Kahanikacarvan

डेजा वू एक राज़ – 8

जॉन का सर चकरा गया ये महसूस होते कि इस चर्च में वह पहले भी आ चुका है !! बार बार उसे लग रहा था कि वह वही चर्च की प्रार्थना सभागार में खड़ा मूर्ति की ओर देख रहा है, उसके मन को पक्का यकीन होने लगता है कि वह आया था यहाँ !!! पर कब !!! यही उसे याद नही जबकि वह अपनी जिंदगी में पहली बार गोवा आया था| सब किसी राज़ की तरह उसके ज़हन में उगता हुआ उसकी तन्द्रा को कांटे सा चुभने लगा जिससे वह बुरी तरह परेशान हो उठा| वह चर्च से बाहर निकलकर उसके खुले हिस्से में आ कर एक बार फिर उस चर्च को देखता है| कुछ को ऐसा है जो उसके मन को उलझा रहा है आखिर बिना आग के धुआं नही होता| अभी वह अपनी सोच में पड़ा ही था कि उसकी नज़र चर्च के बाहर घास की कटिंग करते एक व्यक्ति पर गई| जॉन तुरंत उसके पास पहुँचता है| वह काफी उम्र दराज व्यक्ति दिख रहा था| सफ़ेद झक बालो के नीचे झुरियों भरा चेहरा झुकाए वह तल्लीनता से कैंची चलाने में मग्न था| जॉन को समझ नही आ रहा है कि क्या पूछे वह बस फादर के बारे में पूछ लेता है|

जॉन की आवाज सुन वह कैंची रोकता हुआ बिना जॉन की ओर देखे घास पर हाथ फिराते हुए जवाब देता है –

“लास्ट प्रार्थना करके फादर जा चुके है अब कल को मिलते |”

“ओह..|” गहरी अफ़सोस भरी सांस छोड़ता हुआ वह कुछ पल वही खड़ा रहा मानो उस अनजान पल पर विश्वास करने की भरसक कोशिश कर रहा हो|

कुछ क्षण ऐसे खड़े होने के बाद वह वापस की ओर मुड़ने लगता है| अब बचे लोग भी चर्च से वापस जा रहे थे| एक सरसरी निगाह से जॉन उन सभी को देखता हुआ वहां से निकल रहा था तभी उसकी नज़र सफ़ेद गाउन और सलीकेदार कोट पैंट में वहां से जाते एक जोड़े पर गई जिससे उसके दिमाग में उनकी शादी और फिर उनका परिवार बनाना जैसा ख्याल कड़ी दर कड़ी उभरता है जिससे अचानक कोई विचार कौंधा|

‘कही मेरे मॉम डैड का तो इस चर्च से कोई सम्बन्ध तो नही !! या कभी बचपन में वे मुझे यहाँ लाए हो !! ऐसा कुछ तो नहीं !!’

ये सोचते ही तुरंत वह अपनी पॉकेट स मोबाईल निकालकर चर्च के बाहर निकलता हुआ किसी निर्जन स्थान में बैठते मोबाईल में सर्च करने लगता है| फिर कोई कॉल लगाता है पर बार बार कॉल लगाने पर भी जब दूसरी ओर से कोई कॉल रिसीव नही करता तो वह फिर से अपने मोबाईल में अन्यत्र नंबर सर्च करने लगता है अबकी दूसरी ओर से फोन उठा लिया जाता है|

विपरीत दिशा से हेलो सुनते ही जॉन जल्दी से बोलता है – “अंकल सतीश – मैं जॉन बोल रहा हूँ |”

“जॉन !! अरे तुम – कितने समय बाद फोन किया कैसे हो तुम और आजकल कहाँ हो ?”

“अभी इस वक़्त मैं गोवा में हूँ |”

जॉन के तपाक से बोलते दूसरी ओर एकदम से सन्नाटा छा जाता है जिससे फोन कट जाने का भ्रम होते जॉन हेलो हेलो पुकारने लगा पर फोन के दूसरी ओर वाला शख्स अभी भी कॉल में था|

“हाँ हाँ – मैं सुन रहा हूँ – तुम गोवा में क्यों हो – क्या किसी काम वश आए हो ?”

“आप गोवा सुनकर शॉकड क्यों हो गए ?”

“न नही – नही – ऐसा तो कुछ नही है – गोवा से क्या मतलब मेरा !”

