी के ख्याल ने आ घेरा| वह पलटकर आस पास देखता है वह कही नही थी| उसे देखने वह अंदर के कमरे में जाता है|
जॉन दरवाजे की देहरी पर खड़ा रह जाता है| बस उसका दिल टुकड़ो में बाहर ही निकल आने वाला था| उसे समझ नही आ रहा था उस वक़्त वह कैसा रियक्ट करे? फेनी कोई तस्वीर लिए कमरे में अकेली बैठी आंसू बहा रही थी| जॉन समझ गया वह जैकी होगा| उसे समझ नही आ रहा था कि वह फेनी को बढ़कर दिलासा दे या तस्वीर छीनकर फाड़ दे या उसे गले लगाकर अपने दिल की बात कह दे ? उलझा सा खड़ा वह दो पल तक फेनी को देखता रहा|
तभी एकाएक फेनी का ध्यान दरवाजे की ओर गया और वह अचकचा गई| जॉन अभी भी बुत बना उसे निहार रहा था अबकी फेनी झट से उठती हुई खड़ी हो गई और तस्वीर हवा में तैरती कुछ कुछ जॉन के नजदीक गिर पड़ी|
“तुम कब से खड़े हो यहाँ ?” फेनी बढ़कर तस्वीर उठाने की कोशिश करती है पर जॉन को जाने क्या होता है वह उससे पहले ही लपककर उस तस्वीर को उठा लेता है| उसे तो उसकी तस्वीर देखने से ज्यादा उसे मरोड़कर डस्टबीन में डालने का मन हो रहा था|
फेनी अरे करती रह गई और जॉन ने उससे पहले ही तस्वीर लपक ली| अब तस्वीर उसके हाथ में थी और फेनी उसकी नज़रो के सामने| जॉन न चाहते हुए भी उस तस्वीर को फेनी की ओर बढ़ा रहा था कि अचानक उसकी नजर उस तस्वीर पर पड़ी और बस वह गश्त खाते गिरता गिरता बचा|
फेनी किसी के संग थी उस तस्वीर में जिसे अब फेनी को देने के बजाये वह उस तस्वीर को घूरता हुआ देखता हुआ कहता है – “ये तो कुत्ता है !!!!”
“वो जैकी है !” फेनी पहली बार जॉन पर कसकर चिल्लाई|
जॉन के तो होश ही उड़े हुए थे| उसके हाथ में जो तस्वीर थी उसमे फेनी एक कुत्ते के साथ बहुत ही खुश नज़र आ रही थी|
“मतलब ये जैकी है – यही तुम्हारा जैकी है !!”
“हाँ हाँ यही जैकी है – तुमने कैसे उसे कु..कहा – वो जैकी ही है मेरी जान – पूरे पन्द्रह साल वो मेरे साथ रहा – मैंने हर दुःख सुख उसके संग झेले – एक वही था जिसने मेरा अपनों से बढ़कर ख्याल रखा – और तुम्हे बस वो कु…नज़र आता है |” फेनी के दिल के वह इतना करीब था कि कुत्ता शब्द भी उसकी जबान से नही निकल रहा था जबकि जॉन को तो लग रहा था फेनी को गोद में उठाकर वह इस ब्रह्माण्ड में घुमाते हुए अपना प्यार का इज़हार करे|
“इन्सान धोखा दे सकता है पर ये जीव नही – मैं इसके बिना अपनी लाइफ की कल्पना भी नही कर सकती थी पर वो दिन भी आया जब जैकी बीमार हो गया और एक एक दिन बीमारी से गुजरते उसने अपनी जान गँवा दी – मैं कैसे भूल जाऊं उसे – आई लव जैकी |”
“बट आई लव यू फेनी |” जॉन अपनी बेचैनी में आखिर कह ही गया|
फेनी अब सर उठाकर उसकी ओर देखती है|
“तुम इस तस्वीर को देखकर रो रही हो और सोचा कभी तुमने इस नाम को सोचकर मेरा मन कितना रोया होगा – क्या तुम्हे एकबार भी इस बात का अहसास नही हुआ !” कहते कहते जॉन एक एक कदम की बाधा पार करता हुआ फेनी के पास आ रहा था जबकि वह बुत बनी जॉन को देखती रही|
“तुम्हे जी जान से प्यार किया – कभी सोचा तुमने कि मैं क्या महसूस करता हुआ तुम्हे देखकर – क्या होता है मेरा हाल तुम्हारी मौजूदगी में !!”
