
डेजा वू एक राज़– 75
जैसलमेर के सोन महल में रानी सा की बैठकी में उनके सामने कुंवर नवल और कुंवर रूद्र मौजूद थे और किसी खास विषय पर चर्चा कर रहे थे|
“माँ सा सच में अब आपको इसका अंतरिम निर्णय लेना ही चाहिए – आखिर सारा सच देखते हुए भी हम उसे नकार नही सकते – इसलिए हम आपको अपनी ओर से यही सुझाव देंगे कि अब वक़्त आ गया है कि हम सभी अपना निवास स्थान बदल ले |”
नवल की बात पर अपना तीव्र विरोध प्रकट करते हुए रूद्र कहता है – “नवल भाई आप बदलने की नही बल्कि सदा के लिए जैसल छोड़ने की पेशकश कर रहे है – ये हम सबकी जन्मस्थली ही नहीं कर्म स्थली भी है तब अपने पैतृक निवास को कैसे एक झटके में छोड़ दे !”
“इतना सब होता हुआ देखने के बाद भी भाई सा आपको सोचने के लिए समय चाहिए – अभी जो हुआ वो महज कोई इत्तफ़ाक नही था या आँखों का धोखा – सच में अभी अभी हम सभी एक बार फिर से एक डरावने अनुभव से गुजरे है |”
“हम आपकी बात समझ रहे है नवल भाई पर इतने आवेश में लिया फैसला गलत साबित भी हो सकता है|”
“हम इस बारे में बहुत समय से सोच रहे है|”
“लेकिन..|”
अबकी रानी सा जो बहुत देर से उनका वादविवाद सुन रही थी बीच में उन्हें टोकती हुई कहती है – “आप दोनों इस तरह आपस में विवाद क्यों कर रहे है – हमने आपसे कहा न कि हम सोचते है इस विषय पर |”
इस पर नवल फिर जल्दी से अपनी बात रखता है – “माँ सा हमे नही लगता कि ये विषय अब ज्यादा सोचने का रह गया है – आपको नही पता पर अभी हाल के हुए भयावह अहसास से वैजयंती बहुत घबरा गयीं है – वे तो इसी कारण जैसल आतीं भी नही थी और इस बार वे पूरे दो वर्ष बाद आयीं भी तो फिर से वही हादसा हो गया – वे बुरी तरह से डरी हुयीं है – बाकी सभी भी अब इस महल में डरने लगे है – पहले तो लगता था कि महामाया का किस्सा खत्म हो चुका वह राजगुरु भी नही मिला तो हम सबने सोच लिया कि वह भी महल में कही सड़कर मर खप चुका होगा लेकिन उस दिन के अहसास ने वही पुराना डर हम सबकी आँखों में फिर से जीवंत कर दिया है इसलिए अंतिम में मेरी आपसे यही विनती है कि हमसभी को जैसल छोड़कर अब अपना निवास कही और बना लेना चाहिए |”
“और कहाँ नवल ?”
“नानी सा के जयपुर पैलस में – वह उनके बाद से यूँही खाली पड़ा है और अगर हम सब वह रहेंगे तो जगह भी बदल जाएगी और वह महल नानी सा की यादों दि के साथ फिर से आबाद हो उठेगा |”
अबकी नवल की ओर गौर से रूद्र देखता है तो रानी सा कुछ सोच में पड़ जाती है|
“तो नवल यहाँ महल का क्या होगा ये भी आपने सोचा होगा – अगर हम सब नही रहेंगे तब तो और भी भुतहा हो जाएगा ये |”
“उसके लिए भी हम ने सोच लिया है – आधा तो होटल है वह वैसा ही चलता रहेगा और बाकि ये निवास महल को म्यूजिम में बदल देंगे जिससे इसकी रख रखाव भी बनी रहेगी और अगर कभी सब ठीक हो गया तो हम जब चाहे वापस भी आ सकते है भाई सा|”
अबकी रानी सा नवल की ओर गौर से देखती हुई कहती है – “हमे आपका विचार पसंद आया नवल – एक तरह से अब हमारा मन भी कुछ कुछ यहां से उचटने लगा है – तो क्या रूद्र आप संतुष्ट हुए या नही नवल के प्रस्ताव से ?”
