Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 79

अनिकेत जॉन की बात पर कुछ पल खड़ा सोचता रहा फिर उसके अगले क्षण बाद बोलता है – “जॉन अगर एक एक घटनाक्रम को सोचे तो बहुत सारे प्रश्न तो अभी भी रह गए है – जिसका उत्तर सिर्फ यही दे सकता है पर लग नही रहा कि अभी कुछ बोलने के मूड में भी है ये – |”

“तो फिर कैसे पता चलेगा सब ?”

“सच कितने भी परतो के नीचे हो – कभी न कभी सामने आता जरुर है |”

“पर कब !!” जॉन असब्र होता पूछ उठता है|

“मेरी सिक्स्थ सेन्स कहती है कि ये ऐसे कुछ नही बोलेगा – जब तक इसकी कोई कमजोरी हमारे हाथ नही आ जाती – ये कमजोर नही पड़ेगा – आखिर इतना नाच नचाया है जो मामूली बात तो नहीं |”

“तो तुम्हे लगता है कि सब कुछ इसी का किया धरा है ?” जॉन अचरच से पूछता है|

“बिलकुल और इतने शातिर तरह से कि मैं भी एक बार को इसपर विश्वास कर बैठा – इसने मेरी मदद का जितना भी ढोंग किया पर उसमे ये कही भी मेरे साथ में नही आया – जैसे जब मैंने तुमको हॉस्पिटल में खोजा तब भी और जब तुम हॉस्पिटल में थे तब भी ये मेरे साथ नही आया – और मेरे वापसी के वक़्त भी वह कुछ बहाना बनाकर जा चुका था|”

“पर ये कुछ समय तक तुम्हारे साथ ही रहा था |”

“हाँ इसीलिए मुझे इसी पर शक होता है क्योंकि इन्स्पेक्टर वाली बात और तुम्हारे सोफ्टवेयर की बात इसे अच्छे से पता थी – यहाँ तक कि साउंड से उसके डिकोड होने वाली बात भी उसे पता चल गई थी|”

जॉन अनिकेत की बात पर गहरा उच्छ्वास लेता है|

अनिकेत अभी भी कह रहा था – “इसकी कमजोरी भी इसके आस पास होगी पर क्या..? एक बात तो तय है ये हम दोनों पर बराबर से बहुत पहले से नज़र रखे था – नही तो जो थ्योरी पर मैंने अब्रोड में काम किया उसकी इसे कैसे जानकारी हुई और फिर ये जितना मुझे जानता है उतना ही तुम्हे भी जानता है – वरना तुम्हारे पास फेनी को नही भेजता – और न तुम्हे पागलपन की हद तक छोड़ता – क्या तुमसे कोई दुश्मनी है उसकी ? वो तुम्हारे पिता को भी जानता है और माँ को भी – आखिर ऐसा कौन शख्स होगा ? समझ नही आ रहा !”

“लेकिन मैंने तो अपनी लाइफ में इसे पहली बार देखा है फिर इसकी मुझसे क्या दुश्मनी होगी ?”

“है तो कुछ जरुर क्योंकि सारे घटनाक्रम में उसने हर बार तुम्हे ही नुक्सान पहुँचाया है – चाहे हॉस्पिटल में कैद करना हो या इंजेक्शन देना – या फेनी को तुम्हारे पास भेज कर फिर उसे गायब करना – कुछ तो है जो इस घटनाक्रम का तार जुड़ने नही दे रहा -|”

“कुछ भी हो सकता है अनिकेत तो इस बात की भी संभावना है कि तुम्हारा ही कोई दुश्मन हो ?”

“नही जॉन – अभी तक ऐसा कुछ समझ नही आया – ये लगातार मेरी थिसिज की मदद ले रहा था और कही भी इसने मुझे नुक्सान पहुंचाने की कोशिश नही की जबकि चाहे तो ये कर सकता था – सिर्फ इसने हर बार मुझे भ्रमित किया – मुझे हर बार उलझाया है – जैसे वह मेरे साथ कोई गेम खेल रहा हो – मुझे ये लगता है कि इसका मकसद कुछ और ही है – कही ये हमे उलझाकर अपना मकसद तो निशक होकर पूरा करना नही चाहता ?”

“मकसद !! कही ये उस रिसर्च से कनेक्ट हो जो मेरे पिता अमरता के लिए कर रहे थे – ?”

अबकी दोनों मूक एकदूसरे को देखते रहे|

अगले क्षण बीच का मौन तोड़ते हुए जॉन कहता है – “तो अब क्या करे आगे ? यहाँ इस खाली कमरे के अलावा कोई रास्ता भी समझ नही आ रहा फिर हम जाए तो जाए कहाँ ?”

इस पर अनिकेत मौन ही मन में कुछ सोचता रहा|

“अनिकेत !! चलो उसी के पास पहुंचकर उसे तोड़कर कुछ पूछते है |”

जॉन अपनी बात कहता पलटकर वापस जाने लगता है जबकि अनिकेत वही खड़ा रहा|

“अनिकेत जल्दी आओ |” अचानक से जॉन अनिकेत को तेजी से अपनी ओर पुकारता है|

अनिकेत उसकी आवाज सुनते तुरंत ही उसके पास पहुँचता है और अगले ही पल दोनों एक ही दिशा में हैरान होकर देखने लगते है| वह पिछले जिस कमरे से होकर आए थे अब उसक कमरे की दहरी पर खड़े उस कमरे के अंदर अवाक् होकर देख रहे थे|

“ये कैसे संभव है – वो कहाँ जा सकता है जबकि तुमने उसे बांधा हुआ था और कोई हमारे सिवा आया भी नही – अनिकेत ये सब क्या हो रहा है ?”