वह बढ़ता रहा और उनके बीच फासला कम होता गया|
“पहली बार किसी लड़की को देखकर मेरा मन मेरा नही रहा – पहली बार सब कुछ लुटा देने को जी ने कहा और तुम्हे इस बात का एक बार भी इल्म नही हुआ – मेरी बेचैनी मेरी तड़प तुमपर कोई असर नही करती – जब अचानक तुम्हारा स्पर्श मुझसे टकराता है तो बस क्या कहूँ उस लम्हे को कि मैं तब खुद का नही रहता – मन करता है तुम्हे सीने में छिपाकर गुम हो जाऊं इस दुनिया की नज़रो से और तुम इस जैकी के लिए अपने अनमोल अश्क बहाती हो – तुम्हारे लिए मैं दुनिया हिला दूंगा फिर ये जैकी क्या चीज है – तुम्हे क्या पता सपनो में कितनी बार सिर्फ इसलिए इस जैकी का क़त्ल कर चुका हूँ कि ये मेरी जगह ले रहा था – क्या तुम्हे मेरी इस दिल्लगी का जरा भी अहसास नही होता – क्या मेरा स्पर्श तुममे कोई असर नही छोड़ता – क्या उस पहली मुलाकात का वो पहला अहसास तुमने इतनी आसानी से भुला दिया – बोलो फेनी – बोलो – !” अब जॉन फेनी के बहुत पास आता उसकी कमर को अपनी दोनों बाहों के बीच लेता अपनी ओर उसे भींच लेता है| फेनी ख़ामोशी से बस उन नज़रो की तड़प को अपलक देखती रह गई|
“बोलो – क्या अब भी कुछ नही हो रहा – |” वह उसे और अपने पास समेट लेता है| फेनी की नजर तो जैसे जॉन की नजरो में मदहोश हो चुकी थी| जॉन अब फेनी को अपनों बाहों के बीच लिए उसके होठो की ओर बढ़ रहा था| अब बस चंद सासों की दूरी रह गई थी| जॉन फेनी का चेहरा अपनी हथेली में जकड़कर उसकी ओर दिलनशीनी से बढ़ रहा था| हवा में वे दो अलग सांसे उफनती हुई एकदूसरे से टकरा रही थी और बस एकदूसरे में घुलने की वाली थी कि अचानक फेनी झट से सर नीचे झुकाकर उसकी बाहों से निकलकर उससे छिटककर कुछ दूर खड़ी हो जाती है|
जॉन एक गहरी सांस यूँ छोड़ता उसकी ओर देखता है जैसे यही आखिरी सांस उसके पास शेष बची हो| फेनी जॉन की बुझी बुझी हालत का मजा लेती उस पर कसकर खिलखिला रही थी|
अब जैसे शब्दों की जगह उन आँखों ने ले ली जो बेहद बेचैनी से एकदूसरे को ललचा रही थी| जॉन फेनी की चिढ़ाती हुई नज़रो की ओर फिर से बढ़ता उसे अपनी जद में लेने ही वाला था कि फेनी कसकर खिलखिलाती हुई बाहर कमरे की ओर भागी|
जॉन भी जैसे बस उन हंसी का पीछा करता उसके पीछे भागा| अब वह उसे दीवार साइड की मेज के कोने पर लाता अपनी जद में किए था जबकि फेनी की हंसी रुकने का नाम ही नही ले रही थी| वह उसकी ओर बढ़ता और फेनी उसे चिढाती आगे भाग जाती| ऐसा करते कभी टेबल का फ्लावर पॉट गिरता अपने फूल बिखेर देता कभी टेबल पर रखे जग का पानी उन पर छलक जाता|
जॉन और फेनी की मुहब्बत की पकड़म पकड़ाई में कुछ ही देर ने पूरा घर कुछ से कुछ हो गया| कही जमीं पर पॉट पर के रखे रंगीन कंचे फर्श पर बिखर गए थे गिरा था तो कही चादर फर्श पर बिछ गई थी| न फेनी की हंसी रुक रही थी और न जॉन को उसे थाम लेने की तड़प|