उनका इंकार और उनकी लड़खड़ाती जबान जॉन दोनों समझ चुका था फिर भी उस बात को छोड़ता वह उनसे आगे कहता है –

“अंकल मेरे डैड आपके बहुत अच्छे दोस्त थे – एक तरह से कहा जाए कि एकमात्र आप ही उनके दोस्त थे इसलिए आप ही उन्हें ज्यादा करीब से जानते भी होंगे – मुझसे भी ज्यादा |” अपने अंतिम शब्द पर कुछ ज्यादा जोर देता हुआ वह कहता है|

“हाँ हाँ बिलकुल सही कहा – मौरिस और मेरी दोस्ती अटूट थी|”

“तो क्या मेरे डैड कभी गोवा आए थे या मेरी मॉम उनका कभी यहाँ से कोई सम्बन्ध रहा !! प्लीज़ अंकल कुछ भी ऐसा है तो आज मुझसे मत छुपाइऐ – मैं इस वक़्त बहुत बड़ी उलझन में घिरा हूँ – मैं कुछ याद नही कर पा रहा क्योंकि मैं आठ साल का था तभी एक एक्सीडेंट में अपने डैड को खो दिया और मॉम को तो खैर मैं अपने जन्म से ही खो चुका था – तभी से आपने मेरा ख्याल रखा – पर अब मैं उनका अतीत जानना चाहता हूँ – क्या आप मुझे वो बताएँगे ?”

जॉन एक सांस में सब कह गया और उस पार उतने ही शांत भाव से सब सुना गया|

“अंकल डैड और आप एक ओफ्नेज चलाते थे – कही मैं कोई अनाथ तो नहीं !! क्या वे ही मेरे जैविक पिता है ?”

“क्या बकवास कर रहे हो – मौरिस ही तुम्हारे पिता है – तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो ?” वे एकदम से उसपर बिफर पड़े|

“सच नही जानता हूँ मैं इसलिए तो पूछ रहा हूँ – मेरी मॉम के बारे में तो आपने कभी कुछ बताया ही नही – पर अब मैं उनके बारे में जानना चाहता हूँ – प्लीज़ आप मुझे बताईऐ अंकल सतीश|”

जॉन की बेसब्र आवाज पर वे बड़े शांत भाव एस कहते है – “लौट के आना तो सब बताऊंगा – जरुर बताऊंगा – अभी तुम अपना ख्याल रखो |”

कहकर वे फोन काट देते है पर जॉन परेशान सा मोबाईल लिए रह जाता है| इस एक पल में वह खुद को और भी अकेला समझने लगा| बेहद अकेला !! इसी पल अचानक से उसे फेनी की बात याद हो आई – ‘अकेले व्यक्ति का वजूद होता भी क्या है – अकेला व्यक्ति एक गुमनाम शख्स की तरह ही होता है – वह न किसी की उम्मीद बनता है न इंतज़ार – उसके घर लौटने का भला किसे इंतजार होगा !! घर की दीवारों को !! कई कई दिनों तक उसका फोन भी नही बजता – क्योंकि किसी को भी उसका हाल जानने में कोई जुड़ाव नही होता’

सहसा ये आवाज उनके दिमाग में खाली कुए में गूंजती आवाज की तरह उसके मस्तिष्क में गूंजने लगी| आवाजो का शोर ड्रम सा उसके दिमाग में बजने लगा..बार बार …लगातार…. उन आवाजो के शोर से वह इस कदर परेशान हो जाता है कि डरकर अपने कानो में हाथ रखे चिल्ला पड़ता है|

तभी उसका ध्यान जाता है कि वह अभी लोगो के बीच था और उसकी हरकत से अब सभी का ध्यान उसकी ओर हो गया था जिससे घबराकर जॉन तेज कदमो से वहां से दूर जाने लगता है|

उस पल उसका मन बहुत ही बेचैन था| उसके अंतर्मन में अनगिनत सवालो के शूल उग आए थे जो लगातार उसके दिल और दिमाग को घायल कर रहे थे| उसे उस पल सुकून चाहिए था| किसी दोस्त की पनाह चाहिए थी जहाँ वह कम से उन सवालो के जवाब न सही पर मन का सुकून तो पा सके| पर इस अनजान जगह में वह बिलकुल अकेला था| इसी बेकसी में वह समन्दर किनारे इधर उधर भटकने लगा| इस समय रात के नौ बज रहे थे| समंदर का किनारा आबाद था| लोग जश्न में डूबे मस्ती कर रहे थे जबकि तट के किसी अनजान कोने में अपने में सिमटा जॉन आज ज्यादा उदास था|

“जॉन …!”

आवाज पर वह धीरे से सर उठाकर देखता है तो कुछ हैरानगी उसके हाव भाव में भी उतर आती है|

“फेनी !!”