अब रूद्र सहमती में सर हिलाते हुए कहता है – “वैसे नवल भाई की बात ठीक ही लग रही है – हम ऐसा करके देख सकते है |”
“तो ठीक है अब आप इसे अधिकारिक और व्यक्तिगत दोनों रूप से कार्यान्वित करने की प्रक्रिया शुरू कर दे क्योंकि अपने परिवार की सुरक्षा के लिए किए गए हर फैसले में हम किसी भी हद तक जा सकते है |”
जैसल का महल अपना रूप बदलने जा रहा था पर कोई और भी था जिसकी निगाह बस इसी महल पर लगी हुई थी लेकिन अभी उसके नसीब में रेतीले समन्दर की खाक ही थी और वह मरी हुई झोपड़ी में से कटीली घास उखाड़ते हुए मन ही मन बुदबुदा रहा था| वह काफी वृद्ध दिख रहा था मानो सदियों का फासला तय करके वह किसी ख़ास उम्र के पड़ाव में ठहर गया हो|
वह महल से फरार हुआ राजगुरु था जो बढ़ी हुई दाढ़ी और अपने कमजोर शरीर के साथ अपनी झोपड़ी की दीवार से टेक ले लेता है| वह मन ही मन दिवास्वप्न देखता हुआ बोल रहा था – ‘कसम मरुभूमि की नही छोडूगा उन सबको – जब तक बदला न ले लूँगा तब तक पीछा न छोडूगा थारा – महल छोड़कर जा रहे हो तो अब कभी वापस इसमें बसने नही दूंगा और जहाँ रहोगे वहां भी चैन से नही रहने दूंगा बस एक बार फिर से अपनी मरी ताकत दुबारा तो पा लूँ – नही जानते इस समय में बीते तीन वर्ष वहां तीस वर्ष से थे पर अब वापस आ कर मैं उन तीस वर्षो का बदला लूँगा गिन गिन कर बदला लूँगा – महामाया भी वापस आएगी अबकी वापस न जाने के लिए – बस तब तक तुम सारे उत्सव मना लो जब तक मैं दुबारा से अपनी तंत्र ताकत प्राप्त नही कर लेता – बस तभी तक ही…|’
वह हवा में जैसे हस्ताक्षर करता खुद को वचनबद्ध करता है|
अनिकेत और जॉन गोवा की सरजमी में पहुँच चुके थे और आगे की योजना पर बात कर रहे थे|
“वह जो भी था बहुत शातिर था तभी तुम्हारी बिल्डिंग में आते वह हर कैमरा के सामने से सर झुकाए हुए गुजरा और हमारे पास सिर्फ उसकी कैप की तस्वीर ही रह गई|” अनिकेत सोचता हुआ कहता है|
“हाँ सही कहा लेकिन जब वह कोरियर वाला मेरे सामने आया तब मैंने उसका चेहरा ठीक से देखा हुआ है और मैं भीड़ में से भी उसे पहचान सकता हूँ |”
“हाँ चलो उसको भी ढूंढेगे पर पहले उस मयंक का पता लगाते है |”
“लेकिन अनिकेत जब तुम्हारे पास उसका कोई पता नही तो कैसे पता लगाओगे उसका क्योंकि उसने तुम्हे तब जो भी जानकारी दी होगी वो सारी फेक ही रही होगी|”
इस पर अनिकेत हलके से मुस्कराते हुए कहता है – “कोई कितना भी चालक हो एक न एक गलती जरुर करता है – जितने दिन मयंक के साथ रहा एक बात तो तय है वह खाने का शौक़ीन है वो भी नॉनवेज तो बस नार्थ गोवा का हमे बेस्ट नॉनवेज का रेस्टोरेंट ढूंढना है वह वहां जरुर आएगा – मेरा विश्वास है |”
“पर तुम ऐसी जगह कैसे जाओगे अनिकेत ?”
“हाँ – पर जाना तो पड़ेगा – कोई दो बेस्ट रेटिंग वाले रेस्टोरेंट ढूंढते है और एक एक दिन वही समय बिताते है जूस पी पीकर |”
“क्या कुछ नही कर रहे हम पर अभी तक उस व्यक्ति तक नही पहुंचे जो सच में इन सबके पीछे है|” जॉन हताश भरी सांस हवा में छोड़ता हुआ कहता है|
फिर इसके अगले दो दिन तक वे पहले वाले रेस्टोरेंट में पूरा दिन समय बिताते रहे फिर उसके अगले दिन दूसरे रेस्टोरेंट में बिता रहे थे| बहुत सारा समय यूँही जाया हो जाने की खलिश तो थी पर इसके सिवा उनके पास कोई चारा भी नही था|
तभी अनिकेत की नज़र किसी चेहरे पर पड़ती है और वह जॉन को उसकी ओर दिखाता हुआ कहता है – “यही है मयंक – आखिर मिल ही गया पर इतना सारा खाना किसके लिए पैक करा रहा है ?”
अनिकेत उसे दूर से ही घूरता हुआ अपना प्रश्न कर रहा था जबकि जॉन कुछ और ही कह उठा – “अनिकेत यही तो है वो कोरियर वाला – आज मैं इसे नही छोडूगा – फेनी को भी यही ले गया होगा |”
जॉन बेहद गुस्से में उसे घूरता बस उसकी ओर लपकने ही वाला था कि अनिकेत उसे रोकता हुआ कहता है –
“रुको जॉन अभी इसका ठिकाना पता करना बहुत जरुरी है |”
“हाँ ठीक है – इसे तो मैं इसके ठिकाने में ही ठोकने वाला हूँ |” गुस्से में शब्द चबाते हुए जॉन ने कहा|
अब देखने वाली बात है कि ये किरदार मासूम निकलता है या मासूम कातिल…!!
क्रमशः……