कि तभी दरवाजे की कॉल बेल बजी और एक ठंडी आह छोड़ते बुरा सा मुंह बनाते हुए जॉन फेनी की ओर तो अगली नज़र में दरवाजे की ओर देखता है|
फेनी अपनी हंसी दबाती हुई डोर खोलने जाती है और बाहर देखने के बाद जॉन की ओर देखती हुई कहती है – “कोरियर वाला है |”
“हाँ शायद नमक लाया होगा घाव में छिड़कने |”
जॉन के ऐसा कहते फेनी फिर दबी सी हंसी से हंस पड़ती है|
दरवाजे के बाहर कोई कोरियर वाला था जो जॉन को कोई बॉक्स पकड़ाते हुए उसे किसी कागज में साइन करने को कह रहा था|
जॉन उस बॉक्स को पकड़ाते हुए इधर उधर पलटते हुए कहता है – “आया कहाँ से है –?”
“सर प्लीज़ जरा जल्दी से साइन कर दीजिए बहुत गर्मी है और कई जगह भी जाना है |”
ये सुनते जॉन उसके हाथ से पेन लेता हुआ साइन करने लगता है|
“मैं पानी लाती हूँ |” कहती हुई फेनी फ्रिज की ओर बढ़ जाती है|
“अरे ये चल नही रहा – रुको मैं अपना लाता हूँ |” पेन को चलाने पर जब वह नही चलता तो जॉन कोरियर वाले की ओर देखता हुआ कहता है तो वह कोरियर वाला जल्दी से उसके हाथ से पेन लेता हुआ कहता है – “कैसे नही चल रहा सर – अभी तो पिछले फ़्लैट में साइन करा कर आया हूँ – रुकिए|” कहता हुआ वह उससे पेन लेता हवा में उसे इधर उधर हिलाता है कि अचानक पेन की नोक जॉन को गलती से चुभ जाती है |
“ओह सॉरी सर सॉरी- |”
“कोई बात नही |” कहता हुआ जॉन उसके हाथ से फिर पेन लेता हुआ चलाता है तो अब पेन वाकई चलने लगा था |
जब तक जॉन साइन करता है फेनी फ्रिज का ठंडा पानी लाकर कोरियर वाले की ओर बढ़ा देती है| वह भी झट से पानी पीता हुआ थैंक्स कहता बोतल जॉन की ओर बढ़ा देता है|
अब दरवाजा बंद कर वह बोतल फेनी की ओर बढ़ता है जिसपर फेनी मादक अंदाज में उसकी ओर देखती हुई कहती है – “अभी तुम्हे इसकी ज्यादा जरुरत है |”
फेनी फिर खुलकर हंस दी पर जॉन अबकी नही मुस्कराया बल्कि उसके चेहरे के भाव एकाएक सपाट हो गए और पल में वह फर्श पर किसी कागज की तरह लुढ़क गया|
समय के पार अनिकेत को नही पता था कि यहाँ क्या हो गया| वह तो उसी पल में खड़ा था जब मौरिस वापस अपने घर आता है और मरती हुई मैरी को अपनी बाँहों में उठाए कही ले जा रहा था पर अचानक से मौरिस और मैरी वाली घटना बार बार दोहराने लगी| अनिकेत परेशान हो उठा आखिर क्यों घटनाएँ आगे नही बढ़ रही थी| ऐसा लग रहा था जैसे समय वही रुक सा गया हो न आगे बढ़ रहा था और न पीछे जा रहा था|
अनिकेत को क्या पता था कि जॉन के साथ क्या हो गया| जहाँ जॉन अपने फ़्लैट में बेहोश पड़ा था वही पारस और फेनी उस जगह से गायब थे|
क्रमशः………