जॉन हैरान था कि फेनी अचानक से कहाँ से उसके सामने आ गई| जॉन अभी भी उसकी ओर अपलक देखे जा रहा था जिसपर हलके से मुस्कराती हुई फेनी कह रही थी – “हमेशा ऐसे हैरान होकर क्यों देखते हो जैसे मैं कोई भूत हूँ ?”

इस पर जॉन को हँसी आ जाती है और वह उसकी ओर से नज़र हटाते अब रेत की ओर देखने लगता है| ये देख फेनी अब उसके पास ही बैठ जाती है| दोनों अब सामने रेत पर बार बार उमड़कर आती लहरो को देख रहे थे|

“आज मेरी ड्यूटी मिड नाईट के बाद है इसलिए समय बिताने मैं तट तक आ गई और हमेशा की तरह एकांत ढूढ़ रही थी तभी तुम मुझे दिख गए – तुम भी यहाँ अकेले बैठे थे इसलिए मैं यहाँ चली आई – कहो तो चली जाऊं !”

वह भौं उचकाकर उसकी ओर देखती है तो जॉन झट से कह उठा –

“नही – |”

अब दोनों की निगाह एकदूसरे से मिल रही थी मानो कोई दो एकांत मिलकर कोई अज्ञात धुन का निर्माण कर रहे थे| जॉन ज्यादा कुछ नही कहता पर उसका मन उस पल फेनी के आने से अच्छा महसूस कर रहा था पर इस बात को वह शब्दों से प्रकट नही कर पाता| वह फेनी की ओर से निगाह हटाकर फिर सामने बल खाती लहरों को देखने लगा जबकि फेनी अभी भी उसकी ओर देख रही थी|

“अगर तुम्हारा कोई खास प्रोग्राम नही है तो क्या पब चलोगे मेरे साथ ?”

फेनी की बात पर तुरंत उसकी ओर नज़र करता जॉन एक बार फिर आश्चर्य से उसकी ओर देखता रहा|

“अच्छा लगेगा – गोवा आकर पब नही गए तो यहाँ आना अधूरा रह जाएगा और फिर अकेले पब जाने से अच्छा मेरे साथ चल सकते हो !”

इस पर फिर से जॉन हलके से मुस्करा कर आँखों से हाँ कहता उठ जाता है| जॉन को खड़ा होते देख फेनी भी खड़ी हो जाती है| दोनों अपने अपने कपड़े से रेत झाड़ते हुए एक साथ चलने लगते है|

जॉन फेनी के साथ से अब कुछ बेहतर महसूस करने लगा था| कुछ पल के लिए पिछली सारी बुरी यादें उसके दिमाग से हट चुकी थी| अब दोनों पब में आ गए थे| जहाँ ढेर शोर भरे म्यूजिक की धुन में हलकी रौशनी के बीच कई जोड़े एक दूसरे में खोए थे| बाहर से ही अंदर का नज़ारा दिखने लगा था जिससे जॉन थोड़ा हिचकिचा उठा जिससे फेनी अब उसका हाथ पकडे उसे अंदर की ओर ले जाने लगी| जॉन देखता है कि गेट पर प्रवेश करने वालो के कपड़े देखे जा रहे थे| सभी मस्ती भरे कपड़ो में वहां अपनी रात का जश्न मनाने को बेचैन थे|

कपड़े इतफाक से दोनों के इस माहौल के लायक थे| जॉन हाफ ट्राउजर और स्लिम फिट स्लीवलेस सैंडो में था तो फेनी शोर्ट व्हाइट फ्रॉक में गजब की दिख रही थी|वह उसका हाथ छोड़ उसकी बांह थामे अंदर प्रवेश कर जाती है|

जॉन पहली बार ऐसी जगह आया था ये उसकी इधर उधर डोलती हुई ऑंखें साफ साफ़ बता रही थी| अंदर आते वे दोनों साथ में किसी कोने की राउंड टेबल पर आमने सामने बैठ जाते है| जॉन अभी भी इधर उधर देख रहा था| वहां इतना शोर था कि सभी एकदूसरे से या तो इशारे में बात कर रहे थे या फिर बिना बात के ही एक दूसरे में डूबे हुए थे|

फेनी इशारे में उसे कुछ पीने का पूछती हुई उसके बिना हाँ कहे उठकर बार की ओर चली जाती है| उसके कुछ पल में ही वह दो ड्रिंक के साथ उसके सामने होती है| जॉन हैरान उस ड्रिंक को देखता है| वाइन ग्लास में नारियल पानी सा सफ़ेद जो उसकी नजरो के सामने था उसे जॉन की ओर बढ़ाती हुई फेनी उसके कानो के पास आती कहती है – “फेनी…|”

