Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 70

जॉन फिर से सारी मशीने ठीक कर रहा था| अब पारस की जगह की कोई जरुरत नही रह गई थी इसलिए सब मशीनों को रिटेंशन कॉल के लिए तैयार कर रहा था ताकि पलक को उसकी अचेतन की अवस्था में लाया जा सके|

इधर झलक पलक के जाने का सुनकर तब से उदास हो रही थी| पलक अब उसका चेहरा अपनी हथेली में लिए मुस्कराती हुई कह रही थी – “अरे मेरी बहादुर झल्लो की आंखे कैसे भर आई ?”

“आंसू नही है – बाल आ गया आँखों में समझी |” कहती हुई उसके हाथ से अपना चेहरा हटाती हुई बोली|

“क्या सच में !!”

पलक उसकी आँखों की सीध में देखती है तो झलक झट से उसके गले लगती हुई कहने लगती है – “हाँ आंसू है – और तू जान ले तुम तीनो को सही सलामत वापस आना है समझी – भगवान से मन्नत मानी है तेरे वापस आने से मैं झूठ बोलना भी बंद कर दूंगी |”

“ओह – क्या सच में !!”

“क्या सच में सच में – थोड़ा बहुत चलता है न – |” हटती हुई तुनकती है|

“हाँ टर्म्स एंड कंडीशन अप्लाई|” कहती हुई पलक फिर से उसे अपने गले लगा लेती है|

सभी को विश्वास था कि इस समय पलक के सिवाए ये काम और कोई नही कर सकता पर मन था कि उसके प्रति कमजोर हो ही जा रहा था| जॉन अंदर के कमरे में सारी मशीनों की व्यवस्था करता है| रचित भी उसकी उसमे सहायता कर रहा था|

“रचित सभी खिड़की अच्छे से बंद कर दो| हमे इस कमरे को किसी भी बाहरी आवाज से बचाना है जिससे पलक की नींद में कोई भी बाधा उत्पन्न न हो|”

रचित हामी भरता हुआ फिर से सब कुछ सही से चेक करने लगता है| अब पलक को बिस्तर पर लेटकर अचेतन की अवस्था में जाना था| ये वो अवस्था थी जिसमे आत्मा शरीर से दूर हो कर ब्रह्माण्ड में भ्रमण करती है| अब उस आत्मा को सही दिशा में ले जाने का काम पलक का था| यही उसके अध्यात्म की सही परीक्षा थी|

जॉन उसके लेटते ही उसके मस्तिष्क से इलेक्ट्रोड लगाते हुए कहता है – “इससे मैं तुम्हारे मष्तिष्क की तरंग को जान सकूँगा – अगर इसमें घर्षण ज्यादा हुआ तो तुम्हे उसी समय वापस आना होगा पलक – बस उम्मीद करता हूँ कि तब तक तुम अनिकेत के पास पहुँच चुकी होगी – वैसे भी मैं खुद को इस अपराधबोध से नही निकाल पा रहा कि अनिकेत के कहने के बावजूद मैंने पारस की सुरक्षा पर ध्यान नही दिया – नही तो आज तुम दोनों इस मुश्किल में नही फसते |”

“जो होना है वो तो हो कर ही रहता है – क्या पता इसके पीछे भी कुछ और अच्छा होना लिखा हो – पछतावा करने के बजाये कर्तव्य की ओर ध्यान देना चाहिए – इसलिए अब पिछली बात को भूल जाओ –|”

पलक की बात पर आँखों से आश्वासन देता जॉन अब उसकी कलाई से नब्ज मीटर जोड़ देता है ताकि वह उसकी हार्ट बीट और प्लस पर भी नज़र रख सके|

रचित और झलक ने उस कमरे को अपनी भरसक कोशिश से साउंड प्रूफ कर दिया था और अब दोनों साथ में बैठे पलक की समयांतर यात्रा को होता देख रहे थे| रचित झलक का मन समझ रहा था इसलिए उसे सांत्वना देने उसके कंधे पर अपनी बांह फैलाते उसे अपनी ओर भींचते हुए कह रहा था – “तुम्हे फ़िक्र नही करनी चाहिए क्योंकि अनिकेत पलक तो दो जिस्म एक जान है – फिर वे कैसे एकदूसरे से दूर रह सकते है – उनकी तरफ से बिलकुल बेफिक्र रहो|”

रचित के भरोसे पर वह उसके कंधे पर अपना सर टिकाती सच में राहत की सांस भीतर छोडती हुई कहती है – “हाँ सही कहा|”

इधर अनिकेत मौरिस और मैरी के उसी समय में फंसा था जहाँ वह वापस लौटकर उसे अपने साथ कही ले जा रहा था पर समय न अब आगे बढ़ रहा था और न पीछे वापस जा रहा था|

अनिकेत समझ गया था कि वह जिस गड़बड़ से डर रहा था वह गड़बड़ अब हो चुकी है| वह खुद को समझाता हुआ कहता है – ‘जरुर पारस अपनी जगह से हिल गया होगा – तभी समय रुक गया है – अब मेरा इस समय से निकलना तो नामुमकिन ही है पर मैं समय में बाधा उत्पन्न करके उसी के समान्तर समय में तो जा ही सकता हूँ – पर ये करना बहुत ही खतरनाक होगा क्योंकि ऐसा करने में मैं किसी भी समय में जा सकता हूँ क्योंकि उसमे मेरा नियंत्रण बिलकुल नही होगा पर अब कोई और चारा भी तो नही है – मुझे समय की घटनाओ के साथ छेड़छाड़ करने के बजाये उसमे सिर्फ बाधा ही उत्पन्न करनी है|’

