
डेजा वू एक राज़ – 7
जॉन न कुछ समझ पा रहा था न कोई प्रतिक्रिया कर सका बस फेनी ने जो कहा उसकी बात मानता हुआ वह बाहर की ओर निकलने लगा| फेनी उसके आगे आगे तेज कदमो से चलती उसे रास्ता बताती रही जबकि जॉन मौन ही उसके कदमो का पीछा करता रहा| दोनों बीच के रास्ते पर खड़े थे जहाँ अब कोई नही था| इस समय वहां ऐसी ख़ामोशी थी मानों दूर दूर तक कोई इंसानी बस्ती ही न हो वहां| असल में नाचता झूमता गोवा अब जाकर शांत बैठता है| तभी तो अब न कही से कोई संगीत या पार्टी की आवाज ही नही आ रही थी| फेनी हॉस्पिटल से दूर कही रूकती हुई जॉन की ओर पलटती हुई कहती है –
“इस समय राउंड का समय हो गया था अगर कुछ देर और रुकते तो जरुर कुछ गड़बड़ हो जाती|”
जॉन आंखे झपकाकर अपनी सहमति दे देता है|
फेनी आगे कहती है – “ये वही पेशेंट थे जिनका कोई पारिवारिक रिकॉर्ड नही है – मतलब इनको कोई पूछने वाला नही है ये चाहे मरे या जिए|”
जॉन फेनी का चेहरा गौर से देखता रहा जहाँ अब बेहद सख्त भाव आ गए थे| वह अभी भी अपनी बात कह रही थी – “अकेलापन वैसे भी अपने आप में एक श्राप ही है – कभी अचानक से अकेला इंसान इस दुनिया से गायब भी हो जाए न तो किसी को कोई ख़ास फर्क नही पड़ता – कभी कभी तो लगता है कि कही मैं भी….|”
जॉन उसके अधूरे शब्द पर तुरंत प्रश्न उठा बैठता है – “मैं भी – मतलब तुम इस दुनिया में अकेली हो !”
जॉन के प्रश्न पर फेनी एक क्षण के मौन के बाद धीरे से कहती है – “हाँ – अकेली हूँ इस दुनिया में – अकेले व्यक्ति का वजूद होता भी क्या है – अकेला व्यक्ति एक गुमनाम शख्स की तरह ही होता है – वह न किसी की उम्मीद बनता है न इंतज़ार – उसके घर लौटने का भला किसे इंतजार होगा !! घर की दीवारों को !! कई कई दिनों तक उसका फोन भी नही बजता – क्योंकि किसी को भी उसका हाल जानने में कोई जुड़ाव नही होता – |” अचानक रूककर जॉन की आँखों में गहरे से झांकती हुई उससे पूछती है – “तुम भी तो अकेले हो !! क्या तुम्हे भी ऐसा नही लगता !!”
अब वाकई जॉन होंठ दांतों के बीच दबाता सोच में पड़ जाता है|
“खैर – मैं भी क्या बात लेकर बैठ गई – अब मैं चलती हूँ – कल फिर से इसी समय मिलना – हो सकता है – फिर कुछ क्लू हाथ लग जाए अगर वो लोग गायब नही हुए तो !!”
“मतलब – क्या फिर कोई गायब हुआ ?”
अबकी बिना शब्द के फेनी बस हाँ में सर हिला देती है| इसके अगले ही पल फेनी जॉन से विदा लेती तेज कदमो से वहां से चली जाती है| जॉन उसके जाने तक भी वही खड़ा रहता है जैसे वह कही खो गया हो| फेनी के आँखों के परिदृश्य से पूरी तरह से जाते जॉन भी अब वापस होटल की ओर चल देता है|
होटल के रूम तक वापस आते आते सुबह का आगाज हो चुका था पर जॉन के लिए तो ये रात थी क्योंकि पिछली पूरी रात जागने के बाद से उसे अब बहुत तेज नींद आ रही थी| इसलिए वह रूम में वापस आते तुरंत ही बिस्तर पर ढेर हो जाता है|
कितनी देर वह पड़ा सोता रहा इसका अहसास उसे उठते ही घड़ी देखकर हुआ| शाम के चार बज रहे थे| ‘क्या मैं पूरे बारह घंटे सोता रहा !” चौंकता हुआ वह अपनी कलाई घड़ी देखते ही उठकर बैठ जाता है| इस अहसास के साथ उसे अब अपने बहुत देर भूखे रहने का भी अहसास होता है जिससे वह फटाफट फ्रेश होकर बाहर निकल जाता है| शाम के इंतजार में दिनभर का ऊँघता गोवा फिर पूरी रात गतिशील होने को मानो पूरी तरह से तैयार था| सभी जगह लोगों की भीड़ मौजूद थी जो जॉन को बिलकुल नही पसंद थी इसलिए वह भीड़ से कटता हुआ काफी दूर चलता हुआ किसी एकांत फ़ूड सेंटर को पा लेता है| पूरे दिनभर के बाद उसे काफी तेज भूख लगी थी जिससे वह कुछ ज्यादा ही अच्छे खा लेता है|
उदर तृप्ति के बाद जॉन अब समय देखता है शाम के सात बजने वाले थे| अभी होटल जाने का उसका बिलकुल मन नही हुआ तो उसने आस पास टहलने की सोची| वह पैदल ही इधर उधर रास्ता तय करता हुआ जाने किस किन रास्तो से निकलकर वह होटल से काफी दूर निकल आया था|
तभी उसकी नजर किसी चर्च पर पड़ी| बीचेस, मार्किट, पब्स से अलग उसके लिए चर्च में समय बिताना ज्यादा उचित लगा जिससे वह अब उस ओर बढ़ जाता है| अपनी शानदार वास्तुकला को समेटे वह चर्च पुर्तगाल की छूटी विरासत की तरह था| जॉन भी बिना रुके उस विस्मयकारी जादू में घिरा चर्च की ओर बढ़ता रहा|
बाहर से देखने पर चर्च के मुख्य गेट का पता लगाना मुश्किल था पर पता नही कैसे जॉन उस मुख्य गेट का बिलकुल सही पता लगाता हुआ अब उस चर्च के अन्दर सहजता से आ जाता है| अचानक उसके हाव भाव ही बदल जाते है वह महसूस करता है कि वह इस चर्च में पहले भी आ चुका है, वह इस चर्च के कोने कोने से वाकिफ है वह मन में सोचता कि अब क्या दृश्य दिखेगा और ठीक वही दृश्य उसकी आँखों के सामने आ जाता| उसे अच्छे से पता था कि कहाँ कितने गेट,कहाँ प्रार्थना सभा होती है या मूर्ति किसकी कहाँ दिखेगी है| मरियम और क्रराइस्ट किस दिशा में दिखेंगे और उन्हें वही पता ये सोच वह हैरान रह गया| वह खुद से ही पूछ उठा –‘क्या ये भ्रम है !! या उसे जागती आँखों से सपने का अनुभव हो रहा है !!’
वह हैरानगी से अपने चारों ओर देखता रह गया| उस पल लगा वह चक्कर खा कर गिर पड़ेगा| आखिर ये कैसे संभव है जबकि आज तक वह कभी गोवा आएया ही नहीं| यहाँ तक कि वह चर्च भी नियमित नही जाता था| फिर आखिर ये है क्या !! क्या डेजा वू…..!! किस रहस्य में फसता जा रहा है जॉन…क्या समझ पाएगा इसे ….
क्रमशः……