अनिकेत भी उतनी हैरानगी से सामने देख रहा था जितनी हैरानगी से जॉन देख रहा था|

अनिकेत गहरा शवांस छोड़ता हुआ इधर उधर देखता है फिर जैसे कुछ याद आते वह तुरंत अपनी पॉकेट से कुछ निकालता है| जॉन हैरानगी से अनिकेत को देखता है जो अपनी पॉकेट से कोई चाभी निकालकर झुकता हुआ उसे फर्श पर आगे की ओर सरका देता है| इससे पहले की जॉन अनिकेत की इस अजीबोगरीब हरकत पर कुछ पूछता वह सामने की ओर देखता तुरन्त बोल उठा –

“वो चाभी कहाँ गायब हो गई ?”

अनिकेत जॉन की बात का जवाब देने के बजाये उसके आगे बढ़ता हुआ कहता है – “कुछ गायब नही हुआ – ये सब मिराज है – आँखों का धोखा – जैसे कोई साइंस फिक्शन – सामने होते हुए भी कुछ इस तरह कमरे के प्रकोष्ठों की व्यवस्था की जाती है कि कमरे से सब मैच हो जाता है जिससे सामने होकर भी कुछ नही दिखता |”

अनिकेत की बात पर जॉन भी उसके साथ आगे बढ़ता हुआ देखता है कि सच में सब सामने होते हुए भी सब उनकी आँखों का धोखा बन गया| मयंक अभी भी कमरे में अपनी उसी हालत में बंधा था|

लेकिन एक बार फिर अनिकेत की बुद्धि से समस्या हल कर दी पर कैसे ये जानने वह अनिकेत की ओर प्रश्नात्मक नज़र से देखता है तो अनिकेत आगे का बताते हुए कहता है –

“जब समयांतर में मैं पलक के साथ एक अजीब सी लैब में पंहुचा था तब भी वहां ऐसा भी कुछ भूल भुलैया था – वही से मुझे याद आया कि हो न हो यहाँ भी कुछ ऐसा ही होगा |”

“वाह – एकबार भी तुमने मुझे चमत्कृत कर दिया पर इस सोते हुए से बोल कैसे बुलवाए ?”

जॉन आगे बढ़कर मयंक के मुंहपर से एकदम से टेप खींचता है जिससे वह हडबडाते हुए औचक होकर सामने देखने लगता है|

“हाँ तो अब तुम बताओगे कि तुम्हारा इरादा क्या है और हमसे चाहते क्या हो तुम ?”

जॉन की बात पर मयंक खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज में उसकी ओर घूरता हुआ देखता है| इसपर जॉन आगे बढ़कर उसका गला अपनी हथेली की पकड में लेता हुआ उस पर बिगड़ता हुआ चीखता है –

“तुम्हारी ये हंसी मैं एक ही घूसे में तुम्हारी बत्तीसी सहित बाहर कर सकता हूँ इसलिए अपने लिए न सही अपनी बत्तीसी के लिए कुछ बकोगे तुम – बताओगे कि फेनी को तुम क्यों ले गए ?”

मयंक अबकी भी उसी अंदाज में आगे कहता है – “बड़े बुरे टाइम में ले गया न तो बुरा तो लगेगा ही |”

कहता हुआ वह फिर जैसे जॉन पर हंस पड़ा इस पर गुस्से में अपना आपा खोता हुआ जॉन सच में उसके एक मुक्का जड़ देता है|

“तुमने उसे नुक्सान पहुँचाया तो देखना ….!” जॉन बुरी तरह से दांत किटकिटा रहा था|

“भूल जा वो तेरे टाइप की नहीं है |”

मयंक की इस बात पर जॉन फिर उसपर टूटने वाला था पर उससे पहले ही अनिकेत उसे पकड़कर पीछे करता हुआ उसके कंधे थपथपाता हुआ उसे शांत करता है और खुद मयंक के सामने आता हुआ कहता है –

“देखो जो तुम सोच रहे हो वो तो अब नही होगा लेकिन जो कुछ तुम कर चुके हो बस उसका पता बता दो शायद तुम्हारी तकलीफ कम हो जाए !”

“प्रोफ़ेसर साहब – मैंने कहा न जीनियस हो तो पता करो न की मेरे सामने गिडगिडाओ |”

मयंक घूरता हुआ अनिकेत को कहता है इसपर वह पूरे शांत भाव से कहता है – “ठीक है – यही सही |”

लेकिन इन सबसे जॉन बुरी तरह अचकचा गया| वह तो बस अनिकेत के एक संकेत पर मयंक पर बुरी तरह से टूटने वाला था|

“चलो जॉन पता ही कर लेते है |”

इस बात से हड़बड़ाया हुआ जॉन अनिकेत को वापस अंदर की ओर जाता हुआ देखता उसके पीछे पीछे तेजी से आता हुआ कहता है – “अंदर तो कुछ नही मिला तो फिर अंदर क्यों जा रहे है ?”

“क्योंकि उस कमरे में भी हमे वैसे ही प्रवेश करना होगा जैसे इसमें किया ?”

“ओह्ह – |” बात समझते जॉन भी अब तेजी से अनिकेत के पीछे पीछे चल देता है|

क्रमशः…….

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!