“मैं शराब नही पीता |” जॉन भी उसी अंदाज में उसके कानो के पास मुंह करता हुआ कहता है|

“वो तो मैं भी नही पीती – फेनी कोई शराब थोड़े ही है – यहाँ की गवर्नमेंट तक इसे हैरिटेज ड्रिंक मान जीआई सर्टिफिकेट दे चुकी है |” कहती हुई वह ड्रिंक उसके और नजदीक सरका देती है|

अब जॉन के इंकार की कोई वजह नही रही तो वह ड्रिंक की ओर नज़रे करता गिलास थाम लेता है| फेनी भलेही गोवा के लिए शराब नही थी पर जॉन के लिए ये बिलकुल अलग अनुभव था पर आज इसे चाहकर भी वह इनकार न कर सका| आखिर ड्रिंक उठाकर वह उसे होठों से लगाता एक बड़ा घूंट लेता ही है तो कुछ बड़ी घूंट बड़ी मुश्किल से अपने गले के नीचे से उतार पाता है जिससे सफ़ेद फेनी की तीक्ष्ण महक उसके नथुने में समाने लगती है| वह गिलास रख देना चाहता था पर फेनी इस बात को समझती हुई उसका गिलास अपने हाथ में लेती उसके होठो पर लगा देती है| जॉन अब बड़ी मुश्किल से उस तीक्ष्ण स्वाद को अपने गले के नीचे उतार पाता है| लेकिन एक बार पूरा उतार लेने के बाद उसे बेदह अच्छा सा लगने लगता है| एक सुकून सा उसके मन में छा जाता है| जिससे फेनी पास से गुजरते वेटर से दो ड्रिंक और लेती हुई उसमें से एक जॉन की ओर बढ़ा देती है| अबकी जॉन मन से उसे अपने गले के गटका लेता है|

उस पल दोनों की मुस्कान एकसार हो उठी थी| अगले ही क्षण म्यूजिक चेंज होते गहराती रात को धता बताते और तेज बीट्स वाला जैश बज उठता है जिसे सुनते फेनी जॉन को इशारे से डांस के लिए पूछने लगी| अबकी फिर उसका वही हैरान चेहरा देखती हुई वह मुस्कराते हुए कहती है – “अब प्लीज़ ये मत कहना कि डांस भी नहीं करते |”

इस पर जॉन को मुस्कराकर उठने के सिवा कोई रास्ता नही सूझता| दोनों डांसिंग फ्लोर पर ढेरों जोड़ो के बीच आ गए थे| वे एक दूसरे का हाथ पकडे झूम रहे थे| उसके डांसिंग स्टेप देख फेनी जल्दी ही समझ गई कि जॉन इसमें कितना अनाड़ी है| बीट्स लगातार तेज और नशीली हुई जा रही थी जिससे सारे जोड़े और जोर से थिरकने लगे थे| फेनी अब जॉन की बांह अपनी कमर के इर्द गिर्द करती हलके हलके से झूम रही थी| अब उनके बीच बहुत ही कम फासला रह गया था| इतना कि दोनों एकदूसरे की सांस को अच्छे से महसूस कर पा रहे थे| जॉन इस वक़्त बहुत ध्यान से फेनी का चेहरा देखता हुआ उसके कानो के पास आता हुआ कहता है –

“मैं आज वो सब कर रहा हूँ जो मैंने अपनी लाइफ में पहले कभी नही किया|”

इसपर आँखों के इशारे से फेनी क्या !! पूछती उसकी बाँहों के घेरे में हौले हौले झूमती रहती है जिससे जॉन अपनी बात कहता रहता है –

“मैंने कभी किसी लड़की को डेट नही किया – कभी शराब नही पी – कभी डांस नही किया….|”

तुरंत ही उसके छूटे शब्द वह आगे बढ़ाती हुई पूछती है – “और….!!”

उस पल और में उनका सारा एकांत अकेलापन समा गया| जहाँ वे खुद को रोक न सके और उनका मौन उनके लबो पर कांपता रह गया| जॉन फेनी की सुरमई आँखों में इस कदर खो गया कि उसके हाथ फेनी की कमर से सरकते उसकी पीठ पर अपना दवाब बनाते उसे अपनी ओर खींच लेते है और दो लब एकदूसरे के इतने करीब आ जाते है कि अगली सांस को तरस जाते है| जॉन फेनी को अपनी बांह में समेटे उसके गुलाबी होंठो की मदहोशी में डूबा था तो फेनी भी बिना एतराज मानो आज उस नदी में बहने को अपना समस्त अस्तित्व उसी पर छोड़ देती है…..

क्रमशः……

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