सोचते हुए अनिकेत अब उस जगह से हटता हुआ विपरीत चलता है| वह इस समय किसी अँधेरी सड़क पर था जहाँ इतना अँधेरा था कि हाथ को हाथ नही सूझ रहा था| अनिकेत किसी तरह से आगे बढ़ता रहा कि तभी वह किसी चीज से टकराता है और बड़ी तेजी से नीचे की ओर गिरता है| अँधेरा होने की वजह से वह झटके से साथ गिरा तो खुद को संभाल भी नही पाया|

वह अँधेरे में नीचे सर झुकाए पड़ा ही था कि कोई हाथ आकर उसे सहारा देते उसे उठने में मदद कर रहे थे| अनिकेत देखता है वह मौरिस था और बिलकुल वैसे ही उसकी मदद कर रहा था जैसे पिछली बार समयांतर से आते वक़्त की थी| अनिकेत समझ गया कि जरुर डेजा वू है और सभी कुछ पहले की तरह दोहरानी वाला है| सब जानते हुए भी अनिकेत ठीक वैसा ही व्यवहार मौरिस के साथ करता है जैसा पिछली बार किया था क्योंकि समय की घटना के साथ छेड़छाड़ होने पर इसका प्रभाव आने वाले समय पर पड़ सकता था जो वह बिलकुल होने नही देना चाहता था|

अनिकेत अब अरविन्द बना उसके साथ उसके घर पहुँचता है क्रमशा सब कुछ वैसे ही दोहराने लगता है| वह लड़का जिसे देखते उसे वह चेहरा जाना पहचाना लगा था वह फिर उसे मिलता है| उसके बाद मौरिस का अपने उस तीसरे साथी से बात करते हुए वह फिर से देख रहा था| पर अबकी मौरिस के पीछे जाने के बजाये वह उस तीसरे साथी के पीछे भागता है|

वह गली काफी अँधेरे में थी पर अनिकेत भरसक तेज दौड़ते हुए उस आदमी के पीछे भागता है जो अब किसी कार में था और अनिकेत उस कार को जाता हुआ देखते पूरी तरह से औचक था| कार को पहचानते हुए उसे अंदाजा नही था कि ये वो व्यक्ति भी हो सकता है|

अभी अपनी सोच में पड़ा वह खड़ा ही था कि कोई आदमी भागता हुआ आता उससे टकराता है और अनिकेत के हाथ में कुछ पकड़कर फिर आगे भागता हुआ अँधेरे में गुम हो जाता है| इस बात से अनिकेत संभल भी नही पाया था कि कोई दो हाथ उसे दोनों ओर से पकड़ लिए थे|

“चोरी करके भाग रहे थे !”

इस आवाज के साथ अनिकेत देखता है कि दो सिपाही उसे दोनों तरफ से पकड़े थे| अब एक सिपाही उसके हाथ में पकड़ा सामान उससे लेता हुआ कहता है – “लो सामान भी बरामद हो गया – अब चलो थाने – दीखते शरीफ हो और काम ऐसा – क्या सोचा था अँधेरे का फायदा उठाकर निकल लोगे – पर हमारी चौकस निगाह से कैसे बचोगे – अब तो जेल की हवा खानी ही पड़ेगी |”

“पर ये…!!” अनिकेत अचकचाते हुए उस पैकेट को देखता है जो किसी पार्सल की तरह लग रहा था पर समझ नही पाता कि आखिर इसके पीछे क्या कारण होगा !! उसके साथ ये कौन सा घटनाक्रम घट रहा है !! पर ज्यादा प्रतिक्रिया नही कर सका क्योंकि वह कैसे बताता कि वह समयांतर यात्री है फिर कुछ का कुछ हो जाता इसलिए उसने इस वक़्त चुपचाप उनके साथ जाना सही समझा|

वे सिपाही उसे पकड़े थाने लाकर जेल में डाल देते है| इस समय थाने में कोई ज्यादा लोग नही थे और वे दोनों शायद थाना प्रभारी का इंतजार कर रहे थे| अनिकेत को जेल में बंद करते हुए वे आपस में एकदूसरे को बधाई देते हुए कहते है –  “आज तो हमने कमाल कर दिया – चोर वो भी सामान बरामदी के साथ – अब तो साहब से इनाम कोई नही रोक सकता |”

वे हँसते हँसते अपनी जगह बैठे एकदूसरे को खैनी बांटने में लग जाते है| अनिकेत जेल में बंद था वो भी समय के पार| उसकी समझ नही आ रहा था कि आखिर क्या होगा आगे क्योंकि समय में बाधा तो उसने उत्पन्न कर दी इससे वह समझ नही पा रहा था कि इस समय वह किस वर्ड में सफ़र कर रहा है|

जाने क्या होगा आगे इसी सोच में बैठा अनिकेत जेल की फर्श पर बैठ जाता है|

क्रमशः…..

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